बाबा साहब के मोटिवेशन

  1. डॉ भीमराव अंबेडकर पर नारा
  2. बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का लोकतांत्रिक समाजवाद
  3. बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 35 अनमोल विचार
  4. कार्टूनों में बाबा साहब का मजाक उड़ाने वाले आज उनकी पूजा कर रहे हैं!
  5. baba saheb ambedkar ke motivtion Archives
  6. भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय
  7. बाबा साहब आंबेडकर की वे पांच किताबें जो सभी को पढ़नी चाहिए


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डॉ भीमराव अंबेडकर पर नारा

डॉ भीमराव अंबेडकर हमारे देश के एक महान राजनेता, कानूनविद और मानवतावादी थे। यही कारण है कि उन्हें हमारे देश के लाखों लोग अपना आदर्श और प्रेरणा स्त्रोत मानते है। वह अपने समय के उच्चतम शिक्षित नागरिकों में से एक थे, इसके साथ ही भारत के संविधान निर्माण में उनका अहम योगदान था। डॉ भीमराव अंबेडकर या जिन्हें प्रेम से लोग बाबा साहब अंबेडकर के नाम से बुलाते हैं, उन्होंने अपने पुरे जीवन दलितों और पिछड़ो के उत्थान के लिए कार्य किये। भीमराव अम्बेडकर पर निबंध के लिए यहां क्लिक करें डॉ भीमराव अंबेडकर पर नारा (Slogans on Dr. Bhimrao Ambedkar in Hindi) ऐसे कई अवसर आते हैं जब आपको डॉ भीमराव अंबेडकर से जुड़े भाषणों, निबंधो या स्लोगन की आवश्यकता होती है। यदि आपको भी डॉ भीमराव अंबेडकर से जुड़े ऐसे ही सामग्रियों की आवश्यकता है तो परेशान मत होइये हम आपकी मदद करेंगे। हमारे वेबसाइट पर डॉ भीमराव अंबेडकर से जुड़ी तमाम तरह की सामग्रियां उपलब्ध हैं, जिनका आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। हमारे वेबसाइट पर डॉ भीमराव अंबेडकर, अंबेडकर जयंती और महापरिनिर्वाण दिवस के लिए विशेष रुप से तैयार किए गये कई सारे स्लोगन उपलब्ध हैं। जिनका उपयोग आप अपने भाषणों या अन्य कार्यों के लिए अपनी आवश्यकता के अनुसार कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारे वेबसाइट का उपयोग कर सकते हैं। Unique and Catchy Slogans on Bhimrao Ambedkar बाबा साहब हैं हमारे आदर्श, उनके मूल्यों की रक्षा हेतु करेंगे हम संघर्ष। अपने कार्यों द्वारा बाबा साहब ने पाया हर जगह सम्मान, इसलिए तो कहे जाते हैं वह महान। संविधान निर्माण कर बाबा साहब ने किया लोगों का उद्धार, देकर लोगों को अधिकार किया उनके सपनों को साकार। हमारे देश के संविधान...

बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर का लोकतांत्रिक समाजवाद

बाबा साहब यह बखूबी जानते थे कि राजनीतिक, सामाजिक समानता स्थापित करने के लिए आर्थिक समानता ज़रूरी है। राजनीतिक समानता स्थापित करने के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता ज़रूरी है और सामाजिक समानता स्थापित करने के लिए राजनीतिक और आर्थिक समानता स्थापित करना जरूरी है। तीनों ही सिद्धांत एक दूसरे के लिए जरूरी हैं, एक का अभाव सभी का अभाव बनता है। इस देश को लोकतंत्र के स्तंभों पर खड़ा करने में एक लंबी लडाई लड़ी गई है, जो आज खतरे में है। जब हमआर्थिक असमानता को बढ़ते और लोकतांत्रिक समाजवाद को आसान शब्दों में समझें तो यह एक राजनीतिक विचारधारा है, जो राजनीतिक लोकतंत्र के साथ उत्पादन के साधनों के सामाजिक स्वामित्व की वक़ालत करती है। इसका अधिकतर ज़ोर समाजवादी आर्थिक प्रणाली में लोकतांत्रिक प्रबंधन पर रहता है। ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट्स फेडरेशन के अध्यक्ष के रूप में बाबा साहब आंबेडकरने भारतीय संविधान सभा में आजादी के बाद अनुसूचित जाति और जनजाति के हितों की रक्षा के लिएकुछ प्रस्ताव रखे थे। इन्हीं प्रस्तावों में से एक प्रस्ताव भारत की अर्थव्यवस्था को पुर्नगठित कर ‘स्टेट सोशलिज्म’ बनाना था, जिसे व्यापक परिपेक्ष्य में डेमोक्रेटिक सोशलिज्म (लोकतांत्रिक समाजवाद) के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इसे समझने के लिए पहले बाबा साहब के लोकतंत्र की संकल्पना को समझते हैं। बाबा साहब के अनुसार आधुनिक राजनीतिक लोकतंत्र निम्नलिखित आधारों पर आधारित है: • व्यक्ति अपने आप में एक ‘अंत’ है। इसका अर्थ है कि व्यक्ति रेशनल (तार्किक) और सोवरेन है। वह किसी और के लिए कुछ पाने का साधन नहीं है बल्कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए है, उसका अपना महत्व है। • व्यक्ति के पास कुछ अहरणीय अधिकार होते हैं जिनकी गारंटी उसे संविधान द्वा...

बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 35 अनमोल विचार

वो कहते है न इन्सान अपने जन्म से नही बल्कि कर्मो से महान बनता है ऐसा ही कुछ बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर के साथ हुआ था उनका जन्म भले ही एक अछूत माने वाली जाति में हुआ हो लेकिन जीवन के संघर्ष से यह बता दिया की हम इन्सान चाहे अमीर, गरीब, किसी भी जाति में पैदा हो ये फर्क नही पड़ता है लेकिन आप क्या कर रहे है इसका आपके ऊपर जरुर फर्क पड़ता है. Quotes:-3 जीवन लम्बा नही बल्कि बड़ा और महान होना चाहिए. Quotes:-4 हम सबसे पहले और अंत में भी भारतीय है. Quotes:-5 यदि मुझे लगेगा की सविंधान का दुरूपयोग हो रहा है तो सबसे पहले मै इस सविंधान को ही जलाऊंगा. Quotes:-6 कौन सा समाज कितना तरक्की कर चूका है इसको जानने के लिए उस समाज के महिलाओ की डिग्री देख ले. Quotes:-7 जो कौम अपना इतिहास तक नही जानती है वे कौम कभी अपना इतिहास भी नही बना सकती है. Quotes:-8 भाग्य में विश्वास रखने के बजाय अपने शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए. Quotes:-9 एक इतिहास लिखने वाला इतिहासकार सटीक, निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए. Quotes:-10 मानव के बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए. Quotes:-11 हिन्दू धर्म में कारण, विवेक और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नही है. Quotes:-12 समानता एक कल्पना हो सकता है लेकिन इसे गवर्निंग सिद्धांत के रूप से स्वीकार करना जरुरी है. Quotes:-13 एक महान व्यक्ति एक प्रतिष्ठ्ताप्राप्त व्यक्ति से हमेसा इस तरह अलग होता है की वह कभी भी समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है. Quotes:-14 शिक्षित बने, संघटित रहे और संघर्ष करे. Quotes:-15 उदासीनता एक ऐसे किस्म की बीमारी है जो किसी को प्रभावित कर सकती है. Quotes:-16 इन्सान का जीवन स्वन्त्रत है इन्सान समाज के विकास के लिए ...

कार्टूनों में बाबा साहब का मजाक उड़ाने वाले आज उनकी पूजा कर रहे हैं!

