अपठत् धातु का वचन एवं पुरुष है

  1. Dhatu Roop in Sanskrit
  2. संस्कृत व्याकरण
  3. UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 धातु
  4. Piv/Paa Dhatu Roop In Sanskrit
  5. धातु (संस्कृत के क्रिया शब्द)
  6. Path Dhatu Roop In Sanskrit
  7. Path Dhatu Roop
  8. पठ् धातु रूप
  9. विद् (रहना) धातु के रूप


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Dhatu Roop in Sanskrit

Table of Contents • • • • • Dhatu Roop in Sanskrit संस्कृत व्याकरण में क्रियाओं के मूल रूप को धातु(Verb) कहते हैं। धातु ही संस्कृत शब्दों के निर्माण का मूल तत्त्व है। धातुओं के साथ उपसर्ग, प्रत्यय मिलकर तथा सामासिक क्रियाओं के द्वारा सभी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि) बनते हैं। ‘धातु’ शब्द स्वयं ‘धा’ में ‘तिन्’ प्रत्यय जोड़ने से बना है। भू, स्था, ज्ञा, युज्, गम्, मन्, दृश् आदि कुछ प्रमुख धातुएँ हैं। धातु रूप में पुरुष संस्कृत भाषा में तीन पुरूष होते हैं • प्रथम पुरुष • मध्यम पुरुष • उत्तम पुरुष 1. प्रथम पुरूष – प्रथम पुरुष को अन्य पुरुष भी कहा जाता है। अस्मद् और युष्मद् शब्द के कर्ताओं को छोड़कर शेष जितने भी कर्ता हैं, वे सभी प्रथम पुरूष के अंतर्गत आते है। 2. मध्यम पुरुष – इसमें केवल युष्मद् शब्द के कर्ता का प्रयोग होता है। 3. उत्तम पुरूष – इसमें भी केवल अस्मद् शब्द के कर्ता का प्रयोग होता है। धातु रूप में वचन संस्कृत भाषा में तीन वचन होते हैं। • एकवचन (वह वचन जिसमें एक होने का बोध हो रहा हो) • द्विवचन (वह वचन जिसमें दो के होने का बोध हो रहा हो) • बहुवचन(वह वचन जिसमें दो से अधिक होने का बोध हो रहा हो) . एकवचन (Singular Number) – जिससे एक का बोध होता है। उसे एकवचन कहते हैं। जैसे- बालक: पठति। 2. द्विवचन (Dual Number) – जिनसे दो का बोध होता है। उसे द्विवचन कहते है। जैसे- बालकौ पठत:। 3. बहुवचन (Plural Number) – जिससे दो से अधिक का बोध होता है, उसे बहुवचन कहते है। जैसे- बालका: पठन्ति। संस्कृत लकार– Sanskrit lakar संस्कृत में धातुओं के दस लकार हैं, जो निम्न है: • लट् लकार (Present Tense) • लोट् लकार (Imperative Mood) • लङ्ग् लकार (Past Tense) • विधिलिङ्ग् लकार (Potential Moo...

संस्कृत व्याकरण

यस्य षष्ठी चतुर्थी च विहस्य च विहाय च। यस्याहं च द्वितीया स्याद् द्वितीया स्यामहं कथम् ॥ - जिसके लिए "विहस्य" छठी विभक्ति का है और "विहाय" चौथी विभक्ति का है; "अहम् और कथम्"(शब्द) द्वितीया विभक्ति हो सकता है। ऐसे मैं व्यक्ति की पत्नी (द्वितीया) कैसे हो सकती हूँ? (ध्यान दें कि किसी पद के अन्त में 'स्य' लगने मात्र से वह षष्टी विभक्ति का नहीं हो जाता, और न ही 'आय' लगने से चतुर्थी विभक्ति का । विहस्य और विहाय ये दोनों अनुक्रम • 1 वचन • 2 लिंग • 3 संस्कृत के पुरुष • 4 कारक • 5 वाच्य • 6 लकार • 7 समास:तत्पुरुष ‌समास • 8 संस्कृत व्याकरण शब्दावली • 9 इन्हें भी देखें • 10 बाहरी कड़ियाँ वचन [ ] संख्या में एक होने पर एकवचन , दो होने पर द्विवचन तथा दो से अधिक होने पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। जैसे- एक वचन -- एकः बालक: क्रीडति। द्विवचन -- द्वौ बालकौ क्रीडतः। बहुवचन -- त्रयः बालकाः क्रीडन्ति। लिंग [ ] • पुल्लिंग- जिस शब्द में पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते हैं।(जैसे रामः, बालकः, सः आदि) • स: बालकः अस्ति। • तौ बालकौ स्तः • ते बालकाः सन्ति। • स्त्रीलिंग- जिस शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। (जैसे रमा, बालिका, सा आदि) • सा बालिका अस्ति। • ते बालिके स्तः। • ताः बालिकाःसन्ति। • नपुंसकलिंग (जैसे: फलम् , गृहम, पुस्तकम , तत् आदि) • तत् फलम् अस्ति । • ते फले स्त: । • तानि फलानि सन्ति । संस्कृत के पुरुष [ ] पुरुष एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम् उत्तमः पुरुषः (First person) अहम्(मैं) आवाम्(हम दोनों) वयम्(हम सब) मध्यमः पुरुषः (Second person) त्वम्(तू) युवाम्(तुम दोनों) यूयम्(तुम सब) प्रथमः/अन्यः पुरुषः (Third person) स:/सा/तत् (वह) तौ/ते/ते (वे दोनों) ते/ता:/...

