असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण क्या थे

  1. असहयोग आंदोलन : कारण, प्रभाव और परिणाम
  2. असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?
  3. असहयोग आंदोलन का कारण, स्वरुप एवं परिणाम
  4. Asahyog Andolan Kab Hua Tha Iska Mukhya Karan Kya Tha?
  5. असहयोग आंदोलन के कारण, कार्यक्रम, प्रभाव, परिणाम
  6. असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या थे?
  7. असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या थे?
  8. असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?
  9. असहयोग आंदोलन : कारण, प्रभाव और परिणाम
  10. असहयोग आंदोलन के कारण, कार्यक्रम, प्रभाव, परिणाम


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असहयोग आंदोलन : कारण, प्रभाव और परिणाम

हम अपने ब्लॉग में आपको बताएंगे - • • • • • • • आंदोलन का प्रभाव असहयोग आंदोलन की शुरुआत में ही तिलक की मृत्यु हो गई। गांधी जी ने अपना कैसरे हिंद की उपाधि वापस कर दिया। चर्खे को उन्होंने आत्मनिर्भरता के रुप मे प्रतिष्ठित किया। अपने देश की बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग और स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि को लक्ष्य बनाया जिससे देश में निर्धनता और बेरोजगारी दूर हो सके। राजनीतिक स्वदेशी में उन्होंने सरकार पर दबाव डालने के लिए बहिष्कार का सहारा लिया जैसे सरकारी उपाधियों का परित्याग, विदेशी सामान, सरकारी कार्यालयों, अदालतों और शिक्षा संस्थानों आदि से बहिष्कार। विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन (1921) से गाँधी जी ने खुद जीवन भर मात्र लंगोटी पहनने का निश्चय किया। चौरी-चौरा घटना 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर की चौरी-चौरा गांव में 3 हजार किसानों के जुलूस पर पुलिस ने गोलाबारी की। क्रोधित भीड़ ने थाने को आग लगाकर 22 सिपाहियों को मार डाला। इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया। (कांग्रेस समिति के 1922 के बारदोली प्रस्ताव द्वारा स्थगन) परिणाम असहयोग आंदोलन अपने किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं रहा। किंतु इसने समस्त राष्ट्र को अनुशासन तथा अहिंसा का पाठ पढ़ाया। यह भारतीय इतिहास का पहला राजनीतिक जन आंदोलन था। और इसमें धर्म, जाति, क्षेत्र और वर्ग का भेद के किए बिना राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा गया था। महत्वपूर्ण प्रश्न Q1:- असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ था? असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को शुरू हुआ था। Q2:- असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण क्या थे? असहयोग आंदोलन के तीन मुख्य कारण थे। (1) रोलेट एक्ट (2) जलियांवाला बाग हत्याकांड (3) खिलाफत आंदोलन Q3:- असहयोग आंदोलन कब समाप्त हुआ...

असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?

असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के देखरेख में चलाया जाने वाला प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन का व्यापक जन आधार था। शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानो और आदीवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। इसमें श्रमिक वर्ग की भी भागीदारी थी। इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया। 1914-1918 के प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाॅच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गांधी जी ने देशभर में इस अधिनियम (*रॉलेट एक्ट*) के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ आंदोलन के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा 13, अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर(रेजिनाल्ड डायर) ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया। जालियाँवाला बाग हत्याकांड‎ के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,200 लोग मारे गए और 1600-1700 घायल हुए थे। विषयसूची Show • • • • • • • • • • • असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ[संपादित करें] असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में औपचारिक रूप से शुरू ...

