बादला जोधपुर

  1. जोधपुर का प्रसिद्ध “बादला ” निम्न में से क्या है ?
  2. राजस्थान में हस्त कलाएं – Study Material
  3. Rajasthan Handicrafts राजस्थान की हस्तशिल्प
  4. राजस्थान की हस्तकला
  5. Jodhpur District In Hindi
  6. कायलाना झील


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जोधपुर का प्रसिद्ध “बादला ” निम्न में से क्या है ?

Practice Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board previous year question for upcoming examination. Recently RSMSSB conduct recruitment examination for Common Eligibility Test posts, in which जोधपुर का प्रसिद्ध “बादला ” निम्न में से क्या है ? question was asked. RSMSSB CET 12th Shift I Exam (04 February 2023) questions will be helpful for aspirants who are preparing for competitive examination. For last 10 years, 5 Years RSMSSB Previous Years Questions (PYQ) subscribe our website. Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board Common Eligibility Test Exam Mock Test It's important to note that practicing previous year's Common Eligibility Test exam questions can be a useful way to prepare for the exam and understand the exam pattern and question types. However, relying solely on previous year's questions may not be enough to score well on the actual exam, as the exam content and structure may change every year. It's essential to refer to the official syllabus, study materials, and practice mock tests to prepare effectively for the future RSMSSB Common Eligibility Test exam. Best way to prepare for upcoming RSMSSB exam The Rajasthan Subordinate and Ministerial Services Selection Board (RSMSSB) conducts various exams for recruitment to various government jobs every year. Here are some tips on how to prepare for the upcoming RSMSSB exam: • Understand the exam pattern and syllabus: It's essential to understand the exam pattern and syllabus t...

राजस्थान में हस्त कलाएं – Study Material

• राजस्थान में ऊर्जा संसाधन • राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था : स्थानीय स्वशासन • राजस्थान में वन सम्पदा • वन्य जीव एवं अभ्यारण्य • राजस्थान में परिवहन - वायु • राजस्थान में परिवहन - रेल • राजस्थान में परिवहन - सड़क • राजस्थान में खनिज सम्पदा • राजस्थान में स्थापत्य कला - हवेलियां • राजस्थान में हस्त कलाएं • राजस्थान में स्थापत्य कला - छतरियां • राजस्थान में स्थापत्य कला - महल • राजस्थान में स्थापत्य कला - दुर्ग • राजस्थान का इतिहास - बीकानेर का राठौड़ वंश • राजस्थान का इतिहास - अजमेर के चौहान • राजस्थान का इतिहास - आमेर का कछवाह वंश • राजस्थान का इतिहास - जोधपुर के राठौड़ • राजस्थान का इतिहास - गुहिल राजवंश • राजस्थान का इतिहास - प्रतिहार राजवंश • राजस्थान का प्राचीन इतिहास • राजस्थान का सामान्य परिचय • राजस्थान में चित्रकला • राजस्थान में प्रजामण्डल आंदोलन • राजस्थान में किसान एवं आदिवासी आंदोलन • राजस्थान का स्थिति एवं विस्तार • राजस्थान की प्रशासनिक व्यवस्था : राज्य स्तरीय • राजस्थान की जलवायु • राजस्थान में औद्योगिक विकास • राजस्थान की जनगणना - 2011 • राजस्थान की लोकदेवियां • जीणमाता - सीकर (राजस्थान) • करणी माता - देशनोक (बीकानेर) • राजस्थान के लोकगीत • राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएं • राजस्थान की झीलें • राजस्थान की नदियां - आतंरिक अपवाह तंत्र • राजस्थान की नदियां - अरब सागर का अपवाह तंत्र • राजस्थान की नदियां - बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र • राजस्थान के लोक देवता • राजस्थान के प्रमुख पशु मेले • राजस्थान के प्रमुख मेले • राजस्थान के त्यौहार • राजस्थान में कृषि • राजस्थान के व्यावसायिक लोकनृत्य • राजस्थान में प्रथम • राजस्थान के जातीय लोकनृत्य • राजस्थान का एकीकरण • राजस्थ...