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 धातु

UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 धातु-रूप प्रकरण (व्याकरण) are the part of Board UP Board Textbook NCERT Class Class 9 Subject Sanskrit Chapter Chapter 4 Chapter Name धातु-रूप प्रकरण (व्याकरण) Number of Questions Solved 25 Category UP Board Solutions UP Board Solutions for Class 9 Sanskrit Chapter 4 धातु-रूप प्रकरण (व्याकरण) धातु-रूप प्रकरण जिस शब्द के द्वारा किसी काम के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं; जैसे-‘राम: पुस्तकं पठति।’ इस वाक्य में ‘पठति से पढ़ने के काम का बोध होता है; अतः ‘पठति क्रिया है। क्रिया के मूल रूप को संस्कृत में ‘धातु’ कहते हैं; जैसे—राम: पुस्तकं पठति। इस वाक्य में ‘पठति’ क्रिया का मूल ‘पद्’ है; अतः ‘पद्’ धातु है। धातुओं में प्रत्यय जोड़ने से ही क्रिया के विभिन्न रूप बनते हैं। क्रियाएँ ‘तिङ’ प्रत्यय जोड़कर बनायी जाती हैं; अतः तिङन्त कहलाती हैं। संस्कृत में क्रिया का ही प्रयोग होता है, धातु का नहीं। क्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं-(1) सकर्मक क्रिया तथा (2) अकर्मक क्रिया।। (1) सकर्मक क्रिया- ये वे क्रियाएँ हैं, जिनका अपना कर्म होता है। समर्कक क्रिया के व्यापार को फल कर्ता को छोड़कर किसी और (कर्म) पर पड़ता है; जैसे-राम: पुस्तकं पठति। इस वाक्य में ‘पठति’ क्रिया के व्यापार का फल ‘राम:’ कर्ता को छोड़कर ‘पुस्तकम्’ (कर्म) पर पड़ता है; अतः ‘पठति’ (UPBoardSolutions.com) क्रिया सकर्मक है।। क्रिया के पूर्व ‘क्या’ या ‘किसको’ लगाकर प्रश्न करने पर मिलने वाला उत्तर कर्म होता है। ऊपर के वाक्य में ‘क्या’ पढ़ता है; प्रश्न करने पर उत्तर में ‘पुस्तकम्’ आता है; अतः ‘पुस्तकम् कर्म है और ‘पठति’ क्रिया, सकर्मक है। (2) अकर्मक क्रिया- अकर्मक क्रिय...

Piv/Paa Dhatu Roop In Sanskrit

पा/पिव् धातु के रूप – Piv/Paa Dhatu Roop In Sanskrit पा/पिव् पा (= पीना) – Pa (= Drink) लट् लकार (वर्तमानकाल) – Latkar Present Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पिबति पिबतः पिबन्ति मध्यम पुरुष पिबसि पिबथः पिबथ उत्तम पुरुष पिबामि पिबावः पिबामः लट् लकार (सामान्य भविष्यत्काल) – Latter Normal Future पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पास्यति पास्यतः पास्यन्ति मध्यम पुरुष पास्यसि पास्यथः पास्यथ उत्तम पुरुष पास्यामि पास्यावः पास्यामः लङ् लकार (हतुहेतुमद भविष्यत् काल) – Letter Future Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष अपास्यत् अपास्यताम् अपास्यन् मध्यम पुरुष अपास्यः अपास्यतम् अपास्यत उत्तम पुरुष अपास्यम् अपास्याव अपास्याम लङ् लकार (अनद्यतन भूतकाल) – Latter Update Past Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष अपिबत् अपिबताम् अपिबन् मध्यम पुरुष अपिबः अपिबतम् अपिबत उत्तम पुरुष अपिबम् अपिबाव अपिबाम लोट् लकार (आदेशवाचक) – Lottery Commander पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष मध्यम पिबताम् पिबन्तु पुरुष पिब पिबतु पिबतम् पिबत उत्तम पुरुष पिबानि पिबाव पिबाम विधिलिङ् लकार (अनुज्ञावाचक) – Legal License Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष पिबेत् पिबेताम् पिबेयुः मध्यम पुरुष पिबेः पिबेतम् पिबेत उत्तम पुरुष पिबेयम् पिबेव पिबेम Filed Under:

