बांसवाड़ा से मानगढ़ कितना किलोमीटर है

  1. बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल कितना है?
  2. बांसवाड़ा
  3. मानगढ़ हत्याकांड
  4. बांसवाड़ा जिला दर्शन
  5. बांसवाड़ा जिला
  6. क्या है मानगढ़ धाम, आदिवासियों के किस संहार की कहानी कहता है
  7. बांसवाड़ा जिले की सम्पूर्ण जानकारी
  8. सौ द्वीपों के शहर के नाम से मशहूर है राजस्थान का बांसवाड़ा
  9. अंग्रेजो ने जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़ा नरसंहार राजस्थान में किया था..क्या आपको पता है


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बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल कितना है?

Explanation : बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल 5037 वर्ग किलोमीटर है। यह भारतीय राज्य राजस्थान के दक्षिणी भाग में बसा एक शहर है। यह गुजरात और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों की सीमा पर है। बांसवाड़ा के अक्षांस और देशांतर क्रमशः 23 डिग्री 55 मिनट उत्तर से 74 डिग्री 45 मिनट पूर्व तक है, बांसवाड़ा की समुद्रतल से ऊंचाई 302 मीटर है, बांसवाड़ा राजस्थान की राजधानी जयपुर से 505 किलोमीटर दक्षिण में है और भारत की राजधानी दिल्ली से 774 किलोमीटर दक्षिण में है। बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल 5037 वर्ग किलोमीटर है, 2011 की जनगणना के अनुसार बांसवाड़ा की जनसँख्या 1798194 और जनसंख्या घनत्व 399 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, बांसवाड़ा की साक्षरता 57% है और महिला पुरुष अनुपात 979 महिलाये प्रति वर्ग किलोमीटर है। बांसवाड़ा का राजघराना महारावल जगमल सिंह ने बसाया था। बांस के वनों की अधिकता के कारण इसका नाम बांसवाड़ा पड़ा। बता दे कि क्षेत्रफल की दृष्टि से देश में राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है, यहां जिलों की संख्या 33 हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा जिला जैसलमेर है। 26 जनवरी 2008 को प्रतापगढ़ आखिरी जिला घोषित किया गया था। Tags : Explanation : जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ताशी रबस्तान है। सरकार ने उन्हें 7 दिसंबर 2022 को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। न्यायाधीश ताशी रबस्तान (Justice Tashi Rabstan) ने 8 दिसंबर • भारत का सबसे बड़ा तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र किस राज्य में है? Explanation : भारत का सबसे बड़ा तैरता हुआ सौर ऊर्जा संयंत्र (India’s biggest floating solar power plant) रामागुंडम (Ramagundam), तेलंगाना में स्थित है। जो अब् पूरी तरह चालू हो ...

बांसवाड़ा

राजस्थान में स्थिति निर्देशांक: 23°33′N 74°27′E / 23.55°N 74.45°E / 23.55; 74.45 23°33′N 74°27′E / 23.55°N 74.45°E / 23.55; 74.45 देश ऊँचाई 302मी (991फीट) जनसंख्या (2011) •कुल 1,00,128 भाषा •प्रचलित भाषाएँ 327001 दूरभाष कोड 02962 RJ-03 1000:954 वेबसाइट .rajasthan .gov .in बांसवाड़ा (Banswara) विवरण [ ] बांसवाड़ा के आसपास का क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में समतल और उपजाऊ है, माही बांसवाड़ा की प्रमुख नदी है। बांसवाड़ा के पूर्व में प्रतिवेशी पहाड़ियों द्वारा बने एक गर्त में बाई तालाब नाम से ज्ञात एक कृत्रिम तालाब है जो महारावल जगमाल की रानी द्वारा निर्मित बताया जाता है। लगभग 1 किलोमीटर दूर रियासत के शासकों की छतरियां हैं। कस्बे में कुछ इन्हें भी देखें [ ] • • संदर्भ [ ] • भोजपुरी • বাংলা • বিষ্ণুপ্রিয়া মণিপুরী • Català • Cebuano • Čeština • Deutsch • English • Esperanto • فارسی • Suomi • Français • Italiano • 日本語 • Malagasy • मराठी • Bahasa Melayu • नेपाल भाषा • Norsk bokmål • ਪੰਜਾਬੀ • Kapampangan • Polski • Română • Русский • संस्कृतम् • ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ • Svenska • தமிழ் • తెలుగు • Українська • اردو • Tiếng Việt • მარგალური • 中文 • 粵語