असहयोग आंदोलन का कारण, स्वरुप एवं परिणाम

असहयोग आंदोलन की भूमिका या असहयोग आंदोलन क्या है – महात्मा गांधी ने भारतीय राजनीति में प्रवेश अंग्रेजी सरकार के सहयोगी के रूप में किया था, क्योंकि उन्हें अंग्रेजी सरकार की इमानदारी व न्यायप्रियता में विश्वास था। परन्तु वर्ष 1919 में भारत में अनेकों ऐसी घटनाएं घटी, जिसने गांधी जी को अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने के लिए विवश किया इन घटनाओं में दमनकारी रालेट एक्ट, जलियांवाला बाग हत्याकांड आदि घटनाएं प्रमुख थी। असहयोग आंदोलन नीचे असहयोग आंदोलन के विषय मे विस्तार से बताया गया है। इसे आप PDF मार्फ मे भी प्राप्त कर सकते है। असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को शुरू हुआ था, क्योंकि इसी दिन बालगंगाधर तिलक का निधन हो गया था। कांग्रेस ने गांधी जी के इस योजना को स्वीकार कर लिया। जब ब्रिटिश ने कांग्रेस की मांगों को मानने से इंकार कर दिया तथा जून 1920 में इलाहाबाद में सर्वदलीय सभा में विदेशी वस्तुओं, स्कूलों, कालेजों, न्यायलयों आदि के बहिष्कार का कार्यक्रम बनाया। तब सितम्बर 1920 में कांग्रेस ने एक विशेष सत्र कलकत्ता में बुलाया और इसमें अहिंसात्मक असहयोग आंदोलन जिसका अंतिम लक्ष्य स्वराज्य था, शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। • असहयोग आंदोलन के कारण असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण निम्नलिखित कारण थे प्रथम विश्व युद्ध के बाद आर्थिक कठिनाइयों के कारण महंगाई बहुत बढ़ गई। छोटी जाति के लोग इस मंहगाई से बहुत परेशान हो गए थे।इन परिस्थितियों ने भारतीयों में अंग्रेजी विरोधी भावनाओं का विकास कर इन्हें अंग्रेजों से आन्दोलन हेतु प्रोत्साहित किया। रालेट एक्ट जलियांवाला बाग़ हत्याकांड जैसी घटनाओं ने विदेशी शासकों के कूर एवं असभ्य व्यवहार को उजागर कर दिया। पंजाब में अत्...

Asahyog Andolan Kab Hua Tha Iska Mukhya Karan Kya Tha?

भारत देश वीरों का देश है यहाँ आज़ादी के पहले से कई सारे देशभक्त हुए है, जिन्होंने अपनी जान से ज्यादा देश को महत्व दिया है। आज़ादी के पहले अंग्रेजो के अत्याचारों से परेशान हो कर उनसे आज़ादी पाने के लिए और अपनी मांगे पूरी करने के लिए कई सारे आंदोलन चलाए गए थे उन्ही मेसे एक आंदोलन था असहयोग आंदोलन। यदि आप असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण नहीं जानते है और आप जानना चाहते है की आखिर Asahyog Andolan Kab Hua Tha Iska Mukhya Karan Kya Tha – असहयोग आंदोलन कब हुआ था व इसका मुख्य कारण क्या था तो निचे आपको इसकी पूरी जानकरी मिल जाएगी। महात्मा गाँधी के अमरीकी जीवनी-लेखक लुई फ़िशर ने लिखा है कि ‘असहयोग भारत और गाँधी जी के जीवन के एक युग का ही नाम हो गया। असहयोग शांति की दृष्टि से नकारात्मक किन्तु प्रभाव की दृष्टि से बहुत सकारात्मक था। इसके लिए प्रतिवाद, परित्याग और स्व-अनुशासन आवश्यक थे। यह स्वशासन के लिए एक प्रशिक्षण था। Table of Contents • • • • Asahyog Andolan Kab Hua Tha कब प्रारम्भ हुआ था असहयोग आंदोलन? महात्मा गांधी ने एक अगस्त 1920 को असहयोग आंदोलन शुरू किया था। अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित अन्यायपूर्ण कानूनों और कार्यों के विरोध में देशव्यापी अहिंसक आंदोलन था। इस आंदोलन के दौरान विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में जाना बंद कर दिया था। असहयोग आंदोलन कब तक चला ? 5 फ़रवरी 1922 को गोरखपुर ज़िले के चौरी- चौरा नामक जगह पर पुलिस ने एक जुलूस को रोकना चाहा, इसके फलस्वरूप जनता ने गुस्से में आकर थाने में आग लगा दी, जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई थी । इस घटना के बाद गांधी जी ने 12 फ़रवरी 1922 को इस आंदोलन की समाप्ति की घोषणा कर दी थी क्योकि वह हिंसा के विरोधी थे। असहयोग ...

