अर्ध स्वर किसे कहते हैं

  1. स्वर की परिभाषा, प्रकार और स्वरों का वर्गीकरण
  2. हिंदी वर्णमाला
  3. स्वर किसे कहते है: हिंदी में स्वर के प्रकार
  4. Hindi Swar
  5. स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
  6. स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
  7. स्वर की परिभाषा, प्रकार और स्वरों का वर्गीकरण
  8. स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
  9. Hindi Swar
  10. हिंदी में स्वर कितने होते हैं


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स्वर की परिभाषा, प्रकार और स्वरों का वर्गीकरण

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः उदाहरण :- स्वर :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (10) अनुस्वर :- अं, अः (2) अर्ध स्वर :- ऋ (1) स्वरों का वर्गीकरण स्वरों का वर्गीकरण 6 प्रकार से होता हैं जो निम्नलिखित हैं। (1). मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर (i). ह्रस्व स्वर (ii). दीर्घ स्वर (iii). प्लुत स्वर (2). योग या रचना के आधार पर (i). मूल स्वर (ii). संयुक्त स्वर / संहित स्वर (3). जिह्वा की आड़ी स्थिति के आधार पर (i). अग्र स्वर (ii). मध्य या केंद्रीय स्वर (iii). पश्च स्वर (4). जिह्वा की खड़ी स्थिति या मुख द्वार खुलने-बन्द होने के आधार पर (i). विवृत (ii). अर्ध विवृत (iii). संवृत (iv). अर्ध संवृत (5). ओष्ठों की स्थिति के आधार पर (i). वर्तुल या वृत्तमुखी (ii). अवर्तुल या प्रसृत या आवृतमुखी (iii). अर्द्धवर्तुल (6). जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर (i). शिथिल (ii). कठोर स्वर वर्ण के उच्चारण स्थान • स्वर वर्ण में अ, आ और अः का उच्चारण कंठ से होता है। • इ और ई का उच्चारण तालु से होता है। • उ और ऊ का उच्चारण होंठ से होता है। • ऋ का उच्चारण मुर्धा से होता है। • ए और ऐ का उच्चारण कंठ और तालु से होता है। • ओ और औ का उच्चारण कंठ और होंठ से होता है। • अं का उच्चारण अनुनासिक अर्थात नाक से होता है। स्वर के प्रकार वैदिक काल में ध्वनि मापन की इकाई मात्रा थी इसी मापन के आधार पर ही स्वरों का विभाजन किया गया था। 1. मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर (i). हृस्व स्वर वर्ण वह स्वर वर्ण जिनका उच्चारण करते समय बहुत कम समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर वर्ण कहते हैं। ह्रस्व स्वर च...

हिंदी वर्णमाला

• • • • • हिंदी वर्णमाला किसे कहते है? हिंदी के वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमालाकहते है | स्वर स्वर किसे कहते हैं? जिन वर्णों का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है और जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक हो वे “ स्वर” कहलाते है | मूलरूप से स्वरों की संख्या 11है | स्वर :-अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ऋ , ए , ऐ , ओ , औ

स्वर किसे कहते है: हिंदी में स्वर के प्रकार

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Hindi Swar

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Hindi Swar | हिंदी स्वर हिंदी स्वर (Hindi Swar) सम्पूर्ण हिंदी भाषा का आधार है। अन्य भाषाओँ की तरह ही हिंदी भाषा को समझने या सीखने के लिए सर्वप्रथम हिंदी स्वर (Hindi Swar) और हिंदी व्यंजन को सीखना या समझना ज़रूरी है। इस लेख में हम आपको हिंदी वर्णमाला के स्वरों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। अतः लेख को धैर्य पूर्वक पढ़ें। स्वर किसे कहते हैं | Swar Kise Kahate Hain जिन वर्णों का उच्चारण बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से किया जा सकता हो उन्हें स्वर कहते हैं। स्वरों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ों से उठकर बिना किसी बाधा के मुंह अथवा नाक के द्वारा बाहर निकलती है। हिंदी वर्णमाला में (Swar in Hindi Varnmala) ग्यारह स्वर होते हैं। • मात्रा काल के आधार पर • ओष्ठों की आकृति के आधार पर • मानव जीभ की क्रियाशीलता के आधार पर • तालु की स्थिति अथवा मुखाकृति के आधार पर • जाति के आधार पर • उच्चारण अथवा अनुनासिकता के आधार पर मात्रा काल के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण किसी स्वर के उच्चारण में लगने वाले समय को मात्रा कहते हैं। मात्रा काल के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण महर्षि पाणिनि ने अपनी रचना ‘अष्टाध्यायी’ में किया था। प्रत्येक स्वर के उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर स्वरों के तीन प्रकार होते हैं, अर्थात मात्रा काल के आधार पर स्वर के तीन भेद होते हैं। • ह्स्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर ह्स्व स्वर जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता हो उन्हें ह्स्व स्वर कहते हैं। ह्स्व स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगने के कारण इन स्वरों को एक मात्रिक स्वर भी कहा जाता है। ह्स्व स्वरों की संख्...

