भारत छोड़ो आंदोलन की व्याख्या कीजिए

  1. भारत छोड़ो आंदोलन
  2. भारत छोड़ो आंदोलन
  3. भारत छोड़ो आंदोलन पर भाषण (Quit India Movement Day Speech)
  4. भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement
  5. भारत छोड़ो आन्दोलन
  6. भारत छोड़ो आन्दोलन 1942
  7. भारत छोड़ो आंदोलन
  8. भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement
  9. भारत छोड़ो आन्दोलन 1942
  10. भारत छोड़ो आंदोलन पर भाषण (Quit India Movement Day Speech)


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भारत छोड़ो आंदोलन

भारतइसवर्षअपना 76वांस्वतंत्रतादिवसमानारहाहै।अंग्रेजीहुकूमतकेखिलाफमहात्मागांधीने 8 अगस्त 1942 कोभारतछोड़ोआंदोलनकीशुरुआतकी।भारतछोड़ोआंदोलनकोअगस्तक्रांतिकेनामसेभीजानाजाताहै। 8 अगस्तकोक्विटइंडियामूवमेंटडे 2022 का 80वांवर्षगांठमनायाजारहाहै।भारतकीआजादीकेकईआंदोलनचलाएगए, जिसमेंभारतछोड़ोआंदोलननेसबसेमहत्वपूर्णभूमिकानिभाई।भारतछोड़ोआंदोलनकेकारणऔरपरिणामकाफलहीहैकिभारतीयनागरिकआजखुलीहवामेंसांसलेरहेहैं।भारतछोड़ोआंदोलनकानेतृत्वमहात्मागांधीनेकिया।आइयेजानतेहैंभारतछोड़ोआंदोलनपरनिबंधकैसेलिखें। भारतीयइतिहासभारतछोड़ोआंदोलनभारतकेस्वतंत्रतासंग्राममेंएकमहत्वपूर्णमोड़था।महात्मागांधीकेनेतृत्वमें, पूरेभारतमेंब्रिटिशसाम्राज्यवादकेखिलाफ 8 अगस्त 1942 कोभारतछोड़ोआंदोलनमुहीमशुरूकीगई।भारतछोड़ोआंदोलनकीशुरुआतमुंबईमेंमहात्मागांधीद्वारा 'करोयामरो' नारेकेसाथशुरूकीगई।अखिलभारतीयकांग्रेसकमेटी (एआईसीसी) केबॉम्बेसत्रमेंभारतमेंब्रिटिशशासनकोसमाप्तकरनेकीमांगकीगईथी।दरअसलवर्ष 1942 मेंजापानीभारतीयसीमापरआरहेथे, जिसकेकारणअंग्रेजदबावमेंथेऔरउन्होंनेक्रिप्समिशनकेसाथबातचीतकरनेकीकोशिशकी।लेकिनब्रिटिशसरकारनेअधिनियम 1935 मेंबदलावकिया, जिसेभारतीयनेताओंठुकरादियाऔरक्रिप्समिशनविफलहोगया। क्रिप्समिशनकीविफलतानेब्रिटिशसरकारकोहिलादिया।जिसकेबादभारतमेंब्रिटिशोंवापसीकेलिए 29 अप्रैलसे 1 मई 1942 तकअखिलभारतीयकांग्रेसकमेटीकार्यसमितिकेप्रस्तावपरचर्चाकीगई।इलाहाबादमेंहुईइसबैठकमेंमहात्मागांधीजीनहींपहुंचे, लेकिनउनकेद्वारासुझायेगएकईविषयोंकोइसआन्दोलनमेंशामिलकियागयाहै।इसकेबाद 14 जुलाई 1942 कोवर्धामेंकांग्रेसकार्यसमितिनेएकबैठकआयोजितकी, जिमसेंयहसंकल्पलियागयाकिइसअहिंसकजनआंदोलनकीकमानकेवलमहात्मागांधीजीकेहाथमेंहोगी। इसगिरफ़्तारीकेबादपूरेभारतमेंराष्ट्रव्यापीहड़तालऔर...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन (सन् 1942) bharat chhodo andolan,asafaltake karan, mahatva, mulyankan;भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व मे लड़ा गया महत्वपूर्ण सत्याग्रह आंदोलन था। द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले के वर्षो की भारतीय राजनीति की परिस्थितियां इसकी पृष्ठभूमि थी। द्वितीय विश्वयुद्ध युद्ध का क्षेत्र प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। 7 दिसम्बर, 1941 को मलाया, इण्डोचायना और इंडोनेशिया के जपान के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया था और उसकी सेनायें बर्मा तक आ चुकी थी। भारत और इंग्लैंड मे अंग्रेजों की स्थिति अनिश्चित होती जा रही थी। चर्चिल ने भी यह स्वीकार किया था कि भारत की रक्षा के लिये उनके पास पर्याप्त साधन नही थे। भारत के अंदर भी राष्ट्रीय आंदोलन के कारण पर्याप्त जन-जागरण और अंग्रेजो के विरूद्ध असंतोष बढ़ रहा था। अतः ब्रिटिश भारत संबंध तथा राष्ट्रीय आंदोलन से उत्पन्न परिस्थिति 1942 के " भारत छोड़ो आंदोलन " के लिये उत्तरदायी थी। 15 अगस्त 1940 को कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन मे व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह सत्याग्रह विनोबा भावे के सत्याग्रह से प्रारंभ हुआ। विनोबा भावे के बाद नेहरू की बारी थी, लेकिन उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। इसी समय ब्रिटिन तथा मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जापान भी युद्ध मे आ गया। इसलिए युद्ध मे भारतीयो का सहयोग जरूरी हो गया। इसलिए सरकार ने व्यक्तिगत सत्याग्रह के सभी बंदियों को छोड़कर व्यक्तिगत सत्याग्रह समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। क्रिप्स मिशन भारत भ्रमण हेतु आया लेकिन इसके प्रस्ताव कांग्रेस को पसंद नही आए इसलिए 14 जुलाई 1942 को कांग्रेस महासमिति की वर्धा बैठक मे आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। 8 अगस्त को महात्मा गांधी द्वारा समिति ...

