Arya samaj ke sansthapak

  1. महाराणा प्रताप का इतिहास
  2. आर्य समाज क्या है
  3. जानें आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी


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महाराणा प्रताप का इतिहास

महाराणा प्रताप मेवाड़ के शूरवीर राजा थे। इनकी वीरता के किस्से आज भी बहुत प्रसिद्ध है। इन्होने कभी भी किसी के आगे अपना सर नहीं झुकाया था। यह हमेशा देश और धर्म के लिए लड़ते थे। महाराणा प्रताप राजपूत थे उनकी सेना कभी मुगलो के सामने नहीं झुकती थी। महाराणा प्रताप के समय मुगल शासक अकबर पुरे हिंदुस्तान पर राज करने का सपना ले कर आया था लगभग आधे हिंदुस्तान पर तो अकबर कब्ज़ा कर चूका था पर महाराणा प्रताप ने कसम खा ली थी कि “मैं घास की रोटी और जमीन पर लेट जाऊंगा, परंतु किसी की अधीनता कभी स्वीकार नहीं करूंगा” और इस कसम पर वह हमेशा अटल रहे । तो आइये जानते है महाराणा प्रताप का जीवन परिचय एवं इतिहास के बारे में | Table of Contents • • • • महाराणा प्रताप का जीवन परिचय एवं इतिहास महाराणा प्रताप का जन्म वैशाख 19, 1462 ( मई 9, 1540 ) को मेवाड़, राजस्थान में हुआ था। इनकी कुल 11 पत्निया थी। इनके पिता का नाम उदयसिंह एवं माता रानी जयवन्ताबाई था। महाराणा प्रताप राजपूत थे इनका पूरा नाम महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया है। इनकी कहानी शौर्य पराक्रम से भरी हुई है। इनके प्रमुख शत्रु मुगल थे जो पुरे हिन्दुस्तान पर राज करने का सपना ले कर आये थे पर महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धाओ की वजह से वह पूरा ना हो सका। महाराणा प्रताप बचपन में भीलो के साथ रह कर युद्ध कला सीखा करते थे। महाराणा प्रताप का बचपन का नाम कीका था। महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जिसकी मृत्यु हल्दीघाटी के युद्ध में हो गए थी . ये घोडा महाराणा प्रताप को बहुत प्रिय था। हल्दी घाटी के युद्ध के समय जब चेतक के सामने एक नदी आ जाती है तब वह उसे फलांग मार कर पार तो कर लेता है परन्तु इस घटना में वह घायल हो जाता है जिस कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। हल्दी घ...

आर्य समाज क्या है

रामकृष्णपरमहंसनेइन्हेंहिन्दूधर्मकीशिक्षादीथी। 1887 ई . मेंइन्होंनेकलकत्तामेंबेलुरमढ़कीस्थापनाकी। 1893 ई . मेंइन्होंनेऐतिहासिकशिकागोधर्मसम्मेलनमेंभागलिए।इन्होंनेअमेरिकाकेन्यूयार्कमेंवेदान्तसोसायटीकीस्थापना 1896 मेंकरदिया। 1897 मेंइन्होंनेबेलुरमठकोरामकृष्णमिशनकाअंतर्राष्ट्रीयमुख्यालयबनादिया। 1902 मेंइनकीमृत्युहोगई।इन्हेंहिन्दूनेपोलियनयातुफानीहिन्दूकहतेहैं।सुभाषचन्द्रबोसनेइन्हेंभारतकाअध्यात्मिकगुरुकहा।

जानें आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी

जानें, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की गरिमामयी विरासत मध्यकाल के तमसाच्छन्न युग में लुप्तप्राय हो गई थी। राजनीतिक परतंत्रता तथा पराधीनता के कारण विचलित भारतीय जनमानस को महर्षि दयानंद सरस्वती ने आत्मबोध आत्मगौरव स्वाभिमान एवं स्वाधीनता का मंत्र प्रदान किया। भारत ऋषि-मुनियों की पावन धरा है। इसी पुण्य धरा पर गुजरात के टंकारा प्रांत में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को वर्ष 1824 ईसवी में स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म हुआ। मूल नक्षत्र में जन्म लेने के कारण इनका नाम मूल शंकर रखा गया। हमारे सनातनी कैलेंडर के अनुसार, 26 फरवरी, शनिवार को इस महामानव की जयंती है। शाश्वत सत्य के अन्वेषण हेतु एवं सत्य व शिव की प्राप्ति हेतु मूल शंकर वर्ष 1846 में 21 वर्ष की आयु में समृद्ध घर-परिवार, मोह ममता के बंधनों को त्याग कर संन्यासी जीवन की ओर बढ़ गए। उन्होंने 1859 में गुरु विरजानंद जी से व्याकरण व योग दर्शन की शिक्षा प्राप्त की। भारत की उत्कृष्ट वैदिक संस्कृति एवं सभ्यता की हजारों वर्षों की गरिमामयी विरासत मध्यकाल के तमसाच्छन्न युग में लुप्तप्राय हो गई थी। राजनीतिक पराधीनता के कारण विचलित, निराश व हताश भारतीय जनमानस को महर्षि दयानंद सरस्वती ने आत्मबोध, आत्मगौरव, स्वाभिमान एवं स्वाधीनता का मंत्र प्रदान किया। स्वामी दयानंद 19वीं सदी के नवजागरण के सूर्य थे, जिन्होंने मध्ययुगीन अंधकार का नाश किया। महर्षि दयानंद के प्रादुर्भाव के समय भारत धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से अतिजर्जर और छिन्न-भिन्न हो गया था। ऐसे विकट समय में जन्म लेकर महर्षि ने देश के आत्मगौरव के पुनरुत्थान का अभूतपूर्व कार्य किया। लोक कल्याण ...