धातु (संस्कृत के क्रिया शब्द)

धातु कहते हैं। धातु ही 'धातु' शब्द स्वयं 'धा' में 'तिन्' प्रत्यय जोड़ने से बना है। व्याकरणशास्त्र में पाँच अंगों की परम्परा दिखती है। इसीलिये 'पंचांग व्याकरण' भी प्रसिद्ध है। पाँच अंग ये हैं- सूत्रपाठ, धातुपाठ, गणपाठ, उणादिपाठ तथा लिंगानुशासन। इन पाँच अंगों में से धातुपाठ अतिमहत्वपूर्ण है। प्रायः सभी शब्दों की व्युत्पत्ति धातुओं से की जाती है। कहा गया है - सर्वं च नाम धातुजमाह । अनेकों वैयाकरणों ने धातुपाठों का प्रवचन किया है। श्रीमान अनुक्रम • 1 धातुओं से व्युत्पन्न कुछ शब्दों के उदाहरण • 2 वर्गीकरण • 3 संस्कृत में धातु रूप • 4 कुछ धातुएँ और उनके हिन्दी अर्थ • 5 इन्हें भी देखें • 6 बाहरी कड़ियाँ धातुओं से व्युत्पन्न कुछ शब्दों के उदाहरण [ ] (१) कृ (करना) संज्ञा: कार्य, उपकरण, कर्मन्, ' क्रिया: करोति, नमस्कुरु, प्रतिकरोमि, कुर्मः (२) भू (होना) संज्ञा: भवन, प्रभाव, वैभव, भूत, उद्भव, भविष्य, विशेषण: भावी, भावुक, भावात्मक, भौगोलिक क्रिया: भविष्यति, अभवं, अभव, संभवेत्, संभवामि (३) गम् (जाना) संज्ञा: गति, आगन्तुक, जगत्, संगम, प्रगति, अन्तर्गामित्व, गन्ता विशेषण: गमनशील, सर्वगत, निर्गामी, सुगम, क्रिया: संगच्छ, निर्गच्छति, उपगमिष्यामि, वर्गीकरण [ ] पाणिनीय धातुपाठ में धातुओं के निम्नलिखित वर्ग हैं- 1. भ्वादि (भू +आदि) 2. अदादि (अद् +आदि) 3. जुहोत्यादि 4. दिवादि 5. स्वादि 6. तुदादि 7. रुधादि 8. तनादि 9. क्र्यादि ( क्री + आदि; "कृ +आदि" नहीं ) 10. चुरादि संस्कृत में धातु रूप [ ] परस्मैपद पद की सभी लकारों की धातु रुप सरंचना १. लट् लकार (वर्तमान काल, Present Tense) पुरुष एकवचन द्विवचन वहुवचन प्रथम पुरुष ति तस् (तः) अन्ति मध्यम पुरुष सि थस् (थः) थ उत्तम पुरुष मि वस् (वः) मस् (मः) क्रि...

