Bhartiya kranti ki janani

  1. भारत के प्रमुख क्रांतिकारी
  2. भारतीय हरित क्रांति की जन्मस्थली कहां है?
  3. कृषि का महत्त्व
  4. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
  5. भारत की जन जातियाँ
  6. हरित क्रांति का अर्थ
  7. Distorted Histories and Unconstitutional Autocracy in the 'Mother of Democracy'


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भारत के प्रमुख क्रांतिकारी

◆ जन्म – 1838 (बंगाल में) ◆ प्रमुख रचना राजमोहन्स वाइफ है। जो अंग्रेजी में है। ◆ बंगला भाषा में प्रथम उपन्यास – दुर्गेश नन्दिनी। ◆ मुख्य उपन्यास – आनन्द मठ (इसमें 1772 के सन्यासी विद्रोह का वर्णन है) ◆ भारत का राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम इसी उपन्यास से लिया गया है। ◆ अंतिम उपन्यास – सीताराम ◆ अन्य रचनाएं – देवी चौधराईन, विष वृक्ष, मृणालिनी, कपाल कुण्डला आदि। वीर विनायक दामोदर सावरकर (वी.डी. सावरकर) ◆ इनका जन्म 1833 में महाराष्ट्र में हुवा। ◆ इन्होंने 1899 में मित्र मेला नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की थी। ◆ 1904 में इसका नाम बदलकर अभिनव भारत कर दिया गया। ◆ 1906 में इंग्लैंड गए और वहां इंडिया हाउस को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया। ◆ 1857 की क्रांति को भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहने वाले प्रथम व्यक्ति थे। ◆ इन्होंने ‘द बार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ यह किसी भारतीय द्वारा लिखी गयी पहली पुस्तक है जो प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंधित कर दी गयी। ◆ इस पुस्तक को पिकवीक पेपर्स तथा स्कॉट पेपर्स के नाम से प्रकाशित किया गया था। ◆ इन्ही की प्रेरणा से 1909 में मदनलाल ढींगरा ने लंदन में भारत सचिव के राजनीतिक सलाहकार कर्जन विलियम वाइली की हत्या कर दी गई। ◆ 1909 में सावरकर की प्रेरणा से ही अनन्त लक्ष्मण कान्हरे ने नासिक (महाराष्ट) के जिला जज जैक्सन की हत्या कर दी। इस घटना को नासिक षड्यंत्र केस के नाम से जाना जाता है। ◆ नासिक षड्यंत्र केस के अभियोग में ही वीर सावरकर 1910-34 तक अण्डमान की सेलुलर जेल में कैद रहे थे। ◆ एकमात्र भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्हें दो जन्मों के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी। ◆ वर्तमान में पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे के नाम सावरकर हवाई अड्डा कर दिया गया है। विपिनचन...

भारतीय हरित क्रांति की जन्मस्थली कहां है?

भारतीय हरित क्रांति की जन्मस्थली पंतनगर है। भारत में हरित क्रांति का प्रारंभ वर्ष 1966 से माना जाता है। इसकी शुरुआत पंजाब हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से सन 1966/1967 में हुआ। भारत में हरित क्रांति लाने में कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, इसलिए इसे हरित क्रांति की जन्मस्थली भी कहा जाता है। गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर भारत का पहला कृषि विश्वविद्यालय है। इसका उद्घाटन जवाहरलाल नेहरू द्वारा 17 नवंबर, 1960 को उत्तर प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के नाम से किया गया था। वर्ष 1972 में इसका नाम महान स्वतन्त्रता सेनानी गोविन्द बल्लभ पंत के नाम पर गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कर दिया गया। यह विश्वविद्यालय पंतनगर नामक परिसर-कस्बे में पड़ता है जो उत्तराखण्ड के उधमसिंहनगर जिले में है। Tags :

