Bal govind bhagat sahab kisko mante the

  1. Balgobin Bhagat Class 10 Summary
  2. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत
  3. NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 Balgobin Bhagat
  4. बालगोबिन भगत
  5. बालगोबिन भगत कक्षा 10


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Balgobin Bhagat Class 10 Summary

बालगोबिन भगत पाठ का सार कक्षा 10 (Balgobin Bhagat Class 10 Summary in Hindi) बालगोबिन भगत (Summary of Balgobin Bhagat Class 10): बाल गोबिन भगत, नाम में तो भगत था ही स्वभाव से भी एकदम भगत। उम्र का सांठवा दशक, गोरा रंग और मध्यम कद और उम्र के अनुसार स्वेत बाल कुछ ऐसा व्यक्तित्व था बालगोबिन जी का। लेकिन वस्त्र के नाम पर सिर्फ एक लंगोटी पहनते थे भगत जी और सर्दियों में एक कंबल से उनका काम चल जाता था और सिर पर कबीरपंथियों की कनफटी टोपी से वे अपने आदर्श कबीरदास से कम न दिखाई पड़ते थे। भगत जी का माथा रामनंदी टीके से सुशोभित रहता था। वे गले में हमेशा तुलसी की जड़ों की माला धारण करते थे। परिवार में सिर्फ बहु और बेटे थे। आजीविका के लिए खेती बाड़ी करते थे। कबीर दास की बाते उनके लिखे और गाए हुए पद तो जैसे उनके जीवन का हिस्सा थे, अपने “साहब” कबीर के गीत उनके होठों पर हमेशा ही रहते थे। बाल गोबिन जी का आचार-विचार और व्यवहार उनकी विशेषता में चार चांद जोड़ते थे। वे सच बोलने से कभी नही चूके चाहे सामने कोई भी व्यक्ति हो, उनका मन सोने सा खरा था। इन सब के बाबजूद वे अशांति फैलाने के पक्ष में कभी ना रहे। वे झगड़ालू प्रवृति के बिलकुल ना थे। हर साल 4 कोस दूर कबीरपंथी मठ में अपना कमाया हुआ सारा अनाज, धन स्वयं लाद कर ले जाते और दान कर आते, मठ में भेंट चढ़ा आते और फिर मठ से जो भी प्रसाद के रूप में प्राप्त किया उसे घर लाते उसी से अपना और अपने परिवार का जीवन बसर करते। उनके कंठ में स्वयं सरस्वती का वास था, जब वे कबीर के दोहों और पदो के अपने कंठ से गाते तो मानो स्वयं तानसेन उतर आए हो, इतना मधुर की प्रकृति ठहर जाए सुनने वाले तो मुग्ध हो जाया करते थे। उस समय का दृश्य बड़ा ही मनमोहक होता है जब आषाढ़ मास धान र...

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत यहाँ सरल शब्दों में दिया जा रहा है. Chapter 11 Balgobin Bhagat Question Answer को आसानी से समझ में आने के लिए हमने प्रश्नों के उत्तरों को इस प्रकार लिखा है की कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कही जा सके. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 बालगोबिन भगत प्रश्न – अभ्यास प्रश्न 1. खेतीबाड़ी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ? उत्तर : बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे खामखाह किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीरपंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे। प्रश्न 2. भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी ? । उत्तर : भगत की पुत्रवधू जानती थी कि भगत जी संसार में अकेले हैं। उनका एकमात्र पुत्र मर चुका है। भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले छोड़कर नहीं जाना चाहती थी क्योंकि भगत के बुढ़ापे का वह एकमात्र सहारा थी। उसके चले जाने के बाद भगत की देखभाल करने वाला और कोई नहीं था। प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं ? उत्तर : बे टे की मृत्यु पर भगत ने पुत्र के शरीर को एक चटाई पर लिटा दिया, उसे सफेद चादर से ढक दिया तथा वे कबीर के भक्ति गीत गाकर अपनी भावनाएँ व्यक्त करने लगे। भगत ने अपने पुत्रवधू से कहा कि य...