Path Dhatu Roop In Sanskrit

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Path Dhatu Roop

Path Dhatu Roop | पठ धातु रूप संस्कृत- पठ् धातुरूपाणि | Path Dhatu Roop In Sanskrit- All Lakar संस्कृत में धातु रूपों की इस शृंखला में आज पठ धातु रूप प्रस्तुत किए जा रहे हैं। Path Dhatu Roop In Sanskrit All Lakar अर्थात् संस्कृत में पठ् धातु के लट् लिट् लुट् लृट् आदि सभी लकारों के रूप यंहा दिए जा रहे हैं। प्यारे मित्रों, स्वागत है आप सभी का आपकी अपनी इस SanskritExam.Com वेबसाइट में। जैंसे कि आपको पता होगा कि इस वेबसाइट पर बेसिक संस्कृत से लेकर एडवांस संस्कृत सीखने के लिए हर प्रकार की सामग्री फ्री में उपलब्ध है। संस्कृत नोट्स, PDF, संस्कृत शब्दकोश, संस्कृत गिनती, संस्कृत में अनुवाद एवं एडवांस संस्कृत व्याकरण के शब्द रूप, संस्कृत धातुरूप, संस्कृत कारक, संस्कृत संधि आदि ज्ञान का महासागर इस वेबसाइट पर फैला हुआ है। इसे भी दबाएँ- संस्कृत के विभिन्न धातु रूप इस वेबसाइट पर उपलब्ध हैं जिन्हें आप मेनूबार में जाकर देख सकते हैं। आज की इस शृंखला में हम Path Dhatu Roop (पठ धातु रूप) जानेंगे। पठ् धातु के रूप आप सभी को अवश्य देखने व याद करने चाहिए। चूंकि पठ् धातु पढने से संबंधित है। तो आइये, शुरु करते हैं - Path Dhatu Roop In Sanskrit All Lakar इसे भी दबाएँ- पठ् धातु का अर्थ (Path Dhatu Meaning) पठ् धातु रूप जानने से पहले पठ धातु का अर्थ समझ लीजिए। पठ् धातु- हिंदी में पढने के लिए प्रयोग की जाती है। पठ् धातु का अर्थ होता है- पढना। पठ व्यक्तायां वाचि। उदाहरण के लिए- रामः पुस्तकं पठति- राम पुस्तक पढता है आदि वाक्य। Path Dhatu को अंग्रेजी में To Read (पढने) के अर्थ में ही प्रयोग किया जाता है। इसे भी दबाएँ- पठ् धातु का परिचय (Path Dhatu Introduction) पठ् धातु संस्कृत व्याकरण की एक प्रसिद्ध धात...

पठ् धातु रूप

Table of Content • Path Dhatu Roop Sanskrit • Path Dhatu Roop in All Five Lakars • Path Dhatu Roop Lat Lakar • Path Dhatu Roop Lung Lakar • Path Dhatu Roop Lrit Lakar • Path Dhatu Roop Lot Lakar • Path Dhatu Roop Vidhiling Lakar • Path Dhatu Roop Important Question Answer Path Dhatu Roop in Sanskrit | पठ् धातु रूप संस्कृत में

विद् (रहना) धातु के रूप

Vid Dhatu विद् धातु (रहना, to exist): विद् धातु उभयपदी दिवादिगण धातु शब्द है। अतः Vid Dhatu के Dhatu Roop की तरह विद् जैसे सभी उभयपदी दिवादिगण धातु के धातु रूप ( विद् धातु का गण (Conjugation): दिवादिगण चतुर्थ गण – Fourth Conjugation विद् का अर्थ: विद् का अर्थ रहना, to exist होता है। विद् के धातु रूप (Dhatu Roop of Vid) – परस्मैपदी परस्मैपदी विद् धातु के धातु रूप संस्कृत में सभी लकारों, पुरुष एवं तीनों वचन में विद् धातु रूप (Vid Dhatu Roop) नीचे दिये गये हैं। विद् के धातु रूप में “ न्द” की जगह “ द्य” का भी प्रयोग कर सकते हैं। 1. लट् लकार विद् धातु – वर्तमान काल पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष विन्दति विन्दतः विन्दन्ति मध्यम पुरुष विन्दसि विन्दथः विन्दथ उत्तम पुरुष विन्दामि विन्दावः विन्दामः 2. लिट् लकार विद् धातु – Past Perfect Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष विवेद विविदतुः विविदुः मध्यम पुरुष विवेदिथ विविदथुः विविद उत्तम पुरुष विवेद विविदिव विविदिम 3. लुट् लकार विद् धातु – First Future Tense or Periphrastic पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष वेदिष्यति/वेत्ता वेदिष्यतः/वेत्तारौ वेदिष्यन्ति/वेत्तारः मध्यम पुरुष वेदिष्यसि/वेत्तासि वेदिष्यथः/वेत्तास्थः वेदिष्यथ/वेत्तास्थ उत्तम पुरुष वेदिष्यामि/वेत्तास्मि वेदिष्यावः/वेत्तास्वः वेदिष्यामः/वेत्तास्मः 4. लृट् लकार विद् धातु – भविष्यत्, Second Future Tense पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष वेत्स्यति वेत्स्यतः वेत्स्यन्ति मध्यम पुरुष वेत्स्यसि वेत्स्यथः वेत्स्यथ उत्तम पुरुष वेत्स्यामि वेत्स्यावः वेत्स्यामः 5. लोट् लकार विद् धातु – अनुज्ञा, Imperative Mood पुरुष एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथम पुरुष विन्दतु/वि...