बड़े बड़ाई ना करे दोहा का अर्थ

  1. रहीम के दोहे in हिंदी (बड़े बड़ाई ना करे)
  2. बड़े बड़ाई ना करे दोहा का अर्थ
  3. नीति के दोहे कबीर रहीम Niti Ke Dohe Kabir Das Rahim In Hindi
  4. 121+ कबीर दास के दोहे ( हिन्दी अर्थ सहित )
  5. 75+ Rahim Ke Dohe


Download: बड़े बड़ाई ना करे दोहा का अर्थ
Size: 25.73 MB

रहीम के दोहे in हिंदी (बड़े बड़ाई ना करे)

Play 👇 Rahim ke dohe "बड़े बड़ाई ना करे, बड़े बोले ना बोल" here. Please update your browser does not support the audio element. रहीम के दोहे words बड़े बड़ाई ना करे, बड़े बोले ना बोल, रहिमन हीरा कब कहे लाख टका मेरा मोल रहीमा, लाख टका मेरा मोल। जो बड़ेन को लघु कहे, नहीं रहीम घट जाये, गिरिधर मुरलीधर कहे, कछु दुःख पावत नाही रहीमा, कछु दुःख पावत नाही। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय, टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाए रहीमा, जुड़े गाँठ पड़ जाए। निज कर क्रिया रहीम कही, सुधि भावी के हाथ, पांसे अपने हाथ में, दांव ना अपने हाथ रहीमा, दांव ना अपने हाथ। करमहीन रहीमन लखो, धँसों बड़े घर चोर, चिंतत ही बड़े नाम के, जागत है वो भोर रहीमा, जागत है वो भोर। कान्ह कामरी तामरी, जाड़ गए से काज, रहीमन भूख बुझाइये, कैसों मिले अनाज रहीमा, कैसों मिले अनाज। रहीमन प्रीति सराहिये, मिले होत रंग दून, जो जरदी हरदी तजे, तजे सफेदी जून रहीमा, तजे सफेदी जून। तादुर मोर किसान मन, लग्यो रहे घनमाहि, रहीमन चातक रटी निहुँ, सरवर को कछु नाहिं रहीमा, सरवर को कछु नाहिं। रहीमन प्रीति न कीजिये, जस खीरा ने कीन, ऊपर से तो दिल मिला, भीतर भाँके तीन रहीमा, भीतर भाँके तीन। नात नेह दूरी भली, तो रहीम जिए जानी, निकट निरादर होत है, जो गड़ही को पानी रहीमा, जो गड़ही को पानी। अंतर आग लगी रहे, धुंआ ना प्रगटे सोये, कै जिए जाने आपनो, बांसर बीती होये रहीमा, बांसर बीती होये। हित रहीम इत उ करे, जाकी जीत बिसात, नहीं यह रहे न वह रहे, तू है कहन को पांच रहीमा, तू है कहन को पांच। रहीमन चुप होये बैठिये, देखि दीनन को फेर, जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर रहीमा, बनत न लगिहैं देर। रहीमन निज मन की व्यथा, मन ही राखौ दोय, सुनी अठिलैहैं लोग सब, बांटी न लइहें...

बड़े बड़ाई ना करे दोहा का अर्थ

वानिया ने उन दोनों का स्वागत किया। एक-एक करके संध्या वंदन के लिए विप्र कुमार स्नान आदि से निवृत होने लगे। जब ब्राह्मण ज्योतिषि स्नान कर रहे थे, तब बनियों ने कर्मकांडी ब्राह्मण से उनके ज्ञान और स्वभाव के बारे में पूछा। ब्राह्मण कुमार को पैशुण्य की आदत थी, इसलिए कर्मकांडी ब्राह्मण ने अपने साथी ज्योतिषी के बारे में बताया कि "वह गधा है। अब उस व्यापारी ने रात्रि भोज के बाद दोनों के लिए पशुशाला में सोने की व्यवस्था की। जिसके बारे में बैल सुना, वह बैलों के साथ सोने के लिए मजबूर हो गया और जिसके बारे में गधे सुना, वह गधे के साथ सोने के लिए मजबूर हो गया। ब्राह्मण कुमारों ने सोचा कि यह संभव है कि इस बनिया में अतिथि कक्ष न हो, जिसके कारण वह असहाय हो गया और हमें पशुशाला में सुला दिया।

नीति के दोहे कबीर रहीम Niti Ke Dohe Kabir Das Rahim In Hindi

Niti Ke Dohe Kabir Das Rahim In Hindi: कबीर दास रहीम एवं तुलसीदास जी ने हिंदी साहित्य में नीति के दोहे की कई रचनाओं को लिखा हैं. नीति के दोहे में वही बाते कही गई हैं जो हमारे जीवन की सच्चाई हैं, अपने के अंह भाव में हम निष्पक्ष रूप से किसी वस्तु को नही देख पाते है जो हमारे इन महान कवियों एवं समाज सुधारकों ने देखा हैं. यहाँ कबीर रहीम के कुछ नीति के दोहे हिंदी भाषा में अर्थ के साथ प्रदर्शित किए जा रहे हैं. Kabir Das Ke Niti Ke Dohe In Hindi बुरा जों देखन मैं चल्या, बुरा ना मिलिया कौय जों दिल खोजा आपना मुझसा बुरा ना कोय गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय बलिहारि गुरु आपरी, गोविन्द दीयो बताय साईं इतना दीजिए, जामें कुटुम समाय मै भी भूखा ना रहूँ, साधु भूखा ना जाय !! Rahim Ke Niti Ke Dohe In Hindi रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय टूटे से फिर ना जुड़े जुड़े तो गाठ पड़ जाय बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोले बोल रहिमन हीरा कब कहे, लाख हमारो मोल तरुवर फल नही खात हैं, सरवर पिए न पान कह रहीम पर काज हित, सम्पति संचहि सुजान जे गरीब पर हित करे, ते रहीम बड लोग कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग ! नीति के दोहे-niti ke dohe with meaning भगत न सिल्पी कुसल जिमि , देवालय रचि देत । तिमि कक्का रचि छंदहू , तय नहिं उपजब चेत ।।६२।। भावार्थ- जिस प्रकार एक कुशल कारीगर जो अपनी कला की कुशलता से एक भव्य मन्दिर का निर्माण कर देता है , भगवान की बहुत ही मनोहारी मूर्तियां रच देता है फिर भी ये आवश्यक नहीं कि वो शिल्पकार भगवान का बड़ा भक्त भी हो , हाँ उसका कौशल प्रणम्य है पर ये जरूरी नहीं कि वह एक भक्त ही हो । Telegram Group कक्का का कहना है कि उसी तरह नीति , धर्म , भक्ति और ज्ञान आदि विषयों के शास्त्रीय कथनों को अप...

