भारत छोड़ो आन्दोलन

  1. What is Quit Movement India in Hindi?
  2. भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार
  3. Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?
  4. भारत छोड़ो आंदोलन क्या है? भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्व तथा परिणाम
  5. Azadi Ka Amrit Mahotsav: जानें किन परिस्थितियों में शुरू हुआ आजादी का सबसे बड़ा संघर्ष "भारत छोड़ो आंदोलन"
  6. भारत छोड़ो आंदोलन
  7. भारत छोड़ो आन्दोलन


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What is Quit Movement India in Hindi?

Quit India Movement in Hindi – Cause, Consequence, Effect क्रिप्स मिशन की असफलता से देश में विषाद और आक्रोश की लहर – सी दोड़ गई . लगभग सभी क्षेत्रो में निराशा थी अगस्त 1942 में निति संबंधी फेसले का अनुमोदन करने के लिए बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक बुलाई गई . इसमें ‘भारत छोड़ो ‘ का मशहूर प्रस्ताव पास हुआ. प्रस्ताव पास होने के बाद गाँधी ने घोषित किया की उनका पहला काम वाईसराय से मिलकर मांगों को स्वीकार कराने के लिए पेरवी करना होगा . लेकिन सरकार ने वाईसराय से गाँधी के मिलने का इन्तजार नहीं किया और बैठक के तुरंत बाद गाँधी को गिरफ्तार कर लिया और तिन दिन के अन्दर सभी मुख्य राष्ट्रिय नेताओ को अहमदनगर किले में नजरबन्द कर दिया गया. सन 1942 का विद्रोह एक अर्थ में भारतीय राष्ट्रीयवादी आन्दोलन की समाप्ति था परिचायक था . इसके बाद प्रश्न सिर्फ यह रह गया की सत्ता का हस्तांतरण किस प्रकार हो और स्वतंत्रता के बाद सरकार का स्वरुप क्या हो. अप्रैल 1945 में युद्ध समाप्त हो गया . चर्चिल ने त्यागपत्र दे दिया ने चुनाव होने वाले थे . जून 1945 में भारतीय विधयक 1935 के ढाँचे के अंतर्गत कुछ और संवेधानिक सुधर लाने के प्रस्तावों की घोषणा की गई . कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों को रिहा कर दिया गया और सभी राजनितिक नेतायों की एक बैठक शिमला में बुलाई गई . शिमला प्रस्ताव में कई असंतोषजनक बातें शामिल थी उसमे सुझाया गया की वाईसराय की कार्यसमिति में उन्हें और प्रधान सेनापति को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय होंगे परन्तु प्रस्ताव के अनुसार समिति में हिंदुयों और मुसलमानों का अनुपात बराबर होना था दुसरे शब्दों में मसलमानो की सांप्रदायिकता की मांग को ब्रिटेन ने सरकारी तोर पर स्वीकार किया . समझोता वार्ता जिन्ना के...

भारत छोड़ो आन्दोलन और बिहार

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Explainer: भारत छोड़ो आंदोलनः अहिंसा की नीति का त्याग कर कैसे गूंजा करो या मरो का नारा?

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भारत छोड़ो आंदोलन क्या है? भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्व तथा परिणाम

भारत छोड़ो आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी: क्रिप्स मिशन के भारत आगमन से भारतीयों को काफी उम्मीदें थीं, किन्तु जब क्रिप्स मिशन खाली हाथ लाटैा तो भारतीयों को अत्यन्त निराशा हुई। अत: 5 जुलाई, 1942 को ‘हरिजन’ नामक पत्रिका में गाँधीजी ने उद्घोष कि- ‘‘अंग्रेजो भारत छोड़ो। भारत को जापान के लिए मत छोड़ों, बल्कि भारत को भारतीयों के लिए व्यवस्थित रूप से छोड़ा जाय। महात्मा गांधीजी का यह अन्तिम आन्दोलन था जो सन् 1942 में चलाया गया था। Contents • • • • • 1. भारत छोड़ो आंदोलन के कारण: • क्रिप्स मिशन से निराशा- भारतीयों के मन में यह बात बैठ गई थी कि क्रिप्स मिशन अंग्रेजों की एक चाल थी जो भारतीयों को धोखे में रखने के लिए चली गई थी। क्रिप्स मिशन की असफलता के कारण उसे वापस बुला लिया गया था। • बर्मा में भारतीयों पर अत्याचार- बर्मा में भारतीयों के साथ किये गए दुव्र्यवहार से भारतीयों के मन में आन्दोलन प्रारम्भ करने की तीव्र भावना जागृत हुई। • द्वितीय विश्व युद्ध के लक्ष्य के घोषणा- ब्रिटिश सरकार भारतीयों को भी द्वितीय विश्व युद्ध की लड़ाई में सम्मिलित कर चुकी थी, परन्तु अपना स्पष्ट लक्ष्य घोषित नहीं कर रही थी। • आर्थिक दुर्दशा- अगेंजी सरकार की नीतियों से भारत की आर्थिक स्थिति अत्यन्त खराब हो गई थी और दिनों-दिन स्थिति बदतर होती जा रही थी। • जापानी आक्रमण का भय- द्वितीय विश्व युद्ध के दारैान जापानी सेना रंगनू तक पहुंच चुकी थी, लगता था कि वे भारत पर भी आक्रमण करेंगी। 2. भारत छोडो आंदोलन का निर्णय: 14 जुलाई, 1942 मे बर्मा में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में ‘भारत छोड़़ो प्रस्ताव’ पारित किया गया। 6 और 7 अगस्त, 1942 को बम्बई में अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक हुई। गाँधीजी ने देश में ‘भारत छोड़़ो आन्दो...