कृषि का महत्त्व

mahattvapoorn tathy desh ki unnati tatha usake samagr vikas ke lie krishi ka mahattv kitana adhik hai, is bat ki nimnalikhit tathyoan se pushti ki ja sakati hai- • krishi udyog bharat ki adhikaansh janata ko rozagar pradan karata hai. is desh ki 52 pratishat abadi pratyaksh roop se krishi par nirbhar hai. krishi utpadoan ko • bharat ki khadyann avashyakata ki lagabhag shat-pratishat poorti bharatiy krishi dvara hi ki jati hai. isake atirikt chini, vastr, patasan, tel adi udyog prayah poori tarah bharatiy krishi par hi nirbhar karate haian. kyoanki inaki avashyakata ke kachche mal ki poorti mukhyatah ghareloo utpadan dvara hi hoti hai. kuchh lambe reshe ki rooee tatha patasan ki kami rahati hai, jo videshoan se prapt ki jati hai. • vishv ki sabase b di krishi sanbandhi arthavyavasthaoan mean se ek bharat mean krishi kshetr ka yogadan varsh • bharatiy krishi manasoon par nirbhar hai. isi karan bharatiy krishi ko 'manasoon ka jua' kaha gaya hai. yadi manasoon yatha-samay evan yathesht matra mean a jata hai to krishi utmadan bhi thik ho jata hai, jisase desh mean khadyannoan ki avashyakata ki poorti ho jati hai aur udyoangoan ko bhi yathesht • • bharat mean krishi ke mahatv ka karan yah hai ki isase anek pramukh udyogoan ko kachcha mal milata hai. sooti vastr, patasan, chini, vanaspati adi udyog bharatiy krishi ki samasyaean bharat krishi pradhan desh hai, parantu yahaan krishi ki dasha santoshajanak nahian hai. krishi utpadan mean vriddhi poorv mean janavriddhi dar se bhi kam...

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

प्राचीन समय से ही विदेशी हमलावर हमेशा भारत आने को उत्सुक रहे हैं, फिर चाहे वो आर्य, फारसी, ईरानी, मुगल, चंगेज खान, मंगोलियाई या सिकंदर ही क्यों ना हों। अपनी समृद्धि और खुशहाली के कारण भारत हमेशा से आक्रमणकारियों और शासकों की रुचि का कारण रहा। भारत की आजादी का इतिहास 1757 में पलासी के युद्ध के बाद ब्रिटिश भारत में राजनीतिक सत्ता जीत गए और यही वो समय था जब अंग्रेज भारत आए और करीब 200 साल तक राज किया। 1848 में लाॅर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान यहां उनका शासन स्थापित हुआ। उत्तर-पश्चिमी भारत अंग्रेजों के निशाने पर सबसे पहले रहा और 1856 तक उन्होंने अपना मजबूत अधिकार स्थापित कर लिया। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने अपने शासन में सबसे उंचाई को छुआ। नाराज़ और असंतुष्ट स्थानीय शासकों, किसानों और बेरोजगार सैनिकों ने विद्रोह कर दिया जिसे आमतौर पर ‘1857 का विद्रोह’ या ‘1857 के गदर’ के तौर पर जाना जाता है। 1857 का विद्रोह यह गदर मेरठ में बेरोजगार सैनिकों के विद्रोह से शुरु हुआ। उनकी बेरोजगारी का कारण वो नई कारतूस थी जो नई एनफील्ड राइफल में लगती थी। इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी से बना ग्रीस था जिसे सैनिक को राइफल इस्तेमाल करने की सूरत में मुंह से हटाना होता था। यह हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के सैनिकों को धार्मिक कारणों से मंजूर नहीं था और उन्होंने इसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया था जिसके चलते वो बेरोजगार हो गए। जल्दी ही यह विद्रोह फैल गया खासकर दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों में, लेकिन यह विद्रोह असफल रहा और अंग्रेजों की सेना ने इसका जवाब लूट और हत्याएं करके दिया जिसके चलते लोग निराश हो गए। इस विद्रोह ने दिल्ली, अवध, रोहिलखंड, बुंदेलखंड, इलाहाबाद, आगरा, मेरठ और पश्चिमी बिहार ...

