सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है

  1. सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है
  2. सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रमुख प्रावधान क्या है?
  3. सूचना का अधिकार क्या है?
  4. सूचना का अधिकार अधीनियम (Right to information act,2005)
  5. धारा 4 सूचना का अधिकार
  6. धारा 20 सूचना का अधिकार


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सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है

भारत में जब लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई। तो लोकतंत्र में आवश्यक है कि नागरिकों को सूचना की जानकारी उपलब्ध करायी जाए। तथा सरकार शासितों के प्रति जवाबदेही तय हो। सूचना का अधिकार अधिनियम क्या है जानकारी की गोपनीयता को दृष्टिगत रखते हुए लोकतांत्रिक आदर्शों के परिपालन में जनहित को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 पारित किया गया। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक आदर्शों को सर्वोपरि मानते हुए संवेदनशील गोपनीयता बनाए रखते हुए जो सूचना नागरिक चाहते हों उसकी जानकारी देना हैं। इस अधिनियम के अनुसार सूचना देना सरकार के सभी विभागों का कर्त्तव्य होगा। इससे नागरिकों से संबंधित लोकहित कार्यों में अनावश्यक विलम्ब तथा नौकरशाही का वर्चस्व दूर कर सकेगा। शासन और उनके संगठनों के माध्यमों से जनता के प्रति जवाबदेही होने का अहसास होगा। इस अधिनियम को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 कहा जाता हैं। धारा 2 के अनुसार सूचना के अधिकार से तात्पर्य ऐसी सूचना के अधिकार से है जो इस अधिनियम के अधीन पहुँच योग्य और अधिगम्य हो। सूचना के अधिकार में निम्न अधिकार सम्मिलित हैं - • किसी कार्य दस्तावेजों का अभिलेखों का निरीक्षण। • दस्तावेजों के नोट्स लेना, उनकी प्रमाणित प्रतिलिपियाँ लेना। • सामग्री के प्रमाणित नमूने। • जहाँ सूचना कमप्यूटर में द्वारा भंडारण की गई हैं, वह वीडियो या फाइल द्वारा प्राप्त करना। 1. सूचना का अधिकार -इस अधिनियम के आधीन रहते हुए समस्त नागरिक सूचना का अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। अर्थात अधिकार निर्देश के आधीन रहेंगे। यदि अधिनियम के उपबंध किसी सूचना की संवदेनशील व गोपनीय मानने का प्रावधान रखते हैं तो सूचना पाने का अनुरोध नागर...

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रमुख प्रावधान क्या है?

अनुच्छेद 19 (1) के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का अधिकार है और न्यायालय ने माना कि कोई व्यक्ति तब तक अभिव्यक्त नहीं कर सकता जब तक कि उसे जानकारी यानी सूचना न हो। संविधान की भावना के अनुरूप उच्चतम न्यायालय ने इस अधिकार को अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता से जोड़ते हुए यह माना था कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का महत्व तभी है जब सूचना प्राप्त करने का अधिकार हो क्योंकि बगैर सूचना के अभिव्यक्ति भी सीमित हो जाती है। इसी उद्देश्य से उच्चतम न्यायालय ने इस अधिकार को लागू किये जाने की आवश्यकता जताई थी। एक सभ्य समाज की स्थापना में समय-समय पर विभिन्न व्यक्तियों, विद्वानों, दार्शनिकों और संस्थाओं ने सूचना के अधिकार के महत्व को समझा है और इसे लागू किये जाने की आवश्यकता जताई है। लेकिन इसके बावजूद देश में इस कानून के अस्तित्व में आते-आते बहुत लम्बा समय लग गया और लंबी मंत्रणा तथा विचार-विमर्श के बाद अंतत: 12 अक्टूबर 2005 को देश में यह कानून (जम्मू कश्मीर को छोड़कर) लागू किया गया। इस कानून के तहत प्रत्येक सरकारी विभाग में एक लोक सूचना अधिकारी की नियुक्ति की गई है। इसके उपर उसी विभाग में अपीलीय अधिकारी होता है। राज्य स्तर पर एक राज्य सूचना आयोग होता है जिसका मुखिया मुख्य सूचना आयुक्त होता है। जिसके अधीन कुछ सूचना आयुक्त कार्य करते है। इसी तरह केन्द्रीय स्तर पर एक केन्द्रीय सूचना आयोग होता है जो मुख्य केन्द्रीय सूचना आयुक्त की देखरेख मे काम करता है। उसका काम अपीलों को सुनना, विशेष परिस्थितियों मे सूचना काअधिकार के लिए पैरवी करना और देश में सूचना काअधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन पर निगरानी रखना है। कोई भी नागरिक किसी विभाग के बारे में उस विभाग के लोक सूचना अधिकारी से जानकारी मांग ...

