Bajrang baan lyrics in hindi pdf

  1. Bajrang Baan in Hindi
  2. [Lyrics & PDF] श्री हरिहरन बजरंग बाण
  3. बजरंग बाण पाठ
  4. बजरंग बाण, Bajrang Baan Lyrics in Hindi, रोज पढ़ने के फायदे, PDF
  5. श्री बजरंग बाण का पाठ video, image I video, image I Shri Bajrang Baan lyrics, pdf download, जय हनुमन्त सन्त हितकारी। jai hanumant sant hitkari
  6. [PDF] Bajrang Baan in Hindi PDF
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Bajrang Baan in Hindi

WhatsApp Telegram Facebook Twitter LinkedIn Bajrang Baan or Hanuman Baan literally means Arrow of Hanuman. It is a very powerful mantra that destroys fear and negativity. Get Sri Bajrang Baan in Hindi Lyrics pdf here and chant it correctly to get rid of fear in life. Bajrang Baan in Hindi – बजरंग बाण निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करेँ सनमान । तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करेँ हनुमान ॥ जय हनुमंत संत हितकारी, सुन लीजै प्रभु विनय हमारी । जन के काज विलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥ जैसे कूदि सिंधु के पारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा । आगे जाय लंकिनी रोका, मारॆहु लात गयी सुरलोका ॥ जाय विभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा । बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ॥ अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा । लाह समान लंक जरि गयी, जय जय धुनि सुरपुर नभ भयि ॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी । जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर है दुःख करहु निपाता ॥ जय हनुमान जयति बलसागर, सुर समूह समरथ भटनागर । ओं हनु हनु हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥ ओं हीं हीं हीं हनुमंत कपीसा, ओं हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा । जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥ बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक । भूत प्रेत पिसाच निसाचर, अगिनि बेताल काल मारी मर ॥ इन्हेँ मारु तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की । सत्य होहु हरि सपथ पायि कै, राम दूत धरु मारु धायि कै ॥ जय जय जय हनुमंत अगाधा, दुःख पावत जन केहि अपराधा । पूजा जप तप नेम अचारा, नहिँ जानत कछु दास तुम्हारा ॥ बन उपबन मग गिरि गृह माहीँ, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीँ । जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ विलंब न ...

[Lyrics & PDF] श्री हरिहरन बजरंग बाण

आप बजरंग बाण के लिरिक्स को पढने के साथ ही इसे PDF में भी डाउनलोड कर सकते है | PDF में डाउनलोड करने का लिंक नीचे दिया गया है | Bajrang Baan Hindi Lyrics निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान जय हनुमंत संत हितकार, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज बिलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै जैसे कूदि सिंधु महिपारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका जाय बिभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा लाह समान लंक जरि गई, जय-जय धुनि सुरपुर नभ भई अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी जय-जय लखन प्रान के दाता, आतुर ह्वै दुख करहु निपाता जय हनुमान जयति बल-सागर, सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकरसुवन बीर हनुमंता बदन कराल काल-कुल-घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक भूत, प्रेत, पिसाच निसाच, र अगिन बेताल काल मारी मर इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै, राम दूत धरु मारु धाइ कै जय-जय-जय हनुमंत अगाधा, दुख पावत जन केहि अपराधा पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा बन उपबन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ बिलंब न लावौ जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दुख नासा चरन पकरि, कर जोरि मनावौं, यहि औसर अब केहि गोहरावौं उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई, पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु...

बजरंग बाण पाठ

बजरंग बाण पाठ bajrang baan lyrics – दोहा और चौपाई बजरंग बाण दोहा निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ बजरंग बाण चौपाई जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥ bajrang baan lyrics जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥ बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥ इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥ • • • • • अमीर बनने के लिए बुक्स | Top 5 books you must read सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥ जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥ जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥ जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥ उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मना...

बजरंग बाण, Bajrang Baan Lyrics in Hindi, रोज पढ़ने के फायदे, PDF

Bajrang Baan एक बहुत ही अच्छा भजन है. आज के समय में माना जाता है कि श्री राम-चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने श्री राम-चरित मानस लिखने से पहले हनुमान चालीसा लिख लिया था, साथ ही ऐसा भी माना जाता है कि हनुमान की ही दिव्य शक्ति एवं कृपा से वह श्री राम-चरित मानस लिख पाए थे. इन सभी के बीच ऐसा ही माना जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने बजरंग बाण की भी रचना की थी. इसके पीछे की एक रोचक कहानी यह भी मानी जाती है कि एक बार गोस्वामी तुलसीदास जी पर काशी के किसी तांत्रिक ने मारण मंत्र का प्रयोग का इस्तेमाल कर दिया था. इसके बाद तुलसीदास जी के शरीर पर कई सारे भयानक एवं दर्दनाक फोड़े निकल आए थे, इसका निवारण करते हुए श्री तुलसीदास जी ने बजरंग बाण का पाठ पढ़कर हनुमान जी से ठीक होने की गुहार लगाई थी, एवं ऐसा ही माना जाता है कि यह पाठ करते ही एक दिन में सारे फोड़े ठीक हो गए थे. तभी से ऐसा माना जाता है कि यह पाठ बुरे दुष्कर्मों पर एकदम सटीक एवं अचूक वार करता है. तो आज हम जानेंगे Bajrang Baan भजन के बारे में कि यह भजन रोज सुनने के क्या फायदे हैं, इस भजन के lyrics साथ ही हम इस भजन को कब इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु न...