मानगढ़ हत्याकांड

मानगढ़ हत्याकांड (Mangarh massacre) में विवरण [ ] मानगढ़ राजस्थान में गोविन्द गुरु का जन्म 20 दिसम्बर, 1858 को कुछ ही समय में लाखों लोग उनके भक्त बन गये। प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा को सभा का वार्षिक मेला होता था, जिसमें लोग हवन करते हुए घी एवं नारियल की आहुति देते थे। लोग हाथ में घी के बर्तन तथा कन्धे पर अपने परम्परागत शस्त्र लेकर आते थे। मेले में सामाजिक तथा राजनीतिक समस्याओं की चर्चा भी होती थी। इससे वागड़ का यह वनवासी क्षेत्र धीरे-धीरे ब्रिटिश सरकार तथा स्थानीय सामन्तों के विरोध की आग में सुलगने लगा। 17 नवम्बर, 1913 (मार्गशीर्ष पूर्णिमा) को मानगढ़ की पहाड़ी पर वार्षिक मेला होने वाला था। इससे पूर्व गोविन्द गुरु ने शासन को पत्र द्वारा अकाल से पीड़ित आदिवासियों से खेती पर लिया जा रहा कर घटाने, धार्मिक परम्पराओं का पालन करने देने तथा बेगार के नाम पर उन्हें परेशान न करने का आग्रह किया था; पर प्रशासन ने पहाड़ी को घेरकर मशीनगन और तोपें लगा दीं। इसके बाद उन्होंने गोविन्द गुरु को तुरन्त मानगढ़ पहाड़ी छोड़ने का आदेश दिया। उस समय तक वहां लाखों भगत आ चुके थे। पुलिस ने कर्नल शटन के नेतृत्व में गोलीवर्षा प्रारम्भ कर दी, जिससे हजारों लोग मारे गये। इनकी संख्या 1,500 से तक कही गयी है। पुलिस ने गोविन्द गुरु को गिरफ्तार कर पहले फांसी और फिर आजीवन कारावास की सजा दी। 1923 में जेल से मुक्त होकर वे भील सेवा सदन, झालोद के माध्यम से लोक सेवा के विभिन्न कार्य करते रहे। 30 अक्तूबर, 1931 को ग्राम कम्बोई (गुजरात) में उनका देहान्त हुआ। प्रतिवर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा को वहां बनी उनकी समाधि पर आकर लाखों लोग उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं। इन्हें भी देखें [ ] • • • • सन्दर्भ [ ]

बांसवाड़ा जिला दर्शन

Banswara District GK in Hindi : राजस्थान जिला दर्शन की इस पोस्ट में बांसवाड़ा जिला दर्शन को पूरा किया गया है। Banswara Zila Darshan - इस पोस्ट में बांसवाड़ा जिले का सामान्य परिचय, बांसवाड़ा जिले की अक्षांशीय एवं देशांतरीय स्थिति, बांसवाड़ा जिले का क्षेत्रफल एवं उपनाम, बांसवाड़ा के प्रमुख मंदिर, बांसवाड़ा के पर्यटन स्थलदर्शनीय स्थल, बांसवाड़ा जिले के खनिज, बांसवाड़ा के प्रमुख मेले और त्यौहार एवं बांसवाड़ा के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर आदि बिंदुओं को कवर करने की कोशिश की गयी है। • बांसवाड़ा जिले की नीवमहारावल उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमाल सिंह ने रखी थी। • बांसवाड़ा रियासत का राजस्थान में विलय राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण 25 मार्च 1948 को हुआ था। उस समय वहां का शासक चंद्रवीर सिंह था जिन्होंने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं। इसके तहत बांसवाड़ा का राजस्थान में विलय हो गया था। • बांसवाड़ा जिले के उपनाम : सो दीपों का शहर, आदिवासियों का शहर, वागड़ प्रदेश, राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार। • बांसवाड़ा का क्षेत्रफल कितना है : 5037 वर्ग किलोमीटर। • बांसवाड़ा की अक्षांशीय स्थिति: 23 डिग्री 11 मिनट उत्तरी अक्षांश से 23 डिग्री 56 मिनट उत्तरी अक्षांश तक। • बांसवाड़ा की देशांतरीय स्थिति: 73 डिग्री 58 मिनट पूर्वी देशांतर से 74 डिग्री 49 मिनट पूर्वी देशांतर तक। बांसवाड़ा के प्रमुख मेले और त्यौहार • राजस्थान में सबसे अधिक मैग्नीज उत्पादक जिला कौन सा है - बांसवाड़ा • सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति का प्रतिशत वाला जिला कौन सा है - बांसवाड़ा • छप्पन का मैदान किन दो जिलों के मध्य स्थित है - बांसवाड़ा एवं प्रतापगढ़ के मध्य • राजस्थान का सर...

