बच्चेदानी में गांठ होने से क्या प्रॉब्लम होती है

  1. बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? – Expert
  2. बच्‍चेदानी की गांठ से हो सकता है बांझपन, जाने कैसे करें इसका इलाज
  3. यूट्रस में ट्यूमर कैसे होता है?
  4. बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन, गर्भाशय हटाने की सर्जरी
  5. बच्चेदानी की गांठ को कैसे ठीक करें
  6. बच्चेदानी में गांठ या रसौली भी बन सकती है माँ बनने में परेशानी
  7. बच्चेदानी की गांठ को कैसे ठीक करें
  8. बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन, गर्भाशय हटाने की सर्जरी
  9. यूट्रस में ट्यूमर कैसे होता है?
  10. बच्‍चेदानी की गांठ से हो सकता है बांझपन, जाने कैसे करें इसका इलाज


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बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन कैसे किया जाता है? दूरबीन से बच्चेदानी की रसौली का ऑपरेशन : इस सर्जरी कीविधि के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड गैस अंदर डाली जाती है जिससे पेट अच्छे से फूल जाता है जिससे अंदर आसानी से औजार डल सके। यह गैस पूर्णतः नुकसान रहित है। उसके बाद रसौली को अंदर ही तोड़ा जाता है और बाहर निकाल दिया जाता है। बच्चेदानी के ऑपरेशन में कितना समय लगता है? इसे करने की कुल अवधि 40-80 मिनट की है। इससे बड़े आकार का गर्भाशय भी हटा सकते हैं। Total Laparoscopic Hysterectomy (TLH) Surgery के बाद लगभग 7 दिन के अंदर मरीज की रिकवरी हो जाती है। अस्पताल से रोगी या तो उसी दिन कुछ घंटों बाद या अगले दिन घर लौट सकती है। दूरबीन से बच्चेदानी का ऑपरेशन कैसे होता है? दूरबीन शल्य चिकित्सा पद्धति को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी कहा जाता है यह चिकित्सा की अत्याधुनिक पद्धति है दूरबीन सर्जरी में मुख्य रूप से एक टेलीस्कोप को वीडियो कैमरा के साथ जोड़ा जाता है और कैमरे को छोटे चीरे के द्वारा जो नाभि के नीचे लगाया जाता है पेट में डाला जाता है। बच्चेदानी के ऑपरेशन के बाद कितने दिन बाद काम करना चाहिए? सर्जरी के 1 या 2 दिन के बाद आईवी और कैथेटर को निकाल दिया जाता है। आपको 3 से 5 दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। घर जाने के बाद, आपको बहुत सारा आराम करना होगा। 4 से 6 सप्ताह के लिए कोई भी भारी सामान न उठाएँ या अपने पेट की मांसपेशियों पर कोई दबाव न डालें। बच्चेदानी में गांठ क्यों बन जाती है? बच्चेदानी में गांठ के कारण (Uterine fibroids Causes) मेयो क्लिनिक का मानना है कि डॉक्टर बच्चेदानी में गांठ के कारण नहीं जानते हैं। लेकिन कई अध्ययनों और शोधकर्ताओं ने इस...

बच्‍चेदानी की गांठ से हो सकता है बांझपन, जाने कैसे करें इसका इलाज

To Start receiving timely alerts please follow the below steps: • Click on the Menu icon of the browser, it opens up a list of options. • Click on the “Options ”, it opens up the settings page, • Here click on the “Privacy & Security” options listed on the left hand side of the page. • Scroll down the page to the “Permission” section . • Here click on the “Settings” tab of the Notification option. • A pop up will open with all listed sites, select the option “ALLOW“, for the respective site under the status head to allow the notification. • Once the changes is done, click on the “Save Changes” option to save the changes. गर्भाशय से जुड़ी बीमारियां महिलाओं के गर्भाधरण करने में बाधा उत्‍पन्‍न कर सकता हैं। तीन में से एक महिला को अनियमित माहवारी की समस्‍या से जूझना पड़ता है, जिससे उन्‍हें गर्भाशय में सिस्‍ट या फाइब्रॉयड जैसी घातक बीमारी का शिकार होना पड़ता है। फाइब्रॉइड जिसे आम भाषा में बच्चेदानी की गांठ या गर्भाशय में रसौली भी कहते हैं। इस समस्या में महिला के गर्भाशय में कोई मांसपेशी असामान्य रूप से ज्यादा विकसित हो जाती है और धीरे-धीरे गांठ बन जाती है। ये एक तरह का ट्यूमर है। महिला के गर्भाशय में पाई जाने वाली ये गांठ मटर के दाने से लेकर क्रिकेट बॉल जितनी बड़ी हो सकती है। जिसकी वजह से महिलाओं में मां बनने का सपना अधूरा रह जाता है। आइए आपको बताते हैं गर्भाशय में गांठ होने पर किन तरीकों से इसका इलाज किया जा सकता है। बच्चेदानी में गांठ के क्या हैं लक्षण गर्भाशय की मांसपेशियों का असामान्य रूप से विकास होने लगता है तो उसे फाइब्रॉएड कहा जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों के बाहरी ...