स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने हिंदी वर्णमाला की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े। चलिए आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं। स्वर किसे कहते हैं जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता हैं। स्वर के प्रकार वैदिक 1. मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर (i). ह्रस्व स्वर :-जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहाँ जाता हैं। ह्रस्व स्वर चार होते हैं। दीर्घ स्वर दो शब्दों के मेल से बनते हैं। जैसे :- • अ + आ = आ • इ + ई = ई • उ + ऊ = ऊ • अ + ई = ए • अ + ए = ऐ • अ + उ = ओ • अ + ओ = औ (iii). प्लुत स्वर :-ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में तिगुना समय लगे प्लुत स्वर कहलाते हैं। इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता हैं। प्लुत स्वर को उल्टा एस या हिंदी के 3 से प्रदर्शित करते हैं। जैसे :- ओ३म, रो३म, भै३या आदि। 2. योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार बनावट या रचना के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको 2 भागों में बांटा गया है। • मूल स्वर • संयुक्त स्वर (i). मूल स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना स्वयं से हुई है अर्थात ये किसी अन्य स्वरो के मिलाने से नहीं बने हैं, मूल स्वर कहलाते हैं। इनकी संख्या 4 है। अर्थात मूल स्वर हृस्व स्वर हैं। जैसे:- अ, इ, उ, ऋ (ii). संयुक्त स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना दूसरों स्वरों से हुई...

स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

वे वर्ण जो अन्य वर्णों की सहायता के बिना बोले जाते हैं वे स्वर कहलाते हैं। स्वर वर्ण निम्नलिखित हैं- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ - (11) इनमें से आ (अ+अ), ई (इ+इ), तथा ऊ (उ+उ) दीर्घ स्वर कहलाते हैं और ए (अ+इ), ऐ (अ+ए), ओ (अ+उ), तथा औ (अ+ओ) संयुक्त स्वर कहलाते हैं। स्वर किसे कहते हैं वे अक्षर जिनके उच्चारण में ध्वनि फेफड़ों से अनुस्फुटित होकर कंठ से होती हुई। मुख-विवर के उच्चारण स्थानों को स्पर्श किये बिना द्वार से बाहर निकल जाती है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण किसी दूसरे अक्षर की सहायता के बिना होता है। इस प्रकार:- जो ध्वनियाॅ/अक्षर बिना किसी सहायता के उच्चरित हो सकती हैं और जिनके उच्चारण में हवा निकलने में कोई बाधा नहीं होती है, वे स्वर कहलाते हैं। स्वर के प्रकार / वर्गीकरण (1) मात्रा के आधार पर हिन्दी में स्वरों की संख्या 11 है। मात्राओं की दृष्टि से स्वरों को तीन भागों में बांटा गया हैं। • हृस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1. हृस्व स्वर -जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ, इ,उ । 2. दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगता हैं उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 3. प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं के उच्चारण से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। इनका प्रयोग दूर से पुकारने के समय होता है इन स्वरों को लिखते समय अन्त में ३ का अंक बना देते है जैसे- ओइम, रेइ (2) मुँह और नाक से हवा निकलने के आधार पर • निरनुनासिक • सानुनासिक 1. निरनुनासिक - जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुंह से निकलती है, जैसे - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 2. सानुनासिक - ज...

स्वर की परिभाषा, प्रकार और स्वरों का वर्गीकरण

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः उदाहरण :- स्वर :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ (10) अनुस्वर :- अं, अः (2) अर्ध स्वर :- ऋ (1) स्वरों का वर्गीकरण स्वरों का वर्गीकरण 6 प्रकार से होता हैं जो निम्नलिखित हैं। (1). मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर (i). ह्रस्व स्वर (ii). दीर्घ स्वर (iii). प्लुत स्वर (2). योग या रचना के आधार पर (i). मूल स्वर (ii). संयुक्त स्वर / संहित स्वर (3). जिह्वा की आड़ी स्थिति के आधार पर (i). अग्र स्वर (ii). मध्य या केंद्रीय स्वर (iii). पश्च स्वर (4). जिह्वा की खड़ी स्थिति या मुख द्वार खुलने-बन्द होने के आधार पर (i). विवृत (ii). अर्ध विवृत (iii). संवृत (iv). अर्ध संवृत (5). ओष्ठों की स्थिति के आधार पर (i). वर्तुल या वृत्तमुखी (ii). अवर्तुल या प्रसृत या आवृतमुखी (iii). अर्द्धवर्तुल (6). जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर (i). शिथिल (ii). कठोर स्वर वर्ण के उच्चारण स्थान • स्वर वर्ण में अ, आ और अः का उच्चारण कंठ से होता है। • इ और ई का उच्चारण तालु से होता है। • उ और ऊ का उच्चारण होंठ से होता है। • ऋ का उच्चारण मुर्धा से होता है। • ए और ऐ का उच्चारण कंठ और तालु से होता है। • ओ और औ का उच्चारण कंठ और होंठ से होता है। • अं का उच्चारण अनुनासिक अर्थात नाक से होता है। स्वर के प्रकार वैदिक काल में ध्वनि मापन की इकाई मात्रा थी इसी मापन के आधार पर ही स्वरों का विभाजन किया गया था। 1. मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर (i). हृस्व स्वर वर्ण वह स्वर वर्ण जिनका उच्चारण करते समय बहुत कम समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर वर्ण कहते हैं। ह्रस्व स्वर च...