भारत छोड़ो आंदोलन पर भाषण (Quit India Movement Day Speech)

Quit India Movement Day Speech 8 अगस्त 2022 कोभारतछोड़ोआंदोलनकी 80वींवर्षगांठमनाईजाएगी।भारतछोड़ोआंदोलनकीशुरुआत 8 अगस्त 1942 कोहुई।महात्मागांधीकेनेतृत्वमेंभारतछोड़ोआंदोलनके 5 सालबादभारतब्रिटिशराजसेमुक्तहुआ।भारतकोब्रिटिशराजसेआजादीएकलिए 200 सालतकसंघर्षकरनापड़ा।इसभारतीयस्वतंत्रतासंग्राममेंकईआंदोलनहुए, जिसमेंभारतछोड़ोआंदोलनभीशामिलहै।भारतछोड़ोआन्दोलनकीशुरुआतकैसेहुई? भारतछोड़ोआंदोलनकाक्यापरिणामनिकलाऔरभारतछोड़ोआंदोलनकाक्यामहत्वहै? अगरआपभारतछोड़ोआंदोलनपरभाषणकीतैयारीकररहेहैंतोआपकोइनसभीसवालोंकेजवाबपताहोनाचाहिए।तोआइयेजानतेहैंभारतछोड़ोआंदोलनपरभाषणकैसेलिखें। भारतछोड़ोआंदोलनपरभाषण | Speech On Quit India Movement Day भारतछोड़ोआंदोलनकोअगस्तक्रांतिआंदोलनकेरूपमेंभीजानाजाताहै।भारतमेंब्रिटिशशासनकोसमाप्तकरनेकेलिए 8 अगस्त 1942 कोअखिलभारतीयकांग्रेसकमेटीकेबॉम्बेसत्रमेंमहात्मागांधीनेअंग्रेजो 'भारतछोड़ो' आंदोलनशुरूकिया।दरअसलयहउससमयकीबातहैजबब्रिटेनद्वितीयविश्वयुद्धकेबीचमेंथाऔरजापानियोंकेभारतकीसीमाकेनिकटआनेकेसाथभारतकीभविष्यकीस्थितितयकरनेकेलिएउनपरदबावबढ़रहाथा।कांग्रेसकेनेताब्रिटिशसरकारपरउनकीमांगकोमाननेकेलिएदबावबनारहेथे।तबसरस्टैफोर्डक्रिप्सकोभारतभेजागया, जोयुद्धमंत्रिमंडलकेसदस्यथे।अंग्रेजभारतकोयुद्धकेप्रतिवफादाररखनाचाहतेथेऔरबदलेमेंअधिराज्यकादर्जादेनाचाहतेहैं।लेकिन 1935 केसरकारीअधिनियममेंभीबदलावकरनाचाहतेथे। अंग्रेजोंकीइसचालकोकांग्रेसनेताओंनेस्वीकार्यनहींकियाऔरउनकामिशनविफलहोगया।गांधीऔरअन्यराष्ट्रीयनेताओंनेभारतछोड़ोआंदोलनशुरूकरनेकेलिएइसअवसरकालाभउठाया।गोवालियाटैंकमैदानमेंकांग्रेसकेबॉम्बेअधिवेशनमेंदिएगएअपनेभाषणमेंमहात्मागांधीने 'करोयामरो' कानारादिया।जिसकेबादभारतछोड़ोआंदोलनकोअगस्तक्रांतिआंदोलनकेनामसेभीजानाजानेलग...

भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत :- भारत छोड़ो आंदोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश फौजों कि दक्षिण – पूर्व एशिया में हार हुई जिसके कारण अंग्रेजी शासन धीरे-धीरे कमजोर होने लगा इसी कारण मित्र देश अमेरिका, रूस और चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाव डाल रहे थे कि इस संकट की घड़ी में वें भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए पहल करें अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अंग्रेज सरकार ने मार्च 1942 में स्टैनफोर्ड क्रिप्श को भारत भेजा क्रिप्स मिशन का वास्तविक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था इसके अलावा ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं देना चाहते थे वें भारत की सुरक्षा तथा शासन अपने हाथों में ही रखना चाहते थे और साथ ही गवर्नर जनरल के वीटो अधिकार को भी पहले जैसा ही रखना चाहता था जिसके कारण भारतीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्स मिशन के सारे प्रस्ताव को खारिज कर दिया। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 8 अगस्त 1942 को बंब‌ई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि अंग्रेजों को किसी भी परिस्थिति में भारत छोड़ने पर मजबूर किया जाए भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा जिसके लिए भारत को पूर्ण स्वतंत्रता चाहिए तथा भारत हमेशा साम्राज्यवाद और फासीवाद के विरुद्ध रहेगा इसलिए इस अधिवेशन में उपस्थित सभी सदस्यों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ने का प्रस्ताव रखा। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में शुरू किया गया था 9 अगस्त 1942 क...

भारत छोड़ो आन्दोलन

भारत छोड़ो आन्दोलन भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement-1942) गाँधी जी के 3 सबसे प्रमुख आंदोलनों में से एक था (उनके अन्य 2 आंदोलन थे 1920 -22 का असहयोग आंदोलन एवं 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन) | जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस आंदोलन में पूर्ण स्वराज की मांग प्रबलता से रखी गई, एक अंतरिम सरकार बनाने का सुझाव दिया गया और अंग्रेजी राज की भारत से समाप्ति के लिए अंतिम आह्वान किया गया | इस आंदोलन को “अगस्त क्रांति” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह 9 अगस्त 1942 को शुरू हुआ था | 14 जुलाई, 1942 को वर्धा में हुई कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में गाँधी जी को आंदोलन की औपचारिक शुरुआत के लिए अधिकृत किया गया | 8 अगस्त, 1942 को बम्बई à...

