Asahyog andolan in hindi

  1. [PDF] असहयोग आन्दोलन Asahyog Andolan PDF Notes [Hindi]
  2. असहयोग आन्दोलन ( Asahyog Andolan In Hindi )
  3. असहयोग आंदोलन
  4. Asahyog Andolan Lesson Plan History in Hindi (2023)
  5. Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha
  6. असहयोग आन्दोलन
  7. असहयोग आन्दोलन पर निबंध
  8. असहयोग आन्दोलन
  9. Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha
  10. Asahyog Andolan Lesson Plan History in Hindi (2023)


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[PDF] असहयोग आन्दोलन Asahyog Andolan PDF Notes [Hindi]

Download Asahyog Andolan PDF, असहयोग आन्दोलन pdf, यहाँ से आप असहयोग आन्दोलन के संपूर्ण नोट्स को pdf के रूप में बिलकुल मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है| भारत को आजादी दिलाने के लिए हमारे महापुरुषों के द्वारा कई आन्दोलन चलाये गए थे ताकि भारत के लोग एक होकर अंग्रेज शासन का विरोध करे और गुलामी से छुटकारा पाया जा सके| उसमे से एक असहयोग आन्दोलन भी था, जिसका महत्वपूर्ण भारत को आजाद करने के लिए काफी ज्यादा था| Asahyog Andolan PDF असहयोग आन्दोलन महात्मा गाँधी जी के द्वारा चलाया गया भारत का प्रथम जन आन्दोलन था| इस आन्दोलन में भारत के नागरिकों के बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसके कारण यह आन्दोलन एक विशाल रूप ले लिया था| इस आन्दोलन में शहर में रहने वाले मध्यम वर्ग तथा गांव के किसान, आदिवासी और मजदूरो का पूरा-पूरा समर्थन मिला था| अगर आप भी असहयोग आन्दोलन के बारे में संपूर्ण जानकरी प्राप्त करना चाहते है तो इस पोस्ट में शेयर किये गए pdf नोट्स को डाउनलोड करके उसका अध्ययन एक बार अच्छे से जरुर करे, क्युकि इस नोट्स में असहयोग आन्दोलन के बारे में विस्तार से और सरल भाषा में दिया गया है| अगर आप प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे है तो

असहयोग आन्दोलन ( Asahyog Andolan In Hindi )

असहयोग आंदोलन की शुरुआत गांधी जी ने भारत के पूर्ण स्वराज्य के लिए की थी. सन 1915 में जब गांधी जी साउथ अफ्रीका की यात्रा करके बाढ़ से लौटते हैं उसके बाद उन्होंने कई आंदोलन किए जिनमें से एक खिलाफत आंदोलन भी था जो कि 1920 मैं प्रारंभ हुआ था. खिलाफत आंदोलन में गांधी जी की भूमिका बहुत ही अच्छी थी. और यह आंदोलन बहुत अच्छा भी चला लेकिन इन सबके बावजूद भी अंग्रेज सरकार पर कोई असर नहीं हुआ था. जब अंग्रेज सरकार ने द्वितीय विश्वयुद्ध में भारत के मुसलमानों से वादा किया था कि वह तुर्की देश को कुछ नहीं करेंगे. क्योंकि तुर्की देश मुसलमानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. लेकिन 1920 आते आते अंग्रेज अपने वादे से मुकर गए और तुर्की देश का विभाजन कर दिया और एक हिस्सा ब्रिटेन में ले लिया दूसरा हिस्सा फ्रांस में ले लिया खिलाफत आंदोलन करने के बावजूद भी अंग्रेजों ने महात्मा गांधी जी की बात नहीं मानी तो गांधी जी ने सुझाव दिया कि अंग्रेज ऐसे हमारी बात मानने वाले नहीं हैं हमें कुछ और करना होगा गांधी जी ने सुझाव दिया कि हम अंग्रेजों का किसी भी प्रकार से सहयोग नहीं करेंगे. गांधी जी की यह बात खिलाफत आंदोलन के कार्यकर्ताओं और लोगों को बहुत पसंद आई और उन्होंने कहा है कि हम इस बात पर सहमत हैं और हम इस आंदोलन में भी आपका साथ देंगे. जिसे बाद में असहयोग आंदोलन के नाम से जाना गया. असहयोग आन्दोलन ( Asahyog Andolan In Hindi ) 1 अगस्त 1920 को गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को प्रारंभ कर दिया. लेकिन इस आंदोलन के चालू होने के कुछ समय बाद ही इसके प्रमुख नेता बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो जाती है. लेकिन फिर भी असहयोग आंदोलन आंदोलन चालू ही रहता है. महात्मा गांधी जी ने तो कह दिया था कि यह आंदोलन 1 अगस्त से शुरू हो जाएगा ...

