भगवान

  1. Krishna
  2. कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा ! जीवन परिचय
  3. भगवान राम पर दोहे अर्थ सहित
  4. 121 Krishna Quotes In Hindi भगवान कृष्ण द्वारा परम सत्य उपदेश
  5. भगवान पर अनमोल वचन
  6. भगवान की परिभाषा क्या है, भगवान किसे कहते है?
  7. Bhagavan


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Krishna

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कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा ! जीवन परिचय

कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा : भगवान कृष्ण की यह जीवनी हमेशा मेरे रोंगटे खड़े कर देती है क्योंकि यह कहानी हमें बता रही है कि भगवान कृष्ण को अपने सच्चे भक्तों से कितना प्यार है, चाहे उनका धर्म और जाति कुछ भी हो। इस लेख में हमने भगवान श्री कृष्ण के संपूर्ण जीवन के बारे में लिखा है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और इस लेख को पढ़ते हैं। चाहे तो आप यह भी पढ़ सकते है की विषयसूची • • • • • • • • • • • • • • • • कृष्ण भगवान का जीवन परिचय | Krishna Bhagwan Ki Jivan Katha द्वापरयुग में मथुरा का राजा उग्रसेन थे। उनके पुत्र का नाम कंस था और उनके पुत्री का नाम देवकी थी। कंस का बहन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। एकदिन कंस ने आकाशवाणी सुना कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा वह मारा जाएगा। इससे बचने के लिए कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के कारागार में डाल दिया और साथ ही अपने पिता को भी कारागार में डाल कर स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कृष्ण भगवान की सम्पूर्ण जीवन गाथा पीडीऍफ़ : PDF डाउनलोड करे कृष्ण भगवान का जन्म ! Krishna Birth Story in Hindi कृष्ण भगवान का जन्म मथुरा में कंस के कारागार में हुआ था। कृष्ण के पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम माता देवकी थी। कृष्ण उनके ८ वीं संतान थे। अधिक पढ़ें : भगवान कृष्ण किस वंश के थे ? जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तब कारागृह के द्वार स्वतः ही खुल गए और सभी सिपाही निंद्रा में थे। वासुदेव के हाथो में लगी बेड़िया भी खुल गई। तब वासुदेव अपने पुत्र को लेकर कारागृह से निकल पड़े। गोकुल के निवासी नन्द की पत्नी यशोदा को भी संतान का जन्म होने वाला था। वासुदेव अपने पुत्र को यशोदा के पास रख कर उनकी संतान को लेकर मथुरा चले आए। कंस अपनी बहन देवकी के सभी बच्चों को मारने क...

भगवान राम पर दोहे अर्थ सहित

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है भगवान राम पर दोहे तुलसीदास जी भगवान राम के कितने बड़े और अनन्य भक्त थे। उन्होंने भगवान् राम की महिमा में कई रचनाएं लिखीं। आइये पढ़ते हैं तुलसीदास जी द्वारा रचित भगवान राम पर दोहे अर्थ सहित ( Tulsidas Ke Bhagwan Ram Par Dohe ) :- भगवान राम पर दोहे नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून। अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून॥ अर्थ – राम-नाम की महिमा का वर्णन करते हुए तुलसीदास कहते हैं कि इस संसार में केवल श्रीराम का नाम ही अंक है, उसके अतिरिक्त शेष सब शून्य है। अंक के न रहने पर कुछ प्राप्त नहीं होता, परंतु शून्य के पहले अंक के आने पर वह दस गुना हो जाता है। अर्थात् राम-नाम का जाप करते ही साधन दस गुना लाभ देनेवाले हो जाते हैं। नाम राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। जो सुमिरत भयो माँग तें तुलसी तुलसीदासु॥ अर्थ – कलियुग में केवल राम-नाम ही ऐसा कल्पवृक्ष है, जो मनोवांछित फल प्रदान करनेवाला तथा परम कल्याणकारी है। इसका सुमिरन करने से तुलसी भाँग से बदलकर तुलसी के समान हो गए हैं। अर्थात् काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि विषय-विकारों से मुक्त होकर पवित्र, निर्दोष और ईश्वर के प्रिय हो गए हैं। राम नाम जपि जीहँ जन भए सुकृत सुखसालि। तुलसी इहाँ जो आलसी गयो आज की कालि॥ अर्थ – तुलसीदास कहते हैं कि जिन लोगों की जिह्वा निरंतर राम-नाम का जाप करती रहती है, वे सभी दुखों से मुक्त होकर परम सुखी और पुण्यात्मा हो गए हैं। परंतु जो आलस्य के कारण नाम-जाप से विमुख रहते हैं, उनका वर्तमान और भविष्य नष्ट समझना चाहिए। राम नाम सुमिरत सुजस भाजन भए कुजाति। कुतरुक सुरपुर राजमग लहत भुवन बिख्याति॥ अर्थ – रा...

