भैया दूज कौन सी तारीख को है

  1. होली की भाई दूज कितनी तारीख की है 2022? – Expert
  2. भाई दूज पर कौन से शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें सरल विधि व कथा
  3. This Is Why The Festival Of Bhai Dooj 2020 Is Celebrated Know The Significance
  4. भैया दूज 2016, कब है, तारीख, कहानी और उत्सव
  5. Bhai Dooj 2021: Why Yam Dwitiya Is Also Called Bhai Dooj
  6. Bhai Dooj 26 October 2022 Puja Muhurat Tilak Lagane Vidhi Mantra
  7. भाई दूज 2019: इस शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें पूरी विधि और कथा


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होली की भाई दूज कितनी तारीख की है 2022? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • होली की भाई दूज कितनी तारीख की है 2022? होली भाई दूज 2022 तारीख: होली के दो दिन बाद 20 मार्च रविवार को होली भाई दूज मनाई जाएगी। होली के बाद वाली भाई दूज कब है? हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है, इस बार होली भाई दूज 20 मार्च 2022, रविवार को है। द्वितीया तिथि 19 मार्च को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 20 मार्च को सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी। दूज 2022 कब है April? फुलेरा दूज 2022 शुभ मुहूर्त- फुलेरा दूज को उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 04 मार्च को मनाया जाएगा। इस महीने की दूज कब की है? Phulera Dooj 2022: पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह (Phalgun Month) के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फूलेरा दूज का पर्व मनाया जाता है. इस साल फूलेरा दूज 04 मार्च दिन शुक्रवार को है. ब्रज क्षेत्र में फूलेरा दूज से होली (Holi) का आगमन होता है. दोज कब की है 2022 June? July माह में कृष्ण पक्ष की दूज 15 जुलाई 2022 को है. मार्च महीने में भाई दूज क्यों मनाई जाती है? भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष दीपावली के दो दिन बाद तीसरे दिन मनाया जाता है. कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को ही यमुना ने यमराज को तिलक भोजन कराया था और वर मांगा था जिसे यमराज ने स्वीकार कर लिया था इसीलिए भाई दूज का त्यौहार हर वर्ष इसी दिन मनाया जाता है. इस पर्व को यम द्वितीया भी कहते हैं. मार्च 2022 में दूज कब है? इस दिन बहनें भाईयों को तिलक कर उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस बार भाई दूज 20 मार्च को मनाई जाएगी। द्वितीया तिथि 1...

भाई दूज पर कौन से शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें सरल विधि व कथा

भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। ये पर्व भाई टीका, यम द्वितीया, भाई द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल भाई दूज कौन सी तिथि को मनाई जाएगी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। भाई दूज के अवसर पर बहनें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, सुपारी और मिठाई आदि रखकर भाई के लिए तिलक का थाल सजाती हैं। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बना लें। शुभ मुहूर्त होने पर भाई को इस चौक पर बिठाएं और उनका तिलक करें। तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, बताशे, सुपारी और काले चने दें। इसके पश्चात् उनकी आरती उतारें। तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को भेंट दे। आप भी अपने भाई को तिलक लगाने के बाद भोजन कराएं। सूर्य के पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आगाज हुआ। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज उनके घर गए। उनके आने पर यमुना ने स्वादिष्ट भोजन कराया और फिर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। यमराज ने इसके बाद अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा और यमुना ने उन्हें हर साल उसी दिन घर आने के लिए कहा ताकि वो इसी तरह उनका तिलक करें और उनकी खुशहाली की कामना कर सकें। यमुना की बात सुनकर यमराज बहुत खुश हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई।

This Is Why The Festival Of Bhai Dooj 2020 Is Celebrated Know The Significance

Bhai Dooj 2020 : इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज का पर्व, इस बार इस दिन मनाया जाएगा ये त्योहार भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं. चलिए बताते हैं इस बार भैया दूज का पर्व कब है और आखिर कैसे इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई. भारत में त्यौहारों का एक पौराणिक महत्व अवश्य है. हर व्रत, पर्व व त्यौहार किसी ना किसी विशेष उद्देश्य से ही मनाया जाता है. इसी तरह एक पर्व है भैया दूज. जो दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व भाई व बहन के बीच अटूट प्यार व विश्वास का प्रतीक है. भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं. चलिए बताते हैं इस बार भैया दूज का पर्व कब है और आखिर कैसे इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरु हुई. इस दिन है भैया दूज 2020 का पर्व इस बार दीवाली का त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा. और इसके ठीक दो दिन बाद यानि 16 नवंबर को होगा भैया दूज का पर्व. और इसी पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी हो जाता है. इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज पौराणिक मान्यता के मुताबिक यमराज को उनकी बहन यमुना ने कई बार मिलने के लिए बुलाया. लेकिन यम जा ही नहीं पाते थे. एक दिन वो अपनी बहन के घर उनसे मिलने पहुंचे, तो बहन यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने यमराज को बड़े ही प्यार व आदर से भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना की. खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा - तब यमुना ने मांगा कि इस तरह ही आप हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वि...

