Balmiki kaun the

  1. सीता माता के बारे में 10 रहस्य, महिलाओं को जानना जरूरी
  2. story of ramayan
  3. बाल्मीकि जी कौन थे? » Balmiki Ji Kaun The
  4. रावण
  5. महर्षि वाल्मीकि कौन थे?
  6. वाल्मीकि का जीवन परिचय Maharishi valmiki biography in hindi
  7. Son of Brahma


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सीता माता के बारे में 10 रहस्य, महिलाओं को जानना जरूरी

पौराणिक काल में ऐसी कई महिलाएं हुई हैं जिन्हें हम आदर्श और उत्तम चरित्र की महिलाएं मानते हैं। लेकिन उनमें से सर्वोत्तम हैं माता सीता। जैसे श्रीराम को पुरुषों में उत्तम पुरुषोत्तम कहा गया है, उसी तरह माता सीता भी महिलाओं में सबसे उत्तम हैं। इसके कई कारण हैं। आओ जानते हैं सीता माता के बारे में 10 रहस्य। धर्मशास्त्रों में ऐसी ही अनेक गृहस्थ और पतिव्रता स्त्रियों के बारे में लिखा गया है, जो आज भी हर नारी के लिए आदर्श और प्रेरणा हैं। अनेक लोग माता सीता के जीवन को संघर्ष से भरा भी मानते हैं, लेकिन असल में उनके ऐसे ही जीवन में हर कामकाजी या गृहस्थ स्त्री के लिए बेहतर और संतुलित जीवन के अनमोल सूत्र छुपे हैं। देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। उस ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। अब आप देखिए कि ऐसी महिला जिसे अपने माता-पिता के बारे में कुछ भी नहीं पता है, वह राजमहल में पली-बढ़ी। इस देश में ऐसी कई बालिकाएं हैं जिन्हें उनके माता-पिता मंदिर की देहली, अस्पताल के बाहर या कचरे के ढेर पर छोड़कर चले गए हैं। ऐसी बालिकाओं को अनाथ आश्रम में जगह मिलती है या भाग्यवश वे किसी अच्छे घर की बेटी बन जाती है। लेकिन सैकड़ों ऐसी भी हैं, जो कि सड़क पर अकेली ही भटक रही हैं। उन सभी महिलाओं को माता सीता की ओर देखना चाहिए और हौसला रखना चाहिए। 2.राम-सीता का विवाह- यदि मन में श्रेष्ठ के चयन की दृढ़ इच्‍छा है तो निश्‍चित ही ऐसा ...

story of ramayan

भगवान राम से साक्षात्कार कराने वाले महर्षि वाल्मीकि, जानें कैसे रत्नाकर से बन गए वाल्मीकि भगवान राम के आदर्श, राम के संस्कार अगर आज भारत क्या विश्व के कोने-कोने में हमें एक दूसरे से जोड़ रहे हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी महर्षि वाल्मीकि जी को ही जाता है। आज अश्विन मास की पूर्णिमा के दिन ‘रामायण’ के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के अनुपम संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर साल वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है। सबसे प्राचीन ग्रंथ है रामायण भारत वर्ष में महर्षि वाल्मीकि की संस्कृत में लिखी गई रामायण को सबसे प्राचीन ग्रंथ माना जाता है। संस्कृत के प्रथम महाकाव्य ‘रामायण’ की रचना करने के कारण ही उन्हें‘आदिकवि’ कहा जाता है। वाल्मीकि कृत रामायण वैसे तो 21 भाषाओं में अब उपलब्ध है। लेकिन त्रेता युग में महर्षि वाल्मीकि वाल्मीकि रामायण के बाद भगवान के पावन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने का अगर किसी को श्रेय जाता है तो कलयुग में संत गोस्वामी तुलसीदास जी को। रामायण में सबकुछ है समाहित आज राष्ट्र की अमूल्य निधि रामायण का एक-एक अक्षर अमरता का सूचक और महापाप का नाशक है। वाल्मीकि कृत रामायण को ज्ञान-विज्ञान, भाषा ज्ञान, ललित कला, ज्योतिष शास्त्र, आयुर्वेद, इतिहास और राजनीति का केंद्र बिंदु माना जाता है। यह महाकाव्य जीवन के सत्य और कर्तव्य से परिचित कराता है। महर्षि वाल्मीकि ने इसमें कई स्थानों पर सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की सटीक गणना की है। इस रामायण को वैदिक जगत का सर्वप्रथम काव्य माना जाता है, जिसमें कुल चौबीस हजार श्लोक हैं। माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने ही इस दुनिया में पहले श्लोक की रचना की थी। यही श्लोक संस्कृत भाषा का जन्मदाता है। जब लोगों को लूट कर करते थे गुजारा इतने बड़े महाकाव्य को...