सूचना का अधिकार क्या है?

द राइट टू इनफारमेशन एक्ट 2005 अथवा सूचना प्राप्त करने संबंधी अधिनियम संचार जगत् में युगान्तकारी दस्तक है। भारतीय संसद के दोनों सदनों - लोकसभा और राज्यसभा ने मई 2005 में यह अधिनियम पारित किया, जिसमें देश के सामान्य नागरिकों को कुछ सरकारी विभागों को छोडकर अन्य सभी विभागों से अपने अथवा सार्वजनिक हित में किसी भी सूचना को प्राप्त करने का अधिकार प्रदान किया है। इस अधिनियम को भारत के राष्ट्रपति ने 15 जून 2005 को अपनी स्वीकृति दे दी और यह अधिनियम केवल जम्मू और कश्मीर राज्य को छोडकर देश के प्रत्येक राज्य में लागू कर दिया गया। इस अधिनियम के अनुसार देश का कोई भी सामान्य नागरिक सरकार तथा सरकारी विभागों से जनहित अथवा स्वहित में कोई भी सूचना एक निश्चित शुल्क जमा करके प्राप्त कर सकता है। अब किसी भी नागरिक को यह अधिकार होगा कि वह किसी सार्वजनिक निर्माण की जाँच परख मौके पर जाकर करें तथा उसकी गुणवत्ता आदि के संबंध में भी जानकारी प्राप्त करें। भारतीय संसद ने पूर्ववर्ती The Freedom of Information Act - 2002 को निरस्त करके उसके स्थान पर The Right to Information Act - 2005 को लागू किया है। इस अधिनियम में 6 अध्याय तथा 31 धाराएँ हैं। अध्याय एक में दो धाराएँ हैं। धारा एक के अंतर्गत अधिनियम के क्षेत्र और इसके लागू होने के समय का उल्लेख है। इसके प्रावधानों के अनुसार अधिनियम की लगभग नौ धाराएँ तुरंत प्रभावी हो गई, जबकि अन्य 21 धाराएँ अधिनियम के पारित होने के 120 दिनों के पश्चात अर्थात 12 अक्तूबर 2005 से लागू मानी जाएगी। धारा दो में लगभग तेरह महत्त्वपूर्ण शब्दों को परिभाषित किया गया है। अध्याय दो में नौ धाराएँ हैं। धारा चार के अनुसार प्रत्येक लोक सेवक के लिए बाध्यता है कि वह अपने कार्यालय से संबंधित सम...

सूचना का अधिकार अधीनियम (Right to information act,2005)