भारत की जन जातियाँ

विषय सूची • 1 विभिन्न नामों से सम्बोधित • 2 टीका टिप्पणी और संदर्भ • 3 बाहरी कड़ियाँ • 4 संबंधित लेख भारत की जनजातियाँ ही यहाँ की आदिवासी तथा मूलतः निवास करने वाली जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनके जीवन-यापन का ढंग वर्तमान में भी प्राचीन पद्धतियों से ही संचालित होता आ रहा है। अब भले ही कुछ जनतियों ने स्थायी ढंग से कृषि, पशुपालन आदि कार्यों में रुचि लेना प्रारम्भ कर दिया है किन्तु इनकी अधिकांश जनसंख्या शिकार करने, मछली पकड़ने, लकड़ी काटने आदि कार्यों द्वारा ही जीवन-निर्वाह करती है। भारत में जनजातीय समुदाय के लोगों की काफ़ी बड़ी संख्या है और देश में 50 से भी अधिक प्रमुख जनजातीय समुदाय है। 'सरलतम रूप में जनजाति ऐसी टोलियों का एक समूह है, जिसका एक सान्निध्य वाले भूखण्ड अथवा भूखण्डों पर अधिकार हो और जिनमें एकता की भावना, संस्कृति में गहन समानता, निरन्तर सम्पर्क तथा कतिपय सामुदायिकता हितों में समानता से उत्पन्न हुई हो।' विभिन्न नामों से सम्बोधित भारतीय जनजातियों को विद्वानों द्वारा अलग-अलग नामों से सम्बोधित किया गया है, जैसे आदिवासी, पहाड़ी जनजातियाँ, जंगली आदिवासी, प्राचीन जनजाति, जंगल निवासी, पिछड़ा हिन्दू, विलीन मानवता आदि। • उत्तरी एवं उत्तरी-पूर्वी प्रदेश - इसमें हिमालय के तराई क्षेत्र, उत्तरी-पूर्वी क्षेत्र सम्मिलित किये जाते हैं। देश की लगभग 80 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या इसी क्षेत्र में निवास करती है। • मध्यवर्ती क्षेत्र - इसके अन्तर्गत प्रायद्वीपीय भारत के पठारी तथा पहाड़ी क्षेत्र सम्मिलित किये जाते है। देश की लगभग 80 प्रतिशत जनजातीय जनसंख्या इसी क्षेत्र में निवास करती है। मध्य प्रदेश, दक्षिण राजस्थान, • दक्षिणी क्षेत्र - इसके अन्तर्गत आन्ध्र प्रदेश, इन तीन प्रमुख क्...

हरित क्रांति का अर्थ

हरित क्रांन्ति से अभिप्राय देश के सिंचित एवं असिंचित कृषि क्षेत्रों में अधिक उपज देने वाले संकर तथा बौने बीजों के उपयोग से फसल उत्पादन में वृद्धि करना हैं। हरित क्रान्ति भारतीय कृषि में लागू की गई उस विकास विधि का परिणाम है, जो 1960 के दशक में पारम्परिक कृषि को आधुनिक तकनीकि द्वारा प्रतिस्थापित किए जाने के रूप में सामने आई। क्योंकि कृषि क्षेत्र में यह तकनीकि एकाएक आई, तेजी से इसका विकास हुआ और थोड़े ही समय में इससे इतने आश्चर्यजनक परिणाम निकले कि देश के योजनाकारों, कृषि विशेषज्ञों तथा राजनीतिज्ञों ने इस अप्रत्याशित प्रगति को ही हरित क्रान्ति की संज्ञा प्रदान कर दी। हरित क्रान्ति की संज्ञा इसलिये भी दी गई, क्योंकि इसके फलस्वरूप भारतीय कृषि निर्वाह स्तर से ऊपर उठकर आधिक्य स्तर पर आ चुकी थी।

Distorted Histories and Unconstitutional Autocracy in the 'Mother of Democracy'

By tracing the roots of democracy on the eve of Constitution Day to a most undemocratic, religiously ordained social order, the BJP government is inflicting humiliation on millions of Dalits and other marginalised sections of the Indian population. The ministry of education sent an order to institutions of higher learning in the country to celebrate Constitution Day on November 26 on the subject of It is reported in The concept note has all the necessary ingredients of the Bharatiya Janata Party (BJP)-Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) Hindutva ideology and is totally out of tune with the progress made in Indian historiography since Independence. However, it does provide a useful service of nakedly displaying the RSS’s institutional capture of the premier national research institute of historical studies in the country under Modi’s regime. The fact that it is thrust upon institutions of higher learning in the country warrants a stringent criticism of its views, notwithstanding the hotchpotch of words put together in the document and the poverty of imagination. The concept note begins with an ahistorical claim that Indians have been all over the globe since ‘time immemorial’ and, therefore, the idea of Bharat needs to be cherished! In its urge to find roots for modern democracy in ancient India, the concept note presents a muddled and distorted history drawing on features from European and British colonial writings on Indian village systems. The note reads, “In India, from t...