स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

वे वर्ण जो अन्य वर्णों की सहायता के बिना बोले जाते हैं वे स्वर कहलाते हैं। स्वर वर्ण निम्नलिखित हैं- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ - (11) इनमें से आ (अ+अ), ई (इ+इ), तथा ऊ (उ+उ) दीर्घ स्वर कहलाते हैं और ए (अ+इ), ऐ (अ+ए), ओ (अ+उ), तथा औ (अ+ओ) संयुक्त स्वर कहलाते हैं। स्वर किसे कहते हैं वे अक्षर जिनके उच्चारण में ध्वनि फेफड़ों से अनुस्फुटित होकर कंठ से होती हुई। मुख-विवर के उच्चारण स्थानों को स्पर्श किये बिना द्वार से बाहर निकल जाती है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण किसी दूसरे अक्षर की सहायता के बिना होता है। इस प्रकार:- जो ध्वनियाॅ/अक्षर बिना किसी सहायता के उच्चरित हो सकती हैं और जिनके उच्चारण में हवा निकलने में कोई बाधा नहीं होती है, वे स्वर कहलाते हैं। स्वर के प्रकार / वर्गीकरण (1) मात्रा के आधार पर हिन्दी में स्वरों की संख्या 11 है। मात्राओं की दृष्टि से स्वरों को तीन भागों में बांटा गया हैं। • हृस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1. हृस्व स्वर -जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ, इ,उ । 2. दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगता हैं उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 3. प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं के उच्चारण से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। इनका प्रयोग दूर से पुकारने के समय होता है इन स्वरों को लिखते समय अन्त में ३ का अंक बना देते है जैसे- ओइम, रेइ (2) मुँह और नाक से हवा निकलने के आधार पर • निरनुनासिक • सानुनासिक 1. निरनुनासिक - जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुंह से निकलती है, जैसे - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 2. सानुनासिक - ज...

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हिंदी में स्वर कितने होते हैं

स्वर की परिभाषा (swar ki paribhasha) जिन स्वर कहते हैं . अर्थात ऐसी ध्वनियां जिनका उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकलने वाली वायु कंठ से सीधे बाहर आ जाती है स्वर कहलाती है। जैसे – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ । इस प्रकार हम लोगों ने स्वर की परिभाषा को समझा परंतु अक्सर यह संदेह बना रहता है कि हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर होते हैं ? चलिए इसको समझते हैं । भारत सरकार द्वारा स्वीकृत हिंदी के मानक वर्णमाला में स्वरों की संख्या ग्यारह है जिसमें ॠ को भी शामिल किया गया है। हिंदी में ॠ को अर्ध स्वर माना जाता है। पारंपरिक हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 13 होती थी परंतु हिन्दी भाषा में प्रायः ॠ और ऌ का प्रयोग अब नहीं होता है। अं और अः की गिनती न तो स्वर में होती है और न ही आइये यहाँ पर हम स्वर कितने प्रकार के होते हैं (swar kitne prakar ke hote hain) उच्चारण के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं – • ह्रस्व स्वर (एकमात्रिक) • दीर्घ स्वर (द्विमात्रिक) • प्लुत स्वर (त्रिमात्रिक) चलिए इन स्वर (hindi swar) के प्रकार को विस्तार से समझते हैं। ह्रस्व स्वर : जिन स्वरों के बोलने में अन्य स्वरों की अपेक्षा कम समय लगता है उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं । ह्रस्व स्वरों की संख्या 4 है – अ, इ, उ, ऋ । इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं। इनके उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है। यह एकमात्रिक स्वर होता है । दीर्घ स्वर: जीन स्वरों के बोलने में ह्रस्व स्वरों की अपेक्षा अधिक समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। दीर्घ स्वरों की संख्या 7 है – आ, ई, ऊ, ए,ऐ,ओ,औ । इनके उच्चारण में एक मात्रा का दूना समय लगता है इसलिए इसे द्विमात्रिक स्वर भी कहते हैं । प्लुत स्वर : जिन स्वरों को बोलने में दीर्घ स्वर से भी अधिक...