Ayask kise kahate hain

  1. अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर
  2. अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है
  3. आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ
  4. आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ
  5. अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर
  6. अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है
  7. अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है
  8. आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ
  9. अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर
  10. आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ


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अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर

रसायन विज्ञान में अम्ल और क्षार क्या है इनके गुण ,उपयोग एवम सभी प्रकार और अम्ल और क्षार हमे कहाँ से प्राप्त हो सकते है इनके स्त्रोत तथा उदाहरण इस page पर इनसे जुडी लगभग पूरी जानकारी है अम्ल और क्षार competitive exams के लिए भी यहाँ पर सम्पूर्ण जानकारी है अम्ल और क्षार दोनों के लिए पहले अम्ल की और फिर क्षार की डिटेल है अम्ल किसे कहते है ? गुण ,प्रकार,उपयोग स्त्रोत तथा उदाहरण Svante Arrehenius के अनुसार –ऐसे पदार्थ जो ,जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन ( H +) देते हैं ,अम्ल कहलाते हैं अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं तथा ये स्वाद में खट्टे होते हैं अम्लों का PH मान 7.0 से कम होता है है स्वीडिश chemist Svante Arrehenius ने सबसे पहले 1884 में अम्लीयता के गुण बताये की अम्ल H +आयन देते हैं Bronsted -Lowry के अनुसार –वह अणु या आयन जो प्रोटोन देने की क्षमता रखते हैं अम्ल कहलाते हैं HCO – 3 →CO 2- 3+H + अम्लों के गुण – • अम्ल संक्षारक प्रकृति के होते हैं • अम्ल विधुत चालकता प्रदर्शित करते हैं • अम्ल धातुओं से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करते हैं Mg + 2 Hcl → MgCl + H 2 • अम्ल क्षरकों के साथ क्रिया करके जल तथा लवण बनाते हैं NaOH + 2Hcl → NaCl + H 2O • अम्ल धातुओं के कार्बोनाटों तथा बाई कार्बोनाटों के साथ क्रिया करके कार्बन डाई ऑक्साइड गैस मुक्त करता है अम्ल के प्रकार कार्बनिक अम्ल औरअकार्बनिक अम्ल कार्बनिक अम्ल जो अम्ल जल में घुलकर , पूरी तरह विभाजित हो जाते हैं तथा हाइड्रोजन आयन देते हैं उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं दूसरे शब्दों में ऐसे अम्ल जो जल या किसी अन्य विलायक में पूरी तरह से घुलकर बड़ी संख्या में हाइड्रोजन आयन तथा प्रोटोन देते है प्रबल अम्ल विधुत के चालक होते हैं प्रबल अम्ल क...

अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है

वह खनिज जिनमें शुद्ध धातु का निष्कर्षण सरलतापूर्वक अधिक मात्रा में एवं कम खर्च में किया जा सकता है उन खनिज को अयस्क (ores in Hindi) कहते हैं। सभी अयस्क खनिज होते हैं लेकिन सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। अयस्क के प्रकार अयस्कों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत (type of ores in Hindi) किया गया है। 1. प्राकृतिक अयस्क 2. सल्फाइड अयस्क 3. ऑक्साइड अयस्क 4. कार्बोनेट अयस्क 5. क्लोराइड अयस्क 6. संकर अयस्क 1. प्राकृतिक अयस्क इन अयस्कों में धातु अपनी धात्विक अवस्था में ही पाई जाती है परंतु उसमें कुछ अशुद्धियां जैसे रेत मिट्टी आदि पाई जाती हैं। उदाहरण –प्लैटिनम, चांदी (Ag) तथा सोना (Au) आदि। 2. सल्फाइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने सल्फाइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – काॅपर ⇒ कॉपर पायराइट (CuFeS 2) लेड ⇒ गैलेना (PbS) आयरन ⇒ आयरन पायराइट (FeS 2) मरकरी ⇒ सिनेबार (HgS) जिंक ⇒ जिंक ब्लेंडी (ZnS) 3. ऑक्साइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने ऑक्साइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – एल्युमीनियम ⇒ बॉक्साइट (Al 2O 3•2H 2O) काॅपर ⇒ क्यूप्राइट (Cu 2O) जिंक ⇒ जिंकाइट (ZnO) आयरन ⇒ हेमेटाइट (Fe 2O 3) 4. कार्बोनेट अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने कार्बोनेटों के रूप में मिलती हैं। जैसे – जिंक ⇒ कैलेमाइन (ZnCO 3) मैग्नीशियम ⇒ मैग्नेसाइड (MgCO 3) काॅपर ⇒ मैलेकाइट (Cu(OH) 2•CuCO 3) लेड (सीसा) ⇒ सेरूसाइट (PbCO 3) 5. क्लोराइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने क्लोराइडों के रूप में पायी हैं। जैसे – सोडियम ⇒ रॉकसॉल्ट (NaCl) पोटेशियम ⇒ सिल्वाइन (KCl) सिल्वर ⇒ हॉर्नसिल्वर (AgCl) 6. संकर अयस्क इन अयस्कों में धातुएं खनिजों के मिश्रण के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – लेपिडोलाइट ⇒ [(Ni, Na, K) 2•Al 2(SiO ...

आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ

आसन का अर्थ है- यह शरीर और मन पर नियंत्रण हेतु विभिन्न शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास। आसन शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त होता है जैसे शरीर के द्वारा बनाये गये विशेष स्थिति, बैठने का विशेष तरीका, हाथी के शरीर का अगला भाग, घोडे़ का कन्धा आदि परन्तु हठयोग में आसन शब्द का अर्थ मन को स्थिर करने हेतु बैठने की विशेष स्थिति माना जाता है। महर्षि पतंजलि आसन की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि - स्थिर और सुखकर शारीरिक स्थिति मानसिक संतुलन लाती है और मन की चंचलता को रोकती है। आसनो की प्रारंभिक स्थिति में अनेक प्रकारान्तरों के द्वारा अपने शरीर को अन्तिम स्थिति के अभ्यास के लिए तैयार किया जाता है। महर्षि घेरण्ड, घेरण्ड संहिता में आसनों के सन्दर्भ में बताते हैं कि इस संसार में जितने जीव-जंतु हैं, उनके शरीर की जो सामान्य स्थिति है, उस भंगिमा का अनुसरण करना आसन कहलाता है। महर्षि पतंजलि ने आसन शरीर को स्थिर और सुखदायी रखने की तकनीक के रूप में बताया है। आसन शब्द का अर्थ एवं परिभाषाआसन शब्द संस्कृत भाषा के‘अस’ धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है‘बैठने का स्थान’ तथा दूसरा‘शारीरिक अवस्था’। • बैठने का स्थान • शारीरिक अवस्था बैठने का स्थान का अर्थ है जिस पर बैठते हैं जैसे-मृगछाल, कुश, चटाई, दरी आदि का आसन। आसन के दूसरे अर्थ से तात्पर्य है शरीर, मन तथा आत्मा की सुखद संयुक्त अवस्था या शरीर, मन तथा आत्मा एक साथ व स्थिर हो जाती है और उससे जो सुख की अनुभूति होती है वह स्थिति आसन कहलाती है। आसन अर्थात् जब हम किसी स्थिर आसन में बैठेंगे तभी योग साधनाएं कर सकते है। सुखनैव भवेत् यस्मिन् जस्त्रं ब्रह्मचिंतनम्। जिस स्थिति में बैठकर सुखपूर्वक निरंतर परमब्रह्म का चिंतन किया जा सके, उसे ही आसन समझना चाहिए। श्रीमद्भ...

आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ

आसन का अर्थ है- यह शरीर और मन पर नियंत्रण हेतु विभिन्न शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास। आसन शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त होता है जैसे शरीर के द्वारा बनाये गये विशेष स्थिति, बैठने का विशेष तरीका, हाथी के शरीर का अगला भाग, घोडे़ का कन्धा आदि परन्तु हठयोग में आसन शब्द का अर्थ मन को स्थिर करने हेतु बैठने की विशेष स्थिति माना जाता है। महर्षि पतंजलि आसन की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि - स्थिर और सुखकर शारीरिक स्थिति मानसिक संतुलन लाती है और मन की चंचलता को रोकती है। आसनो की प्रारंभिक स्थिति में अनेक प्रकारान्तरों के द्वारा अपने शरीर को अन्तिम स्थिति के अभ्यास के लिए तैयार किया जाता है। महर्षि घेरण्ड, घेरण्ड संहिता में आसनों के सन्दर्भ में बताते हैं कि इस संसार में जितने जीव-जंतु हैं, उनके शरीर की जो सामान्य स्थिति है, उस भंगिमा का अनुसरण करना आसन कहलाता है। महर्षि पतंजलि ने आसन शरीर को स्थिर और सुखदायी रखने की तकनीक के रूप में बताया है। आसन शब्द का अर्थ एवं परिभाषाआसन शब्द संस्कृत भाषा के‘अस’ धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है‘बैठने का स्थान’ तथा दूसरा‘शारीरिक अवस्था’। • बैठने का स्थान • शारीरिक अवस्था बैठने का स्थान का अर्थ है जिस पर बैठते हैं जैसे-मृगछाल, कुश, चटाई, दरी आदि का आसन। आसन के दूसरे अर्थ से तात्पर्य है शरीर, मन तथा आत्मा की सुखद संयुक्त अवस्था या शरीर, मन तथा आत्मा एक साथ व स्थिर हो जाती है और उससे जो सुख की अनुभूति होती है वह स्थिति आसन कहलाती है। आसन अर्थात् जब हम किसी स्थिर आसन में बैठेंगे तभी योग साधनाएं कर सकते है। सुखनैव भवेत् यस्मिन् जस्त्रं ब्रह्मचिंतनम्। जिस स्थिति में बैठकर सुखपूर्वक निरंतर परमब्रह्म का चिंतन किया जा सके, उसे ही आसन समझना चाहिए। श्रीमद्भ...

अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर

रसायन विज्ञान में अम्ल और क्षार क्या है इनके गुण ,उपयोग एवम सभी प्रकार और अम्ल और क्षार हमे कहाँ से प्राप्त हो सकते है इनके स्त्रोत तथा उदाहरण इस page पर इनसे जुडी लगभग पूरी जानकारी है अम्ल और क्षार competitive exams के लिए भी यहाँ पर सम्पूर्ण जानकारी है अम्ल और क्षार दोनों के लिए पहले अम्ल की और फिर क्षार की डिटेल है अम्ल किसे कहते है ? गुण ,प्रकार,उपयोग स्त्रोत तथा उदाहरण Svante Arrehenius के अनुसार –ऐसे पदार्थ जो ,जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन ( H +) देते हैं ,अम्ल कहलाते हैं अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं तथा ये स्वाद में खट्टे होते हैं अम्लों का PH मान 7.0 से कम होता है है स्वीडिश chemist Svante Arrehenius ने सबसे पहले 1884 में अम्लीयता के गुण बताये की अम्ल H +आयन देते हैं Bronsted -Lowry के अनुसार –वह अणु या आयन जो प्रोटोन देने की क्षमता रखते हैं अम्ल कहलाते हैं HCO – 3 →CO 2- 3+H + अम्लों के गुण – • अम्ल संक्षारक प्रकृति के होते हैं • अम्ल विधुत चालकता प्रदर्शित करते हैं • अम्ल धातुओं से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करते हैं Mg + 2 Hcl → MgCl + H 2 • अम्ल क्षरकों के साथ क्रिया करके जल तथा लवण बनाते हैं NaOH + 2Hcl → NaCl + H 2O • अम्ल धातुओं के कार्बोनाटों तथा बाई कार्बोनाटों के साथ क्रिया करके कार्बन डाई ऑक्साइड गैस मुक्त करता है अम्ल के प्रकार कार्बनिक अम्ल औरअकार्बनिक अम्ल कार्बनिक अम्ल जो अम्ल जल में घुलकर , पूरी तरह विभाजित हो जाते हैं तथा हाइड्रोजन आयन देते हैं उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं दूसरे शब्दों में ऐसे अम्ल जो जल या किसी अन्य विलायक में पूरी तरह से घुलकर बड़ी संख्या में हाइड्रोजन आयन तथा प्रोटोन देते है प्रबल अम्ल विधुत के चालक होते हैं प्रबल अम्ल क...

अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है

वह खनिज जिनमें शुद्ध धातु का निष्कर्षण सरलतापूर्वक अधिक मात्रा में एवं कम खर्च में किया जा सकता है उन खनिज को अयस्क (ores in Hindi) कहते हैं। सभी अयस्क खनिज होते हैं लेकिन सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। अयस्क के प्रकार अयस्कों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत (type of ores in Hindi) किया गया है। 1. प्राकृतिक अयस्क 2. सल्फाइड अयस्क 3. ऑक्साइड अयस्क 4. कार्बोनेट अयस्क 5. क्लोराइड अयस्क 6. संकर अयस्क 1. प्राकृतिक अयस्क इन अयस्कों में धातु अपनी धात्विक अवस्था में ही पाई जाती है परंतु उसमें कुछ अशुद्धियां जैसे रेत मिट्टी आदि पाई जाती हैं। उदाहरण –प्लैटिनम, चांदी (Ag) तथा सोना (Au) आदि। 2. सल्फाइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने सल्फाइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – काॅपर ⇒ कॉपर पायराइट (CuFeS 2) लेड ⇒ गैलेना (PbS) आयरन ⇒ आयरन पायराइट (FeS 2) मरकरी ⇒ सिनेबार (HgS) जिंक ⇒ जिंक ब्लेंडी (ZnS) 3. ऑक्साइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने ऑक्साइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – एल्युमीनियम ⇒ बॉक्साइट (Al 2O 3•2H 2O) काॅपर ⇒ क्यूप्राइट (Cu 2O) जिंक ⇒ जिंकाइट (ZnO) आयरन ⇒ हेमेटाइट (Fe 2O 3) 4. कार्बोनेट अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने कार्बोनेटों के रूप में मिलती हैं। जैसे – जिंक ⇒ कैलेमाइन (ZnCO 3) मैग्नीशियम ⇒ मैग्नेसाइड (MgCO 3) काॅपर ⇒ मैलेकाइट (Cu(OH) 2•CuCO 3) लेड (सीसा) ⇒ सेरूसाइट (PbCO 3) 5. क्लोराइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने क्लोराइडों के रूप में पायी हैं। जैसे – सोडियम ⇒ रॉकसॉल्ट (NaCl) पोटेशियम ⇒ सिल्वाइन (KCl) सिल्वर ⇒ हॉर्नसिल्वर (AgCl) 6. संकर अयस्क इन अयस्कों में धातुएं खनिजों के मिश्रण के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – लेपिडोलाइट ⇒ [(Ni, Na, K) 2•Al 2(SiO ...

अयस्क किसे कहते हैं, उदाहरण, प्रकार, सल्फाइड, कार्बोनेट, क्लोराइड अयस्क क्या है

वह खनिज जिनमें शुद्ध धातु का निष्कर्षण सरलतापूर्वक अधिक मात्रा में एवं कम खर्च में किया जा सकता है उन खनिज को अयस्क (ores in Hindi) कहते हैं। सभी अयस्क खनिज होते हैं लेकिन सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। अयस्क के प्रकार अयस्कों को निम्नलिखित भागों में वर्गीकृत (type of ores in Hindi) किया गया है। 1. प्राकृतिक अयस्क 2. सल्फाइड अयस्क 3. ऑक्साइड अयस्क 4. कार्बोनेट अयस्क 5. क्लोराइड अयस्क 6. संकर अयस्क 1. प्राकृतिक अयस्क इन अयस्कों में धातु अपनी धात्विक अवस्था में ही पाई जाती है परंतु उसमें कुछ अशुद्धियां जैसे रेत मिट्टी आदि पाई जाती हैं। उदाहरण –प्लैटिनम, चांदी (Ag) तथा सोना (Au) आदि। 2. सल्फाइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने सल्फाइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – काॅपर ⇒ कॉपर पायराइट (CuFeS 2) लेड ⇒ गैलेना (PbS) आयरन ⇒ आयरन पायराइट (FeS 2) मरकरी ⇒ सिनेबार (HgS) जिंक ⇒ जिंक ब्लेंडी (ZnS) 3. ऑक्साइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने ऑक्साइडों के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – एल्युमीनियम ⇒ बॉक्साइट (Al 2O 3•2H 2O) काॅपर ⇒ क्यूप्राइट (Cu 2O) जिंक ⇒ जिंकाइट (ZnO) आयरन ⇒ हेमेटाइट (Fe 2O 3) 4. कार्बोनेट अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने कार्बोनेटों के रूप में मिलती हैं। जैसे – जिंक ⇒ कैलेमाइन (ZnCO 3) मैग्नीशियम ⇒ मैग्नेसाइड (MgCO 3) काॅपर ⇒ मैलेकाइट (Cu(OH) 2•CuCO 3) लेड (सीसा) ⇒ सेरूसाइट (PbCO 3) 5. क्लोराइड अयस्क इन अयस्कों में धातुएं अपने क्लोराइडों के रूप में पायी हैं। जैसे – सोडियम ⇒ रॉकसॉल्ट (NaCl) पोटेशियम ⇒ सिल्वाइन (KCl) सिल्वर ⇒ हॉर्नसिल्वर (AgCl) 6. संकर अयस्क इन अयस्कों में धातुएं खनिजों के मिश्रण के रूप में पायी जाती हैं। जैसे – लेपिडोलाइट ⇒ [(Ni, Na, K) 2•Al 2(SiO ...

आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ

आसन का अर्थ है- यह शरीर और मन पर नियंत्रण हेतु विभिन्न शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास। आसन शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त होता है जैसे शरीर के द्वारा बनाये गये विशेष स्थिति, बैठने का विशेष तरीका, हाथी के शरीर का अगला भाग, घोडे़ का कन्धा आदि परन्तु हठयोग में आसन शब्द का अर्थ मन को स्थिर करने हेतु बैठने की विशेष स्थिति माना जाता है। महर्षि पतंजलि आसन की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि - स्थिर और सुखकर शारीरिक स्थिति मानसिक संतुलन लाती है और मन की चंचलता को रोकती है। आसनो की प्रारंभिक स्थिति में अनेक प्रकारान्तरों के द्वारा अपने शरीर को अन्तिम स्थिति के अभ्यास के लिए तैयार किया जाता है। महर्षि घेरण्ड, घेरण्ड संहिता में आसनों के सन्दर्भ में बताते हैं कि इस संसार में जितने जीव-जंतु हैं, उनके शरीर की जो सामान्य स्थिति है, उस भंगिमा का अनुसरण करना आसन कहलाता है। महर्षि पतंजलि ने आसन शरीर को स्थिर और सुखदायी रखने की तकनीक के रूप में बताया है। आसन शब्द का अर्थ एवं परिभाषाआसन शब्द संस्कृत भाषा के‘अस’ धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है‘बैठने का स्थान’ तथा दूसरा‘शारीरिक अवस्था’। • बैठने का स्थान • शारीरिक अवस्था बैठने का स्थान का अर्थ है जिस पर बैठते हैं जैसे-मृगछाल, कुश, चटाई, दरी आदि का आसन। आसन के दूसरे अर्थ से तात्पर्य है शरीर, मन तथा आत्मा की सुखद संयुक्त अवस्था या शरीर, मन तथा आत्मा एक साथ व स्थिर हो जाती है और उससे जो सुख की अनुभूति होती है वह स्थिति आसन कहलाती है। आसन अर्थात् जब हम किसी स्थिर आसन में बैठेंगे तभी योग साधनाएं कर सकते है। सुखनैव भवेत् यस्मिन् जस्त्रं ब्रह्मचिंतनम्। जिस स्थिति में बैठकर सुखपूर्वक निरंतर परमब्रह्म का चिंतन किया जा सके, उसे ही आसन समझना चाहिए। श्रीमद्भ...

