अपक्षय तथा अपरदन

  1. अपक्षय किसे कहते हैं? प्रकार, महत्व
  2. भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है Geomorphology in hindi meaning भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब
  3. अपक्षय तथा अपरदन (Weathering And Erosion)
  4. अपरदन
  5. अपक्षय और अपरदन में क्या अन्तर है?
  6. अपक्षय और अपरदन के प्रकार : Types Of Weathering And Erosion


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भू

भू-आकृतिक प्रक्रियाएं भू पृष्ठ पर विविध प्रकार के भौतिक लक्षण मौजूद हैं। इनमें से प्रत्येक का अपना एक स्वरूप , गतिकी तथा विलक्षणता है। इसे ' भू - आकृति ' कहते हैं। भू - पर्पटी गत्यात्मक है तथा यह क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर दिशाओं में संचालित होती रहती है। निश्चित तौर पर यह भूतकाल में वर्तमान गति की अपेक्षा थोड़ी तीव्रतर संचालित होती थी। इस कारण धरातलीय स्थलाकृतियाँ कभी स्थिर नहीं रहती हैं। उनमें कुछ - न - कुछ परिवर्तन होता रहता है। स्कॉटिश भूगोलवेत्ता ' जेम्स हटन ' ने अपनी पुस्तक " थ्योरी ऑफ दि अर्थ विद प्रूफ एंड इलस्ट्रेशंस (1785 ई .) में भू - वैज्ञानिक परिवर्तनों के चक्रीय स्वभाव को पहचाना। सन् 1802 ई . में जॉन फ्लेफेयर ने हटन महोदय के विचारों को वैज्ञानिक रूप देकर उन्हें प्रकाशित कराया। हटन महोदय के अनुसार “ वर्तमान भूतकाल की कुंजी है। " उनका मानना था कि जिस प्रकार वर्तमान समय में स्थलाकृतियों का विकास हो रहा है , वैसा ही विकास भूतकाल में भी हुआ होगा। भू - गर्भिक इतिहास में जलवायु में हुए परिवर्तन स्पष्ट करते हैं कि अपरदन के प्रक्रम ही नहीं बदले अपितु उनकी तीव्रता में भी परिवर्तन हुआ है। कार्बोनीफेरस तथा प्लीस्टोसिन युगों में हिमानी प्रक्रम अधिक सक्रिय रहा। इसी भाँति ज्वालामुखी क्रिया भी एक समान नहीं रही। प्रक्रिया वर्तमान समय की तरह ही भूतकाल में भी सक्रिय रही होगी। अपरदन के सभी कारकों ने वर्तमान की तरह ही भूतकाल में भी कार्य किया। चट्टानी संरचना , जलवायु परिवर्तन , सागर तली में परिवर्तन स्थलों में उत्थान व अवतलन आदि कारकों के कारण प्रक्रमों की तीव्रता में परिवर्तन हुआ है। भूगर्भिक संरचना में चट्टानों की प्रकृति , उनकी स्तर व्यवस्था तथा रासायनिक संगठन को सम्मिलित किया जाता ...

अपक्षय किसे कहते हैं? प्रकार, महत्व

अपक्षय किसे कहते हैं? (apakshay kya hai) apakshay arth prabhavit krne vale karak prakar mahatva;चट्टानों के अपने ही स्थान पर टूटने-फूटने की क्रिया को अपक्षय कहते है। इस प्रकार अपक्षय एक स्थैतिज (Static) क्रिया है जिसमे पदार्थों का परिवहन सम्मिलित नही है। चट्टानों के अपने ही स्थान पर टूटने की क्रिया दो प्रकार से होती है-- (अ) भौतिक कारकों द्वारा बलकृत रूप से (Mechanical) चट्टानों का टूटना या विघटन (Decomposition)। (ब) रासायनिक प्रक्रिया द्वारा चट्टान का कमजोर होकर बिखर जाना या अपघटन (Decomposition)। स्पार्क के अनुसार," पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक कारकों द्वारा चट्टानों का अपने ही स्थान पर यान्त्रिक विधि द्वारा टूटने अथवा रासायनिक वियोजन होने की क्रिया को अपक्षय कहा जाता है।" अपक्षय को प्रभावित करने वाले तत्व अपक्षय के प्रकार और उसकी दर को प्रभावित करने वाले चार प्रमुख तत्व है-- 1. शैल संरचना शैल संरचना एक व्यापक शब्द है जिसमें चट्टान के भौतिक और रासायनिक गुण, खनिजीय संघटन, जोड़, संस्तरण का स्वरूप आदि अनेक पक्ष सम्मिलित है। शैल संरचना का अपक्षय पर कई दृष्टि से प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, उदाहरणार्थ, आग्नेय शैलों पर भौतिक की अपेक्षा रासायनिक प्रतिक्रिया का अधिक प्रभाव पड़ता है, चूने की चट्टान उष्ण आर्द्र जलवायु मे घुल जाती है, अधिक जोड़ वाली चट्टान मे अपक्षय की गति तीव्र होगी, आदि। 2. जलवायु तापमान और आर्द्रता सरीखे जलवायवी तत्व न केवल अपक्षय की गति को निर्धारित करते है वरन् यह भी निश्चित करते है कि भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाओं मे से किसका प्राधान्य रहेगा। उदाहरणार्थ, उच्च अक्षांशीय और ऊँचे पर्वतीय क्षेत्रों में तुषार क्रिया महत्वपूर्ण है, उष्ण मरूस्थलीय जलवायु मे क्रिस्टलीय व...

भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है Geomorphology in hindi meaning भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब

• Home • geography • भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है Geomorphology in hindi meaning भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब • Home • geography • indian • भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है Geomorphology in hindi meaning भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब • Home • geography • rajasthan • भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है Geomorphology in hindi meaning भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब Geomorphology in hindi meaning definition भू आकृति विज्ञान की परिभाषा क्या है भू आकृति विज्ञान किसे कहते है अर्थ मतलब ? भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology) भू-आकृति विज्ञान, जो द्रष्टव्य भूदृश्यों की विभिन्न समस्याओं का विश्लेषण करता है, अपने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में अन्तर्निहत परिभाषाओं के द्वारा विषय-क्षेत्र निश्चित कर, वर्तमान स्वरूप में विकसित हुआ। अल्प ज्ञान एवं सीमित सामग्रियों से युक्त मानव स्थलरूपों के उत्पत्तिमूलक निर्वचन-हेतु सदैव प्रगतिशील रहा, परिणामतः इसका श्रेणीगत विकास हुआ, जिसकी पुष्टि परिवर्तनशील परिभाषाओं से सम्भव है। भू-आकृति विज्ञान के आधारकाल में – ‘कौन‘? ‘कहाँ‘? का अध्ययन प्रत्यक्ष अवलोकनों के आधार पर किया गया। तदनन्तर, अनेक आकस्मिक भू-गर्भिक घटनायें घटित हुई, परिणामतः – ‘कव‘ ? ‘क्या‘? – इसमें समाहित होकर परिभाषा एवं विषय-क्षेत्र को विस्तीर्ण किया। तत्पश्चात, वैज्ञानिक प्रगति ने भू-आकृति विज्ञानवेत्ताओं की चिन्तन-प्रवृत्ति में परिवर्तन किया, फलतः वे स्थलरूपों की सृजनात्मक जटिलताओं में प्रवेश कर इनकी समस्याओं के निराकरण में संलग्न हो गये। इनकी यही प्रवृत्ति – ‘क्यों‘? ‘कैसे‘? की प्रविष्टि-हेतु सहायक हुई, जिससे वर्तमान वैज्ञानिक-विश्लेषण सम्भव हुआ। भू-आकृति ...

अपक्षय तथा अपरदन (Weathering And Erosion)