सूचना का अधिकार अधीनियम (Right to information act,2005) भारत एक लोकतंत्रात्मक देश है। जहां की शासन प्रणाली जनता पर निर्भर करती है और जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही देश की शासन प्रणाली का निर्माण करते हैं। परंतु लोकतंत्र देश के लिए प्रतिनिधि चुनने तक ही सीमित नहीं है अपितु इन प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले कार्यों की समीक्षा करना भी है , जिस दिशा में सूचना का अधिकार अधिनियम ( Right to information act,2005) मील का पत्थर है। इस लेख में हम सूचना के अधिकार के बारे में विस्तार से जानेंगे। सूचना का अधिकार क्या है सूचना के अधिकार का अर्थ है भारत के नागरिक का सरकारी कार्य के निष्पादन से संबंधित क्रिया कलापों तथा दस्तावेजों के बारे में जानकारी / सूचना प्राप्त करने का अधिकार । जिससे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता आ सके। ब्रिटिश शासन काल में सन् 1923 मैं शासकीय गोपनीयता अधिनियम पारित किया गया। जिससे सरकारी कार्यों में जनता की भूमिका समाप्त कर दी गई तथा इस अधिनियम के फलस्वरूप प्रशासन में अनेक बुराइयों उत्पन्न हो गई जैसे– भ्रष्टाचार । सर्वप्रथम इस ओर सरकार का ध्यान उच्चतम न्यायालय के निर्णय द्वारा गया। सन 1975 में उत्तर प्रदेश सरकार बनाम राजनारायण के वाद में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा था कि , सरकारी कार्यों का विवरण नागरिकों को प्रदान करने की व्यवस्था की जाए । अधिनियम कब लागू हुआ यह अधिनियम 12 अक्टूबर 2005 संपूर्ण भारत में लागू किया गया। उस समय यह अधिनियम जम्मू कश्मीर में लागू नहीं किया गया था किंतु वर्तमान में जम्मू कश्मीर राज्य से अनुच्छेद 370 अर्थात् विशेष राज्य का दर्जा हटने से यह वहां पर भी लागू हो गया है। सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन कौन कर सकता है अधिनियम की धारा 3 के अ...

धारा 4 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “ लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 क्या है | Section 4 RTI Act in hindi | Section 4 of Right to information act | धारा 4 सूचना का अधिकार अधिनियम | Obligations of public authorities ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 | Section 4 of Right to information act | Section 4 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 4 in Hindi ] – लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी (क) अपने सभी अभिलेखों को सम्यक रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध ऐसी रीति और रूप में रखेगा, जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सुकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा कि ऐसे सभी अभिलेख, जो कंप्यूटरीकृत किए जाने के लिए समुचित हैं. युक्तियुक्त समय के भीतर और संसाधनों की उपलभ्यता के अधीन रहते हुए, कंप्यूटरीकृत और विभिन्न प्रणालियों पर संपूर्ण देश में नेटवर्क के माध्यम से संबद्ध हैं जिससे कि ऐसे अभिलेख तक पहुंच को सुकर बनाया जा सके; (ख) इस अधिनियम के अधिनियमन से एक सौ बीस दिन के भीतर– (i) अपने संगठन की विशिष्टियां, कृत्य और कर्तव्य ; (ii) अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की शक्तियां और कर्तव्य ; (iii) विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व के माध्यम सम्मिलित हैं; (iv) अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए स्वयं द्वारा स्थापित मानदंड 3; (v) अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारियों द्वारा अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए प्रयोग किए गए नियम, विनियम, अनुदेश, निर्देशिका और अभिलेख; (vi) ऐसे ...

धारा 20 सूचना का अधिकार

आज के इस आर्टिकल में मै आपको “शास्ति | सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 क्या है | Section 20 RTI Act in hindi | Section 20 of Right to information act | धारा 20 सूचना का अधिकार अधिनियम | Penalties ” के विषय में बताने जा रहा हूँ आशा करता हूँ मेरा यह प्रयास आपको जरुर पसंद आएगा । तो चलिए जानते है की – सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 20 | Section 20 of Right to information act | Section 20 RTI Act in Hindi [ RTI Act Sec. 20 in Hindi ] – शास्ति- (1) जहां किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी ने, किसी युक्तियुक्त कारण के बिना सूचना के लिए, कोई आवेदन प्राप्त करने से इंकार किया है या धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है या असद्भावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है था जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या उस सूचना को नष्ट कर दिया है, जो अनुरोध का विषय थी या किसी रीति से सूचना देने में बाधा डाली है, तो वह ऐसे प्रत्येक दिन के लिए. जब तक आवेदन प्राप्त किया जाता है या सूचना दी जाती है, दो सौ पचास रुपए की शास्ति अधिरोपित करेगा, तथापि, ऐसी शास्ति की कुल रकम पच्चीस हजार रुपए से अधिक नहीं होगी : परंतु, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को, उस पर कोई शास्ति अधिरोपित किए जाने के पूर्व, सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जाएगा : परंतु यह और कि यह साबित करने का भार कि उसने युक्तियुक्त रूप से और तत्परतापूर्वक कार्य किया है, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अ...