बांसवाड़ा जिला

बांसवाड़ा जिला राजस्थान में राज्य के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित है। जिला शुरू में एक रियासत थी। यहां के मुख्य आदिवासी समूह भील, भील मीणा, डामोर, चारपोटस और नीनामा हैं। बांसवाड़ा एक कृषि-आधारित जिला है, जिसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा उसी पर निर्भर करता है। बांसवाड़ा जिले का स्थान बांसवाड़ा जिला राजस्थान के दक्षिणी-अधिकांश भाग में स्थित है। इसका क्षेत्रफल 5037 वर्ग किलोमीटर है और यह 23.11 डिग्री से 23.56 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 73.58 डिग्री से 74.49 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। यह उत्तर में उदयपुर जिले की धारियावाड़ तहसील और प्रतापगढ़ जिले से घिरा है। पूर्व में मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से, पश्चिम में डूंगरपुर जिले की सगवाड़ा और असपुर तहसीलों द्वारा और दक्षिण में मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले से घिरा हुआ है। बांसवाड़ा जिले का इतिहास जिला पूर्व में महारावलों द्वारा शासित एक रियासत थी। एक भील शासक बंसिया ने इस पर शासन किया था और उनके नाम पर बांसवाड़ा का नाम रखा गया था। 1913 में कुछ भीलों ने एक समाज सुधारक गोविंदगिरी और पुंजा के नेतृत्व में विद्रोह किया, जिसे नवंबर 1913 में दबा दिया गया। मानगढ़ पहाड़ी पर कई आंदोलनकारियों गोली मारकर हत्या कर दी गई, जहां वे एक शांतिपूर्ण बैठक कर रहे थे। इस घटना को मिनी जलियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान पवित्र हो गया है और इसे मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है। भारत संघ में रियासतों के विलय के साथ, बांसवाड़ा और कुशलगढ़ राज्य 1949 में राजस्थान में विलय हो गए और इन रियासतों को मिलाकर बांसवाड़ा को एक अलग जिले के रूप में बनाया गया। बांसवाड़ा जिले का भूगोल यह एक ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र है। इसमें अरावली पर्वत श्रृंखलाओ...

