बौद्ध धर्म drishti ias

  1. भगवान गौतम बुद्ध व बौध धर्म का इतिहास
  2. Buddhism religion Pdf in Hindi, बौद्ध धर्म का इतिहास
  3. बौद्ध दर्शन
  4. बौद्ध मुद्राएं और उनके अर्थ
  5. यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम 2023
  6. प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 May, 2022)
  7. ExamsIAS IAS Coaching in Delhi & Online Website & Study Material in Hindi
  8. प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 May, 2022)
  9. बौद्ध दर्शन
  10. यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम 2023


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भगवान गौतम बुद्ध व बौध धर्म का इतिहास

Contents • • • • • • • भगवान गौतम बुद्ध का परिचय – History of Bhagwan Gautam Buddha in Hindi पूरा नाम सिद्धार्थ, गौतम बुद्ध, महात्मा बुद्ध, (Gautam Buddha) जन्म 563 ईसा पूर्व, लुम्बिनी (कपिलवस्तु) मृत्यु 483 ईसा पूर्व, कुशीनगर (आयु- 80 वर्ष) अवतार पिता राजा शुद्धोदन माता रानी महामाया विवाह यशोधरा संतान राहुल शासन-राज्य शाक्य गणराज्य जयंती वैशाख की पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा) धर्म-संप्रदाय बौद्ध धर्म- ‘थेरवाद’, ‘महायान’, ‘वज्रयान’ महात्मा बुद्ध की जीवनी – Guatam Buddha History in Hindi महात्मा बुद्ध ज्ञान की खोज में विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में ही राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के बाद बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए। इस घटना को “सम्बोधि” कहा गया। जिस वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था उसे “बोधि वृक्ष” तथा गया को “बोध गया” कहा जाता है। वे छठवीं से पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व तक जीवित थे। उनके गुज़रने के बाद अगली पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैल गया और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फैल गया। आज बौद्ध धर्म में तीन मुख्य सम्प्रदाय हैं- ‘थेरवाद’, ‘महायान’ और ‘वज्रयान’। मथुरा में अनेक बौद्ध कालीन मूर्तियाँ मिली हैं। जो मौर्य काल और कुषाण काल में मथुरा की अति उन्नत मूर्ति कला की अमूल्य धरोहर हैं। बुद्ध की जीवन-कथाओं में वर्णित है कि सिद्धार्थ ने कपिलवस्तु को छोड़ने के पश्चात् अनोमा नदी को अपने घोड़े कंथक पर पार किया था और यहीं ...

Buddhism religion Pdf in Hindi, बौद्ध धर्म का इतिहास

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बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन (श्रावक - संस्कृत ) या सावक ( पाली ) का अर्थ है "सुनने वाला" या, अधिक सामान्यतः, "शिष्य"। इस शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म और जैन धर्म में किया जाता है ।' से अभिप्राय उस बुद्ध के उपदेश तीन पिटकों में संकलित हैं। ये सम्पूर्ण एशिया के देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। भगवान बुद्ध के अनुयायियों में मतभेद के कारण कई संप्रदाय बन गए। जो स्थविरवाद और महायान के रूप में विकसित हुए। सिद्धांतभेद के अनुसार बौद्ध परंपरा में चार दर्शन प्रसिद्ध हैं। इनमें वैभाषिक मत बाह्य वस्तुओं की सत्ता तथा स्वलक्षणों के रूप में उनका प्रत्यक्ष मानता है। अत: उसे बाह्य प्रत्यक्षवाद अथवा "सर्वास्तित्ववाद" कहते हैं। सैत्रांतिक मत के अनुसार पदार्थों का प्रत्यक्ष नहीं, अनुमान होता है। अत: उसे बाह्यानुमेयवाद कहते हैं। योगाचार मत के अनुसार बाह्य पदार्थों की सत्ता नहीं। हमे जो कुछ दिखाई देता है वह विज्ञान मात्र है। योगाचार मत विज्ञानवाद कहलाता है। माध्यमिक मत के अनुसार विज्ञान भी सत्य नहीं है। सब कुछ शून्य है। शून्य का अर्थ निरस्वभाव, नि:स्वरूप अथवा अनिर्वचनीय है। शून्यवाद का यह शून्य वेदांत के ब्रह्म के बहुत निकट आ जाता है। अनुक्रम • 1 संक्षिप्त परिचय • 1.1 वैभाषिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थ प्रत्यक्षवाद) • 1.2 सौत्रान्तिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थानुमेयवाद) • 1.3 योगाचार सम्प्रदाय (विज्ञानवाद) • 1.4 माध्यमिक सम्प्रदाय (शून्यवाद) • 1.5 क्षणिकवाद • 1.6 प्रतीत्यसमुत्पाद • 2 इन्हें भी देखें • 3 बाहरी कड़ियाँ संक्षिप्त परिचय [ ] बौद्ध दर्शन अपने प्रारम्भिक काल में 1. दुःख- संसार दुखमय है। 2. दुःखसमुदाय दर्शन- दुख उत्पन्न होने का कारण है (तृष्णा) 3. दुःखनिरोध- दुख का निवारण संभव है 4. दुःखनिरोधमार्ग- दुख निवारक मार्...