अपक्षय तथा अपरदन – Hello Everyone, जैसा की आप सभी जानते हैं कि हम यहाँ आप सभी के लिए wikimeinpedia.com हर दिन बेस्ट से बेस्ट स्टडी मटेरियल शेयर करते हैं. जिससे की आप की परीक्षा की तैयारी में कोई समस्या न हो. तो इसीलिए आज हम आप सभी के लिए इस अपक्षय तथा अपरदन के माध्यम से कुछ नया और महत्वपूर्ण लाने का प्रयास कर रहा हूँ | जो आप सभी के आगामी परीक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगी | इस pdf notes से आप UPSC , IAS , PCS , SSC , Railway और अन्य competitive exams की तैयारी कर सकते है. नीचे हमने अपक्षय तथा अपरदन की डाउनलोड लिंक दी है जिस पर क्लिक करके आप इस Pdf को अपने कंप्यूटर अथवा मोबाइल में सेव कर सकते है. अपक्षय तथा अपरदन जरुर पढ़े… • सम-सामयिक घटना चक्र आधुनिक भारत का इतिहास • • • • मध्यकालीन भारत का इतिहास PDF में डाउनलोड करें प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए • History of Modern India Handwritten Notes in Hindi by Raj Holkar • • • English as Compulsory language • • UPTET CTET Sanskrit Notes Hindi PDF: यूपीटेट सीटेट संस्कृत नोट्स • • • अपक्षय तथा अपरदन (Weathering And Erosion) चट्टानों के अपने स्थान पर भौतिक अथवा रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा टूटने-फूटने की क्रिया को अपक्षय (Weathering) कहते हैं। अपक्षय एक स्थैतिक प्रक्रिया है क्योंकि इसमें चट्टानों के टूटे-फूटे पदार्थों के परिवहन को सम्मिलित नहीं किया जाता है। अपरदन में परिवहन की क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। इस प्रकार अपक्षय एक स्थैतिक क्रिया जबकि अपरदन एक गत्यात्मक क्रिया है। अपक्षय तथा अपरदन का योग अनाच्छादन (Denudation) है, जिसमें दोनों क्रियाओं (स्थैतिक एवं गत्यात्मक) को सम्मिलित किया जाता है। अपक्षय द्वारा चट्टानों का विघटन (Dis...

अपरदन

अपरदन (Erosion) वह प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें परिचय [ ] समुद्रतट पर लहरों और वर्षा, पिघली हुई नदियों का अथवा अन्य बहता हुआ जल किनारों तथा जल की भूमि को काटकर, मिट्टी को ऊँचे स्थानों से नीचे की ओर बहा ले जाता है। ऐसी मिट्टी बहुत बड़े परिणाम में समुद्र तक पहुँच जाती है और समुद्र पाटने का काम करती है। समुद्र में गिरनेवाले जल में मिट्टी के सिवाय विभिन्न प्रकार के घुले हुए शुष्क प्रांतों में, जहाँ वनस्पति से ढंकी नहीं होती, वायु अपार बालुकाराशि एक स्थान से दूसरे स्थान को ले जाती है। इस प्रकार गतिशील हिम जिन चट्टानों पर से होकर जाता है उनका क्षरण करता है और इस प्रकार मुक्त हुए पदार्थ को अपने साथ लिए जाता है। वायु तथा नदियों के कार्य की तुलना में, ध्रुव प्रदेश को छोड़कर पृथ्वी के अन्य भागों में, हिम की क्रिया अल्प होती है। बाहरी कड़ियाँ [ ] • • • सन्दर्भ [ ] • Afrikaans • Aragonés • العربية • Asturianu • Azərbaycanca • Беларуская • Български • বাংলা • Brezhoneg • Bosanski • Català • ᏣᎳᎩ • Čeština • Cymraeg • Dansk • Deutsch • Ελληνικά • English • Esperanto • Español • Eesti • Euskara • فارسی • Suomi • Français • Gaeilge • Kriyòl gwiyannen • Galego • Avañe'ẽ • Hausa • עברית • Hrvatski • Kreyòl ayisyen • Magyar • Հայերեն • Bahasa Indonesia • Ido • Íslenska • Italiano • ᐃᓄᒃᑎᑐᑦ / inuktitut • 日本語 • Patois • ქართული • Qaraqalpaqsha • Қазақша • ಕನ್ನಡ • 한국어 • Кыргызча • Latina • Lëtzebuergesch • Limburgs • Lietuvių • Latviešu • Basa Banyumasan • Македонски • മലയാളം • मराठी • Bahasa Melayu • Nederlands • Norsk nynorsk • Norsk bokmål • Occitan • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • پنجابی • پښتو • Portug...

अपक्षय और अपरदन में क्या अन्तर है?