Azadi Ka Amrit Mahotsav: जानें किन परिस्थितियों में शुरू हुआ आजादी का सबसे बड़ा संघर्ष "भारत छोड़ो आंदोलन"

देश आजादी के 75वर्ष पूरे होने" अमृत महोत्सव पर्व " मना रहा है परन्तु ये आजादी हमें ऐसे ही नहीं मिली है बल्कि इसके लिए 200 वर्षों तक भारतीयों ने कड़ा संघर्ष किया है, देशवासियों ने हजारों बलिदान दिए हैं तब जा कर 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली हैI अमृत महोत्सव के इस पर्व में हम आज आपके लिए आजादी के सबसे महत्वपूर्ण "भारत छोड़ो आंदोलन " के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी ले कर आयें हैंI 9 अगस्त 1942 को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बड़ा जन आंदोलन शुरू हुआ, जिसे भारत छोड़ो का नाम दिया गया, अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए कठोर और क्रूर कार्यवाही की परन्तु उस दौरान अंग्रेजों की अत्यंत दमनकारी नीतियों से उब चुके थे कि, उन्होंने अंग्रेजों को आंदोलन के माध्यम से भारत छोड़ने का स्पष्ट सन्देश दिया और ब्रिटिश सरकार के पास भी भारत से अपनी सत्ता को समाप्त करना ही एक आखिरी मार्ग बचा था I करीब 80 साल पहले, 9 अगस्त, 1942 को, भारतीयों ने स्वतंत्रता संग्राम के निर्णायक और अंतिम चरण की शुरुआत की, ये अंग्रेजी औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ एक जन आंदोंलन था जो बिना किसी नेतृत्व के प्रसारित हुआ, इस आंदोंलन की कल्पना भी किसी ने नहीं की थी कि, भारतीय बिना किसी नेतृत्व के कोई आन्दोलन कर सकते हैं, इस आन्दोलन ने विश्व को एक संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक ब्रिटिश साम्राज्य की गुलामी नहीं सहेंगे। 8 अगस्त 1947 को गाँधीजी ने ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का आह्वान किया और बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। गांधीजी ने बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान ( अब इसे अगस्त क्रांति मैदान भी कहते हैं) में अपने भाषण में "करो या मरो" का आह्वान किया, जिसके बाद भारतीय सड़कों पर आ...

भारत छोड़ो आंदोलन

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भारत छोड़ो आन्दोलन

।। भारतछोडो का नारा यूसुफ मेहर अली ने दिया था! जो यूसुफ मेहर अली भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेताओं में थे.।। विश्व युद्ध में हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ के दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने ९ अगस्त १९४२ को दिन निकलने से पहले ही काँग्रेस वर्किंग कमेटी के सभी सदस्य गिरफ्तार हो चुके थे और काँग्रेस को गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया। मूल सिद्धान्त [ ] भारत छोड़ो आंदोलन सही मायने में एक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों आम हिंदुस्तानी शामिल थे। इस आंदोलन ने युवाओं को बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। जिस दौरान कांग्रेस के नेता जेल में थे उसी समय जिन्ना तथा जून 1944 में जब विश्व युद्ध समाप्ति की ओर था तो गाँधी जी को रिहा कर दिया गया। जेल से निकलने के बाद उन्होंने कांग्रेस और लीग के बीच फ़ासले को पाटने के लिए जिन्ना के साथ कई बार बात की। 1945में ब्रिटेन में जनता का मत [ ] 1946 की शुरुआत में प्रांतीय विधान मंडलों के लिए नए सिरे से चुनाव कराए गए। सामान्य श्रेणी में कांग्रेस को भारी सफ़लता मिली। मुसलमानों के लिए आरक्षित सीटों पर मुस्लिम लीग को भारी बहुमत प्राप्त हुआ। राजनीतिक ध्रुवीकरण पूरा हो चुका था। 1946 की गर्मियों में कैबिनेट मिशन भारत आया। इस मिशन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग को एक ऐसी संघीय व्यवस्था पर राज़ी करने का प्रयास किया जिसमें भारत के भीतर विभिन्न प्रांतों को सीमित स्वायत्तता दी जा सकती थी। कैबिनेट मिशन का यह प्रयास भी विफ़ल रहा। वार्ता टूट जाने के बाद जिन्ना ने पाकिस्तान की स्थापना के लिए लीग की माँग के समर्थन में एक प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस का आह्‌वान किया। इसके लिए 16 अगस्त 1946 का दिन तय किया गया था। उसी दिन कलकत्ता म...