असहयोग आंदोलन

प्रारंभ सितम्बर 1920 ई. नेतृत्वकर्ता महात्मा गांधी लक्ष्य स्वराज की प्राप्ति। उद्देश्य अंग्रेजी सरकार के साथ सहयोग न करके कार्रवाई में बाधा उपस्थित करना। आंदोलन के समय वायसराय लार्ड चेम्सफोर्ड कारण जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड, रौलेट एक्ट चौरी-चौरा कांड की घटना 5 फरवरी, 1922 आन्दोलन की वापसी 12 फरवरी 1922 असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा चलाया जाने वाला प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन का व्यापक जन आधार था। प्रारम्भ में तो गांधीजी ब्रिटिश सरकार का सहयोग करने के पक्ष में थे। क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से यह वादा किया था कि प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् उन्हें स्वराज्य दे दिया जायेगा। लेकिन युद्ध के समाप्त के पश्चात् भरतीयों को स्वराज्य देने के बजाय भारतीयों पर अत्याचार प्रारम्भ कर दिये गये, इसी कारण गांधीजी ने अंग्रेजों को सहयोग न देने अर्थात् असहयोग आन्दोलन शुरू करने का निर्णय लिया। गांधीजी ने राॅलेट एक्ट, जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में और अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ तथा खिलाफत आन्दोलन के समर्थन में 1 अगस्त, 1920 ई. को असहयोग आन्दोलन की शुरूआत की। यह अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन का उद्देश्य स्वराज की प्राप्ति थी। महात्मा गांधी ने कहा कि ’’यदि यह आंदोलन सफल रहा तो भारत के एक वर्ष के भीतर स्वराज/स्वतंत्रता प्राप्त कर सकता है।” असहयोग आंदोलन के कारण – Asahyog Andolan ke Karan (1) प्रथम विश्वयुद्ध का परिणाम – प्रथम विश्वयुद्ध काल में मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की कि – वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए युद्ध लङ रहे हैं एवं आत्मनिर्णय के सिद्धान्त को स्वीकार करते है। युद्धोपरांत कई पराधीन राष्ट...

Asahyog Andolan Lesson Plan History in Hindi (2023)

Sr. No. Headings Details 1 पाठ योजना प्रकार (Lesson Plan Type) दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) 2 विषय (Subject) सामाजिक विज्ञान/अध्ययन (Social Science/Studies) 3 उपविषय (Sub-Subject) इतिहास (History) 4 प्रकरण (Topic) असहयोग आन्दोलन 5 कक्षा (Class) 7th 6 समयावधि (Time Duration) 30 Minute 7 उपयोगी (Useful for) B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled Hello Friends! Welcome to Lesson Plan World. Dosto Yadi Aap सामाजिक विज्ञान (Social Science) Ke उपविषय (Sub-Subject), इतिहास (History) Ki दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) Talash Rahe Hai to Aap Bilkul Sahi Jagha Par Aaye Ho. Kyonki Aaj Humne History Ka Lesson Plan Pdf Hindi Mein Share Kiya Hai. Is Itihas Path Yojna Ka Topic असहयोग आन्दोलन Chuna Gaya Hai, Jo Ki कक्षा (Class) 7th Ki Book Se Liya Gaya Hai. Dosto Yadi Aap Ek B.ed Yaa Deled Ke Student Ho to Aapko Internship Ke Dauran Humein दैनिक पाठ योजना Banani Hoti Hai, Lekin Jankari ke Abhav Mein Hum Apne Lesson Plan Acche se Nahi Bana Pate Hai. Isi Baat Ko Dhyaan Mein Rakhte Huye Aaj Humne Yeh Itihas Ka Lesson Plan Hindi Mein Share Kiya Hai. Asahyog Andolan Par Banaya Gaya History Ka Yeh Lesson Plan 30 Minute ki Time Duration Ke Liye Banaya Gaya Hai. Yeh Lesson Plan B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled etc ke Liye Useful Hai. Also Read This:- • • • • • Asahyog Andolan Lesson Plan in Hindi Pdf इतिहास के इस असहयोग आन्दोलन के लेसन प्लान के प्रथम भाग में आवश्यक श्यामपट्ट पूर्ति की गयी है | इस भाग में सामान्य उद्देश्यों एवं विशिष्ट उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है | Download PDF Asahy...

Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha

asahyog andolan ka mukhya karan kya tha | असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत –हमारे पूर्वजो ने आजादी के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी. तथा इस लड़ाई में लाखो लोगो ने अपने जान की बाजी लगाई थी. इसलिए आजादी को अमूल्य कहा जाता है. और हमे आजादी की अहमियत को समझना चाहिए. देश की आजादी के प्रमुख नेता महात्मा गाँधी थे. जिसके विचारो ने अंग्रेजी सरकार की कमर को तोड़ दिया था. आजादी की इन लड़ाई में अनेक आन्दोलन हुए. जिसमे असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भारत की स्वत्रता की लड़ाई का महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आन्दोलन था. लेकिन आपको पता है की असहयोग आन्दोलन के कारन क्या थे. तो इस आर्टिकल में जानेगे की असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन क्या थे. और इसकी शुरुआत और अंत कैसे हुआ. अनुक्रम • • • • • असहयोग आन्दोलन क्या है? महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया सर्वप्रथम जन आन्दोलन असहयोग आन्दोलन था. इस आन्दोलन के तहत असहयोग की निति को अपनाया गया था. इस आन्दोलन को पुरे देश में समर्थन प्राप्त था. शहरी क्षेत्रो में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रो में किसान और आदिवासियों ने बापू के असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग दिया था. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत असहयोग आन्दोलन में पुरे देश के युवाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. विधार्थियों ने सरकारी स्कुलो और कॉलेजो मेंजाना बंद कर दिया. वकीलों ने अदालतों में जाने से इंकार कर दिया. शहरो और कस्बो के श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया था. पहाड़ी जनजातियो ने वन्य कानूनों की अवेहलना कर दी थी. किसानो ने कर देने से बिल्कुल इंकार कर दिया. इसके साथ ही कुमाऊ के क...

असहयोग आन्दोलन

अनुक्रम • 1 असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ • 2 आंदोलन की तैयारी • 3 प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का बहिष्कार • 4 आन्दोलन समाप्ति का निर्णय • 5 नेताओं के विचार • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 सन्दर्भ असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ [ ] असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में औपचारिक रूप से शुरू हुआ था और बाद में आंदोलन का प्रस्ताव आंदोलन की तैयारी [ ] गाँधी जी ने यह आशा की थी कि असहयोग को खिलाफ़त के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख समुदाय- हिन्दू और मुसलमान मिलकर औपनिवेशिक शासन का अंत कर देंगे। इन आंदोलनों ने निश्चय ही एक लोकप्रिय कार्यवाही के बहाव को उन्मुक्त कर दिया था और ये चीजें औपनिवेशिक भारत में बिलकुल ही अभूतपूर्व थीं। विद्यार्थियों ने अंग्रेजी सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया। कई कस्बों और नगरों में श्रमिक-वर्ग हड़ताल पर चला गया। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक 1921 में 396 हड़तालें हुई जिनमें 6 लाख श्रमिक शामिल थे और इससे 70 लाख का नुकसान हुआ था। ग्रामीण क्षेत्र भी असंतोष से आंदोलित हो रहा था। पहाड़ी जनजातियों ने वन्य कानूनों की अवहेलना कर दी। अवधि के किसानों ने कर नहीं चुकाए। कुमाउँ के किसानों ने औपनिवेशिक अधिकारियों का सामान ढोने से मना कर दिया। इन विरोधी आंदोलनों को कभी-कभी स्थानीय राष्ट्रवादी नेतृत्व की अवज्ञा करते हुए कार्यान्वित किया गया। किसानों, श्रमिकों और अन्य ने इसकी अपने ढंग से व्याख्या की तथा औपनिवेशिक शासन के साथ ‘असहयोग’ के लिए उन्होंने ऊपर से प्राप्त निर्देशों पर टिके रहने के बजाय अपने हितों से मेल खाते तरीकों का इस्तेमाल कर कार्यवाही की। महात्मा गाँधी के अमरीकी जीवनी-लेखक लुई फ़िशर ने लिखा है कि ‘असहयोग भारत...