क्या है मानगढ़ धाम, आदिवासियों के किस संहार की कहानी कहता है

जलियांवाला बाग से 06 साल पहले मानगढ़ में हुआ था 1500 आदिवासियों का संहार अंग्रेज सेना और स्थानीय रजवाड़ों की कार्रवाई में हुआ था भील आदिवासियों का कत्लेआम अब तक मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय धरोहर बनाने की मांग होती रही थी, अब पीएम ने इसे माना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम आदिवासी स्मारक को राष्ट्रीय घोषित किया है. क्या है ये मानगढ़ धाम, जो अंग्रेजों के हाथों जलियांवाला बाग से कहीं अधिक नृशंस संहार की कहानी कहता है. 17 नवंबर 1913 को राजस्थान गुजरात की सीमा पर बांसवाड़ा के मानगढ़ में अंग्रेजों ने करीब 1500 भील आदिवासियों को मौत के घाट उतार दिया था. लेकिन आमतौर पर इस शहादत को करीब विस्मृत ही कर दिया गया. मानगढ़ पहाड़ी पर बना स्मारक इसी शहादत की कहानी कहता है. इसे मानगढ़ धाम के नाम से जानते हैं. इसे लगातार राष्ट्रीय धरोहर बनाने की मांग होती रही है, जिसे प्रधानमंत्री ने मान लिया है. इसे राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की बात उन्होंने वहां अपने भाषण में की. दरअसल, मानगढ़ गवाह है भील आदिवासियों के अदम्य साहस और एकता का, जिसकी वजह से अंग्रेजों को नाकों चने चबाने पड़े. ये एकजुटता भील आदिवासियों के नेता गोविंद गुरु की अगुवाई के कारण पैदा हुई थी. उनका जीवन भील समुदाय के लिए रहा. इस ऐतिहासिक विद्रोह में भीलों के निशाने पर केवल अंग्रेज नहीं थे बल्कि स्थानीय रजवाड़े भी थे, जो लगातार इन आदिवासियों पर जुल्म ढाह रहे थे. बात तब की है जब 1857 के सैन्य विद्रोह को एक साल भी नहीं हुआ था. देश उथल-पुथल से गुजर रहा था. 1857 की क्रांति के एक साल बाद गोविंद गुरु का जन्म हुआ. युवा होने पर उन्होंने ये समझ लिया जब तक शोषित समुदायों के लोगों को साथ नहीं लाएंगे, तब तक कुछ नह...

बांसवाड़ा जिले की सम्पूर्ण जानकारी

" सौ द्वीपों का शहर" के उपनाम से प्रसिद्ध राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की नींव महारावल उदयसिंह के पुत्र महारावल जगमाल सिंह ने रखी थी। बांसवाड़ा जिले के प्रमुख उपनाम | बांसवाड़ा के प्राचीन नाम • सौ द्वीपोंका शहर • आदिवासियों का शहर • वागड़ प्रदेश • राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार बांसवाड़ा का सामान्य परिचय | Banswara ki Jankari • बांसवाड़ा जिले का कुल क्षेत्रफल : 5037 वर्ग किलोमीटर (लगभग)। • नगरीय क्षेत्रफल : 22 वर्ग किलोमीटर • ग्रामीण क्षेत्रफल : 5015 वर्ग किलोमीटर • बांसवाड़ा की नीव महारावल जगमाल सिंह ने डाली थी। • इस क्षेत्र में बांस (बानी) पेड़ के प्रचुरता में पाए जाने व बांसिया भील द्वारा बसाये जाने के कारण इस क्षेत्र का नाम बांसवाड़ा पड़ा है। • बांसवाड़ा के लगभग मध्य में से कर्क रेखा गुजरती है, जिस कारण इसका अधिकांश भाग उष्ण कटिबंध के अंतर्गत आता है। • डूंगरपुर एवं बांसवाडा दोनों को संयुक्त रूप से प्राचीनकाल में वागड़ प्रदेश के नाम से जाना जाता था। प्राचीन काल में यह प्रदेश वाग्वर प्रदेश (या पुष्प प्रदेश) के नाम से भी जाना जाता था। इसकी राजधानी आथूर्ना थी एवं इस पर परमारो का शासन था। • यह जिला एक जनजाति बहुल जिला है। • राजस्थान के एकीकरण के द्वितीय चरण 25 मार्च 1948 को बांसवाड़ा रियासत का राजस्थान में विलय हुआ था। • बांसवाड़ा के चंद्रवीर सिंह ने राजस्थान के एकीकरण में विलय हेतु विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि " मैं अपने डेथ वारंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूं" और बांसवाड़ा का राजस्थान में विलय कर दिया। • राजस्थान का सबसे दक्षिणी जिला बांसवाड़ा है। • राजस्थान के सबसे दक्षिण में स्थित गांव " बोरकुंड" गांव कुशलगढ़ तहसील बांसवाड़ा में है। • बांसवाड़ा की स्थलीय सीमा ...