यूट्रस में ट्यूमर कैसे होता है?

गलत खान-पान और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण आजकल 10 में से 7 महिलाएं किसी न किसी हैल्थ प्रॉब्लम की शिकार हैं। इन्हीं में से एक हैं गर्भाश्य में ट्यूमर। पिछले कुछ सालों से महिलाओं में से यह समस्या तेजी से बढ़ती दिख रही है। भारत में कुल 1/3 महिलाएं गर्भाशय ट्यूमर से पीड़ित है, जिसमें 30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं की संख्या ज्यादा है। महिलाओं में तेजी से बढ़ता गर्भाशय ट्यूमर शोध के अनुसार, हर साल लगभग 1.5 लाख महिलाओं को बच्चेदानी में ट्यूमर होता है और इनमें से 62 हजार की मौत हो जाती है। गर्भाशय ट्यूमर ऐसी बीमारी है जो आंत, मूत्राशय, लिम्फ नोड्स, पेट, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो यह कैंसर का रूप ले लेती है। चलिए आपको बताते हैं कि महिलाओं में यह बीमारी क्यों बढ़ रही है और इससे बचाव कैसे किया जाए। कैसे फैलती है यह बीमारी? यह बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पौपीलोमा वायरस) से फैलता है। हालांकि सही समय पर सही इलाज से इस वायरस को खत्म भी किया जा सकता है लेकिन इसकी अनदेखी महिलाओं के लिए मौत का कारण बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि 30 की उम्र के बाद महिलाएं इसकी नियमित जांच करवाएं। ट्यूमर के कारण -इसका सबसे पहला कारण तो माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन है। दरअसल, महिलाएं पीरियड्स के समय पर्सनल हाइजीन का ख्याल नहीं रखती। एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल और प्राइवेट पार्ट की सफाई ना करने से इसका खतरा बढ़ जाता है। -गर्भनिरोधक दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बार-बार गर्भधारण करना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध या कम उम्र में शादी भी इसके कारण हो सकते हैं। किन महिलाओं को अधिक खतरा जिन महिलाओं में टेस्टोस्टे...

बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन, गर्भाशय हटाने की सर्जरी

बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन (हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी) हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी) असामान्य और अत्यधिक रक्तस्राव, असामान्य पेट में ऐंठन, गर्भाशय में फाइब्रॉएड या एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए सबसे सही ट्रीटमेंट है। गर्भाशय और अन्य प्रजनन अंगों को हटाने से न केवल एक महिला को दर्दनाक स्थितियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और उसे एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने की राह आसान है। हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी) असामान्य और अत्यधिक रक्तस्राव, असामान्य पेट में ऐंठन, गर्भाशय में फाइब्रॉएड या एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए सबसे ... सही ट्रीटमेंट है। गर्भाशय और अन्य प्रजनन अंगों को हटाने से न केवल एक महिला को दर्दनाक स्थितियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और उसे एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने की राह आसान है। Read More Call Us: 7358-710-804 हिस्टेरेक्टॉमी क्या है? हिस्टेरेक्टॉमी बच्चेदानी निकालने की सर्जिकल प्रक्रिया है जो गर्भाशय को हटा देती है। एक बार जब एक महिला हिस्टेरेक्टॉमी से गुजरती है, तो उसे मासिक धर्म नहीं होगा या गर्भवती होने की क्षमता नहीं होगी। असामान्य रक्तस्राव, गर्भाशय फाइब्रॉएड, गर्भाशय आगे को बढ़ाव, एडिनोमायोसिस और गर्भाशय में कैंसर के कारण एक महिला को हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) से गुजरना पड़ सकता है। ... विदेशों में हिस्टरेक्टॉमी ( बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) का प्रचलन 10 से 20 प्रतिशत से ज्यादा है। वहीं भारत में 30 से 49 वर्ष की प्रत्येक 100 महिलाओं में से 6 को हिस्टेरेक्टॉमी से गुजरना पड़ता है। 45-49 वर्ष के आयु वर्ग में प्रति 100 महिलाओं में यह प्रचलन लगभग 11 है। Read More प्रिस्टिन केयर में प्रशिक्...