121+ कबीर दास के दोहे ( हिन्दी अर्थ सहित )

कबीर दास के दोहे (kabir das ke dohe) के इस संकलन से पहले कबीर दास जी के विषय में कुछ बातें ।कबीर दास भक्तिकालीन भारत के महान संतों में से एक थे । जिन्होंने अपने समय में व्याप्त सामाजिक बुराइयों पर लगातार कुठाराघात किया । कबीर ताउम्र पाखंड और अंधविश्वास पर चोट करते हुए सत्य एवं सदाचार पूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देते रहे । कबीर ने साखी,सबद और रमैनी नाम से तीन पुस्तकों की रचना की । कबीर साहेब के दोहे अत्यंत सरल शब्दों में सुखी जीवन जीने के सारगर्भित संदेशों और शिक्षाओं से लबरेज हैं , भरे पड़े हैं । कबीर दास का जीवन एक साधारण आदमी द्वारा महानता के शिखर को छूने की कहानी है । ये दोहे अनमोल हैं ! मुझे ऐसा कहने में कोई संकोच नहीं है कि एक-एक दोहे में आज के बड़े-बड़े प्रेरक वक्ताओं के अनेकों घंटे की सीख से भी बढ़कर है । Advt.-ez कबीर के द्वारा कहे गए एक-एक दोहे अपने आप में एक ग्रन्थ से कम नहीं है । सरल सहज तथा समीचीन भाषा में आम लोगों तक मानव जीवन के मूल सत्यों को पहुंचाने का उनका अंदाज अद्वितीय रहा है । गूढ़ बातों को सरल शब्दों में पहुंचा देने की ये कला बहुत कम गुरुओं में दिखाई पड़ती है । अतः शुरू में हमने अपने अध्ययन के हिसाब से कुछ प्रतीकात्मक दोहों (kabir das ke dohe)को आपके लिए प्रस्तुत किया है । जो इस बात की प्रेरणा देतें हैं कि कठिन समय में कैसे सहज हो कर जिया जाय और दुरूह परिस्थितियों में भी अथक परिश्रम, प्रेमपूर्ण व्यवहार और उम्मीद के सहारे लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाय। प्राणिमात्र से प्रेम का सन्देश ही कबीर के चिंतन की मूल अवधारणा रही है । Advt.-ez # दोहा बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि । हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि ॥ अर्थ:-इस दोहे के माध्यम से कबीर जीवन में शब्...

75+ Rahim Ke Dohe

Rahim Ke Dohe रहीम के दोहे अर्थ सहित परिचय :- Rahim Ke Dohe रहीम के दोहे जनमानस में बहुत प्रचलित है इस पोस्ट में रहीम के दोहे के विषय में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। रहीम का जन्म लाहौर जो आज के समय में पाकिस्तान में आता है में 1556 ई. में हुआ था। उनके पिता बैरम खान हुमायूँ के सबसे भरोसेमंद प्रमुखों में से एक थे। हुमायूँ की मृत्यु के बाद, बैरम खान ने तेरह वर्षीय अकबर का राज्याभिषेक किया। अब्दुर्रहीम खानखाना अपनी रचनाओं के कारण आज भी जीवित हैं। अकबर के नवरत्नों में वे अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार पर समान अधिकार था। Rahim Ke Dohe In Hindi 1 से 10 प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥ अर्थ : रहीम दास जी कहते है जब छोटे लोग तरक्की करते हैं तो बहुत हिचकिचाते हैं। शतरंज की तरह ही, जब मोहरा भ्रमित हो जाता है, तो वह कुटिल चाल चलने लगता है। आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥ अर्थ: जैसे ही कोई कुछ मांगता है, आंखों का मान, सम्मान और प्यार चला जाता है।मांगने वाले व्यक्ति का अभिमान चला गया, उसकी इज्जत चली गई, और उसकी आँखों से प्यार की भावना चली गई। ये तीनों तब चले गए जब उन्होंने कहा कि यह कुछ देता है, यानी जब भी आप किसी से कुछ मांगते हैं। यानी भिक्षा मांगना अपने आप को अपनी ही नजरों से गिरा देना है, इसलिए कभी भीख मांगने जैसा कोई काम न करें। पढ़े rahim ke dohe ke arth कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥ अर्थ: रहीम दास जी कहते है जो लोग गरीबों का भला करते हैं वे सबसे बड़े होते हैं। सुदामा कहते हैं, जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥ अर्थ: रहीम दास जी कहते है दीपक के किरदार की तरह एक बेटे का किरदार भी कुछ ऐसा ही ह...