असहयोग आन्दोलन पर निबंध

प्रारम्भ में गांधीजी ब्रिटिश शासन के प्रति सहयोग करने के पक्ष में थे , क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् भारत को स्वराज्य देने की बात कही थी। परन्तु विश्व युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारतीयों को स्वराज्य देने के बजाय भारतीयों पर अत्याचार प्रारम्भ कर दिए , इसलिए गांधीजी को भी स्वराज्य प्राप्त करने के लिए असहयोग आन्दोलन का सहारा लेना पड़ा। ( 1) रौलट एक्ट - कांग्रेस ने सन् 1918 के अपने दिल्ली अधिवेशन में सरकार से यह माँग की थी कि उन सारे कानूनों , अध्यादेशों , रेग्यूलेशनों को समाप्त कर दिया जाए जिनके द्वारा राजनीतिक समस्याओं पर स्वतन्त्रतापूर्वक वाद-विवाद नहीं हो सकता और नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता है व देश निकाला दे दिया जाता है। परन्तु सरकार ने इस प्रार्थना का उत्तर दमनकारी ' रौलट एक्ट ' के रूप में दिया। इस सम्बन्ध में गांधीजी ने कहा था कि " हमने माँगी थी रोटी , मगर मिले पत्थर। " जस्टिस सिडनी रौलट की अध्यक्षता में बनी एक समिति ने भारत के मौजूदा कानूनों को क्रान्तिकारी अपराधों को रोकने के लिए अपर्याप्त बताया। समिति की रिपोर्ट के आधार पर फरवरी , 1919 के केन्द्रीय विधानमण्डल में दो बिल पेश किए गए। इन बिलों के आधार पर सरकार किसी भी सन्देहास्पद व्यक्ति को मुकदमा चलाए बिना इच्छानुसार समय तक जेल में बन्द रख सकती थी। केन्द्रीय विधानमण्डल के सदस्यों ने इन बिलों को ' काला विधेयक ' का नाम देते हुए विरोध किया। महात्मा गांधी ने सरकार से निवेदन किया कि इन बिलों को पारित करने से पूर्व पुनर्विचार कर ले , क्योंकि इनसे स्थिति बिगड़ सकती है। भारतीय ' नेताओं के विरोध के बावजूद भी 17 मार्च , 1919 को रौलट एक्ट पारित कर दिया गया। गांधीजी पहले ही घोषणा कर चुके थे कि यदि ये...

असहयोग आन्दोलन

अनुक्रम • 1 असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ • 2 आंदोलन की तैयारी • 3 प्रिन्स ऑफ़ वेल्स का बहिष्कार • 4 आन्दोलन समाप्ति का निर्णय • 5 नेताओं के विचार • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 सन्दर्भ असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ [ ] असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में औपचारिक रूप से शुरू हुआ था और बाद में आंदोलन का प्रस्ताव आंदोलन की तैयारी [ ] गाँधी जी ने यह आशा की थी कि असहयोग को खिलाफ़त के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख समुदाय- हिन्दू और मुसलमान मिलकर औपनिवेशिक शासन का अंत कर देंगे। इन आंदोलनों ने निश्चय ही एक लोकप्रिय कार्यवाही के बहाव को उन्मुक्त कर दिया था और ये चीजें औपनिवेशिक भारत में बिलकुल ही अभूतपूर्व थीं। विद्यार्थियों ने अंग्रेजी सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। वकीलों ने अदालत में जाने से मना कर दिया। कई कस्बों और नगरों में श्रमिक-वर्ग हड़ताल पर चला गया। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक 1921 में 396 हड़तालें हुई जिनमें 6 लाख श्रमिक शामिल थे और इससे 70 लाख का नुकसान हुआ था। ग्रामीण क्षेत्र भी असंतोष से आंदोलित हो रहा था। पहाड़ी जनजातियों ने वन्य कानूनों की अवहेलना कर दी। अवधि के किसानों ने कर नहीं चुकाए। कुमाउँ के किसानों ने औपनिवेशिक अधिकारियों का सामान ढोने से मना कर दिया। इन विरोधी आंदोलनों को कभी-कभी स्थानीय राष्ट्रवादी नेतृत्व की अवज्ञा करते हुए कार्यान्वित किया गया। किसानों, श्रमिकों और अन्य ने इसकी अपने ढंग से व्याख्या की तथा औपनिवेशिक शासन के साथ ‘असहयोग’ के लिए उन्होंने ऊपर से प्राप्त निर्देशों पर टिके रहने के बजाय अपने हितों से मेल खाते तरीकों का इस्तेमाल कर कार्यवाही की। महात्मा गाँधी के अमरीकी जीवनी-लेखक लुई फ़िशर ने लिखा है कि ‘असहयोग भारत...