सौ साल से भी कम समय में वक्त कैसे बदलता है, इसकी ये शानदार मिसाल है. हालांकि कोई कह सकता है कि 70 या 80 साल पहले अखबारों और पत्रिकाओं में किसी शख्स पर कैसे कार्टून छपे, इस पर अब बात क्यों की जानी चाहिए. कार्टून ही तो हैं, जिसको मजा लेना होगा, उन्होंने लिया होगा. जिन्हें बुरा लगा होगा, वे सब भी मर-खप गए होंगे. ये सच है कि वे पत्र-पत्रिकाएं इतिहास में खो चुकी हैं या किसी लाइब्रेरी में धूल खा रही हैं या हो सकता है कि दीमक उन्हें चाट चुके हों. कुछ पत्रिकाओं और अखबारों का नसीब ठीक रहा होगा तो माइक्रोफिल्म या डिजिटल फॉर्मेट में उन्हें बदला जा चुका होगा, जिसे कभी कोई रिसर्चर देखने आएगा. ऐसे ही एक रिसर्चर हैं दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के आर्ट एंड एस्थेटिक्स डिपार्टमेंट से पीएचडी कर रहे उन्नमति श्याम सुंदर, जो खुद भी श्याम के नाम से कार्टून बनाते हैं. उन्होंने बाबा साहब भीम राव आंबेडकर पर उस दौर में बने कार्टूनों का अध्ययन किया है. उनका ये प्रयास अब एक दरअसल श्याम जब इन कार्टूनों की खोज में निकले, तब उनका इरादा किताब लिखने का नहीं था. 2012 में एनसीईआरटी की समाज विज्ञान की किताब में बाबा साहब और नेहरू के एक कार्टून को लेकर यह भी पढ़ें: श्याम का इरादा बाबा साहब के बारे में छपे अन्य कार्टूनों को इस कमेटी की सौंपना था. इस क्रम में वे देश भर की लाइब्रेरी की खाक छानते रहे. कई स्थानों पर उन्होंने पुस्तकालयों के अधिकारियों को बताया कि वे गांधी के कार्टून ढूंढ रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने अनुभव से ऐसा समझ में आया कि बाबा साहब के कार्टून ढूंढने की बात करने से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है. आखिरकार उन्हें बाबा साहब के 112 कार्टून मिले, जो इस किताब में संकलित हैं. इस किताब और इसमें...

baba saheb ambedkar ke motivtion Archives

भारत के संविधान निर्माण में बाबासाहेब अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा उन्होंने भारत को एक ऐसा संविधान दिया जो पंथनिरपेक्ष और भारतीय हितों की रक्षा करने वाला हो। आज भी उनके संविधान का अनुसरण पूरा भारत सच्चे मन से करता है। उनकी दूरदृष्टि का परिचय भारतीय संविधान से लगा सकते हैं। अंबेडकर जी ने विभिन्न … Categories Tags

भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय

सहृदय नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित महू में हुआ था जिसका नाम आज बदल कर डॉ.अंबेडकर नगर रख दिया गया था। डॉ भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। डॉ भीमराव अंबेडकर जाति से दलित थे। उनकी जाति को अछूत जाति माना जाता था। इसलिए उनका बचपन बहुत ही मुश्किलों में व्यतीत हुआ था। बाबासाहेब अंबेडकर सहित सभी निम्न जाति के लोगों को सामाजिक बहिष्कार, अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता था। आइए और इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi के बारे में विस्तार से। जन्म 14 अप्रैल 1891 मध्य प्रदेश, भारत में जन्म का नाम भिवा, भीम, भीमराव, बाबासाहेब अंबेडकर अन्य नाम बाबासाहेब अंबेडकर राष्ट्रीयता भारतीय धर्म बौद्ध धर्म शैक्षिक सम्बद्धता • मुंबई विश्वविद्यालय (बी॰ए॰) • कोलंबिया विश्वविद्यालय (एम॰ए॰, पीएच॰डी॰, एलएल॰डी॰) लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स (एमएस०सी०,डीएस॰सी॰) ग्रेज इन (बैरिस्टर-एट-लॉ) पेशा विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद्दार्शनिक, लेखक पत्रकार, समाजशास्त्री, मानवविज्ञानी, शिक्षाविद्, धर्मशास्त्री, इतिहासविद् प्रोफेसर, सम्पादक व्यवसाय वकील, प्रोफेसर व राजनीतिज्ञ जीवन साथी रमाबाई अंबेडकर (विवाह 1906- निधन 1935) डॉ० सविता अंबेडकर ( विवाह 1948- निधन 2003) बच्चे यशवंत अंबेडकर राजनीतिक दल शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन स्वतंत्र लेबर पार्टी भारतीय रिपब्लिकन पार्टी अन्य राजनीतिकसंबद्धताऐं सामाजिक संगठन: • बहिष्कृत हितकारिणी सभा • समता सैनिक दल शैक्षिक संगठन: • डिप्रेस्ड क्लासेस एज्युकेशन सोसायटी • द बाँबे शेड्युल्ड कास्ट्स इम्प्रुव्हमेंट ट्रस्ट • पिपल्स एज्युकेशन सोसायटी धार्मिक संगठन: भारतीय बौद्ध महासभा पुरस्क...

बाबा साहब आंबेडकर की वे पांच किताबें जो सभी को पढ़नी चाहिए

बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर को ‘ बाबा साहब पर भी यह कथन लागू होता है कि उन्हें प्रासांगिक बनाए रखने के लिए हमें उनके विचारों को जानने के साथ-साथ उन्हें प्रसारित करने की ज़रूरत है। इसके लिए हमें बाबा साहब को पढ़ने यानी उनके द्वारा लिखी गई किताबें पढ़ने की जरूरत है। यूं तो कोई भी व्यक्ति जितना चाहे उतना पढ़ सकता है लेकिन वे पांच किताबें जो कम से कम बाबा साहब को समझने के लिए पढ़ी जानी चाहिए उनकी बात हम आज इस लेख के ज़रिये करने जा रहे हैं। इस किताब में वह जाति को श्रम के विभाजन की बजाय श्रमिकों का विभाजन बताते हैं और हिंदू धर्म में इनका शोषण कैसे होता है, उसे दिखाते हैं। लेकिन वह सिर्फ इस व्यवस्था की गहरी कमियों के साथ साथ यह भी बताते हैं कि कैसे सिर्फ़ एक दूसरे के यहां खाना खा लेने से, अंतर्जातीय विवाह कर लेने से जाति ख़त्म नहीं हो जाएगी। वह पांडित्य के लिए क्वॉलिफिकेशन, एग्जाम कैसे रिफॉर्म का जिक्र भी इस किताब में करते हैं। जाति को ख़त्म करने के उनकी सोच को इस किताब से समझा जा सकता है। » और पढ़ें: 4- शुद्र कौन थे (हू वर द शुद्राज़) यह किताब साल 1946 में प्रकाशित हुई थी जिसे बाबा साहब ने ज्योतिराव फुले को समर्पित किया था। मूल रूप से यह किताब शुद्र वर्ण की उत्पत्ति को लेकर है कि वह अस्तित्व में कैसे आया था। इंडो-आर्यन थियरी के मुताबिक कैसे उन्होंने समाज में चतुर्यवर्ण की नींव रखी जिसमें ब्राह्मण श्रेष्ठ, क्षत्रीय रक्षक, वैश्य व्यापार और शुद्र के हिस्से इन सबकी सेवा और इनके द्वारा नीच समझे जानेवाले काम आए और इस तरह गैर-बराबरी अस्तित्व में आई। ब्राह्मणों ने वेदों का सहारा लेते हुए कैसे उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया और शुद्रों के सिर पर न सिर्फ़ सेवा का भार था बल्कि उन्ह...