Rajasthan Handicrafts राजस्थान की हस्तशिल्प

Page Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राजस्थान की हस्तशिल्प हस्तशिल्प मीनाकारी मीनाकारी का कार्य सोने से निर्मित हल्के आभूषणों पर किया जाता है । मीनाकारी जयपुर के महाराजा मानसिंह प्रथम लाहौर से अपने साथ लाए ।लाहौर में यह काम सिक्खों द्वारा किया जाता था ।जहां फारस से मुगलों द्वारा लाया गया । मीनाकारी के कार्य की सर्वोत्तम कृतिया जयपुर में तैयार की जाती है ।जयपुर में मीना का कार्य सोना चांदी और तांबे पर किया जाता है । लाल रंग बनाने में जयपुर के मीना कार कुशल है । प्रतापगढ़ की मीनाकारी थेवा कलाकहलाती है ।प्रतापगढ़ में कांच पर थेवा कला का कार्य किया जाता है। मीना का काम फाइनीशियामें सर्वप्रथम किया जाता था। कुदरत सिंहको पद्मश्री से अलंकृत किया गया है। मीना कार्य नाथद्वारा में भी किया जाता है । महेश सोनी, राम प्रसाद सोनी, रामविलास ,बेनीराम ,जगदीश सोनी ,को राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं । कागज़ जैसी पतली चद्दर पर मीना करने में बीकानेर के मीना कार सिद्धहस्त है । तांबे पर सफेद ,काला और गुलाबी रंग का काम ही होता है।पुराने मीना की कारीगरी अधिक मूल्यवान समझी जाती है। ब्लू पॉटरी (Blue pottery) चीनी मिट्टी के सफेद बर्तनों पर किए गए नीले रंग के अंकन को ब्लू पॉटरीके नाम से जाना जाता है जयपुर काम के लिए विश्व विख्यात हैइसका आगमन पर्शिया(ईरान) से हुआ है इसको प्रारंभ मानसिंह प्रथम ने किया। सर्वाधिक विकास सवाई रामसिंह प्रथम के काल में हुआ था।राजस्थान में इस कला को सम्मान दिलाने और इसका प्रचार करने के लिए कृपाल सिंह शेखावतका नाम बहुत मान से लिया जाता है भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से अलंकृत किया है मुगल बादशाहों के संबंध के कारण आगरा और दिल्ली से जयपुर लाया...

राजस्थान की हस्तकला

राजस्थान की हस्तकला पूरे राजस्थान की हस्तकलाएँ • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राजस्थानी साड़ियाँ • फूल-पत्ती की छपाई वाली साड़ियाँ- जोबनेर (जयपुर) में बनाई जाती हैं। • स्प्रे पेन्टिंग्स की साड़ियाँ - • सानिया साड़ियाँ - • सूंठ की साड़ियाँ - • बंधेज की साड़ियाँ - • चुनरी, लहरिया व पोमचे - बन्धेज का कार्य • बन्धेज के कार्य के लिए • लहरिया, चुनरी व पौमचे जयपुर के प्रसिद्ध है। • सर्वोत्तम किस्म की बन्धेज के लिए शेखावटी क्षेत्र प्रसिद्ध हैं साफ़ा - • बावरा:- पांच रंग युक्त बन्धेज का साफा। • मोठडा - दो रंग युक्त बंधेज का साफा। कढ़ाई एवं कसीदाकारी का कार्य • इस कार्य के लिए शेखावटी क्षेत्र प्रसिद्ध है। • कपड़े पर कांच की कढ़ाई के लिए ज़री-गोटे का कार्य • ज़री-गोटे के कार्य के लिए • गोटा-किनारी की बल्कि शैली के लिए खण्डेला ( • गोटे के प्रकार - लप्पा, लप्पी, लहर, किरण, गोखरू बांकडी, नक्षी, सितारा दबका आदि। गलीचे, नमदे व दरियां • गलीचों के लिए जयपुर प्रसिद्ध है। • बीकानेर जेल में वियना तथा फारसी डिजाइन में गलीचे तैयार किए जाते है, जो विष्व प्रसिद्ध है। • नमदों के लिए • • गांव - सालावस (जोधपुर), टाकला (नागौर), लवाण (दौसा) दरी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। • खेस के लिए चैमूं (जयपुर) प्रसिद्ध है। • खेसला के लिए लेटाग्राम (जालौर) प्रसिद्ध है। • लेटागांव को सौ बुनकरों का गांव कहते हैं। कुट्टी / पेपर पेशी • कुट्टी / पेपर मेशी कार्य के लिए सांगानेर (जयपुर) प्रसिद्ध है। अन्य हस्त कलाएँ • तलवार निर्माण के लिए सिरोही प्रसिद्ध है। • खेल का सामान के लिए • कृषि यंत्र के लिए गजसिंहपुर, सांगरिया प्रसिद्ध है। • आधुनिक कृषि यंत्र के लिए कोटा प्रसिद्ध है। • गरासियों की फाग के लिए सोजत (पाली) प्रस...