असहयोग आंदोलन के कारण, कार्यक्रम, प्रभाव, परिणाम

1. युद्धोत्तर भारत मेंअसन्तोष - प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीय जनता ने ब्रिटिश सरकार को पूर्ण सहयोग दिया था। ब्रिटेन ने यह युद्ध स्वतन्त्रता और प्रजातन्त्र की रक्षा के नाम पर लड़ा था। ब्रिटिश विजय में भारतीय सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान था। भारतीयों को विश्वास था कि युद्ध की समाप्ति पर ब्रिटेन भारत को दिये गये वचनों का पालन करेगा, परन्तु भारत को स्वशासन के नाम पर ‘मॉण्ट फोर्ड’ सुधार दिये गये जिससे देश को सन्तोष नहीं हुआ। 2.विदेशी घटनाओंकी प्रतिक्रिया -विश्व युद्ध के कारण यूरोप के तीन देशों- जर्मनी, आस्ट्रिया और रूस के निरंकुश शासन की समाप्ति हो गई । रूसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप वहां साम्यवादी शासन व्यवस्था स्थापित हुई । रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया के अनेक प्रदेशों को स्वतंत्र कर दिया। भारतीय जनता की चेतना पर इन घटनाओं का प्रभाव पड़ा और वे राष्ट्रीय संघर्ष हेतु सक्रिय होने लगे। 3.‘माण्ड-फोर्ड’ सुधारों से असन्तोष -1919 ई. में‘मॉण्टेग्यू-चेम्सफोर्र्ड’ सुधार योजना जनता की स्वराज्य की मांग को संतुष्ट करने की दिशा में सर्वथा निष्फल रहीं। युद्ध के समय सरकार ने भारत को उत्तरदायी शासन देने का वादा किया था, परन्तु इस समय योजना में उत्तरदायी शासन तो दूर, सिक्खों को भी मुसलमानों के समान पृथक निर्वाचन का अधिकार दे दिया गया। इससे जनता में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष फैला। 6.रोलट एक्ट -देश में उठने वाले जन-असन्तोष से निपटने के लिए 18 मार्च, 1919 ई को रोलटे एक्ट नामक काला कानून पास किया गया, जिसके अनुसार, ‘‘शासन को किसी भी व्यक्ति को संदिग्ध घोषित कर, बिना दोषी सिद्ध किये, जेल में बन्द करने का अधिकार दिया गया।’’ इस प्रकार सरकार को पर्याप्त दमनकारी अधिकार मिल गये और भारतीयों की स्व...

असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या थे?

असहयोग आंदोलन की अनिवार्य विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए शुरू में केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था। इस आंदोलन ने अपनी रफ़्तार सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को लौटाकर, और सिविल सेवाओं, सेना, पुलिस, अदालतों और विधान परिषदों, स्कूलों, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके किया गया।. असहयोग आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम क्या थे?

असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण क्या थे?

असहयोग आंदोलन की अनिवार्य विशेषता यह थी कि अंग्रेजों की क्रूरताओं के खिलाफ लड़ने के लिए शुरू में केवल अहिंसक साधनों को अपनाया गया था। इस आंदोलन ने अपनी रफ़्तार सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को लौटाकर, और सिविल सेवाओं, सेना, पुलिस, अदालतों और विधान परिषदों, स्कूलों, और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके किया गया।. असहयोग आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रम क्या थे?

असहयोग आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?

असहयोग आंदोलन महात्मा गांधी के देखरेख में चलाया जाने वाला प्रथम जन आंदोलन था। इस आंदोलन का व्यापक जन आधार था। शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानो और आदीवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। इसमें श्रमिक वर्ग की भी भागीदारी थी। इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया। 1914-1918 के प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाॅच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गांधी जी ने देशभर में इस अधिनियम (*रॉलेट एक्ट*) के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ आंदोलन के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा 13, अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर(रेजिनाल्ड डायर) ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया। जालियाँवाला बाग हत्याकांड‎ के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,200 लोग मारे गए और 1600-1700 घायल हुए थे। विषयसूची Show • • • • • • • • • • • असहयोग (नॉन कॉपरेशन)आंदोलन का आरंभ[संपादित करें] असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में औपचारिक रूप से शुरू ...

