बावड़ियों का शहर राजस्थान

  1. उपेक्षा की शिकार विरासत की बावड़ियां
  2. राजस्थान में बावरियों का शहर किसे कहा जाता है
  3. Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास
  4. Jodhpur News Unique initiative a foreigner 7 years cleans historical heritage reservoirs
  5. The Nickname of Rajasthan Cities In Hindi: राजस्थान के प्रमुख शहरों के उपनाम
  6. The Nickname of Rajasthan Cities In Hindi: राजस्थान के प्रमुख शहरों के उपनाम
  7. Jodhpur News Unique initiative a foreigner 7 years cleans historical heritage reservoirs
  8. उपेक्षा की शिकार विरासत की बावड़ियां
  9. Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास
  10. राजस्थान में बावरियों का शहर किसे कहा जाता है


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उपेक्षा की शिकार विरासत की बावड़ियां

अतुल कनक कुछ बावड़ियां इतनी सम्मोहक हैं कि उनके आसपास के परिवेश में कुछ परिवर्तन करके उन्हें महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में बदला जा सकता है।भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2018 में जब सौ रुपए का नया नोट जारी किया, तो उस पर एक ओर गुजरात की प्रसिद्ध रानी जी की बावड़ी का चित्र छापा। इस शृंखला के अलग-अलग मूल्यों के नोटों पर भारत की अलग-अलग धरोहरों के चित्र छापे गए हैं। रानी जी की वाव के नाम से प्रसिद्ध पाटन स्थित इस बावड़ी को एशिया की सबसे भव्य बावड़ी माना जाता है। इसका निर्माण सन 1063 में राजा भीमदेव की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने कराया था। बरसों तक पुरातत्त्व की यह अमूल्य धरोहर सरस्वती नदी की गाद के नीचे दबी रही। बाद में भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने इसे खोज निकाला और तब से यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है। यूनेस्को ने 22 जून, 2014 को इसे विश्व विरासत घोषित किया। दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बावड़ियां न केवल अपने समय के स्थापत्य का गौरवशाली प्रतिनिधित्व करती, बल्कि अपने निर्माण काल की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में भी जानकारी देती हैं। प्राचीनकाल में बावड़ियों को बनवाने का मूल उद्देश्य यही था कि यात्रा कर रहे लोगों या जनसामान्य को अपनी आवश्यकता का जल आसानी से उपलब्ध हो जाए। इसीलिए प्राय: यात्रा मार्गों पर, मंदिरों के बाहर, किसी सार्वजनिक स्थल के निकट बावड़ियों का निर्माण करवाया जाता था। ये बावड़ियां कुएं या कुंडों से इस दृष्टि से अलग होती थीं कि बहुधा इनमें ऐसी व्यवस्था होती थी कि आवश्यकता महसूस होने पर व्यक्ति या पूरा कारवां कुछ समय के लिए इनमें आश्रय ले सकता था। मसलन, राजस्थान के बूंदी शहर को तो ‘बावड़ियों का शहर’ ही कहा जाता है। अरावल...