भारत छोड़ो आन्दोलन 1942

उत्तर – क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण भारतीयों में घोर निराशा का वातावरण छा गया। अत: गांधीजी ने देश की समस्याओं के विषय में गम्भीरतापूर्वक सोचना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि भारतीय समस्याओं का वास्तविक समाधान तभी हो सकता है जब अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएँ। उन्होंने अपने समानार-पत्र ' हरिजन ' में ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देते हुए लिखा था क्रिप्स मिशन की असफलता ने सारे देश में निराशा की भावना को जन्म दिया। भारतीयों ने यह अनुभव किया कि क्रिप्स को केवल अमेरिका और चीन के दबाव के कारण भेजा गया था और क्रिप्स मिशन से सम्बन्धित समस्त क्रियाकलाप एक ' राजनीतिक धूर्तता ' मात्र थी। इसके अतिरिक्त चर्चिल के मन में भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करने की कोई इच्छा नहीं थी। मौलाना आजाद लिखते हैं , " अनेक राजनीतिक दलों और क्रिप्स में जो लम्बी बातचीत चली , वह संसार के सम्मुख यह सिद्ध करने के लिए थी कि कांग्रेस भारत की सच्ची प्रतिनिधि संस्था नहीं है और भारतीयों में एकता के अभाव के कारण ही ब्रिटेन भारत को सत्ता हस्तान्तरण नहीं कर सकता।" ऐसी स्थिति में क्रिप्स मिशन की असफलता का प्रभाव भारत और ब्रिटेन के सम्बन्धों पर पड़ा। (2) बर्मा में भारतीयों के साथ अमानुषिक व्यवहार - बर्मा पर जापान की विजय के पश्चात् बर्मा से जो भारतीय शरणार्थी आ रहे थे , उन्होंने यहाँ आकर अपनी दुःखपूर्ण कहानियाँ सुनाईं। अंग्रेजों को और भारतीयों को बर्मा से भारत आने के लिए पृथक्-पृथंक मार्ग दिए गए। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य एम. एस. अणे , जो कि बाहर रहने वाले भारतीयों की देखभाल करने वाले विभाग के इंचार्ज थे , पं. हृदयनाथ कुंजरू और मि. डाम के साथ बर्मा में भारतीयों की दशा को देखने गए। उन्होंने बाद में एक ...

भारत छोड़ो आंदोलन

भारत छोड़ो आंदोलन (सन् 1942) bharat chhodo andolan,asafaltake karan, mahatva, mulyankan;भारत छोड़ो आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व मे लड़ा गया महत्वपूर्ण सत्याग्रह आंदोलन था। द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले के वर्षो की भारतीय राजनीति की परिस्थितियां इसकी पृष्ठभूमि थी। द्वितीय विश्वयुद्ध युद्ध का क्षेत्र प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था। 7 दिसम्बर, 1941 को मलाया, इण्डोचायना और इंडोनेशिया के जपान के सम्मुख आत्मसमर्पण कर दिया था और उसकी सेनायें बर्मा तक आ चुकी थी। भारत और इंग्लैंड मे अंग्रेजों की स्थिति अनिश्चित होती जा रही थी। चर्चिल ने भी यह स्वीकार किया था कि भारत की रक्षा के लिये उनके पास पर्याप्त साधन नही थे। भारत के अंदर भी राष्ट्रीय आंदोलन के कारण पर्याप्त जन-जागरण और अंग्रेजो के विरूद्ध असंतोष बढ़ रहा था। अतः ब्रिटिश भारत संबंध तथा राष्ट्रीय आंदोलन से उत्पन्न परिस्थिति 1942 के " भारत छोड़ो आंदोलन " के लिये उत्तरदायी थी। 15 अगस्त 1940 को कांग्रेस के बम्बई अधिवेशन मे व्यक्तिगत सत्याग्रह चलाने का प्रस्ताव पारित किया गया था। यह सत्याग्रह विनोबा भावे के सत्याग्रह से प्रारंभ हुआ। विनोबा भावे के बाद नेहरू की बारी थी, लेकिन उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। इसी समय ब्रिटिन तथा मित्र राष्ट्रों के विरुद्ध जापान भी युद्ध मे आ गया। इसलिए युद्ध मे भारतीयो का सहयोग जरूरी हो गया। इसलिए सरकार ने व्यक्तिगत सत्याग्रह के सभी बंदियों को छोड़कर व्यक्तिगत सत्याग्रह समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। क्रिप्स मिशन भारत भ्रमण हेतु आया लेकिन इसके प्रस्ताव कांग्रेस को पसंद नही आए इसलिए 14 जुलाई 1942 को कांग्रेस महासमिति की वर्धा बैठक मे आगामी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई। 8 अगस्त को महात्मा गांधी द्वारा समिति ...