असहयोग आंदोलन : कारण, प्रभाव और परिणाम

हम अपने ब्लॉग में आपको बताएंगे - • • • • • • • आंदोलन का प्रभाव असहयोग आंदोलन की शुरुआत में ही तिलक की मृत्यु हो गई। गांधी जी ने अपना कैसरे हिंद की उपाधि वापस कर दिया। चर्खे को उन्होंने आत्मनिर्भरता के रुप मे प्रतिष्ठित किया। अपने देश की बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग और स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि को लक्ष्य बनाया जिससे देश में निर्धनता और बेरोजगारी दूर हो सके। राजनीतिक स्वदेशी में उन्होंने सरकार पर दबाव डालने के लिए बहिष्कार का सहारा लिया जैसे सरकारी उपाधियों का परित्याग, विदेशी सामान, सरकारी कार्यालयों, अदालतों और शिक्षा संस्थानों आदि से बहिष्कार। विजयवाड़ा कांग्रेस अधिवेशन (1921) से गाँधी जी ने खुद जीवन भर मात्र लंगोटी पहनने का निश्चय किया। चौरी-चौरा घटना 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर की चौरी-चौरा गांव में 3 हजार किसानों के जुलूस पर पुलिस ने गोलाबारी की। क्रोधित भीड़ ने थाने को आग लगाकर 22 सिपाहियों को मार डाला। इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया। (कांग्रेस समिति के 1922 के बारदोली प्रस्ताव द्वारा स्थगन) परिणाम असहयोग आंदोलन अपने किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल नहीं रहा। किंतु इसने समस्त राष्ट्र को अनुशासन तथा अहिंसा का पाठ पढ़ाया। यह भारतीय इतिहास का पहला राजनीतिक जन आंदोलन था। और इसमें धर्म, जाति, क्षेत्र और वर्ग का भेद के किए बिना राष्ट्र को एक सूत्र में बांधा गया था। महत्वपूर्ण प्रश्न Q1:- असहयोग आंदोलन कब शुरू हुआ था? असहयोग आंदोलन 1 अगस्त, 1920 को शुरू हुआ था। Q2:- असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण क्या थे? असहयोग आंदोलन के तीन मुख्य कारण थे। (1) रोलेट एक्ट (2) जलियांवाला बाग हत्याकांड (3) खिलाफत आंदोलन Q3:- असहयोग आंदोलन कब समाप्त हुआ...

असहयोग आंदोलन के कारण, कार्यक्रम, प्रभाव, परिणाम

1. युद्धोत्तर भारत मेंअसन्तोष - प्रथम विश्व युद्ध के समय भारतीय जनता ने ब्रिटिश सरकार को पूर्ण सहयोग दिया था। ब्रिटेन ने यह युद्ध स्वतन्त्रता और प्रजातन्त्र की रक्षा के नाम पर लड़ा था। ब्रिटिश विजय में भारतीय सैनिकों का महत्वपूर्ण योगदान था। भारतीयों को विश्वास था कि युद्ध की समाप्ति पर ब्रिटेन भारत को दिये गये वचनों का पालन करेगा, परन्तु भारत को स्वशासन के नाम पर ‘मॉण्ट फोर्ड’ सुधार दिये गये जिससे देश को सन्तोष नहीं हुआ। 2.विदेशी घटनाओंकी प्रतिक्रिया -विश्व युद्ध के कारण यूरोप के तीन देशों- जर्मनी, आस्ट्रिया और रूस के निरंकुश शासन की समाप्ति हो गई । रूसी क्रान्ति के परिणामस्वरूप वहां साम्यवादी शासन व्यवस्था स्थापित हुई । रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया के अनेक प्रदेशों को स्वतंत्र कर दिया। भारतीय जनता की चेतना पर इन घटनाओं का प्रभाव पड़ा और वे राष्ट्रीय संघर्ष हेतु सक्रिय होने लगे। 3.‘माण्ड-फोर्ड’ सुधारों से असन्तोष -1919 ई. में‘मॉण्टेग्यू-चेम्सफोर्र्ड’ सुधार योजना जनता की स्वराज्य की मांग को संतुष्ट करने की दिशा में सर्वथा निष्फल रहीं। युद्ध के समय सरकार ने भारत को उत्तरदायी शासन देने का वादा किया था, परन्तु इस समय योजना में उत्तरदायी शासन तो दूर, सिक्खों को भी मुसलमानों के समान पृथक निर्वाचन का अधिकार दे दिया गया। इससे जनता में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष फैला। 6.रोलट एक्ट -देश में उठने वाले जन-असन्तोष से निपटने के लिए 18 मार्च, 1919 ई को रोलटे एक्ट नामक काला कानून पास किया गया, जिसके अनुसार, ‘‘शासन को किसी भी व्यक्ति को संदिग्ध घोषित कर, बिना दोषी सिद्ध किये, जेल में बन्द करने का अधिकार दिया गया।’’ इस प्रकार सरकार को पर्याप्त दमनकारी अधिकार मिल गये और भारतीयों की स्व...