राजस्थान में बावरियों का शहर किसे कहा जाता है

बावड़ी या बावली उन सीढ़ीदार कुँओं , तालाबों या कुण्डो को कहते हैं जिन के जल तक सीढ़ियों के सहारे आसानी से पहुँचा जा सकता है। भारत में बावड़ियों के निर्माण और उपयोग का लम्बा इतिहास है। कन्नड़ में बावड़ियों को 'कल्याणी' या पुष्करणी, मराठी में 'बारव' तथा गुजराती में 'वाव' कहते हैं। संस्कृत के प्राचीन साहित्य में इसके कई नाम हैं, एक नाम है-वापी। इनका एक प्राचीन नाम 'दीर्घा' भी था- जो बाद में 'गैलरी' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा। वापिका, कर्कन्धु, शकन्धु आदि भी इसी के संस्कृत नाम हैं। Table of Contents Show • • • • • जल प्रबन्धन की परम्परा प्राचीन काल से हैं। हड़प्पा नगर में खुदाई के दौरान जल संचयन प्रबन्धन व्यवस्था होने की जानकारी मिलती है। प्राचीन अभिलेखों में भी जल प्रबन्धन का पता चलता है। पूर्व मध्यकाल और मध्यकाल में भी जल सरंक्षण परम्परा विकसित थी। पौराणिक ग्रन्थों में तथा जैन बौद्ध साहित्य में नहरों, तालाबों, बाधों, कुओं बावडियों और झीलों का विवरण मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जल प्रबन्धन का उल्लेख मिलता है। चन्द्रगुप्त मौर्य के जूनागढ़ अभिलेख में सुदर्शन झील और कुछ वापियों के निर्माण का विवरण प्राप्त है। इस तरह भारत में जल संसाधन की उपलब्धता एवं प्राप्ति की दृष्टि से काफी विषमताएँ मिलती हैं, अतः जल संसाधन की उपलब्धता के अनुसार ही जल संसाधन की प्रणालियाँ विकसित होती हैं। बावड़ियां हमारी प्राचीन जल संरक्षण प्रणाली का आधार रही हैं- प्राचीन काल, पूर्वमध्यकाल एवं मध्यकाल सभी में बावडि़यों के बनाये जाने की जानकारी मिलती है। दूर से देखने पर ये तलघर के रूप में बनी किसी बहुमंजिला हवेली जैसी दृष्टिगत होती हैं। बावड़ियों को सर्वप्रथम हिन्दुओं द्वारा (जनोपयोगी शिल्पकला के रू...

Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास

Advertisements चाँद बावड़ी के बारे मैं पूरी जानकारी हिंदी मैं जो जल स्टोर करने का काम करती हैं। बहुत सालों से अधिक पुराना होने के बावजूद यह स्टेप वेल (भूल भुलैया जेसा बना हुआ है )आज भी पहले की तरह बना हुआ है। यहां पर बहुत फिल्मों की शूटिंग भी हुई है, जिनमें भूल भुलैया, द फॉल, द डार्क नाइट राइज़ और बेस्ट एक्सोटिक होटल मैरीगोल्ड के नाम शामिल है। Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास घुमने के लिए प्रसिद स्थान बना हुआ है एक बार जरुर देखे जिसमें राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्र में जल भंडार के रूप में कई हजार सीढियां बनी हुई हैं। अगर आप चांद बावडी के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं या फिर यहां घूमने जाने की योजना बना रहें हैं चाँद बावड़ी की बनावट चाँद बावड़ी भारतीय आर्किटेक्ट की शानदार वास्तुकला विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। यह 13 मंजिल नीचे और 3500 सीढ़ियों के साथ ज्यामितीय परिशुद्धता को प्रदर्शित करता है।लगभग 100 फीट गहरा, स्टेपवेल एक वर्ग निर्माण है जिसकी माप प्रत्येक तरफ 35 मीटर है। स्तम्भयुक्त बरामदों से घिरी हुई यह बावडी चारों ओर से वर्गाकार है। इसकी सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों पर महिसासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ भी इसे खास बनाती हैं। बावडी की सुरंग के बारे में भी ऐसा सुनने में आता है कि इसका उपयोग युद्ध या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों के समय राजा या सैनिकों द्वारा किया जाता था। हर्षत माता मंदिर अगर आप चाँद बावड़ी देखने का प्लान बना रहे हो तो चाँद बावड़ी के पास हर्षत माता का मंदिर बना हुआ था उसको जरुर देख कर आना क्योंकि उसकी बनावट बहुत सुन्दर और एक रात मैं जिन्दो के दवारा बनाई गयी है आभानेरी पहुचाने के लिए मदद आभानेरी पहुचे तो कैसे पूरी...