अपक्षय और अपरदन में अन्तर अपक्षय और अपरदन में अन्तर स्पष्ट करने से पूर्व अपक्षय तथा अपरदन की क्रियाओं को समझना आवश्यक है। अपक्षय का अर्थ है–शैलों का अपने ही स्थान पर क्षीण होना या ढीला पड़ना। इस क्रिया को ऋतु-अपक्षय भी कहते हैं, क्योंकि इसमें मौसम के तत्त्व; जैसे-तापमान, आर्द्रता (वर्षा), पाला आदि चट्टानों को प्रभावित करके उनके कणों को ढीला कर देते हैं जिससे वे विखण्डित हो जाती हैं। चट्टानों के अपक्षय की यह क्रिया दो रूपों में होती है—(1) भौतिक अथवा यान्त्रिक रूप से तथा (2) रासायनिक रूप से। भौतिक अपक्षय द्वारा चट्टानें विघटित होती हैं। रासायनिक अपक्षय में शैलों में टूट-फूट नहीं होती वरन् उनके रासायनिक संगठन में परिवर्तन हो जाता है। उदाहरणत: जल के प्रभाव से शैलों के कण घुल जाते हैं जिससे वे ढीली पड़ जाती हैं। इसे शैलों का अपघटन कहते हैं। शैलों के अपक्षय की क्रिया तीन प्रकार की होती है—(1) भौतिक यो यान्त्रिक, (2) रासायनिक तथा (3) जैविक।। यहाँ यह स्पष्ट कर देना उचित होगा कि भौतिक एवं रासायनिक कारकों के अतिरिक्त प्राणी (वनस्पति एवं जीव-जन्तु) भी शैलों को ढीला करने में सहयोग देते हैं। उदाहरणत: पेड़-पौधों की जड़े शैलों को ढीला करती हैं। अनेक प्रकार के बिलकारी जीव-जन्तु, कीड़े आदि भी शैलों को ढीला बनाने का कार्य करते हैं। अपरदन का अर्थ है-चट्टानों को घिसना। इस कार्य में अपरदन के अनेक गतिशील साधन जो पदार्थ को बहाकर या उड़ाकर ले जाने की क्षमता रखते हैं, चट्टानों के अपरदन में सहयोग देते हैं। इन साधनों में बहता हुआ जल या नदी, हिमानी, पवन, सागरीय लहरें तथा भूमिगत जल अपरदन के प्रधान कारक हैं। ये सभी साधन गतिशील होने के कारण शैलों को तोड़ने-फोड़ने, अपरदित पदार्थ को बहाकर ले जाने तथा उसे...

अपक्षय और अपरदन के प्रकार : Types Of Weathering And Erosion

अपक्षय और अपरदन के प्रकार : Types of weathering and erosion – आंतरिक शक्तियों द्वारा धरातल पर उत्पन्न किए गए असमानताओं को दूर करने के लिए वाह्य शक्तियां कार्यरत रहती हैं। यह शक्तियां दो तरह से कार्य करती हैं ।अपक्षय जब चट्टाने एक ही स्थान पर भौतिक तथा रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा टूट-फूट कर विघटित हो जाती हैं तो इस क्रिया को अपक्षय कहते हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें चट्टानों के अंदर रासायनिक प्रतिक्रिया होती है। जिससे चट्टाने ढीली होकर कमजोर हो जाती हैं और आसानी से टूट जाती हैं। इस क्रिया में मुख्यतः धरातल के ऊपरी भाग में प्राकृतिक विघटन और रसायनिक क्रियाओं के द्वारा चट्टानों का टूटना फूटना होता है। 2.3 निक्षेप अपक्षय के प्रकार:-Types of weathering in hindi भौतिक अपक्षय चट्टानों के भौतिक क्रियाओं द्वारा टूट फुटकर विघटित होने के प्रक्रिया को भौतिक अपक्षय कहते हैं। इसमें किसी भी प्रकार के रसायनिक कारक का सहयोग नहीं होता है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में दैनिक तापांतर के कारण तथा शीत क्षेत्रों में पाला के कारण भौतिक अपक्षय अधिक होता है। रेगिस्तानों में स्वच्छ आकाश और वायु के शुष्कता के कारण सूर्य की किरणे सीधे चट्टानों पर पड़ती है। जिससे चट्टानों का ऊपरी आवरण गर्म होकर फैलता है। रात के समय तापमान बहुत कम हो जाता है, जिससे चट्टाने सिकुड़ जाती हैं। इस क्रिया के बार-बार होने से चट्टान बड़े-बड़े टुकड़ों में टूट जाती हैं। इस क्रिया को खंड विच्छेदन कहा जाता है। मरुस्थलीय क्षेत्रों वाले मानसूनी जलवायु प्रदेशों में तापांतर की अधिकता के कारण चट्टानों की ऊपरी सतह अत्याधिक गर्म हो जाती है जबकि अंदर का भाग ठंडा रहता है। चट्टानों का ऊपरी परत बार-बार फैलता सिकुड़ता है जिससे यह प्याज के छिलके...