बौद्ध संघ में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था

  1. बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता
  2. बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार
  3. बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न
  4. प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म/बौद्ध धर्म) Question
  5. प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म/बौद्ध धर्म) Question
  6. बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार
  7. बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता
  8. बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न
  9. बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार
  10. बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न


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बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता

मोनिका राज बौद्ध धर्म ऐसे नियमों का संग्रह है जो हमें यथार्थ के सही स्वरूप को पहचान कर अपनी संपूर्ण मानवीय क्षमताओं को विकसित करने में सहायता करता है। बौद्ध दर्शन में परस्पर निर्भरता, सापेक्षता और कारण-कार्य संबंध जैसे विषयों के बारे में चर्चा की जाती है। इसमें समुच्चय सिद्धांत और तर्क-वितर्क पर आधारित तर्कशास्त्र की एक विस्तृत व्यवस्था है जो हमें अपने चित्त की दोषपूर्ण कल्पनाओं को समझने में सहायता करती है। बौद्ध नीतिशास्त्र स्वयं अपने लिए और दूसरों के लिए हितकारी और हानिकारक बातों के बीच भेद करने की योग्यता पर आधारित है। बौद्ध धर्म मूलत: अनीश्वरवादी और अनात्मवादी है। अर्थात इसमें ईश्वर और आत्मा की सत्ता को स्वीकार नहीं किया गया है। लेकिन पुनर्जन्म को मान्यता दी गई है। बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया और मध्यम मार्ग बता कर रास्ते दिखाए। आज विश्व में हिंसा और सामाजिक भेदभाव बढ़ रहा है। मनुष्य विचारों से हिंसात्मक होता जा रहा है। आतंकवाद या फिर दो देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। ऐसी विकट परिस्थिति में बौद्ध दर्शन कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है। व्यक्ति के विनाशकारी विचारों को बदलना और उन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। लगभग ढाई हजार साल पहले बुद्ध ने मानवीय प्रवृतियों का विश्लेषण करते हुए कहा था कि मनुष्य का मन ही सारे कर्मों का नियंता है। इसलिए मानव की गलत प्रवृतियों को नियंत्रित करने के लिए उसके मन में सदविचारों का प्रवाह कर उसे सदमार्ग पर ले जाना जरूरी है। उन्होंने यह सदमार्ग बौद्ध धर्म के रूप में दिया था। अत: आज मानव-मात्र की कुप्रवृत्तियों, जैसे- हिंसा, शत्रुता, द्वेष, लोभ आदि से मुक्ति पाने के लिए बौद्ध दर्शन को समझने जरूरत है। महा...

बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार

बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध द्वारा लगभग 600 ईसापूर्व की गयी थी| तत्कालिक परिस्थितियों में अधिक प्रासंगिक होने के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म भारत ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों में भी फलता-फूलता गया| बुद्ध ने बौद्ध धर्म में विश्वास करने वाले सक्रीय अनुयायियों वाले बौद्ध संघ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने मध्यममार्गी नियमों को अपनाया| उन्होंने दार्शनिक एवं सामाजिक शिक्षा को दिया| त्रिरत्न, चार आर्य सत्य, बौद्ध तत्व मीमांसा विचार बौद्ध धर्म प्रमुख दर्शन है| बुद्ध की मृत्यु के बाद अलग-अलग विवादों को लेकर समय-समय पर कई बौद्ध सभाएं हुई| हम इस लेख में बौद्ध धर्म के उदय के कारण और इन जैसे तमाम प्रमुख मुद्दों को बता रहे है| Buddhism in hindi. बौद्ध धर्म के उदय होने का कारण क्या है लगभग 600 ईसापूर्व गंगा घाटी के आस-पास लगभग 62 छोटे-बड़े नए विचारकों का उद्भव हुआ| इनमें से एक प्रमुख विचारक गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म को स्थापित किया| तत्कालिक परिस्थितियों के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म फलता-फूलता गया| सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि आस-पास के देशों में भी इसका व्यापक प्रसार एवं उदय हुआ| बौद्ध धर्म के उदय के कारणों को आर्थिक सामाजिक एवं धार्मिक कारण के रूप में देखा जा सकता है| आर्थिक कारण तत्कालिक समय में नयी कृषिमुलक अर्थव्यवस्था तथा व्यापार वाणिज्य का तेजी से विकास हो रहा था लेकिन वैदिक धर्म इसके विकास में बाधा पहुंचा रहा था. वैदिक धर्म में बलि जैसी प्रथा के कारण कृषि एवं संबंधित कार्य हेतु पशुओं की कमपाई हो रही थी. वैदिक धर्म कुशीदन (सूदखोरी) की निंदा करता था जबकि इस समय यह एक प्रमुख जरूरत बन चुकी थी. ऐसे में बौद्ध धर्म के प्रति का...

बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न

बौद्ध धर्म महत्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाएं • जन्म-563 ई० में कपिलवस्तु में (नेपाल की तराई में स्थित) • मृत्यु-483 ई० में कुशीनारा में (देवरियाउ० प्र०) • ज्ञान प्राप्ति -बोध गया। • प्रथम उपदेश-सारनाथ स्थित मृगदाव में महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाओं के चिह्न या प्रतीक घटनाओं के चिह्न या प्रतीक जन्म के सातवें दिन गौतम बुद्ध की माता महामाया का देहान्त हो गया। इनका पालन पोषण इनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया। सांसारिक दु:खों के प्रति चिंतनशील सिद्धार्थ को वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं लगा। गौतम सिद्धार्थ के मन में वैराग्य भाव को प्रबल करने वाली चार घटनायें अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। • इन दृश्यों ने उनके सांसारिक वितृष्णा के भाव को और मजबूत कर दिया। ज्ञान की खोज में सिद्धार्थ गौतम • उनतीस वर्ष की आयु में सिद्धार्थ गौतम ने ज्ञानप्राप्ति के लिए गृहत्याग कर दिया। • गृहत्याग के पश्चात उन्होंने 7 दिन अनूपिय नामक बाग में बिताया तत्पश्चात वे राजगृह पहुँचे।। • कालान्तर में वे आलार कालाम नामक तपस्वी के संसर्ग में आए। • पुन: रामपुत्त नामक एक अन्य आचार्य के पास गए। परन्तु उन्हें संतुष्टि नहीं प्राप्त हुई। • आगे बढ़ते हुए गौतम उरुवेला पहुँचे यहाँ उन्हें कौण्डिन्य आदि 5 ब्राह्मण मिले। • इनके साथ कुछ समय तक रहे परन्तु इनका भी साथ इन्होंने छोड़ दिया। • सात वर्ष तक जगह-जगह भटकने के पश्चात अन्त में गौतम सिद्धार्थ गया पहुँचे। • यहाँ उन्होंने निरंजना नदी में स्नान करके एक पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि लगाई। • यहीं आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा पर गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ। • इस समय इनकी उम्र 35 वर्ष थी। उस समय से वे बुद्ध कहलाए। धर्मचक्रप्रवर्तन • गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वारा...

