बाल विकास की अवस्थाएं pdf

  1. बाल विकास की अवस्थाएं (Stages of Child Development)
  2. बाल विकास की अवस्थाएँ pdf download
  3. विकास की अवस्थाएं बताइए। (Stages of Development)
  4. बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
  5. बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ
  6. बाल विकास की अवस्थाएं? ( Baal vikaas kee avasthaen )


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बाल विकास की अवस्थाएं (Stages of Child Development)

बाल विकास की अवस्थाएं (Stages of Child Development) कोल, जान्स, सैले, काल्सनिक आदि विद्वानों के वर्गीकरण के आधार पर हम विकास की अवस्थाओं को निम्नलिखित भागों में विभक्त कर सकते हैं- 1. ‘फ्रायड’ (Froied) ने लिखा है- “मानव शिशु जो कुछ बनता है, जीवन के प्रारम्भिक चार-पाँच वर्षों में ही बन जाता है। “The little human being is freequenlty a finished product in his four or fifth year.” इस प्रकार से स्पष्ट हो जाता है कि बालक की शैशवावस्था या शैशव काल उसके जीवन का क्रम निश्चित करने वाला समय है। • • 2. बालक के विकास की सभी अवस्थाएँ अपने में अलग-अलग विशेषताएँ लिये हुए हैं। बाल्यावस्था, जिसका समय विद्वानों ने 6 वर्ष से 12 वर्ष तक माना है, बालक के जीवन का अनोखा काल माना जाता है। • • 3. मानव विकास की सबसे विचित्र एवं जटिल अवस्था किशोरावस्था है। इसका काल 12 वर्ष से 18 वर्ष तक रहता है। इसमें होने वाले परिवर्तन बालक के व्यक्तित्व के गठन में महत्त्वपूर्ण योग प्रदान करते हैं। अत: शिक्षा के क्षेत्र में इस अवस्था का विशेष महत्त्व है। • • • • • 4. वयस्कावस्था (Adulthood)- 18 वर्ष के उपरान्त वयस्कता या प्रौढ़ावस्था, मानव जीवन काल जिसमें पूर्ण शारीरिक और बौद्धिक परिपक्वता प्राप्त हुई है। वयस्कता आमतौर पर 18 से 21 साल की उम्र में शुरू होती है। लगभग 40 वर्ष से शुरू होने वाली मध्य आयु, लगभग 60 वर्ष की आयु के बाद वृद्धावस्था होती है। वृद्धावस्था (Old Age) वृद्धावस्था का तात्पर्य मानव की जीवन प्रत्याशा के निकट या उससे अधिक आयु से है, और इस प्रकार यह मानव जीवन चक्र का अंत है। लगभग 50 से 60 बर्ष से ऊपर की उम्र को वृद्धावस्था कहा जाता है। नियम और व्यंजना में वृद्ध लोग, बुजुर्ग, वरिष्ठ, वरिष्ठ नागरिक, वृद्ध...

बाल विकास की अवस्थाएँ pdf download

बाल विकास की अवस्थाएँ pdf download | Stages of child development in hindi बाल विकास अवस्थाएं (Stage of Child Development) • प्रसवपूर्व (Pre-natal Stage) • शैशवास्था (Infancy) • पूर्व बाल्यावस्था (Early Childhood ) • बाल्यावस्था (Later Childhood ) • किशोरावस्था (Adolescence) 1. प्रसवपूर्व (Pre-natal Stage)- (9 महीना या 280 दिन) – यह अवस्था माता के गर्भाधान (Conception) से शुरू होती है। 2. शैशवास्था (Infancy Stage) -(जन्म 2 वर्ष):- इसे निम्न नामों से जाना जाता है • जीवन का सबसे Important काल • भावी जीवन की आधार शिला • सुन्दर जीवन की नींव रखने की अवस्था • दोहराने की अवस्था (Imitation) • प्रिय लगने वाली अवस्था- (Adorable Period) • इस अवस्था में शिशु पूर्ण रूप से माता-पिता पर निर्भर रहता है उसका व्यवहार मूल प्रवर्तियो पर आधारित होता है। • तेज शारीरिक, मानसिक, अधिगम की अवस्था • नैतिकता (morality) का आभाव होता है। 3. पूर्व बाल्य अवस्था (Early Childhood Stage)- ( 2 – 6 वर्ष) इस अवस्था को निम्न नामों से जाना जाता है :- 1. पूर्व विद्यालयी आयु 2. नर्सरी स्कूल ऐज 3. अतार्किक चिन्तन (Illogical) की अवस्था 4. इसमें बच्चा अनुकरण ( Imitation) द्वारा सीखता है। 5. इस अवस्था में जिज्ञासा (curiosity) ज्यादा होती है। 6. इस अवस्था को खिलौनों की आयु (Toy age) कहा जाता है। 7.यह भाषा अर्जन के लिए संवेदनशील चरण (sensitive period) है 8.इस अवस्था में बच्चा कल्पनाशीलता वाले games में active रूप से भाग लेता है। इस अवस्था की Speciality 1.जीववाद (Animism )- बच्चा सजीव और निर्जीव में अंतर नही कर पता नहीं है। जैसे – किसी बच्चे को अगर दरवाजे से चोट लग जाए तो आप दरवाजे को पीटेंगे तो बच्चा चुप हो जायेगा। बच्चा...