बच्चेदानी की गांठ को कैसे ठीक करें

जैसे- की कई महिलाओं को अनियमित माहवारी की समस्या हो सकती है। और इसके होने के कारण उनके गर्भाशय में सिस्‍ट या यूट्रीन फाइब्रॉयड जैसी बीमारी हो जाती है। बच्चेदानी में रसौली या गाँठ के होने को ही फाइब्रॉयड कहा जाता है। रसौली एक प्रकार की गांठे होती है जो की गर्भाशय के ईध-गिर्ध उभरती हैं। इनका आकार निश्चित नहीं होता यह मांसपेशियां और फाइब्रस उत्तकों की बनती है। यदि महिला को यह बीमारी हो जाती है तो इसके होने के कारण महिला को बांझपन जैसी घातक परेशानी से जूझना पड़ सकता है। तो आइये आज हम लेख के जरिए जानेंगे की गर्भाशय यानी बच्चेदानी में रसौली के होने के पीछे क्या कारण होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, बच्चेदानी का इन्फेक्शन, गांठ, सूजन, छाले को कैसे ठीक करें. साथ ही यह भी जानेंगे कि इस परेशानी से बचने के लिए कौन कौन से घरेलू तरीके का इस्तेमाल कर सकते है, क्योंकि आप आसानी से घरेलू तरीकों का इस्तेमाल करके भी इस समस्या से आसानी से राहत पा सकते है। बच्चेदानी में रसौली या गाँठ बच्चेदानी में गांठ होने के कारण:- Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • Tumor In Uterus Fibroids Reason • बच्चेदानी में गांठ होने की समस्या के होने का कारण अनुवांशिक भी हो सकता है मतलब यदि महिला के परिवार में पहले से ही कोई महिला यदि इस समस्या से पीड़ित हो तो यह बीमारी आपको भी हो। • शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण भी गांठ की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। • महिला की बढ़ती उम्र के कारण भी बच्चेदानी में रसौली या गांठ की समस्या होती है। • अधिक मोटापा भी बच्चेदानी में गांठ का कारण बन सकता है। • प्रेगनेंसी के दौरान हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिला को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ...

बच्चेदानी में गांठ या रसौली भी बन सकती है माँ बनने में परेशानी

बच्चेदानी में गांठ या रसौली भी बन सकती है माँ बनने में परेशानी प्रजनन उम्र की महिलाों में आज की खराब जीवनशैली के चलते कुछ न कुछ परेशानी जरुर देखने को मिल रही है। बच्चेदानी में गांठ या फिर रसौली भी प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है, जो कितनी महिलाएं बच्चेदानी में गांठ या रसौली का सामना कर रही हैंं ? इस बारें में बात की जाए तो करीब 20 से 80 प्रतिशत महिलाओं में 50 या फिर उसके आसपास की उम्र में रसौली होने की अधिक संभावना देखने को मिलती है। 25 से 30 फीसदी महिलाओं में 30 प्रतिशत तक बच्चेदानी में गांठ के लक्षण दिखाई देते है। इन दोनों आंकड़ो के आधार पर यह साफ-साफ दिखाई दे रहा है , कि बच्चेदानी में रसौली की समस्या प्रजनन उम्र की महिलाओं को होतीहै। बच्चेदानी में गांठ के लक्षण महिलाओं के गर्भाशय में जब गांठ बन जाती है तो साफ तौर पर उसके लक्षण नही दिखाई देते है। फिर भी कुछ महिलाओं को कुछ ऐसे अहसास होते है जो गर्भाशय में गांठ की ओर इशारा करते है। • माहवारी के समय में अधिक ब्लीडिंग की समस्या । • पीरियड्स में अधिक तेज दर्द का सामना करना। • पीरियड्स के आने से पहले स्पॉटिंग होना। • पीरियड्स समय से न आने या फिर देर तक पीरियड्स रहना। • संभोग के दौरान अधिक पीड़ा होना । • इनफर्टिलिटी, कब्ज, मिसकैरेज होना । • प्रीटर्म लेवर और बार-बार पेशाब आने की परेशानी बनी रहना। ये भी पढ़े – बांझपन का आयुर्वेदिक इलाज – Female Infertility Treatment in Ayurveda in Hindi क्या प्रेगनेंसी के दौरान भी रसौली हो सकती है ? जी हाँ, कुछ मामलों में यह भी देखने को मिलता है। कि जब कोई महिला गर्भवती होती है । पर एक अच्छी बात यह है कि उस दौरान रसौली का आकर बहुत ही कम बढ़ता है। क्योंकि रसौली को जितना बढ़ना होता है वह गर्...