बाल्मीकि जी कौन थे? » Balmiki Ji Kaun The

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपका प्रश्न है कि वाल्मीकि जी कौन थे तो आपको बता दें कि बाल्मीकि जी एक महान कवि थे जिनको आदि कवि वाल्मीकि भी बोलते हैं और यही है जिन्होंने रामायण को लिखा रामायण के रचयिता आदि कवि वाल्मीकि जी ही है aapka prashna hai ki valmiki ji kaun the toh aapko bata de ki balmiki ji ek mahaan kavi the jinako aadi kavi valmiki bhi bolte hain aur yahi hai jinhone ramayana ko likha ramayana ke rachiyata aadi kavi valmiki ji hi hai आपका प्रश्न है कि वाल्मीकि जी कौन थे तो आपको बता दें कि बाल्मीकि जी एक महान कवि थे जिनको आ

रावण

any nam dashanan, lankesh, lankapati, dashagriv kul pita mata vivah santan vidya parangat dhanurvidya nivas mrityu any janakari sangit ke kshetr mean bhi ravan ki vidvata apane samay mean advitiy mani jati hai. vina bajane mean ravan siddhahast tha. usane ek vady banaya bhi tha jise jo aj ke bela ya ravan ( Ravana) tathy • ravan • ramakatha mean ravan aisa patr hai, jo • ravan ne ram ki patni pauranik ullekh • • padmapuran tatha shrimadbhagavat puran ke anusar • • ravan ke gun • ravan mean kitana hi rakshasatv kyoan n ho, usake gunoan vismrit nahian kiya ja sakata. ravan ek ati buddhiman brahman tatha • aho roopamaho dhairyamahotsavamaho dyuti:. aho rakshasarajasy sarvalakshanayuktata॥ age ve likhate haian "ravan ko dekhate hi • ravan jahaan dusht tha aur papi tha vahian usamean shishtachar aur ooanche adarsh vali maryadayean bhi thian. ram ke viyog mean duahkhi • valmiki ramayan aur ramacharitamanas donoan hi granthoan mean ravan ko bahut mahattv diya gaya hai. rakshasi mata aur rrishi pita ki santan hone ke karan sadaiv do paraspar virodhi tattv ravan ke antahkaran ko mathate rahate haian. ravan ke avagun • • ravan dvara bhagavan shiv ki prarthana ravan satta ke mad mean mast hokar ravan ke das sir ravan ke das sir hone ki charcha brahma se varadan ravan ne apane ishtadev ravan aur vedavati ek din jab ravan shuk tatha saran jab ravan ke putr lankapati ravan ke sat putroan ka ullekh milata hai jo nimnalikhit haian- • • • • • • • shivatandavastotramh jatatavi-galajjal-prav...

महर्षि वाल्मीकि कौन थे?

लेकिन पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव भल्ला द्वारा वर्ष 2010 में दिया गया एक निर्णय महर्षि वाल्मीकि के बारे में सदियों पुरानी धारणा को बदल सकता है। जस्टिस भल्ला ने पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के महर्षि वाल्मीकि चेयर के प्रमुख मंजुला सहदेव द्वारा किए गए शोध का हवाला देते हुए कहा कि वास्तविक तथ्य पुरातनता की धुंध में खो गए प्रतीत होते हैं। महर्षि वाल्मीकि का जन्म ऋषि प्रचेतस के यहाँ रत्नाकर के रूप में हुआ था। बहुत कम उम्र में रत्नाकर जंगल में चले गए और खो गए। पास से गुजर रहे एक शिकारी ने रत्नाकर को देखा और उसे अपनी देखरेख में ले लिया। अपने पालक माता-पिता के प्यार और देखभाल के तहत, रत्नाकर अपने मूल माता-पिता को भूल गए। अपने पिता के मार्गदर्शन में रत्नाकर एक उत्कृष्ट शिकारी निकला। जैसे ही वह विवाह योग्य उम्र के करीब पहुंचा, रत्नाकर का विवाह शिकारी परिवार की एक सुंदर लड़की से हो गया। पौराणिक कथा के अनुसार - राम ने सीता को वन भेजा। सीता ने ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में शरण ली, जहाँ उन्होंने जुड़वां लड़कों लव और कुश को जन्म दिया. लव और कुश वाल्मीकि के पहले शिष्य थे। जिन्हें उन्होंने रामायण की शिक्षा दी थी। महाकाव्य के बाला कांड में वाल्मीकि की कहानी भी है जो लव और कुश को रामायण सुनाते हैं। जो उनके शिष्य बन जाते हैं। महाभारत में भूमिका विष्णुधर्मोत्तर पुराण में कहा गया है कि वाल्मीकि का जन्म त्रेता युग में ब्रह्मा के रूप में हुआ था जिन्होंने रामायण की रचना की थी और ज्ञान अर्जित करने के इच्छुक लोगों को वाल्मीकि की पूजा करनी चाहिए। बाद में उनका तुलसीदास के रूप में पुनर्जन्म हुआ। जिन्होंने रामचरितमानस की रचना की जो रामायण का अवधी - हिंदी संस्करण था। मंदिरों