विकास की अवस्थाएं बताइए। (Stages of Development)

विकास की अवस्थाएं (Stages of Development) पर आधारित इस आर्टिकल में हम पढ़ेंगे कि आखिर बालक का विकास किस प्रकार होता है। विकास की अवस्थाएं (Stages of Development) के माध्यम से हम यह जानेंगे कि बालक अपने जीवन में किन किन अवस्थाओं से होकर गुजरता है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम विकास का अर्थ, विकास की विशेषताएं, विकास की अवस्थाएं आदि पर चर्चा करेंगे। बालमनोविज्ञान का यह टॉपिक CTET, UPTET, MPTET, KVS, DSSSB तथा अन्य TET परीक्षाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। विकास का अर्थ विकास बालक में गुणात्मक परिवर्तनों को बताता है जिसके कारण बालक की कार्य क्षमता व कार्य कुशलता में वृद्धि होती है। विकास की विशेषताएं- यह बालक के आंतरिक व बाहरी पक्षों में होने वाला परिवर्तन है। विकास गुणात्मक परिवर्तन है, इस प्रकार के परिवर्तन बालक की कार्य क्षमता से संबंधित वृद्धि को बताते हैं। विकास आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है। विकास विभिन्न अवस्थाओं में क्रमानुसार होने वाला परिवर्तन है। विकास की परिभाषाएं मुनरो के अनुसार“परिवर्तन श्रृंखला की वह अवस्था जिसमें बच्चा भ्रूण अवस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुजरता है, विकास कहलाता है।” हरलॉक के अनुसार“विकास बड़े होने तक ही सीमित नहीं हैं वस्तुतः यह तो व्यवस्थित एवं समानुपात प्रगतिशील क्रम है जो परिपक्वता की प्राप्ति में सहायक होता है।” गैलन के अनुसार“विकास सामान्य प्रयत्न से अधिक महत्व की चीज है विकास का अवलोकन किया जा सकता है एवं किसी सीमा तक इसका मूल्यांकन एवं मापन किया जा सकता है। इसका मापन तथा मूल्यांकन तीन रूपों में किया जा सकता है – शरीर निर्माण, शरीर शास्त्रीय, व्यवहारिक व्यवहार चिह्न विकास के स्तर एवं शक्तियों को विस्तृत रचना करते हैं।” विकास की अवस्थाएं- बालक मे...

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र

दोस्तो आप में से कुछ साथियों ने मुझसे CTET और State TET के लिए Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र) के नोट्स की मांग की थी! तो उसी को ध्यान में रखते हुये आज से हम अपनी बेबसाइट GK-MARKETs पर Child Development and Pedagogy के One Liner Question and Answer के Notes उपलब्ध कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Teachin g के Exam जैसे CTET , UPTET , MPTET, Bihar TET, MP Samvida Teacher , HTET , REET आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि Child Development and Pedagogy से सवाल पुछे जाते हैं उन सभी परीक्षाओं के लिए यह बहुत हीं महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा। दोस्तो आज हम Child Development and Pedagogy (बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र) की हमारी इस पोस्टअन्तर्गत हम आपको बाल विकाश का परिचय (Introduction to Child Development) से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! साथ ही नीचे दिए गए Download Button के माध्यम से आप इसका FREE PDF भी डाउऩलोड कर सकते हैं। TAG –Child Development and Pedagogy in Hindi , Education Psychology in Hindi PDF,Learning In Hindi PDF, CTET Notes in Hindi PDF , Vyapam Samvida Teacher , HTET , REET , Bal Vikas Shiksha Shastra Notes Download PDF, Bal Vikas Question Answer in Hindi PDF ,Introduction to Child Development ,Child Development Notes for CTET in Hindi PDF,Child Development Notes for VYAPAM , Child Development and Pedagogy Notes for MP Samvida Shikshak , Child Development and Pedagogy Notes in Hindi for UPTET Download Free PDF, Child Development and Pedagogy PDF in Hindi, CTET / MPTET / UPTET /Bihar TET 2018 Notes in Hindi Download PDF.

