बाबाजी की रिकॉर्डिंग

  1. महावतार बाबाजी
  2. Swami Tilak JI
  3. रिंगटोन
  4. The Voice of Babaji and Mysticism Unlocked


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महावतार बाबाजी

शिव महावतार बाबाजी महावतार बाबाजी - Autobiography of a Yogi नामक पुस्तक से एक चित्र, जिसे योगानन्द जी ने स्वयं की ब्बाजी से हुई एक भॆंट के स्मरण के आधार पर बनाया था। जन्म नागराजन ३० नवम्बर २०३ ई. गुरु/शिक्षक खिताब/सम्मान अमर गुरु; महामुनि बाबाजी महाराज, महायोगी; त्र्यम्बक बाबा; शिव बाबा धर्म हिन्दू दर्शन राष्ट्रीयता एक महावतार बाबाजी का नाम दिया जो 1861 और 1935 के बीच महावतार बाबाजी से मिले। इन भेंटों में से कुछ का वर्णन परमहंस योगानन्द ने अपनी पुस्तक एक योगी की आत्मकथा (1946) में किया है इसमें योगानन्द की महावतार बाबाजी के साथ स्वंय की भेट का प्रत्यक्ष वर्णन भी शामिल है। द होली साईंस में दिया था। महावतार बाबाजी का असली नाम और जन्म तिथि ज्ञात नहीं है इसलिए उस अवधि के दौरान उनसे मिलनेवाले उन्हें सर्वप्रथम लाहिरी महाशय द्वारा दी गई पदवी के नाम से पुकारते थे। अनुक्रम • 1 महावतार बाबाजी के साथ मुलाकातें, 1861-1966 • 1.1 लाहिरी महाशय • 1.2 महाशय लाहिरी के अनुयायी • 2 महावतार बाबाजी के बारे में पारंपरिक किंवदंतियां • 2.1 कृष्ण के रूप में महावतार बाबाजी • 3 आधुनिक दावे और लोकप्रिय संदर्भ • 4 इन्हें भी देखें • 5 टिप्पणियां • 6 बाहरी कड़ियाँ महावतार बाबाजी के साथ मुलाकातें, 1861-1966 समहावतार बाबाजी के साथ पहली दर्ज मुलाकात 1861 में हुई थी, जब लाहिरी महाशय को ब्रिटिश सरकार के लेखाकार के रूप में नौकरी पर रानीखेत तैनात कर दिया गया था। एक दिन रानीखेत से ऊपर दूनागिरी की पहाड़ियों में घूमते समय उसने किसी को अपना नाम पुकारते सुना. आवाज़ के पीछे-पीछे ऊपर पहाड़ पर चलते हुए उसकी मुलाकात "एक ऊंचे कद के तेजस्वी साधु" से हुई। महावतार बाबाजी ने महाशय लाहिरी को बताया कि वह अतीत में उनके गुरु थे,...

Swami Tilak JI

परम तेज श्री मुख मण्डल से युक्त जप में लीन प्रषांत एवं आत्मानंद में निमग्न महाराज जी के आश्रम में प्रवेष करते ही व्यक्ति न केवल भक्तिभाव में आकर गोते लगाने लगता था अपितु स्वयं भी जाने-अनजाने ऐसी शांति का अनुभव करता था, जिसे शब्दों के द्वारा व्यक्त करना सम्भव नहीं हैं । आज भी यदि आश्रम परिवेष में शांति की विषेष अनुभूति होती है तो बाबाजी की उपस्थिति में कैेसी अनुभूति होती होगी, अब यह अनुमान का ही विषय है । पूज्य बाबाजी का सम्पूर्ण जीवन उपनिषदो के श्लोक का प्रत्यक्ष दिग्दर्षन है, वटवृक्ष के नीचे गुरू मौन बेठे है, और षिष्यों को उपदेष दे रहे है । उनका व्यवहार ही सिद्धांत था । उनके कर्म ज्ञान की तरह पवित्र थे । जो व्यक्ति जिस कामना से आया, यदि वह बाबाजी की दृष्टि में उचित पात्र था, तो उसकी मनोकामना पूर्ण हुई । बच्चों को वे अपने पितामह की तरह प्रिय लगते थे और बाकी उन्हें दादाजी कहकर पुकारते थे । चिकित्सा का उन्हें दिव्य ज्ञान था, तथा आस-पास और दूर-दूर के रूग्ण व्यक्ति उनकी झोली की दवाओं से चमत्कारी लाभ प्राप्त करते थे । अतः उनके लिए वे धनवन्तरी की तरह पूज्य थे । संतो के लिए उनके जैसा उदार एवं महान संत दूर-दूर तक नहीं था । उनके लिए वैष्णव एवं सन्यासी में कोई अंतर नहीं था, सबके साथ एक जैसा स्वभाव, सम्मान एवं समता मूलक व्यवहार उनकी विषेषता थी । बाबाजी की अमृतवाणी ‘‘बेटा! दुनिया में साधु-महात्माओं की कोई कमी नहीं है । आदमी चाहिए । आदमी बनने की कोषिष करो ।’’ ‘‘नारी से मोहित न होने वाला ही महावीर है । सब पर समान रूप से प्रेम रखने वाला ही ज्ञानी है । क्रेाध को विजय करने वाला ही सच्चा विजेता है ।’’ ‘‘मुझे परम संतोष है कि तुमने सत्य कहना सीख लिया है । किन्तु जिस प्रकार तुम दूसरों के दोषों...