Jodhpur News Unique initiative a foreigner 7 years cleans historical heritage reservoirs

Jodhpur News: रियासत काल में राजा-महाराजों ने जनता के पानी के लिए जोधपुर सूर्यनगरी के भीतरी इलाके में सुंदर और अदभुत कलाकृतियों कुएं, बावड़ी, तालाब बनाए ताकि इन तालाब और बावड़ियों से आमजन को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सके. राजा महाराजाओं के समय में उनके क्षेत्र में जब अकाल पड़ता तो यहां अपनी प्रजा को रोजगार देते और ऐसे बावड़िया महल तालाब बनवाते, लेकिन आज प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर की यह बावड़ी कुएं- तालाब देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा था. जब इंग्लैंड से आए एक विदेशी ने इन बावड़ियों तालाबों को देखा तो उसके दिल दिमाग में इन्हें संजोने का खयाल ऐसा आया कि आज इनकी साफ रखने का जिम्मा उठाया. यह भी पढ़ेंः कहते हैं कि ऐतिहासिक धरोहर के मामले में देश खासकर राजस्थान धरोहर के ममोए में दुनिया में रिच माना जाता है. साथ समुंदर पार विदेशी महेमान इसे देखने निहारने के लिए यहां आते हैं. वैसे तो आपने विदेशी सैलानी सैर-सपाटे के लिए यहां आते है, लेकिन विदेशियों में भी अपने देश की पुराने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐतिहासिक धरोहर अगर यहां कोई घूमने आए और यहां को धरोहर को संजोने के लिए अपना सब कुछ छोड़कर यही इस धरोहर सरंक्षण में जुट जाएं तो इसे क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है इस विदेशी मेहमान ने जो अब सिर्फ यहां ऐतिहासिक धरोहर की रखरखाव के लिए खुद जिम्मेदारी उठा रहा है. यह भी पढ़ेंः बावड़ी , झालरें व कुंड जोधपुर शहर में पुराने समय में यहां की जनता को पानी संग्रह करने के लिए जलाशियों( बावड़ी , झालरें व कुंड ) से ही जरूरत पूरी होती थी. राजा-महाराजाओं के समय इन जलाशियों को इतना खूबसूरत कला से बनाया जाता था. इसी के चलते यहां की अनायत ने एक...

The Nickname of Rajasthan Cities In Hindi: राजस्थान के प्रमुख शहरों के उपनाम

The Nickname of Rajasthan Cities: दोस्तों इस पोस्ट में आप जानेंगे राजस्थान के शहर एवं जिलों के उपनाम (Nickname of Rajasthan Cities) , इससे संबंधित प्रश्न राजस्थान में आयोजित होने वाली आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं पूछे जा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के सभी शहरों के उपनाम की लिस्ट के बारे के बारे में जानेगे और सीखगे की इसमें किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते है। राजस्थानी शहरों का उपनाम जनता या किसी विशेष व्यक्ति द्वारा रखा गया है। राजस्थान के कई शहरों के उपनाम ऐतिहासिक, आधिकारिक और पर्यटन मंडलों के वाणिज्य के लिए जाने जाते हैं। अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए भारतीय शहरों के शहर के उपनाम की पूरी सूची पढ़ें क्योंकि राज्यों और शहरों के उपनाम विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, यह सब पढ़ना सुनिश्चित करें। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • राजस्थान के शहरों के उपनाम लिस्ट: The Nickname of Rajasthan Cities List In Hindi Short List अभ्रक की मण्डी– भीलवाड़ा पूर्व का पेरिस– जयपुर गुलाबी नगर– जयपुर आइलैंड ऑफ ग्लोरी – जयपुर राजस्थान का कानपुर– कोटा राजस्थान का नागपुर – झालावाड़ पूर्व का वेनिस– उदयपुर राजस्थान की अणुनगरी – रावतभाटा ग्रेनाइट सिटी – जालौर तीर्थों का शहर– पुष्कर राजस्थान की कॉपर सिटी – झुंझुनूं पहाड़ों की नगरी – डूंगरपुर छोटी काशी– बूंदी तीर्थों का भांजा– मचकुण्ड राजस्थान का खजुराहो – किराडू, बाड़मेर राजस्थान का राजकोट– लुणकरणसर राजस्थान का पंजाब – गंगानगर राजस्थान का स्कॉटलैण्ड – अलवर राजस्थान का मैनचेस्टर – भीलवाड़ा जल महलों की नगरी– डीग, भरतपुर राजस्थान का प्रवेश द्वार– भरतपुर राजस्थान का ताजमहल – जसवंत थड़ा, जोधपुर राजस्थान का जिब्राल्टर – तारागढ़, अज...