सौ द्वीपों के शहर के नाम से मशहूर है राजस्थान का बांसवाड़ा

राजस्थान राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है बांसवाड़ा। यह बांसवाड़ा जिले का जिला मुख्यालय है जो कि 5,307 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। बांसवाड़ा, 302 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है जो पुराने समय में एक राजसी राज्य था, जिसकी नींव महारावल ‘जगमाल सिंह’ ने राखी थी। इस जगह ने अपना नाम यहाँ के बांस के जंगलों से प्राप्त किया है। यह शहर “सौ द्वीपों के शहर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ से हो कर बहने वाली ‘माही’ नदी में द्वीप बड़ी संख्या में हैं। जिला बाँसवाड़ा, जो कि पहले एक राजसी राज्य था और इस पर महारावलों का शासन था। इन्होंने इस क्षेत्र के पूर्वी भाग को आकार दिया, जिसे वागड़ या वग्वार के नाम से जाना गया। लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र पर भील शासक ‘बंसिया’ का शासन था, जिसने इसे बाँसवाड़ा का नाम दिया। बाद में वह जगमाल सिंह के द्वारा हरा दिया गया और मार दिया गया और तब जगमाल सिंह राज्य के पहले महारावल बने। एक मिनी जलियाँवाला बाग सन 1913 में, समाज सुधारक गोविन्दगिरी एवं पंजा के नेतृत्व में कुछ भीलों ने सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। हालांकि, उनके विद्रोह को दबा दिया गया था, पर मानगढ़ पहाड़ी पर एक शांतिपूर्ण बैठक कर रहे सैकड़ों भीलों की गोली मार कर ह्त्या कर दी गई थी। यह घटना मिनी जलियांवाला बाग नरसंहार के रूप में जानी जाती है। मानगढ़ पहाड़ी पर जिस जगह यह घटना घटी, वह स्थान एक पवित्र बन गया और अब मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है। मूल निवासी और भाषाएँ भारत की आजादी के बाद 1949 में, बांसवाड़ा राज्य और कुशलगढ़ सरदारी का राजस्थान राज्य में विलय कर दिया गया और बांसवाड़ा को एक अलग जिले के रूप में बाहर नामांकित कर दिया गया। भील, भील मीणा, दामोर,चार्पोता और निनामा ...

अंग्रेजो ने जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़ा नरसंहार राजस्थान में किया था..क्या आपको पता है

शायद ही कोई भारतीय होगा जिसे जलियांवाला हत्याकांड के बारे में ना पता हो, आखिरकर ये घटना भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में एक बहुत बड़ी घटना जो रही है और यहां तक की घटना इसी वजह से बहुत से आम भारतीय लोग स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए। लेकिन क्या आप हमारी बात पर यकीन करेंगे अगर हम आपको बता दें कि राजस्थान में इससे भी बड़ा नरसंहार जलियांवाला हत्याकांड से 6 साल पहले हुआ था, जिसमें करीब 1500 लोग शहीद हुए थे। लेकिन इस जगह और इस इतिहास के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इसलिए जब हर कोई स्वतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा है, यह भील जनजाति के हमारे लोगों के बलिदान के बारे में सभी को जानना आवश्यक है। इसलिए आज हम आपको इस इतिहास के बारे में बताने की कोशिश करेंगे और साथ ही उस जगह की अपनी यात्रा के बारे में भी बताएंगे जहां 17 नवंबर, 1913 को वह नरसंहार हुआ था। जब हम अपनी बांसवाड़ा यात्रा की योजना बना रहे थे तब हमें इस स्थान के बारे में पता चलता है जहां वर्तमान में राजस्थान सरकार द्वारा वर्ष 2002 में एक शहीद स्मारक बनाया गया। इस नरसंहार के इतिहास को जानने के बाद हमने तय किया कि हम अपनी बांसवाड़ा यात्रा के दौरान इस स्थान का दौरा करेंगे। यह बांसवाड़ा शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर है और मानगढ़ पहाड़ी तक सड़क की स्थिति अच्छी थी और बांसवाड़ा शहर से इस स्थान तक पहुँचने में हमें लगभग 1.5 से 2 घंटे का समय लगा। मानगढ़ धाम से लगभग 5 किमी दूर से हम मानगढ़ पहाड़ी और यहां तक ​​कि पहाड़ी की चोटी पर स्मारक भी देख सकते थे। बहुत तेज हवा चल रही थी...कुछ पर्यटक सेल्फी और तस्वीरें ले रहे थे और कुछ लोग लोकेशन का आनंद ले रहे थे। स्मारक को खूबसूरती से बनाया गया है और यह वास्तव में अच्छा है कि देर स...