अम्ल और क्षार किसे कहते है ? अंतर

रसायन विज्ञान में अम्ल और क्षार क्या है इनके गुण ,उपयोग एवम सभी प्रकार और अम्ल और क्षार हमे कहाँ से प्राप्त हो सकते है इनके स्त्रोत तथा उदाहरण इस page पर इनसे जुडी लगभग पूरी जानकारी है अम्ल और क्षार competitive exams के लिए भी यहाँ पर सम्पूर्ण जानकारी है अम्ल और क्षार दोनों के लिए पहले अम्ल की और फिर क्षार की डिटेल है अम्ल किसे कहते है ? गुण ,प्रकार,उपयोग स्त्रोत तथा उदाहरण Svante Arrehenius के अनुसार –ऐसे पदार्थ जो ,जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन ( H +) देते हैं ,अम्ल कहलाते हैं अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं तथा ये स्वाद में खट्टे होते हैं अम्लों का PH मान 7.0 से कम होता है है स्वीडिश chemist Svante Arrehenius ने सबसे पहले 1884 में अम्लीयता के गुण बताये की अम्ल H +आयन देते हैं Bronsted -Lowry के अनुसार –वह अणु या आयन जो प्रोटोन देने की क्षमता रखते हैं अम्ल कहलाते हैं HCO – 3 →CO 2- 3+H + अम्लों के गुण – • अम्ल संक्षारक प्रकृति के होते हैं • अम्ल विधुत चालकता प्रदर्शित करते हैं • अम्ल धातुओं से क्रिया करके हाइड्रोजन मुक्त करते हैं Mg + 2 Hcl → MgCl + H 2 • अम्ल क्षरकों के साथ क्रिया करके जल तथा लवण बनाते हैं NaOH + 2Hcl → NaCl + H 2O • अम्ल धातुओं के कार्बोनाटों तथा बाई कार्बोनाटों के साथ क्रिया करके कार्बन डाई ऑक्साइड गैस मुक्त करता है अम्ल के प्रकार कार्बनिक अम्ल औरअकार्बनिक अम्ल कार्बनिक अम्ल जो अम्ल जल में घुलकर , पूरी तरह विभाजित हो जाते हैं तथा हाइड्रोजन आयन देते हैं उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं दूसरे शब्दों में ऐसे अम्ल जो जल या किसी अन्य विलायक में पूरी तरह से घुलकर बड़ी संख्या में हाइड्रोजन आयन तथा प्रोटोन देते है प्रबल अम्ल विधुत के चालक होते हैं प्रबल अम्ल क...

आसन की परिभाषा, प्रकार, विधि व लाभ

आसन का अर्थ है- यह शरीर और मन पर नियंत्रण हेतु विभिन्न शारीरिक मुद्राओं का अभ्यास। आसन शब्द कई अर्थों में प्रयुक्त होता है जैसे शरीर के द्वारा बनाये गये विशेष स्थिति, बैठने का विशेष तरीका, हाथी के शरीर का अगला भाग, घोडे़ का कन्धा आदि परन्तु हठयोग में आसन शब्द का अर्थ मन को स्थिर करने हेतु बैठने की विशेष स्थिति माना जाता है। महर्षि पतंजलि आसन की परिभाषा देते हुए कहते हैं कि - स्थिर और सुखकर शारीरिक स्थिति मानसिक संतुलन लाती है और मन की चंचलता को रोकती है। आसनो की प्रारंभिक स्थिति में अनेक प्रकारान्तरों के द्वारा अपने शरीर को अन्तिम स्थिति के अभ्यास के लिए तैयार किया जाता है। महर्षि घेरण्ड, घेरण्ड संहिता में आसनों के सन्दर्भ में बताते हैं कि इस संसार में जितने जीव-जंतु हैं, उनके शरीर की जो सामान्य स्थिति है, उस भंगिमा का अनुसरण करना आसन कहलाता है। महर्षि पतंजलि ने आसन शरीर को स्थिर और सुखदायी रखने की तकनीक के रूप में बताया है। आसन शब्द का अर्थ एवं परिभाषाआसन शब्द संस्कृत भाषा के‘अस’ धातु से बना है जिसके दो अर्थ हैं- पहला है‘बैठने का स्थान’ तथा दूसरा‘शारीरिक अवस्था’। • बैठने का स्थान • शारीरिक अवस्था बैठने का स्थान का अर्थ है जिस पर बैठते हैं जैसे-मृगछाल, कुश, चटाई, दरी आदि का आसन। आसन के दूसरे अर्थ से तात्पर्य है शरीर, मन तथा आत्मा की सुखद संयुक्त अवस्था या शरीर, मन तथा आत्मा एक साथ व स्थिर हो जाती है और उससे जो सुख की अनुभूति होती है वह स्थिति आसन कहलाती है। आसन अर्थात् जब हम किसी स्थिर आसन में बैठेंगे तभी योग साधनाएं कर सकते है। सुखनैव भवेत् यस्मिन् जस्त्रं ब्रह्मचिंतनम्। जिस स्थिति में बैठकर सुखपूर्वक निरंतर परमब्रह्म का चिंतन किया जा सके, उसे ही आसन समझना चाहिए। श्रीमद्भ...