The Nickname of Rajasthan Cities In Hindi: राजस्थान के प्रमुख शहरों के उपनाम

The Nickname of Rajasthan Cities: दोस्तों इस पोस्ट में आप जानेंगे राजस्थान के शहर एवं जिलों के उपनाम (Nickname of Rajasthan Cities) , इससे संबंधित प्रश्न राजस्थान में आयोजित होने वाली आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं पूछे जा सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के सभी शहरों के उपनाम की लिस्ट के बारे के बारे में जानेगे और सीखगे की इसमें किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते है। राजस्थानी शहरों का उपनाम जनता या किसी विशेष व्यक्ति द्वारा रखा गया है। राजस्थान के कई शहरों के उपनाम ऐतिहासिक, आधिकारिक और पर्यटन मंडलों के वाणिज्य के लिए जाने जाते हैं। अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए भारतीय शहरों के शहर के उपनाम की पूरी सूची पढ़ें क्योंकि राज्यों और शहरों के उपनाम विभिन्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं, यह सब पढ़ना सुनिश्चित करें। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • राजस्थान के शहरों के उपनाम लिस्ट: The Nickname of Rajasthan Cities List In Hindi Short List अभ्रक की मण्डी– भीलवाड़ा पूर्व का पेरिस– जयपुर गुलाबी नगर– जयपुर आइलैंड ऑफ ग्लोरी – जयपुर राजस्थान का कानपुर– कोटा राजस्थान का नागपुर – झालावाड़ पूर्व का वेनिस– उदयपुर राजस्थान की अणुनगरी – रावतभाटा ग्रेनाइट सिटी – जालौर तीर्थों का शहर– पुष्कर राजस्थान की कॉपर सिटी – झुंझुनूं पहाड़ों की नगरी – डूंगरपुर छोटी काशी– बूंदी तीर्थों का भांजा– मचकुण्ड राजस्थान का खजुराहो – किराडू, बाड़मेर राजस्थान का राजकोट– लुणकरणसर राजस्थान का पंजाब – गंगानगर राजस्थान का स्कॉटलैण्ड – अलवर राजस्थान का मैनचेस्टर – भीलवाड़ा जल महलों की नगरी– डीग, भरतपुर राजस्थान का प्रवेश द्वार– भरतपुर राजस्थान का ताजमहल – जसवंत थड़ा, जोधपुर राजस्थान का जिब्राल्टर – तारागढ़, अज...

Jodhpur News Unique initiative a foreigner 7 years cleans historical heritage reservoirs

Jodhpur News: रियासत काल में राजा-महाराजों ने जनता के पानी के लिए जोधपुर सूर्यनगरी के भीतरी इलाके में सुंदर और अदभुत कलाकृतियों कुएं, बावड़ी, तालाब बनाए ताकि इन तालाब और बावड़ियों से आमजन को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सके. राजा महाराजाओं के समय में उनके क्षेत्र में जब अकाल पड़ता तो यहां अपनी प्रजा को रोजगार देते और ऐसे बावड़िया महल तालाब बनवाते, लेकिन आज प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी सूर्यनगरी जोधपुर की यह बावड़ी कुएं- तालाब देखरेख के अभाव में अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा था. जब इंग्लैंड से आए एक विदेशी ने इन बावड़ियों तालाबों को देखा तो उसके दिल दिमाग में इन्हें संजोने का खयाल ऐसा आया कि आज इनकी साफ रखने का जिम्मा उठाया. यह भी पढ़ेंः कहते हैं कि ऐतिहासिक धरोहर के मामले में देश खासकर राजस्थान धरोहर के ममोए में दुनिया में रिच माना जाता है. साथ समुंदर पार विदेशी महेमान इसे देखने निहारने के लिए यहां आते हैं. वैसे तो आपने विदेशी सैलानी सैर-सपाटे के लिए यहां आते है, लेकिन विदेशियों में भी अपने देश की पुराने ऐतिहासिक स्थलों को लेकर दिलचस्पी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐतिहासिक धरोहर अगर यहां कोई घूमने आए और यहां को धरोहर को संजोने के लिए अपना सब कुछ छोड़कर यही इस धरोहर सरंक्षण में जुट जाएं तो इसे क्या कहेंगे. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है इस विदेशी मेहमान ने जो अब सिर्फ यहां ऐतिहासिक धरोहर की रखरखाव के लिए खुद जिम्मेदारी उठा रहा है. यह भी पढ़ेंः बावड़ी , झालरें व कुंड जोधपुर शहर में पुराने समय में यहां की जनता को पानी संग्रह करने के लिए जलाशियों( बावड़ी , झालरें व कुंड ) से ही जरूरत पूरी होती थी. राजा-महाराजाओं के समय इन जलाशियों को इतना खूबसूरत कला से बनाया जाता था. इसी के चलते यहां की अनायत ने एक...