Asahyog Andolan Ka Mukhya Karan Kya Tha

asahyog andolan ka mukhya karan kya tha | असहयोग आन्दोलन का मुख्य कारण क्या था | असहयोग आन्दोलन के कारण बताएं |असहयोग आन्दोलन की शुरुआत और अंत –हमारे पूर्वजो ने आजादी के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी थी. तथा इस लड़ाई में लाखो लोगो ने अपने जान की बाजी लगाई थी. इसलिए आजादी को अमूल्य कहा जाता है. और हमे आजादी की अहमियत को समझना चाहिए. देश की आजादी के प्रमुख नेता महात्मा गाँधी थे. जिसके विचारो ने अंग्रेजी सरकार की कमर को तोड़ दिया था. आजादी की इन लड़ाई में अनेक आन्दोलन हुए. जिसमे असहयोग आन्दोलन ने देशवासियों में एकता स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह भारत की स्वत्रता की लड़ाई का महात्मा गाँधी द्वारा चलाया गया प्रथम जन आन्दोलन था. लेकिन आपको पता है की असहयोग आन्दोलन के कारन क्या थे. तो इस आर्टिकल में जानेगे की असहयोग आन्दोलन के मुख्य कारन क्या थे. और इसकी शुरुआत और अंत कैसे हुआ. अनुक्रम • • • • • असहयोग आन्दोलन क्या है? महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया सर्वप्रथम जन आन्दोलन असहयोग आन्दोलन था. इस आन्दोलन के तहत असहयोग की निति को अपनाया गया था. इस आन्दोलन को पुरे देश में समर्थन प्राप्त था. शहरी क्षेत्रो में मध्यम वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रो में किसान और आदिवासियों ने बापू के असहयोग आन्दोलन को सफल बनाने के लिए पूर्ण सहयोग दिया था. असहयोग आन्दोलन की शुरुआत असहयोग आन्दोलन में पुरे देश के युवाओ ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया. विधार्थियों ने सरकारी स्कुलो और कॉलेजो मेंजाना बंद कर दिया. वकीलों ने अदालतों में जाने से इंकार कर दिया. शहरो और कस्बो के श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया था. पहाड़ी जनजातियो ने वन्य कानूनों की अवेहलना कर दी थी. किसानो ने कर देने से बिल्कुल इंकार कर दिया. इसके साथ ही कुमाऊ के क...

Asahyog Andolan Lesson Plan History in Hindi (2023)

Sr. No. Headings Details 1 पाठ योजना प्रकार (Lesson Plan Type) दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) 2 विषय (Subject) सामाजिक विज्ञान/अध्ययन (Social Science/Studies) 3 उपविषय (Sub-Subject) इतिहास (History) 4 प्रकरण (Topic) असहयोग आन्दोलन 5 कक्षा (Class) 7th 6 समयावधि (Time Duration) 30 Minute 7 उपयोगी (Useful for) B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled Hello Friends! Welcome to Lesson Plan World. Dosto Yadi Aap सामाजिक विज्ञान (Social Science) Ke उपविषय (Sub-Subject), इतिहास (History) Ki दैनिक पाठ योजना (Daily Lesson Plan) Talash Rahe Hai to Aap Bilkul Sahi Jagha Par Aaye Ho. Kyonki Aaj Humne History Ka Lesson Plan Pdf Hindi Mein Share Kiya Hai. Is Itihas Path Yojna Ka Topic असहयोग आन्दोलन Chuna Gaya Hai, Jo Ki कक्षा (Class) 7th Ki Book Se Liya Gaya Hai. Dosto Yadi Aap Ek B.ed Yaa Deled Ke Student Ho to Aapko Internship Ke Dauran Humein दैनिक पाठ योजना Banani Hoti Hai, Lekin Jankari ke Abhav Mein Hum Apne Lesson Plan Acche se Nahi Bana Pate Hai. Isi Baat Ko Dhyaan Mein Rakhte Huye Aaj Humne Yeh Itihas Ka Lesson Plan Hindi Mein Share Kiya Hai. Asahyog Andolan Par Banaya Gaya History Ka Yeh Lesson Plan 30 Minute ki Time Duration Ke Liye Banaya Gaya Hai. Yeh Lesson Plan B.ed, Deled, BSTC, BTC, Nios Deled etc ke Liye Useful Hai. Also Read This:- • • • • • Asahyog Andolan Lesson Plan in Hindi Pdf इतिहास के इस असहयोग आन्दोलन के लेसन प्लान के प्रथम भाग में आवश्यक श्यामपट्ट पूर्ति की गयी है | इस भाग में सामान्य उद्देश्यों एवं विशिष्ट उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है | Download PDF Asahy...