121 Krishna Quotes In Hindi भगवान कृष्ण द्वारा परम सत्य उपदेश

Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Image Quotes of Lord Krishna in Hindi भगवान कृष्ण को भगवान विष्णु के आठवें अवतार के रूप में और अपने आप में सर्वोच्च भगवान के रूप में पूजा जाता है। वह करुणा, कोमलता, प्रेम के देवता हैं और भारतीय देवताओं में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से पूजनीय हैं। उन्होंने हमें जीवन, प्रेम, खुशी, धर्म, मोक्ष (मुक्ति), भक्ति (भक्ति), योग, ध्यान, धर्म, सत्य के बारे में सब कुछ सिखाया। आइये जानते हैं श्री कृष्ण के श्री मुख से निकले कुछ अनमोल वचनों को – श्री कृष्णा के अनमोल वचन | Lord Krishna Quotes In Hindi Lord Krishna Anmol Vachan “वह सब कुछ करो जो तुम्हें करना है, लेकिन लालच से नहीं, अहंकार से नहीं, वासना से नहीं, ईर्ष्या से नहीं बल्कि प्रेम, करुणा, नम्रता और भक्ति के साथ।” भगवान श्री कृष्ण इस अनमोल वचन के माध्यम से कार्य करने की नियत का उल्लेख करते हैं। जब किसी भी कार्य करने में अगर लालच होगा, बेईमानी होगी, जलन होगी तो वो काम न तो सही होगा और न ही उसके परिणाम फलदाई होंगे। इसके अतरिक्त जिस कार्य को हम पूरे मन से प्रेमपूर्वक करेंगे तो वो न सिर्फ हमारे लिए बल्कि समाज के लिए भी हितप्रद होगा। Shree Krshna Mahaan Upadesh “नर्क के तीन द्वार हैं: काम, क्रोध और लोभ।” जो व्यक्ति कामी प्रवृत्ति का होता हो, जिसके मन में लोभ होता है और जो अत्यधिक क्रोधी स्वाभाव का होता है उसके लिए नर्क के द्वार सदैव खुले होते हैं। अर्थात ऐसे वयक्ति को तो सिर्फ नर्क में ही जगह मिलती है। Shri Krishna Sayings In Hindi “मैं ही सृष्टि का आदि, मध्य और अंत हूँ।” भगवान श्री कृष्ण ही इस सृष्टि के पालनहार है। वही इस संसार की शुरुआत थे, वही मध्य और वही अंत होंगे। Quotes of L...

भगवान पर अनमोल वचन

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भगवान की परिभाषा क्या है, भगवान किसे कहते है?