रिंगटोन

अनुक्रम • 1 पृष्ठभूमि • 2 इतिहास • 3 रिंगटोन निर्माता • 4 रिंगटोन व्यापार • 4.1 बिलिंग विवाद • 4.1.1 मुकदमे • 4.1.1.1 जेम्स्टर • 4.1.1.2 सेटरफील्ड बनाम साइमन एवं स्कस्टर • 4.1.2 पब्लिक यूटिलिटीज़ आयोग की शिकायत • 5 रिंगटोन के प्रकार • 6 रिंगटोन संकेतन प्रारूप • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियाँ पृष्ठभूमि [ ] अपने नेटवर्क द्वारा आने वाली कॉल को इंगित किये जाने पर फ़ोन आवाज "रिंग" करता है तथा अपने प्रयोगकर्ता को इसकी सूचना देता है। टेलीफोन "रिंग" किसी आने वाली टेलीफोन कॉल को दर्शाने के लिए की जाने वाली ध्वनि होती है। इस शब्द की उत्पत्ति इस तथ्य से मानी जाती है जब शुरूआती टेलीफोनों में घंटियां तथा हालांकि उत्पन्न ध्वनि को अभी भी "रिंग" ही कहा जाता है, आधुनिक टेलीफोन इलेक्ट्रौनिक प्रयोग से द्रुत उतार-चढ़ाव के साथ संगीत, चहचहाने की अथवा अन्य ध्वनियां उत्पन्न करते हैं। रिंग संकेतों की विविधता का प्रयोग आने वाली कॉल की विशेषताओं के लिए किया जा सकता है (उदाहरण के लिए कम समय अंतराल के साथ की रिंग किसी विशेष नंबर से आने वाली कॉल को दर्शाने हेतु प्रयोग की जा सकती है). कोई रिंगिंग संकेत एक विद्युत टेलीफोन सम्बन्धी संकेत होता है जो टेलीफोन द्वारा प्रयोगकर्ता को आने वाली कॉल की सूचना देता है। पीओटीएस टेलीफोन प्रणाली में ऐसा करने के लिए रिंगिंग करेंट भेजा जाता है, जो लगभग 100 वोल्ट का कम्पायमान डीसी करेंट [संयुक्त राज्य अमेरिका में 90 वोल्ट एसी तथा 20 हर्ट्ज़] होता है। कम्पायमान डीसी में क्रमिक पोलैरिटी नहीं होती है; यह शून्य से अधिकतम वोल्टेज तथा वापस शून्य तक कम्पायमान होता है। आजकल इस संकेत को अपनी यात्रा के अधिकांश भाग में डिजिटल रूप में भेजा जा सकता है, सिर्फ अंत में उ...

The Voice of Babaji and Mysticism Unlocked

बाबाजी की वाणी क्रिया योग पर एक ग्रन्थत्र पुस्तक-१ रहस्यवाद का प्रकटीकरण 'बाबाजी की वाणी व रहस्यवाद का प्रकटीकरण', 'बाबाजी द्वारा कथित सभी बुराईयों की सर्वकुन्जी क्रिया' और 'मृत्यु की मृत्यु (क्रिया)', जिनका हिंदी अनुवाद तीन अलग अलग पुस्तकों में प्रकाशित किया जा रहा है, जिनमें संसार के महानतम व जीवित आध्यात्मिक गुरु के गहनतम व महत्वपूर्ण कथन सम्मिलित हैं। इनके लेखक सद्गुरु बाबाजी नागराज, ने यह भविष्यवाणी की थी कि ये पुस्तकें अन्तत: क्रिया योग के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रेरणा व प्रोत्साहन का एक प्रभावशाली स्रोत सिद्ध होंगी: यह उद्देश्य है विविधता में एकता, विश्व शांति व ईश्वरानुभूति। ये रचनाएँ एक रत्न के समान हैं जो उन सबको प्रेरणा प्रदान करेंगी जो एक उन्नत जीवन जीने की अभिलाषा रखते हैं। सन् 1952 एवं 1953 के दौरान, बाबाजी रात्रि के समय अपने "परम प्रिय पुत्र", एक रहस्यवादी एवं आदरणीय पत्रकार वी.टी. नीलकांतन के भारत के तमिलनाडु प्रान्त के एग्मोर में स्थित गृह में प्रकट हुआ करते थे। बाबाजी चाहते थे कि उनके शिष्य नीलकांतन और उसके "द्वितीयार्द्ध" (बाबाजी के प्रिय पुत्र) श्री ऐस.ए.ए. रमैया: क्रिया योग आंदोलन में एक नवीन अध्याय का प्रारम्भ करने के लिए उनकी शिक्षाओं को लिपिबद्ध करें। उन्होंने कहा था कि इन पुस्तकों के प्रकाशन द्वारा, उनका क्रिया योग विश्व के कोने-कोने में प्रसारित हो जायगा। बाबाजी ने इन तीन पुस्तकों को, वी.टी. नीलकांतन को लिखवाया तथा उसने उनको शब्दश: लिपिबद्ध किया। ये पुस्तकें पाठक को शाश्वत सत्यों को व्यवहारिक रूप में अपनाने में और बाबाजी क्रिया योग को, जो परिपूर्ण रूप में ईश्वरीय परम सत्य की प्राप्ति की वैज्ञानिक कला है, सीखने में प्रेरणा देंगी। by V.T.Neela...