बाल विकास की विभिन्न अवस्थाएँ

बालविकास की विभिन्न अवस्थाएँ डा0 अरनेस्ट जोन्सने बाल विकास को मुख्यता चार अवस्थाओं मेंविभाजित किया है जो निम्न है- • शैशवावस्था (जन्म से 5 वर्ष या 6 वर्ष तक) • बाल्यावस्था (6 वर्ष से 11 वर्ष या 12 वर्ष तक) • किशोरावस्था (12 वर्ष से 18 वर्ष तक) • प्रौढ़ावस्था (18 वर्ष के बाद की अवस्था) लेकिन शिक्षा के दृष्टि से केवल तीन अवस्थाओं का ही विशेष महत्व दिया जाता है। शैशवावस्था शैशवावस्था को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण काल भी कहा जाता है।यह बाल विकास की प्रथम अवस्था होती है यह जन्म से लेकर 6 वर्ष तक होती है शिशु को अंग्रेजी में (Infancy) कहते है यह लैटिन भाषा के Inferi शब्द से मिलकर बना है।जिसका शाब्दिकअर्थ होता है’बोलने के अयोग्य’। न्यूमैन का कथन है कि “5-वर्ष तक की अवस्था शरीर और मस्तिष्क के लिए बड़ी ग्रहणशील रहती है” अर्थात इस अवस्था में बालक को जो कुछ भी सिखाया जाता है उसका असर तत्काल बालक पर पड़ता है। मनोविश्लेषण वादियों ने भी शैशवावस्था पर विशेष ध्यान दिया है। कुछ महत्वपूर्ण कथन( परिभाषाएँ ) क्रो एण्ड क्रो– “बीसवीं शताब्दी कोबालक कीशाताब्दी माना जाता है।” फ्रायड– “मनुष्य को जो कुछ भी बनना होता है वह प्रारम्भ के चार पाँच वर्षों में बन जाता है।” एडलर– “शैशवावस्था द्वारा जीवन का पूरा क्रम निश्चित हो जाता है।” गुडएनफ के अनुसार, “व्यक्ति का जितना भी मानसिक विकास होता है,उसका आधा तीन वर्ष की आयु तक हो जाता है।” शैशवावस्था की विकासात्मक विशेषताएँ • मानसिक विकास में तीव्रता • शारीरिक विकास में तीव्रता • सीखने की प्रक्रियों में तीव्रता • दोहराने की प्रवृत्ति • परनिर्भरता • जिज्ञासा प्रवृत्ति • स्वप्रेम की भावना • काम प्रवृत्ति शैशवावस्था में शिक्षा का स्रोत वैलेंटाइन के अनुसार,“शैशवावस्थ...

बाल विकास की अवस्थाएं? ( Baal vikaas kee avasthaen )

विषय सूची • • • • • • • • • बाल विकास की अवस्थाएं ( Stage of child development ) परिभाषा ( Definition ) — मनुष्य विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरता है । जैसे कि – मनुष्य का जीवन माँ के गर्भ से शुरू होता है । और जन्म के बाद विभिन्न अवस्थाओं से गुजरते हुए मृत्यु को प्राप्त करता है । इन अवस्थाओं के बारे में अलग – अलग मनोवैज्ञानिकों की अलग – अलग राय है । रॉस व फ्रॉयडने 5 अवस्थाएं बताई हैं , जबकि कॉलसेनिक 10 तथा पियाजेने 4 व ब्रूनर ने 3 अवस्थाएं बताई हैं । बाल विकास की अवस्थाएं ( Stage of child development ) मनुष्य के विभिन्न अवस्थाओं का विभाजन I क्र० सं० विकास की अवस्थाएं जीवन अवधि 1. गर्भावस्था गर्भाधान से लेकर जन्म तक 2. शैशवास्था यह अवस्था जन्म से लेकर 2 साल ( वर्ष ) तक की होती है 3. बाल्यावस्था या बाल्यकाल ( a ). प्रारंभिक बाल्यावस्था ( b ). उत्तर बाल्यावस्था 3 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक 2 से 6 साल 6 से 12 साल 4. किशोरावस्था 12 साल से 18 साल 5. युवावस्था 18 वर्ष से 30 वर्ष तक 6. प्रौढ़ावस्था 30 वर्ष से 60 वर्ष 7. वृद्धावस्था 60 वर्ष से मृत्यु तक ( 1 ). गर्भावस्था ( Pregnancy ) यह अवस्था गर्भाधान के समय से लेकर जन्म के पहले तक की अवस्था है । इस अवस्था की मुख्य विशेषता यह है कि अन्य अवस्थाओं की अपेक्षा इसमें विकास की गति अधिक तेज होती है । लेकिन जो परिवर्तन इस अवस्था में होते हैं वे विशेष रूप से शारीरिक होते हैं । सभी शारीर की रचना भार , आकार में वृद्धि तथा आकृतियों का निर्माण इसी अवस्था की घटनायें होती हैं । गर्भावस्था को 3 अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है । ( 1 ). गर्भाधान से लेकर 2 सप्ताह तक , इस अवस्था में प्राणी अंडे के आकार का होता है । ( 2 ). 3 सप्ताह से लेकर 2 महीने के...