भैया दूज 2016, कब है, तारीख, कहानी और उत्सव

भैया दूज के बारे में रोशनी के जगमगाते त्यौहार दीवाली की तमाम भव्यता के बाद, पांच दिनों के दीपावली उत्सव के आखिरी दिन भारत भर में ’भैया दूज’ मनाया जाता है जो कि भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। भैया दूज शुक्ल पक्ष में आता है। शाब्दिक अर्थों में ’भैया’ यानी भाई और ’दूज’ का अर्थ है नए चंद्रमा के उदय के बाद का दूसरा दिन, जिस दिन ये उत्सव मनाया जाता है। भैया दूज 2016 भैया दूज मंगलवार 1 नवम्बर को है। भैया दूज की कहानी हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार, भैया दूज का हिंदू धर्म में बहुत मूल्य और महत्व है। हिंदू धर्म के लगभग सभी त्यौहार और प्रथाएँ किसी न किसी विशेष चरित्र और आदर्श से जुड़े हैं जो उनके मनाए जाने को सही ठहराते हैं और लोगों को उनके महत्व को समझाने में मदद करते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी भैया दूज की यह कहानी आगे बढ़ती जाती है। कहानी कुछ इस प्रकार है कि एक गांव में एक परिवार रहता था जिसमें दो बच्चे थे, एक बड़ी बहन और उसका एक छोटा भाई। क्योंकि बहन बड़ी थी, उसकी शादी हुई और वह चली गई और उसका भाई अकेला रह गया। समय के साथ वह बड़ा हुआ और उसकी याद से उसकी बहन की तस्वीर धुंधली पड़ गई लेकिन जब वह दूसरे लोगों को अपनी बहनों के साथ कोई खास दिन मनाते देखता तो वह अपनी बहन की कमी महसूस करता था। एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा कि क्यों उसकी बहन इतने सालों से उससे मिलने नहीं आई, जिस पर उसकी माँ ने जवाब दिया कि दोनों गावों के बीच खतरनाक और डरावना जंगल है जिसे पार करना पड़ता है इसलिए कोई उस गांव से इस गांव से मिलने नहीं आता है। भाई ने तय किया कि वह अपनी बहन से मिलेगा। किसी भी खतरे का विचार किये बिना वह निकल पड़ा और जंगल में खतरों का सामना करने पर उसने सांपों, पहाड़ों आदि से प्रार्थना की कि वह उसे...

Bhai Dooj 2021: Why Yam Dwitiya Is Also Called Bhai Dooj

Bhai Dooj 2021 : यम द्वितीया को क्यों मनाते हैं भाई-बहन का त्योहार भाई दूज, ऐसी है परंपरा Happy Bhai Dooj 2021: यम द्वितीया को भाई दूज या भैया दूज भी कहा जाता है, इसके पीछे एक कहानी है. इस दिन यमराज और उनकी बहन यमुना की पूजा की परंपरा है. इस साल भाई दूज यानी यम द्वितीया नवंबर महीने की 6 तारीख को मनाया जाएगा. जैसे राखी में भाइयों को तिलक लगाते हैं, इस दिन भी भाई का तिलक कर उसकी आरती उतारी जाती है. बहनें अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं और तिलक लगाकर उसकी सलामती की कामना करती हैं. भाई, बहन के घर जाता है और तिलक करवा कर प्यार से बहनों को उपहार देता है. बहनें भी छोटे भाइयों को गिफ्ट देती है. इस तरह भाई-बहन का ये प्यारा सा पर्व मनाया जाता है. यम द्वितीया को क्यों कहते हैं भैया दूज भैया दूज को सभी यम द्वितीया भी कहते हैं. दरअसल पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि एक बार यम देव अपनी बहन यमुना या यामी से मिलने गए. बहन ने आरती कर भाई का स्वागत किया. यम देव के माथे पर तिलक लगाकर बहन ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर बढ़िया भोजन कराया. यमराज, बहन के इस स्वागत से खूब खुश हुए और बहन को उपहार देते हुए इस बात की घोषणा की कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाएंगे, बहने उनका आरती और तिलक कर स्वागत करें, इससे भाई सभी तरह की बुरी ताकतों से बचेंगे और उनका कल्याण होगा. तभी से इस दिन भाई-बहन का ये प्यारा त्योहार मनाया जाना लगा. भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त Listen to the इस साल द्वितीया तिथि 5 नवंबर को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट से शुरू होकर अगले दिन यानी 6 नवंबर को शाम 07 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस साल भाई दूज पर अपने भाइयों को तिलक करने का सबसे शुभ समय दोपहर 1 बजकर 10 से लेकर 3 ...