प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म/बौद्ध धर्म) Question

प्रश्न 1बौद्ध धर्म की द्वितीय संगीति कहाँ हुई - (अ)राजगृह (ब)वैशाली (स)पाटलीपुत्र (द)कश्मीर उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 2जैन दर्शन में सर्वश्रेष्ठ एवं पूर्ण ज्ञान को कहा जाता है - (अ)मति (ब)श्रुति (स)अवधि (द)कैवल्य उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 3संघ में पुरुषों और स्त्रियों के रहने की अलग-अलग व्यवस्था थी, यह हमें किस त्रिपिटक से पता चलता है - (अ)अभिधम्म पिटक (ब)सुत्त पिटक (स)विनय पिटक (द)इनमें से कोई नहीं उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 4वर्तमान रूप में उपलब्ध भगवान महावीर एवं उनके अनुयायियों की शिक्षाएँ लगभग 1500 वर्ष पूर्व गुजरात में किस स्थान पर लिखी गई थीं - (अ)वल्लभी (ब)लोथल (स)रंगपुर (द)भरुच उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 5वर्धमान महावीर किस वंश से संबंधित थे - (अ)लिच्छवी (ब)हर्यक (स)शाक्य (द)सातवाहन उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 6थेरीगाथा के संबंध में कौन सा कथन सत्य है ? I. यह सुत्त पिटक का हिस्सा है। II. इसमें भिक्खुनियों द्वारा रचित छंदों का संकलन किया गया है। III. यह विनय पिटक का हिस्सा है। IV. इसमें महिलाओं के सामाजिक और आध्यात्मिक अनुभवों के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है। (अ)I, II, III (ब)I, II, IV (स)II, III, IV (द)I, III, IV उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 7भारतीय दर्शन की छ: पद्धति (षड्दर्शन) में कौन शामिल है - (अ)सत्यार्थ प्रकाश (ब)वैशेषिक (स)महाभारत (द)उपनिषद् उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 8कौन से बौद्ध ग्रंथ में बौद्ध संघ या मठों में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था - (अ)विनय पिटक (ब)सुत्त पिटक (स)अभिधम्म पिटक (द)जातक उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 9एक राजा अवन्तिपुत्र और बुद्ध के अनुयायी कच्चन के बीच संवाद कौन से बौद्ध ग्रंथ में है - (अ)दीघ निकाय (ब)खुद्दक निकाय (स)मज्झिम निकाय (द)अंगुत...

प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म/बौद्ध धर्म) Question

प्रश्न 5वर्धमान महावीर किस वंश से संबंधित थे - (अ)लिच्छवी (ब)हर्यक (स)शाक्य (द)सातवाहन उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 6थेरीगाथा के संबंध में कौन सा कथन सत्य है ? I. यह सुत्त पिटक का हिस्सा है। II. इसमें भिक्खुनियों द्वारा रचित छंदों का संकलन किया गया है। III. यह विनय पिटक का हिस्सा है। IV. इसमें महिलाओं के सामाजिक और आध्यात्मिक अनुभवों के बारे में अंतर्दृष्टि मिलती है। (अ)I, II, III (ब)I, II, IV (स)II, III, IV (द)I, III, IV उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 7भारतीय दर्शन की छ: पद्धति (षड्दर्शन) में कौन शामिल है - (अ)सत्यार्थ प्रकाश (ब)वैशेषिक (स)महाभारत (द)उपनिषद् उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 8कौन से बौद्ध ग्रंथ में बौद्ध संघ या मठों में रहने वाले लोगों के लिए नियमों का संग्रह था - (अ)विनय पिटक (ब)सुत्त पिटक (स)अभिधम्म पिटक (द)जातक उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 9एक राजा अवन्तिपुत्र और बुद्ध के अनुयायी कच्चन के बीच संवाद कौन से बौद्ध ग्रंथ में है - (अ)दीघ निकाय (ब)खुद्दक निकाय (स)मज्झिम निकाय (द)अंगुतर निकाय उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 10भारत में जैन अनुयायियों का प्रतिशत कितना है - (अ)0.37% (ब)0.70% (स)0.66% (द)0.24% उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 11निम्न में से कौनसा असुमेलित है - घटनाएं - चिन्ह (अ)बुद्ध का जन्म - कमल (ब)बुद्ध का गृहत्याग - बैल (स)बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति - पीपल का वृक्ष (द)बुद्ध का निर्वाण - पद्चिह्न, स्तूप उत्तर SHOW ANSWER प्रश्न 12महावीर स्वामी के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः 1. उनका जन्म लुम्बिनी में हुआ 2. उनके बचपन का नाम वर्द्धमान था 3. उनकी माता का नाम महामाया था 4. वे जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर थे उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/ हैं - (अ)केवल 2 (ब)2, 3 (स)1...

बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार

बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध द्वारा लगभग 600 ईसापूर्व की गयी थी| तत्कालिक परिस्थितियों में अधिक प्रासंगिक होने के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म भारत ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों में भी फलता-फूलता गया| बुद्ध ने बौद्ध धर्म में विश्वास करने वाले सक्रीय अनुयायियों वाले बौद्ध संघ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने मध्यममार्गी नियमों को अपनाया| उन्होंने दार्शनिक एवं सामाजिक शिक्षा को दिया| त्रिरत्न, चार आर्य सत्य, बौद्ध तत्व मीमांसा विचार बौद्ध धर्म प्रमुख दर्शन है| बुद्ध की मृत्यु के बाद अलग-अलग विवादों को लेकर समय-समय पर कई बौद्ध सभाएं हुई| हम इस लेख में बौद्ध धर्म के उदय के कारण और इन जैसे तमाम प्रमुख मुद्दों को बता रहे है| Buddhism in hindi. बौद्ध धर्म के उदय होने का कारण क्या है लगभग 600 ईसापूर्व गंगा घाटी के आस-पास लगभग 62 छोटे-बड़े नए विचारकों का उद्भव हुआ| इनमें से एक प्रमुख विचारक गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म को स्थापित किया| तत्कालिक परिस्थितियों के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म फलता-फूलता गया| सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि आस-पास के देशों में भी इसका व्यापक प्रसार एवं उदय हुआ| बौद्ध धर्म के उदय के कारणों को आर्थिक सामाजिक एवं धार्मिक कारण के रूप में देखा जा सकता है| आर्थिक कारण तत्कालिक समय में नयी कृषिमुलक अर्थव्यवस्था तथा व्यापार वाणिज्य का तेजी से विकास हो रहा था लेकिन वैदिक धर्म इसके विकास में बाधा पहुंचा रहा था. वैदिक धर्म में बलि जैसी प्रथा के कारण कृषि एवं संबंधित कार्य हेतु पशुओं की कमपाई हो रही थी. वैदिक धर्म कुशीदन (सूदखोरी) की निंदा करता था जबकि इस समय यह एक प्रमुख जरूरत बन चुकी थी. ऐसे में बौद्ध धर्म के प्रति का...

बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता

मोनिका राज बौद्ध धर्म ऐसे नियमों का संग्रह है जो हमें यथार्थ के सही स्वरूप को पहचान कर अपनी संपूर्ण मानवीय क्षमताओं को विकसित करने में सहायता करता है। बौद्ध दर्शन में परस्पर निर्भरता, सापेक्षता और कारण-कार्य संबंध जैसे विषयों के बारे में चर्चा की जाती है। इसमें समुच्चय सिद्धांत और तर्क-वितर्क पर आधारित तर्कशास्त्र की एक विस्तृत व्यवस्था है जो हमें अपने चित्त की दोषपूर्ण कल्पनाओं को समझने में सहायता करती है। बौद्ध नीतिशास्त्र स्वयं अपने लिए और दूसरों के लिए हितकारी और हानिकारक बातों के बीच भेद करने की योग्यता पर आधारित है। बौद्ध धर्म मूलत: अनीश्वरवादी और अनात्मवादी है। अर्थात इसमें ईश्वर और आत्मा की सत्ता को स्वीकार नहीं किया गया है। लेकिन पुनर्जन्म को मान्यता दी गई है। बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्यों का उपदेश दिया और मध्यम मार्ग बता कर रास्ते दिखाए। आज विश्व में हिंसा और सामाजिक भेदभाव बढ़ रहा है। मनुष्य विचारों से हिंसात्मक होता जा रहा है। आतंकवाद या फिर दो देशों के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। ऐसी विकट परिस्थिति में बौद्ध दर्शन कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो जाता है। व्यक्ति के विनाशकारी विचारों को बदलना और उन पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है। लगभग ढाई हजार साल पहले बुद्ध ने मानवीय प्रवृतियों का विश्लेषण करते हुए कहा था कि मनुष्य का मन ही सारे कर्मों का नियंता है। इसलिए मानव की गलत प्रवृतियों को नियंत्रित करने के लिए उसके मन में सदविचारों का प्रवाह कर उसे सदमार्ग पर ले जाना जरूरी है। उन्होंने यह सदमार्ग बौद्ध धर्म के रूप में दिया था। अत: आज मानव-मात्र की कुप्रवृत्तियों, जैसे- हिंसा, शत्रुता, द्वेष, लोभ आदि से मुक्ति पाने के लिए बौद्ध दर्शन को समझने जरूरत है। महा...

बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न

बौद्ध धर्म महत्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाएं • जन्म-563 ई० में कपिलवस्तु में (नेपाल की तराई में स्थित) • मृत्यु-483 ई० में कुशीनारा में (देवरियाउ० प्र०) • ज्ञान प्राप्ति -बोध गया। • प्रथम उपदेश-सारनाथ स्थित मृगदाव में महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाओं के चिह्न या प्रतीक घटनाओं के चिह्न या प्रतीक जन्म के सातवें दिन गौतम बुद्ध की माता महामाया का देहान्त हो गया। इनका पालन पोषण इनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया। सांसारिक दु:खों के प्रति चिंतनशील सिद्धार्थ को वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं लगा। गौतम सिद्धार्थ के मन में वैराग्य भाव को प्रबल करने वाली चार घटनायें अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। • इन दृश्यों ने उनके सांसारिक वितृष्णा के भाव को और मजबूत कर दिया। ज्ञान की खोज में सिद्धार्थ गौतम • उनतीस वर्ष की आयु में सिद्धार्थ गौतम ने ज्ञानप्राप्ति के लिए गृहत्याग कर दिया। • गृहत्याग के पश्चात उन्होंने 7 दिन अनूपिय नामक बाग में बिताया तत्पश्चात वे राजगृह पहुँचे।। • कालान्तर में वे आलार कालाम नामक तपस्वी के संसर्ग में आए। • पुन: रामपुत्त नामक एक अन्य आचार्य के पास गए। परन्तु उन्हें संतुष्टि नहीं प्राप्त हुई। • आगे बढ़ते हुए गौतम उरुवेला पहुँचे यहाँ उन्हें कौण्डिन्य आदि 5 ब्राह्मण मिले। • इनके साथ कुछ समय तक रहे परन्तु इनका भी साथ इन्होंने छोड़ दिया। • सात वर्ष तक जगह-जगह भटकने के पश्चात अन्त में गौतम सिद्धार्थ गया पहुँचे। • यहाँ उन्होंने निरंजना नदी में स्नान करके एक पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि लगाई। • यहीं आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा पर गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ। • इस समय इनकी उम्र 35 वर्ष थी। उस समय से वे बुद्ध कहलाए। धर्मचक्रप्रवर्तन • गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वारा...

