बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं

  1. बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं
  2. 10 बड़ी कंपनियों के लोगो और उनके पीछे की कहानी...
  3. स्टार्टअप कंपनी
  4. मोदी सरकार की नीतियों से क्या अदानी, अंबानी, टाटा जैसी बड़ी कंपनियों को फ़ायदा हो रहा है?
  5. वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान


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बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं

बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं – बड़ी कंपनियां हमारी अर्थव्यवस्था और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, हजारों लोगों को रोजगार देती हैं और अक्सर पूरे उद्योग को आकार देती हैं। लेकिन हम इन विशाल निगमों को क्या कहते हैं, और वे छोटे व्यवसायों से कैसे भिन्न हैं? इस लेख में, हम निगमों और समूहों से लेकर बहुराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों तक, बड़ी कंपनियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न शब्दों और शीर्षकों का पता लगाएंगे। बड़ी कंपनियों को क्या कहते हैं 1: निगम बड़ी कंपनियों का वर्णन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे सामान्य शब्दों में से एक “निगम” है। एक निगम एक कानूनी इकाई है जो एक विशिष्ट राज्य या देश के कानूनों के तहत बनाई गई है, और इसका स्वामित्व उन शेयरधारकों के पास है जिन्होंने कंपनी में निवेश किया है। निगम या तो निजी या सार्वजनिक रूप से कारोबार कर सकते हैं, बाद वाले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं और जनता से निवेश के लिए खुले होते हैं। 1.1: निजी निगम निजी निगमों का स्वामित्व शेयरधारकों के एक छोटे समूह के पास होता है, और उनके शेयरों का सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार नहीं होता है। ये कंपनियां अक्सर परिवार के स्वामित्व वाली होती हैं, और उन्हें अपनी वित्तीय जानकारी जनता के सामने प्रकट करने की आवश्यकता नहीं होती है। 1.2: सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले निगम सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाले निगम हजारों या लाखों 2: समूह एक समूह एक कंपनी है जो विभिन्न उद्योगों में कई व्यवसायों का मालिक है। ये कंपनियाँ अक्सर विलय और अधिग्रहण के माध्यम से बनाई जाती हैं, और वे निजी या सार्वजनिक रूप से कारोबार कर सकती हैं। कांग्लोमेरेट्स के पास अक्सर व्यवसायों का ...

10 बड़ी कंपनियों के लोगो और उनके पीछे की कहानी...

त्‍योहारों का मौसम है. बाजार में मौजूद हर ब्रांड अपनी पहचान को लोगों के दिल में उतारने के लिए बेताब है. हर विज्ञापन में प्रोडक्‍ट की खूबियां तो हैं ही, लेकिन हर ब्रांड का फोकस अपने ब्रांड लोगों पर रहता है, क्‍योंकि उसकी पहचान ही लोगों को शोरूम या दुकान तक खींचकर लाती हैं. चाहे वो कारों में मारुति हो, या नमक में टाटा. ब्रांड का लोगो इसीलिए बड़ी सोच के साथ बनाया जाता है. अब आइए, हम दुनिया की सबसे जानी-मानी कंपनियों के ब्रांड और उनके लोगो की कहानी को समझने की कोशिश करते हैं. देखिए कंपनी ने हर लोगों के साथ कैसा इनोवेशन किया है... 1. ह्युंडई (Hyundai) अगर ह्युंडई के लोगो को देखकर आपको लगता है कि ये कंपनी के नाम का पहला लेटर H है तो गलत लग रहा है. दरअसल, ह्युंडई का H असल में दो लोगों के हाथ मिलाने की तस्वीर है. इसके अलावा, अंडाकार सर्कल का मतलब है ह्युंडई का पूरी दुनिया में विस्तार. 2. टोयोटा (Toyota) टोयोटा कंपनी का लोगो कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कंपनी के नाम का हर अक्षर दिखे. इसके अलावा, कंपनी का लोगो सुई धागे को भी दर्शाता है और सर्कल के अंदर दी गई इमेज ऐसी है जैसे धागा सुई के अंदर जा रहा हो. ये दिखाता है कि कंपनी की शुरुआत एक टेक्सटाइल बिजनेस की तरह हुई थी. 3. एडिडास (adidas) कंपनी का लोगो हमेशा से बदलता रहा है, लेकिन इसके लोगो में एक बात रही है. तीन स्ट्राइप्स यानी तीन लकीरें. हालिया लोगो कुछ ऐसा बना हुआ है कि लगे जैसे तीन लकीरें मिलकर एक तिकोन बना रही हैं. ये आकृति पहाड़ की है जिसमें लोगों को ये दिखे कि खिलाड़ियों को कितना परिश्रम करना पड़ता है. 4. एपल (Apple) एपल का लोगो डिजाइन करते समय एक बड़ी ही दिलचस्प घटना हुई थी. जॉब्स चाहते थे कि एपल कंपनी का नाम डायरेक्टर...

स्टार्टअप कंपनी

• कृपया उपयुक्त स्थानों पर • व्याकरण संबंधित त्रुटियों को सुधारें। • विकिलिंक जोड़ें। उचित स्थानों पर शब्दों के दोनो ओर [[ और ]] डालकर अन्य लेखों की कड़ियाँ जोड़ें। ऐसे शब्दों की कड़ियाँ न जोड़ें जो अधिकतर पाठक जानते हों, जैसे आम व्यवसायों के नाम और रोज़मर्रा की वस्तुएँ। अधिक जानकारी के लिये • भूमिका बाँधें लेख की • भागों को व्यवस्थित रूप से लगाएँ। • यदि उपयुक्त हो तो लेख में • इस सब के पश्चात यह टैग हटाएँ। यह लेख किसी और भाषा में लिखे लेख का खराब अनुवाद है। यह किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा लिखा गया है जिसे हिन्दी अथवा स्रोत भाषा की सीमित जानकारी है। कृपया इस "अन्य भाषाओं की सूची" में "" में पाया जा सकता है। आसिनपुर अखरी कंपनी, साझेदारी या अस्थायी संगठन के रूप में शुरू किये गये उस उद्यम या नये व्यवसाय को स्टार्टअप कंपनी या स्टार्टअप कहते हैं जो एक दुहराने योग्य और स्केलेबल इन कंपनियों, आम तौर पर नए बनाए गए, एक प्रक्रिया में नवाचार के विकास, मान्यता और लक्षित बाजारों के लिए शोध कर रहे हैं। डॉट-काम कंपनियों के एक महान संख्या की स्थापना की थी, जब शब्द अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉट-काम बुलबुले के दौरान लोकप्रिय हो गया। इस पृष्ठभूमि के वजह से, कई स्टार्टअप केवल टेक कंपनियों किया जा करने के लिए विचार है, लेकिन यह हमेशा सच नहीं है: अधिक उच्च महत्वाकांक्षा, नवीनता, स्केलेबिलिटी और विकास के साथ क्या स्टार्टअप का सार है। 'संगठन एक दुहराने योग्य और स्केलेबल व्यापार मॉडल के लिए खोज करने के लिए गठन किया।' इस मामले में, क्रिया 'खोज' बड़ी है, अंतर करने के लिए इरादा है यानी अत्यधिक मूल्यवान, छोटे व्यवसायों, जैसे एक रेस्तरां में एक परिपक्व बाजार परिचालन से स्टार्टअप . बाद एक अच्छी तरह से ज्ञात मौजूद...

मोदी सरकार की नीतियों से क्या अदानी, अंबानी, टाटा जैसी बड़ी कंपनियों को फ़ायदा हो रहा है?

'अगर हम चाहते हैं कि भारत में कारोबारी प्रतिस्पर्द्धा बढ़े और बड़े बिज़नेस समूह अपने उत्पादों और सेवाओं को महंगा न बेचें तो इन विशाल कारोबारी समूहों का आकार छोटा करना होगा.' भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अमेरिकी रिसर्च ग्रुप ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन के एक नए पेपर में ये सलाह दी है. फ़िलहाल न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, स्टर्न में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर आचार्य के मुताबिक़, 1991 में उदारीकरण को अपनाए जाने के बाद से इंडस्ट्रियल कॉन्सन्ट्रेशन ( एक ऐसी स्थिति जिसमें देश के कुल उत्पादन पर कुछ ही कंपनियां का वर्चस्व होता है) में तेज़ी से गिरावट आई है. लेकिन 2015 के बाद इसमें फिर तेज़ी का दौर शुरू हो गया. बहरहाल, 2021 में भारत के पांच बड़े बिज़नेस घरानों- रिलायंस, अदानी, टाटा, आदित्य बिड़ला और भारती एयरटेल की स्थिति पर नज़र डालिए. इस साल गैर वित्तीय सेक्टरों में इनकी संपत्ति की हिस्सेदारी बढ़ कर लगभग 18 फ़ीसदी पर पहुंच गई. 1991 में ये 10 फ़ीसदी थी. विरल आचार्य कहते हैं," इन कंपनियों ने न सिर्फ़ बेहद छोटी कंपनियों की क़ीमत पर अपना विस्तार किया बल्कि ये पांच सबसे बड़ी कंपनियों की क़ीमत पर भी बढ़ीं. क्योंकि इस दौरान इन पांच सबसे बड़ी कंपनियों की बाज़ार हिस्सेदारी 18 फ़ीसदी से घट कर नौ फ़ीसदी हो गई.'' विरल आचार्य के मुताबिक़ ऐसा कई वजहों से हुआ होगा. इनमें इन बड़ी कंपनियों की ओर से मुश्किल में फंसी कंपनियों की खरीद, विलय और अधिग्रहण की बढ़ती भूख के अलावा सरकार की ओर से ऐसी औद्योगिक नीति को बढ़ावा देना शामिल है, जिसमें बड़ी कंपनियों को परियोजना आवंटित करने में तवज्जो दी जाती है. इसमें कंपनियों की ओर से अपने उत्पाद और सेवाओं की क़ीमत अकल्पनीय रूप से कम रखे जाने की ...

वैश्वीकरण क्या है? विशेषताएँ, उद्देश्य, फ़ायदे और नुक़सान

आप सभी जानते हैं कि आज विदेशी व्यापार की बढ़ती हुई प्रवृति ने पूरे विश्व के वैश्वीकरण (vaishvikaran) के कारण हम आज अपने द्वारा निर्मित वस्तुओं या सेवाओं का प्रचार-प्रसार मिनटों में विश्व के किसी भी देश, महाद्वीप पर एक बटन दबाते ही कर सकते हैं। पलक झपकते ही विश्व में स्थित किसी भी बाज़ार की जानकारी ले सकते हैं। यह वैश्वीकरण का परिणाम ही है। वैश्वीकरण किसे कहते हैं? Vaishvikaran kise kahte hain? सामान्य रूप से वैश्वीकरण का अर्थ समझें तो सम्पूर्ण विश्व को एक सत्ता (Entity) के रूप में मानना ही वैश्वीकरण कहलाता है। वैश्वीकरण के अंतर्गत सभी आर्थिक बाधाओं को हटा दिया जाता है। जिससे कि बाज़ार शक्तियाँ स्वतंत्र रूप से अपनी सक्रिय भूमिका अदा कर सकें। आज के समय में अनेक कंपनियां ऐसी हैं जो अपने देश के अलावा किसी बाहरी देश यानि कि किसी बाहरी स्रोत (बाह्य प्रापण) से भी नियमित सेवाएँ लेती हैं। जैसे कि क़ानूनी सलाह, चिकित्सा संबंधी परामर्श, कंप्यूटर सेवा, बैंक सेवा, विज्ञापन, सुरक्षा आदि। अब ध्वनि आधारित व्यावसायिक प्रक्रिया, अभिलेखांकन, लेखांकन, संगीत की रिकार्डिंग, फ़िल्म संपादन, पुस्तक शब्दांकन और यहाँ तक कि शिक्षण कार्य भी बाह्य स्रोतों के माध्यम से किया जाने लगा है। शिक्षण कार्य वैश्वीकरण का एक बेहतर उदाहरण है। आज आप बड़ी ही आसानी से घर बैठे देश-विदेश के किसी भी शहर में संचालित संस्था या कोचिंग का लाभ ले सकते हैं। विश्व की किसी भी लेखक की क़िताब का अध्ययन घर बैठे कर सकते हैं। परीक्षा के दिनों में आप ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ लेते हैं। जिन सेवाओं को प्राप्त करने के लिए आपको, दूरस्थ शहरों तक जाना होता था। समय और पैसा ज़्यादा ख़र्च करना पड़ता था। अब आप एक निश्चित फ़ीस देकर इन सेवाओं का लाभ आसानी से ल...