बच्चेदानी की गांठ को कैसे ठीक करें

जैसे- की कई महिलाओं को अनियमित माहवारी की समस्या हो सकती है। और इसके होने के कारण उनके गर्भाशय में सिस्‍ट या यूट्रीन फाइब्रॉयड जैसी बीमारी हो जाती है। बच्चेदानी में रसौली या गाँठ के होने को ही फाइब्रॉयड कहा जाता है। रसौली एक प्रकार की गांठे होती है जो की गर्भाशय के ईध-गिर्ध उभरती हैं। इनका आकार निश्चित नहीं होता यह मांसपेशियां और फाइब्रस उत्तकों की बनती है। यदि महिला को यह बीमारी हो जाती है तो इसके होने के कारण महिला को बांझपन जैसी घातक परेशानी से जूझना पड़ सकता है। तो आइये आज हम लेख के जरिए जानेंगे की गर्भाशय यानी बच्चेदानी में रसौली के होने के पीछे क्या कारण होता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, बच्चेदानी का इन्फेक्शन, गांठ, सूजन, छाले को कैसे ठीक करें. साथ ही यह भी जानेंगे कि इस परेशानी से बचने के लिए कौन कौन से घरेलू तरीके का इस्तेमाल कर सकते है, क्योंकि आप आसानी से घरेलू तरीकों का इस्तेमाल करके भी इस समस्या से आसानी से राहत पा सकते है। बच्चेदानी में रसौली या गाँठ बच्चेदानी में गांठ होने के कारण:- Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • Tumor In Uterus Fibroids Reason • बच्चेदानी में गांठ होने की समस्या के होने का कारण अनुवांशिक भी हो सकता है मतलब यदि महिला के परिवार में पहले से ही कोई महिला यदि इस समस्या से पीड़ित हो तो यह बीमारी आपको भी हो। • शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण भी गांठ की परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। • महिला की बढ़ती उम्र के कारण भी बच्चेदानी में रसौली या गांठ की समस्या होती है। • अधिक मोटापा भी बच्चेदानी में गांठ का कारण बन सकता है। • प्रेगनेंसी के दौरान हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण भी महिला को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ...

बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन, गर्भाशय हटाने की सर्जरी

बच्चेदानी में गांठ का ऑपरेशन (हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी) हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी) असामान्य और अत्यधिक रक्तस्राव, असामान्य पेट में ऐंठन, गर्भाशय में फाइब्रॉएड या एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए सबसे सही ट्रीटमेंट है। गर्भाशय और अन्य प्रजनन अंगों को हटाने से न केवल एक महिला को दर्दनाक स्थितियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और उसे एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने की राह आसान है। हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय हटाने की सर्जरी) असामान्य और अत्यधिक रक्तस्राव, असामान्य पेट में ऐंठन, गर्भाशय में फाइब्रॉएड या एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं के लिए सबसे ... सही ट्रीटमेंट है। गर्भाशय और अन्य प्रजनन अंगों को हटाने से न केवल एक महिला को दर्दनाक स्थितियों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है और उसे एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने की राह आसान है। Read More Call Us: 7358-710-804 हिस्टेरेक्टॉमी क्या है? हिस्टेरेक्टॉमी बच्चेदानी निकालने की सर्जिकल प्रक्रिया है जो गर्भाशय को हटा देती है। एक बार जब एक महिला हिस्टेरेक्टॉमी से गुजरती है, तो उसे मासिक धर्म नहीं होगा या गर्भवती होने की क्षमता नहीं होगी। असामान्य रक्तस्राव, गर्भाशय फाइब्रॉएड, गर्भाशय आगे को बढ़ाव, एडिनोमायोसिस और गर्भाशय में कैंसर के कारण एक महिला को हिस्टेरेक्टॉमी (बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) से गुजरना पड़ सकता है। ... विदेशों में हिस्टरेक्टॉमी ( बच्चेदानी निकालने की सर्जरी) का प्रचलन 10 से 20 प्रतिशत से ज्यादा है। वहीं भारत में 30 से 49 वर्ष की प्रत्येक 100 महिलाओं में से 6 को हिस्टेरेक्टॉमी से गुजरना पड़ता है। 45-49 वर्ष के आयु वर्ग में प्रति 100 महिलाओं में यह प्रचलन लगभग 11 है। Read More प्रिस्टिन केयर में प्रशिक्...