बौद्ध धर्म का उदय, दर्शन, शिक्षा एवं प्रसार

बौद्ध धर्म की स्थापना गौतम बुद्ध द्वारा लगभग 600 ईसापूर्व की गयी थी| तत्कालिक परिस्थितियों में अधिक प्रासंगिक होने के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म भारत ही नहीं आस-पास के क्षेत्रों में भी फलता-फूलता गया| बुद्ध ने बौद्ध धर्म में विश्वास करने वाले सक्रीय अनुयायियों वाले बौद्ध संघ की स्थापना की, जिसमें उन्होंने मध्यममार्गी नियमों को अपनाया| उन्होंने दार्शनिक एवं सामाजिक शिक्षा को दिया| त्रिरत्न, चार आर्य सत्य, बौद्ध तत्व मीमांसा विचार बौद्ध धर्म प्रमुख दर्शन है| बुद्ध की मृत्यु के बाद अलग-अलग विवादों को लेकर समय-समय पर कई बौद्ध सभाएं हुई| हम इस लेख में बौद्ध धर्म के उदय के कारण और इन जैसे तमाम प्रमुख मुद्दों को बता रहे है| Buddhism in hindi. बौद्ध धर्म के उदय होने का कारण क्या है लगभग 600 ईसापूर्व गंगा घाटी के आस-पास लगभग 62 छोटे-बड़े नए विचारकों का उद्भव हुआ| इनमें से एक प्रमुख विचारक गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म को स्थापित किया| तत्कालिक परिस्थितियों के कारण एक बहुत बड़ी जनमत ने इन विचारों को अपनाया तथा यह धर्म फलता-फूलता गया| सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि आस-पास के देशों में भी इसका व्यापक प्रसार एवं उदय हुआ| बौद्ध धर्म के उदय के कारणों को आर्थिक सामाजिक एवं धार्मिक कारण के रूप में देखा जा सकता है| आर्थिक कारण तत्कालिक समय में नयी कृषिमुलक अर्थव्यवस्था तथा व्यापार वाणिज्य का तेजी से विकास हो रहा था लेकिन वैदिक धर्म इसके विकास में बाधा पहुंचा रहा था. वैदिक धर्म में बलि जैसी प्रथा के कारण कृषि एवं संबंधित कार्य हेतु पशुओं की कमपाई हो रही थी. वैदिक धर्म कुशीदन (सूदखोरी) की निंदा करता था जबकि इस समय यह एक प्रमुख जरूरत बन चुकी थी. ऐसे में बौद्ध धर्म के प्रति का...

बौद्ध धर्म का इतिहास, सम्पूर्ण कवरेज, वीडियो, ऑडियो एवं प्रश्न

बौद्ध धर्म महत्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाएं • जन्म-563 ई० में कपिलवस्तु में (नेपाल की तराई में स्थित) • मृत्यु-483 ई० में कुशीनारा में (देवरियाउ० प्र०) • ज्ञान प्राप्ति -बोध गया। • प्रथम उपदेश-सारनाथ स्थित मृगदाव में महात्मा बुद्ध के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्णघटनाओं के चिह्न या प्रतीक घटनाओं के चिह्न या प्रतीक जन्म के सातवें दिन गौतम बुद्ध की माता महामाया का देहान्त हो गया। इनका पालन पोषण इनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया। सांसारिक दु:खों के प्रति चिंतनशील सिद्धार्थ को वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं लगा। गौतम सिद्धार्थ के मन में वैराग्य भाव को प्रबल करने वाली चार घटनायें अत्यन्त प्रसिद्ध हैं। • इन दृश्यों ने उनके सांसारिक वितृष्णा के भाव को और मजबूत कर दिया। ज्ञान की खोज में सिद्धार्थ गौतम • उनतीस वर्ष की आयु में सिद्धार्थ गौतम ने ज्ञानप्राप्ति के लिए गृहत्याग कर दिया। • गृहत्याग के पश्चात उन्होंने 7 दिन अनूपिय नामक बाग में बिताया तत्पश्चात वे राजगृह पहुँचे।। • कालान्तर में वे आलार कालाम नामक तपस्वी के संसर्ग में आए। • पुन: रामपुत्त नामक एक अन्य आचार्य के पास गए। परन्तु उन्हें संतुष्टि नहीं प्राप्त हुई। • आगे बढ़ते हुए गौतम उरुवेला पहुँचे यहाँ उन्हें कौण्डिन्य आदि 5 ब्राह्मण मिले। • इनके साथ कुछ समय तक रहे परन्तु इनका भी साथ इन्होंने छोड़ दिया। • सात वर्ष तक जगह-जगह भटकने के पश्चात अन्त में गौतम सिद्धार्थ गया पहुँचे। • यहाँ उन्होंने निरंजना नदी में स्नान करके एक पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि लगाई। • यहीं आठवें दिन वैशाख पूर्णिमा पर गौतम को ज्ञान प्राप्त हुआ। • इस समय इनकी उम्र 35 वर्ष थी। उस समय से वे बुद्ध कहलाए। धर्मचक्रप्रवर्तन • गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन वारा...