भारत छोड़ो आंदोलन । quit India movement

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत :- भारत छोड़ो आंदोलन द्वितीय विश्वयुद्ध के समय 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया था द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश फौजों कि दक्षिण – पूर्व एशिया में हार हुई जिसके कारण अंग्रेजी शासन धीरे-धीरे कमजोर होने लगा इसी कारण मित्र देश अमेरिका, रूस और चीन ब्रिटेन पर लगातार दबाव डाल रहे थे कि इस संकट की घड़ी में वें भारतीयों का समर्थन प्राप्त करने के लिए पहल करें अपने इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए अंग्रेज सरकार ने मार्च 1942 में स्टैनफोर्ड क्रिप्श को भारत भेजा क्रिप्स मिशन का वास्तविक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीयों का पूर्ण सहयोग प्राप्त करना था इसके अलावा ब्रिटिश सरकार भारत को पूर्ण स्वतंत्रता नहीं देना चाहते थे वें भारत की सुरक्षा तथा शासन अपने हाथों में ही रखना चाहते थे और साथ ही गवर्नर जनरल के वीटो अधिकार को भी पहले जैसा ही रखना चाहता था जिसके कारण भारतीय प्रतिनिधियों ने क्रिप्स मिशन के सारे प्रस्ताव को खारिज कर दिया। क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद 8 अगस्त 1942 को बंब‌ई में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि अंग्रेजों को किसी भी परिस्थिति में भारत छोड़ने पर मजबूर किया जाए भारत अपनी सुरक्षा स्वयं करेगा जिसके लिए भारत को पूर्ण स्वतंत्रता चाहिए तथा भारत हमेशा साम्राज्यवाद और फासीवाद के विरुद्ध रहेगा इसलिए इस अधिवेशन में उपस्थित सभी सदस्यों ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध नागरिक अवज्ञा आंदोलन छेड़ने का प्रस्ताव रखा। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्य को समाप्त करना था यह आंदोलन 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी द्वारा अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में शुरू किया गया था 9 अगस्त 1942 क...

भारत छोड़ो आन्दोलन 1942

उत्तर – क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण भारतीयों में घोर निराशा का वातावरण छा गया। अत: गांधीजी ने देश की समस्याओं के विषय में गम्भीरतापूर्वक सोचना प्रारम्भ कर दिया। उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि भारतीय समस्याओं का वास्तविक समाधान तभी हो सकता है जब अंग्रेज भारत छोड़कर चले जाएँ। उन्होंने अपने समानार-पत्र ' हरिजन ' में ब्रिटिश सरकार को चेतावनी देते हुए लिखा था क्रिप्स मिशन की असफलता ने सारे देश में निराशा की भावना को जन्म दिया। भारतीयों ने यह अनुभव किया कि क्रिप्स को केवल अमेरिका और चीन के दबाव के कारण भेजा गया था और क्रिप्स मिशन से सम्बन्धित समस्त क्रियाकलाप एक ' राजनीतिक धूर्तता ' मात्र थी। इसके अतिरिक्त चर्चिल के मन में भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करने की कोई इच्छा नहीं थी। मौलाना आजाद लिखते हैं , " अनेक राजनीतिक दलों और क्रिप्स में जो लम्बी बातचीत चली , वह संसार के सम्मुख यह सिद्ध करने के लिए थी कि कांग्रेस भारत की सच्ची प्रतिनिधि संस्था नहीं है और भारतीयों में एकता के अभाव के कारण ही ब्रिटेन भारत को सत्ता हस्तान्तरण नहीं कर सकता।" ऐसी स्थिति में क्रिप्स मिशन की असफलता का प्रभाव भारत और ब्रिटेन के सम्बन्धों पर पड़ा। (2) बर्मा में भारतीयों के साथ अमानुषिक व्यवहार - बर्मा पर जापान की विजय के पश्चात् बर्मा से जो भारतीय शरणार्थी आ रहे थे , उन्होंने यहाँ आकर अपनी दुःखपूर्ण कहानियाँ सुनाईं। अंग्रेजों को और भारतीयों को बर्मा से भारत आने के लिए पृथक्-पृथंक मार्ग दिए गए। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य एम. एस. अणे , जो कि बाहर रहने वाले भारतीयों की देखभाल करने वाले विभाग के इंचार्ज थे , पं. हृदयनाथ कुंजरू और मि. डाम के साथ बर्मा में भारतीयों की दशा को देखने गए। उन्होंने बाद में एक ...