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Shri Bajrang Baan Shri Bajrang Baan lyrics in Hindi ॥ दोहा ॥ निश्चय प्रेम प्रतीति ते,बिनय करै सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ,सिद्ध करै हनुमान॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमन्त सन्त हितकारी।सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज विलम्ब न कीजै।आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा।सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका।मारेहु लात गई सुर लोका॥ जाय विभीषण को सुख दीन्हा।सीता निरखि परम पद लीन्हा बाग उजारि सिन्धु महं बोरा।अति आतुर यम कातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा।लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई।जय जय धुनि सुर पुर महं भई॥ अब विलम्ब केहि कारण स्वामी।कृपा करहुं उर अन्तर्यामी॥ जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।आतुर होइ दु:ख करहुं निपाता॥ जय गिरिधर जय जय सुख सागर।सुर समूह समरथ भटनागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले।बैरिहिं मारू बज्र की कीले॥ गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।महाराज प्रभु दास उबारो॥ ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥ ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा।ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥ सत्य होउ हरि शपथ पायके।रामदूत धरु मारु धाय के॥ जय जय जय हनुमन्त अगाधा।दु:ख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा।नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।तुमरे बल हम डरपत नाहीं॥ पाय परौं कर जोरि मनावों।यह अवसर अब केहि गोहरावों॥ जय अंजनि कुमार बलवन्ता।शंकर सुवन धीर हनुमन्ता॥ बदन कराल काल कुल घालक।राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत प्रेत पिशाच निशाचर।अग्नि बैताल काल मारीमर॥ इन्हें मारु तोहि शपथ राम की।राखु नाथ मरजाद नाम की॥ जनकसुता हरि दास कहावो।ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥ जय जय जय धुनि होत अकाशा।सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा॥ चरण शरण करि जोरि मनावों।यहि अवसर अब केहि गोह...

[PDF] Bajrang Baan in Hindi PDF

सनातन धर्म की मान्यताओं के मुताबिक सभी देवताओं में महाबली हनुमान ऐसे देवता हैं, जो अपने उपासको को दुखों, कष्टों और जीवन की परेशानियों से छुटकारा दिलाते हैं। संकट से छुटकारा देने वाले हनुमान जी के कई रूप है। उन्हीं में एक है 'वज्र रूप'। जब संकटमोचन हनुमान जी इस रूप में होते है तो उन्हें 'बजरंगबली' कहा जाता है। महाबली हनुमान शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देवता है; इसलिए अपनी सभी अभिलाषाओं एवं कामनाओं को पूरा करने के लिए एवं हनुमान जी को खुश करने के लिए बजरंगबली के उपासक आप Bajrang Baan in Hindi PDF को नीचे दिये गये download बटन पर क्लिक कर download करें.. Bajrang Baan PDF | बजरंग बाण मित्रों, जिस Bajrang Baan PDF in Hindi को आपने ऊपर डाउनलोड कर पढ़ा है उसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। हनुमान जी अपने भक्तों को सभी तरह के भय और डर से दूर रखते हैं। यदि आप बजरंग बाण के साथ-साथ हनुमानाष्टक का भी पाठ करते है तो इससे भी अचूक लाभ प्राप्त होता है। आप यहां से हनुमानाष्टक का पाठ डाउनलोड कर सकते है - • • • Bajrang Baan Lyrics in Hindi | बजरंग बाण अर्थ सहित नीचे Bajrang Baan से जुड़े सभी खास एवं जरूरी बातों को बताया गया है। बजरंग बाण का पाठ सही तरीके से किस प्रकार करना चाहिए, बजरंग बाण के पाठ से आप किस प्रकार की समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं और पाठ के दौरान आपको किन गलतियों को नहीं करना है आदि के विषय में विस्तार से जाने। बजरंग बाण का पाठ कैसे करें? | Bajrang Baan Path PDF बजरंग बाण को हनुमान जी की स्तुति कर उनका आशीष एवं शुभ वचन प्राप्त करने का सबसे सटीक उपाय माना जाता है। क्योंकि हनुमान जी पुरुषोत्तम भगवान राम के श्रेष्ठ भक्त हैं, इस कारण से बजरंग बाण में मुख्य रूप से पूर्ण पुरुषोत्तम भ...

[PDF] बजरंग बाण पाठ

बजरंग बाण पाठ बजरंग बाण दोहा निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥ बजरंग बाण चौपाई जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥ जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥ आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥ जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥ बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥ अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥ लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥ अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥ जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥ जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥ ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥ ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥ जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥ बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥ भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥ इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥ सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥ जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥ पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥ बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥ जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥ जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥ चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥ उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥ ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥ ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥ अपने जन क...