बेस्ट हास्य कवि सम्मेलन

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  2. हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी
  3. ये हैं 5 बड़े हास्य कवियों की कविताएं...
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poet

ND शरद पूर्णिमा पर ग्वालियर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें देश के प्रख्यात कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से जनचेतना का भाव जाग्रत किया। इस कवि सम्मेलन में हास्य-व्यंग्य के कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे ने जनलोकपाल बिल को लेकर अण्णा हजारे द्वारा किए गए अनशन पर कविता सुनाईं। देखें उनकी कुछ पंक्तियां- ' अण्णा जिसको केंद्र सरकार ने समझा गन्ना बाबा रामदेव की तरह मशीन में डालो रस निकालो लेकिन 13 दिन से भूखे थे अण्णा मशीन में घुमाया एक बूंद रस बाहर नहीं आया सरकार ने दिखाया दो नींबू फंसाया एक कपिल सिब्बल एक चिदंबरम' अलीगढ़ से आए जनाव अंसार कम्बार ने श्रद्धा की महिमा को रेखांकित किया। देखें बानगी- ' वाल्मीकि के जाति से निकला ये परिणाम श्रद्धा होनी चाहिए मरा कहो या राम' सांप्रदायिक सौहार्द पर भी उन्होंने काव्य पाठ किया देखें कुछ पंक्तियां- ' मस्जिद में पुजारी हो तो मंदिर में नमाजी हो किस तरह ये फेरबदल सोच रहा हूं।' गीतकार जगदीश सोलंकी ने राष्ट्रीयता से ओतप्रोत रचना प्रस्तुत की। देखें बानगी- ' पढ़ते थे टाट-पट्टियों पे जब बैठकर तब तक धरती की गंध से लगाव था नानी और दादी की कहानी जब सुनते थे समझो कि हमें सत्संग से लगाव था' ND शशिकांत यादव शशि ने भी राष्ट्र के प्रति अपनी भावना को यूं बयां किया- ' मातृभूमि अस्मिता का प्रश्न यदि आएगा तो रचना भी द्रोपदी की चीज बन जाएगी' कानपुर से आए हास्य-व्यंग्य कवि डॉ. सुरेश अवस्थी ने देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर चिंता जाहिर की- देखें कुछ पंक्तियां ' ये सही है अफजल और कसाब तुरंत फांसी देने के अपराधी हैं लेकिन देश का पैसा लूटने वाले उनसे बड़े अपराधी हैं।' लखनऊ से आए व्यंजना शुक्ला ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। देखें बानगी- ' जो मात...

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जमशेदपुर : सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन तुलसी भवन एवं जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के प्रयाग कक्ष में ‘हास्य – व्यंग्य काव्य संध्या’ का आयोजन किया गया. इस अवसर पर मुख्य अतिथि वाराणसी से हास्य-व्यंग्य में राष्ट्रीय स्तर के कवि डॉ नागेश त्रिपाठी ‘शांडिल्य’ एवं रांची से हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव ‘निरंकुश’ विशिष्ट अतिथि के रुप में शामिल हुए. कार्यक्रम में डॉ शांडिल्य ने उपस्थित श्रोताओं के बीच हास्य-व्यंग्य पर आधारित समाज की समसामयिक विसंगतियों पर चोट करते हुए अनेक रचनाओं का पाठ कर उपस्थित श्रोताओं को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर दिया. विशिष्ट अतिथि श्री निरंकुश ने तुलसी भवन एवं जमशेदपुर से अपने जुड़ाव को रेखांकित करते हुए राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत अनेक रचनाओं का पाठ कर लोगों की खूब तालियां बंटोरी. दीप प्रज्वलन एवं वीणा पाण्डेय ‘भारती’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुई. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तुलसी भवन के न्यासी अरुण कुमार तिवारी, संचालन जमशेदपुर भोजपुरी साहित्य परिषद के प्रधान सचिव डॉ अजय कुमार ओझा तथा अतिथि द्वय के साहित्यिक जीवन परिचय परिषद के उपाध्यक्ष शैलेन्द्र पाण्डेय ‘शैल’ द्वारा प्रस्तुत किया गया. इस अवसर पर स्थानीय कवियों में सोनी सुगंधा, माधवी उपाध्याय, डॉ रागिनी भूषण, हरिहर राय ‘चौहान’ एवं कैलाशनाथ शर्मा ‘गाजीपुरी’ ने भी अपनी रचनाओं का पाठ किया. कार्यक्रम के आरंभ में स्वागत वक्तव्य साहित्य समिति के कार्यकारी अध्यक्ष यमुना तिवारी ‘व्यथित’ तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के मानद महासचिव प्रसेनजित तिवारी द्वारा प्रस्तुत किया गया. इस मौके पर शहर के नामचीन साहित्यकारों, साहि...

हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी

हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी– हर्ष की बात है कि उड़ती बात के प्रशंसकों में कुछ उभरते हुये मंचीय कविगण भी हैं। कुछ कवि मित्रों के आग्रह पर कि कुछ हास्य कवि सम्मेलन की संचालन शायरी लिखूँ, मैं यह आर्टिकल, हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। प्रयास कितना सफल रहा मैं नहीं कह सकता लेकिन आँशिक सफलता भी मिली होगी तो मुझे खुशी होगी। उन नवोदित कवियों को जो हालिया किसी कवि सम्मेलन के संचालन का दायित्व संभाल चुके हैं, या संभालना है, के लिये इस आर्टिकल में से चंद पंक्तियाँ भी मददगार साबित होतीं हैं तो मुझे अत्यंत ख़ुशी होगी। हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरीआर्टिकल कैसा लगा अवश्य बतायें। आप लोगों की प्रतिक्रिया के अनुसार इस विषय पर कोई अगला आर्टिकल लिखूँगा। धन्यवाद Image source: https://commons.m.wikimedia.org/wiki/ हास्य कवि सम्मेलन मंच संचालन शायरी पता कम है, पड़ताल ज्यादा है उत्तर कम है, सवाल ज्यादा है इसको तालियों की ख़ुराक देते रहना ये व्यक्ति कवि कम, बवाल ज्यादा है। ये कवि किसी अजूबे से कम नहीं हँसी कोई रोक ले किसी में दम नहीं संभल के बैठना नहीं तो उड़ जाओगे हास्य कवियों में इससे बड़ा कोई बम नहीं। देखिये, इस इंसान को देख कर डरिये मत मैं आप सबको यकीन दिलाता हूँ कि ये कवि ही है, बस दिखता भूतों जैसा है। ये व्यक्ति कवि कम, आइटम ज्यादा है गुलाटी ज़वानी वालीं हैं, उम्र से दादा है लेकिन माल चोखा और गारंटी वाला है आपको लोटपोट कर देगा, ये मेरा वादा है। Image source: https://commons.m.wikimedia.org/wiki/ जो उठ गये उनकी आत्मा को शांति मिले और जो उठ रहे हैं उनको घर में क्रांति मिले। मुसाहिब में बहस में ये, बड़ा अधिकार रखते हैं कि ये हाज़िर जवाबी में, डिग्रियाँ...

ये हैं 5 बड़े हास्य कवियों की कविताएं...

एक दिन मामला यों बिगड़ा कि हमारी ही घरवाली से हो गया हमारा झगड़ा स्वभाव से मैं नर्म हूं इसका अर्थ ये नहीं के बेशर्म हूं पत्ते की तरह कांप जाता हूं बोलते-बोलते हांफ जाता हूं इसलिये कम बोलता हूं मजबूर हो जाऊं तभी बोलता हूं हमने कहा-"पत्नी हो तो पत्नी की तरह रहो कोई एहसान नहीं करतीं जो बनाकर खिलाती हो क्या ऐसे ही घर चलाती हो शादी को हो गये दस साल अक्ल नहीं आई सफ़ेद हो गए बाल पड़ौस में देखो अभी बच्ची है मगर तुम से अच्छी है घर कांच सा चमकता है और अपना देख लो देखकर खून छलकता है कब से कह रहा हूं तकिया छोटा है बढ़ा दो दूसरा गिलाफ चढ़ा दो चढ़ाना तो दूर रहा निकाल-निकाल कर रूई आधा कर दिया और रूई की जगह कपड़ा भर दिया कितनी बार कहा चीज़े संभालकर रखो उस दिन नहीं मिला तो नहीं मिला कितना खोजा और रूमाल कि जगह पैंट से निकल आया मोज़ा वो तो किसी ने शक नहीं किया क्योकि हमने खट से नाक पर रख लिया काम करते-करते टेबल पर पटक दिया- "साहब आपका मोज़ा।" हमने कह दिया हमारा नहीं किसी और का होगा अक़्ल काम कर गई मगर जोड़ी तो बिगड़ गई कुछ तो इज़्ज़त रखो पचास बार कहा मेरी अटैची में अपने कपड़े मत रखो उस दिन कवि सम्मेलन का मिला तार जल्दी-जल्दी में चल दिया अटैची उठाकर खोली कानपुर जाकर देखा तो सिर चकरा गया पजामे की जगह पेटीकोट आ गया तब क्या खाक कविता पढ़ते या तुम्हारा पेटीकोट पहनकर मंच पर मटकते एक माह से लगातार कद्दू बना रही हो वो भी रसेदार ख़ूब जानती हो मुझे नहीं भाता खाना खाया नहीं जाता बोलो तो कहती हो- "बाज़ार में दूसरा साग ही नहीं आता।" कल पड़ौसी का राजू बाहर खड़ा मूली खा रहा था ऐर मेरे मुंह मे पानी आ रहा था कई बार कहा- ज़्यादा न बोलो संभालकर मुंह खोलो अंग्रेज़ी बोलती हो जब भी बाहर जाता हूं बड़ी अदा से कहती ...

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बारां होली पर्व के अवसर पर यहां सोमवार रात्रि को महामूर्ख हास्य समिति द्वारा प्रताप चौक पर महामूर्ख कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कई कवियों ने श्रोताओं को गुदगुदाया। कवि सम्मेलन में हास्य के साथ साथ ही राष्ट्रभक्ति के स्वर भी गूंजे। आगरा से कवियित्री डॉक्टर मंजू दीक्षित, आलोट मध्य प्रदेश से नंदकिशोर अकेला, इंदौर से संजय खत्री, बारां के सूर्यनारायण चतुर्वेदी समेत कई कवियों ने अपनी रचनाओं से देर तक लोगों को गुदगुदाया। कवि सम्मेलन का संचालन स्थानीय हास्य व राजस्थानी गीतो के रचनाकार कवि भैरूलाल भास्कर ने किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत में मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित व माल्यापर्ण कर किया गया। इसके बाद सर्व प्रथम कवियत्री मंजू दीक्षित ने मां सरस्वती की आराधना में काव्यवाठ किया। कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व महामूर्ख हास्य समिति के अध्यक्ष योगेश गुप्ता व संयोजक रमेश सेन ने कवियो का माल्यापर्ण कर स्वागत किया। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर परिषद के सभापति कमल राठौर, उप सभापति गौरव शर्मा, पार्षद राहुल शर्मा का भी माल्यार्पा कर स्वागत किया। कवि सम्मेलन मध्यरात्रि १२ बजे तक चला। इस दौरान पुलिस प्रशासन का माकूल बंदोबस्त रहा।