भारत छोड़ो आंदोलन पर भाषण (Quit India Movement Day Speech)

Quit India Movement Day Speech 8 अगस्त 2022 कोभारतछोड़ोआंदोलनकी 80वींवर्षगांठमनाईजाएगी।भारतछोड़ोआंदोलनकीशुरुआत 8 अगस्त 1942 कोहुई।महात्मागांधीकेनेतृत्वमेंभारतछोड़ोआंदोलनके 5 सालबादभारतब्रिटिशराजसेमुक्तहुआ।भारतकोब्रिटिशराजसेआजादीएकलिए 200 सालतकसंघर्षकरनापड़ा।इसभारतीयस्वतंत्रतासंग्राममेंकईआंदोलनहुए, जिसमेंभारतछोड़ोआंदोलनभीशामिलहै।भारतछोड़ोआन्दोलनकीशुरुआतकैसेहुई? भारतछोड़ोआंदोलनकाक्यापरिणामनिकलाऔरभारतछोड़ोआंदोलनकाक्यामहत्वहै? अगरआपभारतछोड़ोआंदोलनपरभाषणकीतैयारीकररहेहैंतोआपकोइनसभीसवालोंकेजवाबपताहोनाचाहिए।तोआइयेजानतेहैंभारतछोड़ोआंदोलनपरभाषणकैसेलिखें। भारतछोड़ोआंदोलनपरभाषण | Speech On Quit India Movement Day भारतछोड़ोआंदोलनकोअगस्तक्रांतिआंदोलनकेरूपमेंभीजानाजाताहै।भारतमेंब्रिटिशशासनकोसमाप्तकरनेकेलिए 8 अगस्त 1942 कोअखिलभारतीयकांग्रेसकमेटीकेबॉम्बेसत्रमेंमहात्मागांधीनेअंग्रेजो 'भारतछोड़ो' आंदोलनशुरूकिया।दरअसलयहउससमयकीबातहैजबब्रिटेनद्वितीयविश्वयुद्धकेबीचमेंथाऔरजापानियोंकेभारतकीसीमाकेनिकटआनेकेसाथभारतकीभविष्यकीस्थितितयकरनेकेलिएउनपरदबावबढ़रहाथा।कांग्रेसकेनेताब्रिटिशसरकारपरउनकीमांगकोमाननेकेलिएदबावबनारहेथे।तबसरस्टैफोर्डक्रिप्सकोभारतभेजागया, जोयुद्धमंत्रिमंडलकेसदस्यथे।अंग्रेजभारतकोयुद्धकेप्रतिवफादाररखनाचाहतेथेऔरबदलेमेंअधिराज्यकादर्जादेनाचाहतेहैं।लेकिन 1935 केसरकारीअधिनियममेंभीबदलावकरनाचाहतेथे। अंग्रेजोंकीइसचालकोकांग्रेसनेताओंनेस्वीकार्यनहींकियाऔरउनकामिशनविफलहोगया।गांधीऔरअन्यराष्ट्रीयनेताओंनेभारतछोड़ोआंदोलनशुरूकरनेकेलिएइसअवसरकालाभउठाया।गोवालियाटैंकमैदानमेंकांग्रेसकेबॉम्बेअधिवेशनमेंदिएगएअपनेभाषणमेंमहात्मागांधीने 'करोयामरो' कानारादिया।जिसकेबादभारतछोड़ोआंदोलनकोअगस्तक्रांतिआंदोलनकेनामसेभीजानाजानेलग...