उपेक्षा की शिकार विरासत की बावड़ियां

अतुल कनक कुछ बावड़ियां इतनी सम्मोहक हैं कि उनके आसपास के परिवेश में कुछ परिवर्तन करके उन्हें महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में बदला जा सकता है।भारतीय रिजर्व बैंक ने जुलाई 2018 में जब सौ रुपए का नया नोट जारी किया, तो उस पर एक ओर गुजरात की प्रसिद्ध रानी जी की बावड़ी का चित्र छापा। इस शृंखला के अलग-अलग मूल्यों के नोटों पर भारत की अलग-अलग धरोहरों के चित्र छापे गए हैं। रानी जी की वाव के नाम से प्रसिद्ध पाटन स्थित इस बावड़ी को एशिया की सबसे भव्य बावड़ी माना जाता है। इसका निर्माण सन 1063 में राजा भीमदेव की स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने कराया था। बरसों तक पुरातत्त्व की यह अमूल्य धरोहर सरस्वती नदी की गाद के नीचे दबी रही। बाद में भारतीय पुरातत्त्व विभाग ने इसे खोज निकाला और तब से यह हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती है। यूनेस्को ने 22 जून, 2014 को इसे विश्व विरासत घोषित किया। दरअसल, देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद बावड़ियां न केवल अपने समय के स्थापत्य का गौरवशाली प्रतिनिधित्व करती, बल्कि अपने निर्माण काल की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियों के बारे में भी जानकारी देती हैं। प्राचीनकाल में बावड़ियों को बनवाने का मूल उद्देश्य यही था कि यात्रा कर रहे लोगों या जनसामान्य को अपनी आवश्यकता का जल आसानी से उपलब्ध हो जाए। इसीलिए प्राय: यात्रा मार्गों पर, मंदिरों के बाहर, किसी सार्वजनिक स्थल के निकट बावड़ियों का निर्माण करवाया जाता था। ये बावड़ियां कुएं या कुंडों से इस दृष्टि से अलग होती थीं कि बहुधा इनमें ऐसी व्यवस्था होती थी कि आवश्यकता महसूस होने पर व्यक्ति या पूरा कारवां कुछ समय के लिए इनमें आश्रय ले सकता था। मसलन, राजस्थान के बूंदी शहर को तो ‘बावड़ियों का शहर’ ही कहा जाता है। अरावल...

Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास

Advertisements चाँद बावड़ी के बारे मैं पूरी जानकारी हिंदी मैं जो जल स्टोर करने का काम करती हैं। बहुत सालों से अधिक पुराना होने के बावजूद यह स्टेप वेल (भूल भुलैया जेसा बना हुआ है )आज भी पहले की तरह बना हुआ है। यहां पर बहुत फिल्मों की शूटिंग भी हुई है, जिनमें भूल भुलैया, द फॉल, द डार्क नाइट राइज़ और बेस्ट एक्सोटिक होटल मैरीगोल्ड के नाम शामिल है। Chand Bawdi History In Hindi चाँद बावड़ी आभानेरी का इतिहास घुमने के लिए प्रसिद स्थान बना हुआ है एक बार जरुर देखे जिसमें राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्र में जल भंडार के रूप में कई हजार सीढियां बनी हुई हैं। अगर आप चांद बावडी के बारे में अन्य जानकारी चाहते हैं या फिर यहां घूमने जाने की योजना बना रहें हैं चाँद बावड़ी की बनावट चाँद बावड़ी भारतीय आर्किटेक्ट की शानदार वास्तुकला विशेषज्ञता के लिए जाना जाता है। यह 13 मंजिल नीचे और 3500 सीढ़ियों के साथ ज्यामितीय परिशुद्धता को प्रदर्शित करता है।लगभग 100 फीट गहरा, स्टेपवेल एक वर्ग निर्माण है जिसकी माप प्रत्येक तरफ 35 मीटर है। स्तम्भयुक्त बरामदों से घिरी हुई यह बावडी चारों ओर से वर्गाकार है। इसकी सबसे निचली मंजिल पर बने दो ताखों पर महिसासुर मर्दिनी एवं गणेश जी की सुंदर मूर्तियाँ भी इसे खास बनाती हैं। बावडी की सुरंग के बारे में भी ऐसा सुनने में आता है कि इसका उपयोग युद्ध या अन्य आपातकालीन परिस्थितियों के समय राजा या सैनिकों द्वारा किया जाता था। हर्षत माता मंदिर अगर आप चाँद बावड़ी देखने का प्लान बना रहे हो तो चाँद बावड़ी के पास हर्षत माता का मंदिर बना हुआ था उसको जरुर देख कर आना क्योंकि उसकी बनावट बहुत सुन्दर और एक रात मैं जिन्दो के दवारा बनाई गयी है आभानेरी पहुचाने के लिए मदद आभानेरी पहुचे तो कैसे पूरी...

राजस्थान में बावरियों का शहर किसे कहा जाता है

बावड़ी या बावली उन सीढ़ीदार कुँओं , तालाबों या कुण्डो को कहते हैं जिन के जल तक सीढ़ियों के सहारे आसानी से पहुँचा जा सकता है। भारत में बावड़ियों के निर्माण और उपयोग का लम्बा इतिहास है। कन्नड़ में बावड़ियों को 'कल्याणी' या पुष्करणी, मराठी में 'बारव' तथा गुजराती में 'वाव' कहते हैं। संस्कृत के प्राचीन साहित्य में इसके कई नाम हैं, एक नाम है-वापी। इनका एक प्राचीन नाम 'दीर्घा' भी था- जो बाद में 'गैलरी' के अर्थ में प्रयुक्त होने लगा। वापिका, कर्कन्धु, शकन्धु आदि भी इसी के संस्कृत नाम हैं। Table of Contents Show • • • • • जल प्रबन्धन की परम्परा प्राचीन काल से हैं। हड़प्पा नगर में खुदाई के दौरान जल संचयन प्रबन्धन व्यवस्था होने की जानकारी मिलती है। प्राचीन अभिलेखों में भी जल प्रबन्धन का पता चलता है। पूर्व मध्यकाल और मध्यकाल में भी जल सरंक्षण परम्परा विकसित थी। पौराणिक ग्रन्थों में तथा जैन बौद्ध साहित्य में नहरों, तालाबों, बाधों, कुओं बावडियों और झीलों का विवरण मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जल प्रबन्धन का उल्लेख मिलता है। चन्द्रगुप्त मौर्य के जूनागढ़ अभिलेख में सुदर्शन झील और कुछ वापियों के निर्माण का विवरण प्राप्त है। इस तरह भारत में जल संसाधन की उपलब्धता एवं प्राप्ति की दृष्टि से काफी विषमताएँ मिलती हैं, अतः जल संसाधन की उपलब्धता के अनुसार ही जल संसाधन की प्रणालियाँ विकसित होती हैं। बावड़ियां हमारी प्राचीन जल संरक्षण प्रणाली का आधार रही हैं- प्राचीन काल, पूर्वमध्यकाल एवं मध्यकाल सभी में बावडि़यों के बनाये जाने की जानकारी मिलती है। दूर से देखने पर ये तलघर के रूप में बनी किसी बहुमंजिला हवेली जैसी दृष्टिगत होती हैं। बावड़ियों को सर्वप्रथम हिन्दुओं द्वारा (जनोपयोगी शिल्पकला के रू...