बौद्ध मुद्राएं और उनके अर्थ

बौद्ध मुद्राएं और उनके अर्थ (Buddhist Mudras, Hand Gestures and their meaning in Hindi) के बारे में बौद्ध के अनुयायी अनुष्ठान और ध्यान के माध्यम से उनके विचारों को उत्पन्न करते हैं और बौद्ध की प्रतिमा का उपयोग लोगों के मनोबल को बढ़ाने के लिए करते हैं। भारत की मूर्तिकला की मूर्तियां देवों के प्रतीक को प्रदर्शित करती हैं, इन देवों के मूल तथा अंत को आध्यात्मिक एवं धार्मिक मान्यताओं के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अतः सभी लोगों ने बुद्ध की प्रतिमाओं को बहुत सी अलग-अलग मुद्राओं में देखा है अलग-अलग प्रकार की मुद्राओं को देखकर आपके मन में उनके अर्थ के बारे में जानने की इच्छा जरूर व्यक्त हुई होगी। इस लेख के माध्यम से हम आपको बौद्ध मुद्राएं और उनके अर्थ (Buddhist Mudras, Hand Gestures and their meaning in Hindi) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। यह भी पढ़ें : बौद्ध मुद्राएं और उनके अर्थ | Buddhist Mudras, Hand Gestures and their meaning in Hindi • ध्यान मुद्रा | Dhyan Mudra Details यह मुद्रा समाधि या योग मुद्रा भी कहलाती है और यह मुद्रा ध्यानी बुद्ध अमिताभ, चिकित्सक बुद्ध और बुद्ध शाक्यमुनि के महत्व को बताती है। इस मुद्रा में भगवान बुद्ध ने अपने दोनों हाथों को गोद में रखा है, और दाएं हाथ को बांए हाथ के ऊपर उंगलियों को फैला कर रखा है, और अपने हाथ के अंगूठे को ऊपर की ओर रखा है तथा दोनों हाथों की उंगलियों को एक आकर एक दूसरे के ऊपर रखा है। यहाँ • धर्म चक्र मुद्रा | Dharma Chakra Mudra Details बुद्ध ने इस मुद्रा का प्रयोग सबसे पहले ज्ञान प्राप्त करने के बाद सारनाथ (वाराणसी) में किया था जहां उन्होंने अपना पहला धर्मोपदेश दिया था। अपनी इस मुद्रा में बुद्ध ने अपने दोनों हाथों को ...

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम 2023

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प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 May, 2022)

• हमारे बारे में • • • • • • • सिविल सेवा परीक्षा • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • प्रारंभिक परीक्षा • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • मुख्य परीक्षा • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • प्रैक्टिस टेस्ट • • • • • • • • • • • • • • • • • पी.सी.एस. • • • • • • • • • टेस्ट सीरीज़ • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • करेंट अफेयर्स • • • • • • • • • दृष्टि स्पेशल्स • • • • • • • • • • • • • • • • • • • डाउनलोड्स • • • • • • • • • • • • • • • • • • • वीडियो सेक्शन • • • • • • • • • • • • और देखें प्रधानमंत्री ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को याद करते हुए उन्हें पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। • इस खास मौके पर उन्होंने नेपाल की भी यात्रा की। बुद्ध पूर्णिमा: • यह बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध के जन्म को चिह्नित करने के लिये मनाया जाता है। • इसे वेसाक के नाम से भी जाना जाता है। वैश्विक समाज में बौद्ध धर्म के योगदान को देखते हुए वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस दिवस को मान्यता दी गई थी। • तथागत गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञानोदय और महापरिनिर्वाण के रूप में इसे 'तिहरा-धन्य दिवस' माना जाता है। • बुद्ध पूर्णिमा आमतौर पर अप्रैल और मई माह के बीच पूर्णिमा को पड़ती है और यह भारत में एक राजकीय अवकाश है। • इस अवसर पर कई भक्त बिहार के बोधगया में स्थित यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल महाबोधि विहार जाते हैं। • बोधि विहार वह स्थान है, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। गौतम बुद्ध: • बौद्ध धर्म के संस्थापक गौ तम बुद्ध का जन्म सिद्धार्थ गौतम के रूप में लगभग 563 ईसा पूर्व लुंबिनी में हुआ थ...