वाल्मीकि का जीवन परिचय Maharishi valmiki biography in hindi

Maharishi valmiki biography in hindi हेलो दोस्तों कैसे हैं आप सभी,दोस्तों आज हम आपको Maharishi valmiki biography in hindi बताएंगे दोस्तों कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बुरे कर्म करते हैं लेकिन अगर उन्हें अपने बुरे कर्मों का पश्चाताप होता है तो वह जीवन में आगे बढ़ते हैं और अपने पाप कर्मों को दूर करके जीवन में कुछ खास करते हैं ऐसे ही थे महर्षि बाल्मीकि जी जो पहले डाकू रत्नाकर नाम से प्रसिद्ध थे लोग उनके नाम से कांपते थे लेकिन उनके साथ कुछ ऐसा हुआ कि वह इस दुनिया के एक महाकवि बने जिन्होंने श्री रामचंद्र की संतानों लव कुश को शिक्षा दी. रामायण नाम के एक महाकाव्य की रचना करके दुनिया में एक ऐसी ख्याति पाई कि जब तक दुनिया रहेगी तब तक महर्षि वाल्मीकि को नहीं भूला जाएगा आखिर यह सब कैसे हुआ आखिर कैसे एक डाकू रत्नाकर महर्षि बाल्मीकि बन गए तो चलिए पढ़ते हैं उनके जीवन की पूरी कहानी Maharishi valmiki biography in hindi image source- http://www.iloveindia.com/spirituality/gurus/valmiki.html महर्षि वाल्मीकि का जन्म त्रेता युग में हुआ था इनका वास्तविक नाम रत्नाकर था ये महर्षि कश्यप के परिवार से थे लेकिन बचपन में इन्हें एक भील चुरा ले गया था जिस वजह से बुरी संगत में पड़कर एक डाकू बन गए.ये रास्ते में आ रहे लोगों का धन लूट लिया करते थे इतना ही नहीं कुछ लोगों को जान से भी मार देते थे उन्होंने अपने जीवन काल में बहुत सारे पाप किए थे इनके पापों का घड़ा दिना दिन भर रहा था लूटा हुआ धन जब इनके पास आता तो अपने परिवार की जीविका चलाते थे. इनके बारे में एक घटना है कि डाकू रत्नाकर लोगों को लूटने के इरादे से जंगल में को घेरे हुए थे तभी उधर से बहुत से लोग दौड़ते हुए जा रहे थे पास में नारद मुनि ने जब उन लोगों से प...

Son of Brahma

FILE पुराणों अनुसार भगवान विष्णु के नाभिकमल से आविर्भूत चतुर्मुख प्रजापति ब्रह्मा की उत्पत्ति हुई। फिर ब्रह्मा के 17 पुत्र और एक पुत्री शतरुपा का जन्म हुआ। ब्रह्मा के उक्त 17 पुत्रों के अलावा भी उनके भिन्न-भिन्न परिस्थितिवश पुत्रों का जन्म हुआ। ब्रह्मा के पुत्र : विष्वकर्मा, अधर्म, अलक्ष्मी, आठवसु, चार कुमार, 14 मनु, 11 रुद्र, पुलस्य, पुलह, अत्रि, क्रतु, अरणि, अंगिरा, रुचि, भृगु, दक्ष, कर्दम, पंचशिखा, वोढु, नारद, मरिचि, अपान्तरतमा, वशिष्‍ट, प्रचेता, हंस, यति आदि मिलाकर कुल 59 पुत्र थे ब्रह्मा के। ब्रह्मा के प्रमुख पुत्र : 1. मन से मारिचि। 2. नेत्र से अत्रि। 3. मुख से अंगिरस। 4. कान से पुलस्त्य। 5. नाभि से पुलह। 6. हाथ से कृतु। 7. त्वचा से भृगु। 8. प्राण से वशिष्ठ। 9. अंगुष्ठ से दक्ष। 10. छाया से कंदर्भ। 11. गोद से नारद। 12. इच्छा से सनक, सनन्दन, सनातन और सनतकुमार। 13. शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरुपा। 14. ध्यान से चित्रगुप्त। संदर्भ -वे द- पुराण