Bhai Dooj 26 October 2022 Puja Muhurat Tilak Lagane Vidhi Mantra

Bhai Dooj 2022 Puja: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है. इस साल भाई दूज 26 अक्टूबर 2022 को है. भाई दूज 5 दिन दिपोत्सव पर्व का आखिरी दिन होता है. इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उनकी रक्षा, लंबी उम्र और उन्नति की कामना करती हैं. भाई उन्हें उपहार देते हैं. इस साल भाई दूज का पर्व बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा, इस दिन गोवर्धन पूजा और अन्नकूट भी है. भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच अटटू प्रेम और पवित्रता रिश्तों को दर्शाता है. आइए जानते हैं भाई दूज का मुहूर्त और विधि. भाई दूज 2022 मुहूर्त (Bhai Dooj 2022 Muhurat) • कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि शुरू - 26 अक्टूबर 2022, दोपहर 02.42 • कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि समाप्त - 27 अक्टूबर 2022, दोपहर 12.45 भाई दूज पूजा मुहूर्त • दोपहर 01.18 - दोपहर 03.33 (26 अक्टूबर 2022) • विजय मुहूर्त- दोपहर 02:03 - दोपहर 02:48 • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05:49 - शाम 06:14 भाई दूज पूजा विधि (Bhai Dooj Puja Vidhi) • भाई दूज वाले दिन यमुना नदी में स्नान का खास महत्व है. अगर ऐसा संभव न हो तो सूर्योदय से पूर्व स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें. • इस दिन भाई के स्वागत के लिए बहनें तरह-तरह के पकवान बनाती हैं. पूजा की थाल तैयार कर लें. • भाई दूज की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें. सबसे पहले भाई को एक चौकी पर बिठाएं और फिर कुमकुम से तिलक कर अक्षत लगाएं. टीका करते हुए ये मंत्र बोलें - 'गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्‍ण को, गंगा-यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े. • तिलक करने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और यम देवता से भाई की लंबी आयु की कामना करें. भाई दूज पर तिलक...

भाई दूज 2019: इस शुभ मुहूर्त पर भाई को लगाएं तिलक, जानें पूरी विधि और कथा

भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई और बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। ये पर्व भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। हर साल दिवाली के दूसरे दिन ही ये पर्व मनाया जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है। जानते हैं इस साल भाई दूज कौन सी तिथि को मनाई जाएगी और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में। भाई दूज मनाने का तरीका भाई दूज के अवसर पर बहनें कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, सुपारी और मिठाई आदि रखकर भाई के लिए तिलक का थाल सजाती हैं। तिलक से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बना लें। शुभ मुहूर्त होने पर भाई को इस चौक पर बिठाएं और उनका तिलक करें। तिलक करने के बाद भाई को फूल, पान, बताशे, सुपारी और काले चने दें। इसके पश्चात् उनकी आरती उतारें। तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहन को भेंट दे। आप भी अपने भाई को तिलक लगाने के बाद भोजन कराएं। Most Read:विवाहित महिलाएं दूसरों के साथ भूलकर भी ना बांटे ये 7 चीजें, पति का प्यार हो जाएगा कम जानें यम और यमि की कथा सूर्य के पुत्र यम और यमी भाई बहन थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे और इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा का आगाज हुआ। बहन यमुना के कई बार बुलाने पर एक दिन यमराज उनके घर गए। उनके आने पर यमुना ने स्वादिष्ट भोजन कराया और फिर तिलक लगाकर उनके खुशहाल जीवन की प्रार्थना की। यमराज ने इसके बाद अपनी बहन यमुना को वरदान मांगने के लिए कहा और यमुना ने उन्हें हर साल उसी दिन घर आने के लिए कहा ताकि वो इसी तरह उनका तिलक करें और उनकी खुशहाली की कामना कर ...