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Table of Contents • • • • • • • • • • Baudh Dharm बौद्ध धर्म history of baudh dharm baudh dharm in english baudh dharm history jain dharm aur baudh dharm baudh dharma baudh dharm details baudh dharm in hindi • बौद्ध धर्म के संस्थापक– महात्मा बुद्ध • महात्मा बुद्ध का जन्म स्थान– कपिलवस्तु के समीप • बुद्ध का अर्थ प्रकाशमान होता है। इनके पिता का नाम शुद्धोधन था जो कपिलवस्तु के शाक्यों के राजा थे । माता का नाम महामाया था जो कोलिय राज्य की राजकुमारी थी । इनके जन्म के सातवें दिन ही माता की मृत्यु हो गई थी इनका पालन पोषण इनकी मौसी ने किया था । • गौतम बुद्ध के बचपन को नाम– सिद्धार्थ • मृत्यु– 483 मल्लो की राजधानी कुशीनगर में । • पत्नी – यशोधरा • महात्मा बुद्ध का पुत्र– राहुल • इनके जीवन के चार घटनाएं प्रसिद्ध है जिनसे इनके में में वैराग्य कि भावना जाग्रत हुई । • 1.वृद्ध व्यक्ति • 2.बीमार व्यक्ति • 3.मृत व्यक्ति • 4.सन्यासी प्रसन्न मुद्रा में • सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की मुद्रा में घर त्याग दिया , इस घटना को महाभिनिष्क्रमण कहा जाता है । • बुध के प्रारंभिक गुरु– आचार्य अलार कलाम तथा राम पुत्र • 6 वर्ष की तपस्या के बाद 35 की उम्र में वैशाख पूर्णिमा की रात को पीपल के पेड़ / बोधि वृक्ष के नीचे निरंजना नदी के पास इनको ज्ञान प्राप्त हुआ ।ज्ञान प्राप्ति के बाद ही सिद्धार्थ गौतम बुध कहलाए । READ ALSO : धर्मचक्र प्रवर्तन उरुवेला ( वर्तमान बोधगया ) से बुद्ध सारनाथ गए यहाँ पांच सन्यासियों को अपना उपदेश दिया यह का प्रथम उपदेश था , इसे ही बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन के नाम से जानते है | • तपस्सु और भल्लिक नाम के 2 शूद्र प्रथम बौद्ध धर्म के अनुयायी बने | • राजगृह पहुंचने पर बिम्बिसार ने इनक...

प्रिलिम्स फैक्ट्स (16 May, 2022)

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बौद्ध दर्शन

बौद्ध दर्शन (श्रावक - संस्कृत ) या सावक ( पाली ) का अर्थ है "सुनने वाला" या, अधिक सामान्यतः, "शिष्य"। इस शब्द का प्रयोग बौद्ध धर्म और जैन धर्म में किया जाता है ।' से अभिप्राय उस बुद्ध के उपदेश तीन पिटकों में संकलित हैं। ये सम्पूर्ण एशिया के देशों में बौद्ध धर्म का प्रसार हुआ। भगवान बुद्ध के अनुयायियों में मतभेद के कारण कई संप्रदाय बन गए। जो स्थविरवाद और महायान के रूप में विकसित हुए। सिद्धांतभेद के अनुसार बौद्ध परंपरा में चार दर्शन प्रसिद्ध हैं। इनमें वैभाषिक मत बाह्य वस्तुओं की सत्ता तथा स्वलक्षणों के रूप में उनका प्रत्यक्ष मानता है। अत: उसे बाह्य प्रत्यक्षवाद अथवा "सर्वास्तित्ववाद" कहते हैं। सैत्रांतिक मत के अनुसार पदार्थों का प्रत्यक्ष नहीं, अनुमान होता है। अत: उसे बाह्यानुमेयवाद कहते हैं। योगाचार मत के अनुसार बाह्य पदार्थों की सत्ता नहीं। हमे जो कुछ दिखाई देता है वह विज्ञान मात्र है। योगाचार मत विज्ञानवाद कहलाता है। माध्यमिक मत के अनुसार विज्ञान भी सत्य नहीं है। सब कुछ शून्य है। शून्य का अर्थ निरस्वभाव, नि:स्वरूप अथवा अनिर्वचनीय है। शून्यवाद का यह शून्य वेदांत के ब्रह्म के बहुत निकट आ जाता है। अनुक्रम • 1 संक्षिप्त परिचय • 1.1 वैभाषिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थ प्रत्यक्षवाद) • 1.2 सौत्रान्तिक सम्प्रदाय (बाह्यार्थानुमेयवाद) • 1.3 योगाचार सम्प्रदाय (विज्ञानवाद) • 1.4 माध्यमिक सम्प्रदाय (शून्यवाद) • 1.5 क्षणिकवाद • 1.6 प्रतीत्यसमुत्पाद • 2 इन्हें भी देखें • 3 बाहरी कड़ियाँ संक्षिप्त परिचय [ ] बौद्ध दर्शन अपने प्रारम्भिक काल में 1. दुःख- संसार दुखमय है। 2. दुःखसमुदाय दर्शन- दुख उत्पन्न होने का कारण है (तृष्णा) 3. दुःखनिरोध- दुख का निवारण संभव है 4. दुःखनिरोधमार्ग- दुख निवारक मार्...

यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पाठ्यक्रम 2023

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