NCERT Class 10 Hindi Kshitij Chapter 11 Balgobin Bhagat

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बालगोबिन भगत

पठन सामग्री, अतिरिक्त प्रश्न और उत्तरऔर सार- बालगोबिन भगत क्षितिजभाग- 2 सार बालगोबिन भगत मंझोले कद के गोर-चिट्टे आदमी थे। उनकी उम्र साठ वर्ष से उपर थी और बाल पक गए थे। वे लम्बीढाढ़ी नही रखते थे और कपडे बिल्कुल कम पहनते थे। कमर में लंगोटी पहनते और सिर पर कबीरपंथियों की सी कनफटी टोपी।सर्दियों में ऊपर से कम्बल ओढ़ लेते। वे गृहस्थ होते हुई भी सही मायनों में साधू थे। माथे पर रामानंदी चन्दन का टीका और गले में तुलसी की जड़ों की बेडौलमाला पहने रहते। उनका एक बेटाऔर पतोहू थे। वे कबीर को साहब मानते थे। किसी दूसरे की चीज़ नही छूटे और न बिना वजहझगड़ा करते। उनके पास खेती बाड़ी थी तथा साफ़-सुथरा मकान था। खेत से जो भी उपज होती, उसे पहले सिर पर लादकर कबीरपंथी मठले जाते और प्रसाद स्वरुप जो भी मिलता उसी से गुजर बसर करते। वे कबीर के पद काबहुत मधुर गायन करते। आषाढ़ के दिनों में जब समूचा गाँव खेतों में काम कर रहा होता तब बालगोबिन पूरा शरीर कीचड़ में लपेटे खेत में रोपनी करते हुए अपने मधुर गानों को गाते। भादो कीअंधियारी में उनकी खँजरी बजती थी, जब सारा संसार सोया होता तब उनका संगीत जागता था। कार्तिक मासमें उनकी प्रभातियाँ शुरू हो जातीं। वे अहले सुबह नदी-स्नान को जाते और लौटकर पोखर के ऊँचे भिंडे पर अपनी खँजरी लेकर बैठ जाते और अपना गाना शुरू कर देते। गर्मियों में अपने घर के आँगन में आसन जमा बैठते। उनकी संगीत साधना का चरमोत्कर्ष तब देखा गया जिस दिन उनका इकलौताबेटामरा। बड़े शौक से उन्होंने अपने बेटे कि शादी करवाई थी, बहूभी बड़ी सुशील थी। उन्होंने मरे हुए बेटे को आँगन में चटाई पर लिटाकर एक सफ़ेद कपड़ेसे ढकरखा था तथा उसपर कुछ फूल बिखरा पड़ा था। सामने बालगोबिन ज़मीन पर आसन जमाये गीत गाये जा रहे थे औरबहूको रोने के बजाये...

बालगोबिन भगत कक्षा 10

कक्षा 10 में कई महत्वपूर्ण कहानियां और पाठ हैं। इन्हीं महत्वपूर्ण कहानियों में से एग्जाम में प्रश्न आते हैं। उनमें से ही एक महत्वपूर्ण पाठ है, बालगोबिन भगत। बालगोबिन भगत के इस पाठ में लेखक परिचय, पाठ का सार, कठिन शब्दार्थ आदि पाठन सामग्री मौजूद है। आइए Balgobin Bhagat Class 10 को और विस्तार से जानते हैं। क्लास 10 विषय हिंदी क्षितिज किताब क्षितिज भाग 2 पाठ संख्या 11 पाठ का नाम बालगोबिन भगत Source – Eduhelpdesk Guru रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बेनीपुर गाँव में सन् 1889 में हुआ था। बचपन में ही माता-पिता का निधन हो जाने के कारण, आरम्भिक वर्ष अभावों-कठिनाइयों और संघर्षों में बीते। दसवीं तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे सन 1920 में राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में सक्रीय रूप से जुड़ गए। कई बार जेल भी गए।इनकी मृत्यु सन 1968 में हुई। प्रमुख कार्य • उपन्यास– पतितों के देश में • कहानी– चिता के फूल • नाटक – अंबपाली • रेखाचित्र– माटी की मूरतें • यात्रा-वृत्तांत– पैरों में पंख बांधकर • संस्मरण– जंजीरें और दीवारें । Source – Edu Chain – Padhai With RK जरूर पढ़ें : बालगोबिन भगत क्लास 10: पाठ सारांश • कहानी की शुरुआत में लेखक ने बालगोबिन भगत की शारीरिक बनावट को बताया है जो कद काठी से मझोला है चेहरा गोरा चिट्टा तथा साठ से ऊपर की उम्र लगती है। उसके बाल पके हुए हैं, चेहरा सफेद बालों से जगमग है वह कमर पर लंगोटी बांधे तथा कबीरपंथीयों की टोपी सिर पर पहने रहते है। सर्दियों में एक कंबल ले लेता है, बाकी समय उसे कंबल की आवश्यकता या किसी अन्य अतिरिक्त वस्त्र की आवश्यकता नहीं होती। • मस्तक पर चंदन का लेप, गले में तुलसी की माला पहने उसके वेशभूषा का वर्णन किया है। वह कोई साधु या ...