Jodhpur District In Hindi

सामान्य परिचय – स्‍थापना – जोधपुर की स्‍थापना से पूर्व मारवाड़ की राजधानी मण्‍डोर थी। राव जोधा ने चिड़ि‍यानाथ जी की टूक पहाड़ी पर ज्‍येष्‍ठ शुक्‍ल एकादशी, शनिवार 12 मई, 1459 ई. को मेहरानगढ़ की नींव डालकर जोधपुर की स्‍थापना की। 10 मई 1933 से इसे जोधपुर के नाम से जाना जाता है इससे पूर्व इसे राव जोधाजी का फलसा,जोधाना, मारवाड़ आदि नामों से जाना जाता था। उपनाम मरुस्थल का प्रवेश द्वार, राजस्थान की सूर्य नगरी (सन सिटी),ब्लू सिटी,मरुकांतर प्रदेश,मरुप्रदेश, मारवाड़,पोलो का घर जिला शुभंकर कुरंजा RJ RJ – 19 – जोधपुर RJ – 23 – फलौदी कुल क्षेत्रफल कुल क्षेत्रफल – 22,850 वर्ग किलोमीटर नगरीय क्षेत्रफल – 280.97 वर्ग किलोमीटर ग्रामीण क्षेत्रफल – 22,569.03 वर्ग किलोमीटर अक्षांशीय विस्तार 26°0′ से 27°37′ उत्तरी अक्षांश देशांतरीय विस्तार 72°55′ से 73°52′ पूर्वी देशान्‍तर कुल वनक्षेत्र 338.03 वर्ग किलोमीटर पङोसी जिले नागौर,जैसलमेर, पाली, बीकानेर, बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र जोधपुर विधानसभा क्षेत्र 10 -फलौदी, लोहावट, शेरगढ़, ओसियाँ, भोपालगढ़, सरदारपुरा, जोधपुर, सूरसागर, लूणी, व बिलाड़ा उपखण्‍ड 5 तहसीलें 7 – जोधपुर, फलौदी, शेरगढ़, भोपालगढ़, ओसियां, लूणी, बिलाड़ा उपतहसीलें 4 ग्राम पंचायतें 339 वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आंकड़े – कुल जनसंख्या 36,87,165 पुरुष 19,23,928 स्त्री 17,63,237 दशकीय वृद्धि दर 27.7% जनसंख्या घनत्व 161 लिंगानुपात 916 साक्षरता दर 65.9% पुरुष साक्षरता 79% महिला साक्षरता 51.8% कुल पशुधन 35,90,264 कुल पशु घनत्‍व 157 राजस्थान जिला दर्शन हिंदी में | जोधपुर जिला दर्शन जलाशय / जलस्‍त्रोत – जोधपुर में बहने वाली नदियाँ –लूनी, जोजरी, मीठड़ी,सुकड़ी अन्य जलाशय –फलौदी-खारे पानी की झील। • का...

जोधपुर

जोधपुर शहर की स्थापना राठौड़ वंश के शासक राव जोधा ने 1459 में की। जोधपुर जिला राजस्थान के पश्चिम भाग में स्थित है। जोधपुर राजस्थान का दुसरा सबसे बड़ा शहर है। यह सुर्यनगरी एवं थार मरूस्थल का प्रवेश द्वार के नाम से प्रसिद्ध है। दुर्ग के आस पास नीले मकानों के कारण इसे“नीली नगरी” के नाम से भी जाना जाता है। गुजर्रात्रा - जोधपुर का दक्षिणी भाग (भौगोलिक नाम) ओसीयां - ओसीयां सभ्यता जोधपुर। क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर (मारवाड़)। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा संभाग। सर्वाधिक अन्तराष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग जोधपुर। अन्तराष्ट्रीय सीमा से सर्वाधिक दुर संभागीय मुख्यालय। जोधपुर एक अन्तवर्ती जिला है, जिसकी सीमा किसी भी अन्य राज्य या देश से नहीं लगती। राजस्थान में कम आर्द्रता वाला स्थान फलौदी जोधपुर। (जलवायु) राजस्थान व भारत का सबसे गर्म स्थान फलोदी। लनी नदी पर जोधपुर में जसवन्त सागर बांध बना है। जोजड़ी नदी जोधपुर में बहते हुए जोधपुर के दधिया गांव में लूनी में मिल जाती है। इन्दिरा गांधी नहर से एक शाखा फलोदी लिफ्ट नहर है जिसका नया नाम गुरू जम्मेश्वर जलोउत्थान योजना है। बालसमन्द झील (मीठे पानी की झील) - जोधपुर मण्डोर मार्ग पर स्थित है। इसका निर्माण 1159 में परिहार शासक बालकराव ने करवाया। इस झील के मध्य महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल बनाया। कायलाना झील (मीठे पानी की झील) - इसका निर्माण प्रताप सिह ने करवाया था। फलोदी - खारे पानी की झील (जोधपुर)। जोधपुर में रोहिंडे को मारवाड़ टीक के नाम से जाना जाता है। मेहरानगढ़ दुर्ग -मेहरानगढ दुर्ग त्रिकुट पहाड़ी पर 125 मिटर की ऊंचाई पर स्थित विशाल दुर्ग है। इसमें फुलमहल, मोती महल, अंगार चैकी, चामुण्डा देवी का मदिर आद...

कायलाना झील

जोधपुर के बाहरी इलाके में स्थितए सुरम्य कायलाना झील एक लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है जो निर्मल जल और भव्य आसमान का परिदृश्य प्रदान करता है। यह विशाल मानव निर्मित झीलए 84 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हैए यहाँ आप आसपास की सुंदरता देखने के लिए नौका विहार का आनंद ले सकते हैं। झील प्रताप सागर नमक उद्यान से घिरा हुआ हैए जो सूर्यास्त के दौरान पक्षियों को देखने के लिए सर्वोत्तम स्थान है। सर्दियों मेंए साइबेरियन क्रेन यहां बड़े झुंडों में प्रवास करते हैंए और आगंतुकों को अपने प्राकृतिक आवास में देखने का मौका देते हैं। किनारों पर आग्नेय चट्टान की संरचनाओं के साथ कायलाना का तट बबूल के पेड़ों के घेरे में खूबसूरती के साथ भर जाता है। कायलाना झील प्रताप सिंह द्वारा 1872 में बनाई गई थी और एक समय पर जोधपुर के दो शासकों . भीम सिंह और तखत सिंह द्वारा बनाए गए महलों और उद्यानों से घिरी हुई थीए जिन्होंने 19वीं शताब्दी के दौरान जोधपुर पर शासन किया था। और पढ़े