भगवान यह गलत लिखावट है। भगवान् यह सही लिखावट है। लेकिन क्योंकि लोग भगवान शब्द गूगल पर सर्च करते है इसलिए हम भगवान शब्द का प्रयोग करेंगे। भगवान किसे कहते है? भगवान् शब्द बनता हैं, भग + वान्। इसमें "भग" धातु है। भग धातु का ६ अर्थ है:- १. पूर्ण ज्ञान, २. पूर्ण बल, ३. पूर्ण धन, ४. पूर्ण यश, ५ . पूर्ण सौंदर्य और ६. पूर्ण त्याग। विष्णुपुराण ६.५.७४ में भी यही बात कहा कि "सम्पूर्ण ऐश्वर्य को भगवान कहते हैं।" इस प्रकार भगवान शब्द से यह तात्पर्य हुआ कि जो छह गुणों से उक्त हो उसे भगवान कहते है, दुसरे शब्दों में कहें तो ये छहों गुण जिसमे नित्य (सदा) रहते हो उन्हें भगवान कहते हैं। लेकिन यह मत सोचिए कि भगवान में केवल ६ गुण होते है। छान्दोग्योपनिषद् ८.७.१ 'एष आत्मापहतपाप्मा विजरो विमृत्युर्विशोको विजिघत्सोऽपिपासः सत्यकामः सत्यसङ्कल्पो' यह भगवान के आठ गुण है। भगवान के अनंत गुण होते है। ये गुण तो प्रमुख है इसलिए ये ६ या ८ गुण अंकित है। लेकिन वास्तविकता क्या है भागवत ११.४.२ "जो भगवान के, श्रीकृष्ण के गुणों की संख्या करे, वो बाल बुद्धि वाला है, वो बच्चा है, जो कहता है, इतने (१०-२०) गुण हैं।" क्यों उस व्यक्ति की बुद्धि एक बच्चे की बुद्धि के सामान है। इसलिए क्योंकि भागवत १.१८.१४ ‘नान्तं गुणानामगुणस्य जग्मुः।’ अनंत गुण हैं, अनंत नाम हैं। अतएव जिसके गुण अनंत है, उसको कोई गिन नहीं सकता और अगर कोई गिने तो कितना गिनेगा? जितनी उसकी बुद्धि होगी। भागवत १०.१४.७ ‘गुणात्मनस्तेऽपि गुणान् विमातुं हितावतीर्णस्य क ईशिरेऽस्य।’ अर्थात कोई व्यक्ति पृथ्वी के एक-एक कणो को भले ही गिन लेने में समर्थ हो जाये। परन्तु भगवान के गुणों को कोई भी नहीं गिन सकता। भागवत १.१८.१४ ‘नान्तं गुणानामगुणस्य जग्मुः।’ अनंत गुण हैं, अन...

Bhagavan

This article possibly contains Please ( June 2019) ( Bhagavan ( भगवान्, Bhagavān; Bhagavā), also spelt Bhagwan (sometimes translated in English as " In many parts of India and In In Buddhism's Pali and Sanskrit Bhagavā or Bhagavān (translated with the phrase "Lord" or "The Blessed One"). Etymology and meaning [ ] Bhagavān, nominative singular of the adjective Bhagavat, literally means "fortunate", "blessed" (from the noun bog " bogaty, bogat, богатый (bogatyj) "wealthy"), [ original research?] The Bhagavān as follows, उत्पत्तिं प्रलयं चैव भूतानामागतिं गतिम् | वेत्तिं विद्यामविद्यां च स वाच्यो भगवानिति || He who understands the creation and dissolution, the appearance and disappearance of beings, the wisdom and ignorance, should be called Bhagavān. — Vishnu Purana, VI.5.78 The same text defines Knowledge is of two kinds, that which is derived from Vishnu. That essence of the supreme is defined by the term Bhagavat. The word Bhagavat is the denomination of that primeval and eternal God: and he who fully understands the meaning of that expression is possessed of holy wisdom, the sum, and substance of the Vedas. The word Bhagavat is a convenient form to be used in the adoration of that supreme being, to whom no term is applicable; and therefore Bhagavat expresses that supreme spirit, which is individual, almighty, and the cause of causes of all things. The letter Bh implies the cherisher and supporter of the universe. By ga is understood the leader, impeller, or creator. The d...