यूट्रस में ट्यूमर कैसे होता है?

गलत खान-पान और भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण आजकल 10 में से 7 महिलाएं किसी न किसी हैल्थ प्रॉब्लम की शिकार हैं। इन्हीं में से एक हैं गर्भाश्य में ट्यूमर। पिछले कुछ सालों से महिलाओं में से यह समस्या तेजी से बढ़ती दिख रही है। भारत में कुल 1/3 महिलाएं गर्भाशय ट्यूमर से पीड़ित है, जिसमें 30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं की संख्या ज्यादा है। महिलाओं में तेजी से बढ़ता गर्भाशय ट्यूमर शोध के अनुसार, हर साल लगभग 1.5 लाख महिलाओं को बच्चेदानी में ट्यूमर होता है और इनमें से 62 हजार की मौत हो जाती है। गर्भाशय ट्यूमर ऐसी बीमारी है जो आंत, मूत्राशय, लिम्फ नोड्स, पेट, लिवर और फेफड़ों को प्रभावित करता है। अगर समय रहते इसका इलाज ना किया जाए तो यह कैंसर का रूप ले लेती है। चलिए आपको बताते हैं कि महिलाओं में यह बीमारी क्यों बढ़ रही है और इससे बचाव कैसे किया जाए। कैसे फैलती है यह बीमारी? यह बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पौपीलोमा वायरस) से फैलता है। हालांकि सही समय पर सही इलाज से इस वायरस को खत्म भी किया जा सकता है लेकिन इसकी अनदेखी महिलाओं के लिए मौत का कारण बन सकती है। ऐसे में जरूरी है कि 30 की उम्र के बाद महिलाएं इसकी नियमित जांच करवाएं। ट्यूमर के कारण -इसका सबसे पहला कारण तो माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन है। दरअसल, महिलाएं पीरियड्स के समय पर्सनल हाइजीन का ख्याल नहीं रखती। एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल और प्राइवेट पार्ट की सफाई ना करने से इसका खतरा बढ़ जाता है। -गर्भनिरोधक दवाओं का लंबे समय तक सेवन करने से भी इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा बार-बार गर्भधारण करना, कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध या कम उम्र में शादी भी इसके कारण हो सकते हैं। किन महिलाओं को अधिक खतरा जिन महिलाओं में टेस्टोस्टे...

बच्‍चेदानी की गांठ से हो सकता है बांझपन, जाने कैसे करें इसका इलाज

To Start receiving timely alerts please follow the below steps: • Click on the Menu icon of the browser, it opens up a list of options. • Click on the “Options ”, it opens up the settings page, • Here click on the “Privacy & Security” options listed on the left hand side of the page. • Scroll down the page to the “Permission” section . • Here click on the “Settings” tab of the Notification option. • A pop up will open with all listed sites, select the option “ALLOW“, for the respective site under the status head to allow the notification. • Once the changes is done, click on the “Save Changes” option to save the changes. गर्भाशय से जुड़ी बीमारियां महिलाओं के गर्भाधरण करने में बाधा उत्‍पन्‍न कर सकता हैं। तीन में से एक महिला को अनियमित माहवारी की समस्‍या से जूझना पड़ता है, जिससे उन्‍हें गर्भाशय में सिस्‍ट या फाइब्रॉयड जैसी घातक बीमारी का शिकार होना पड़ता है। फाइब्रॉइड जिसे आम भाषा में बच्चेदानी की गांठ या गर्भाशय में रसौली भी कहते हैं। इस समस्या में महिला के गर्भाशय में कोई मांसपेशी असामान्य रूप से ज्यादा विकसित हो जाती है और धीरे-धीरे गांठ बन जाती है। ये एक तरह का ट्यूमर है। महिला के गर्भाशय में पाई जाने वाली ये गांठ मटर के दाने से लेकर क्रिकेट बॉल जितनी बड़ी हो सकती है। जिसकी वजह से महिलाओं में मां बनने का सपना अधूरा रह जाता है। आइए आपको बताते हैं गर्भाशय में गांठ होने पर किन तरीकों से इसका इलाज किया जा सकता है। बच्चेदानी में गांठ के क्या हैं लक्षण गर्भाशय की मांसपेशियों का असामान्य रूप से विकास होने लगता है तो उसे फाइब्रॉएड कहा जाता है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों के बाहरी ...