भोपाल गैस कांड का पैसा कब मिलेगा

  1. भोपाल गैस काण्ड
  2. भोपाल गैस त्रासदी:छत्तीसवीं बरसी पर भोपाल गैस कांड को कैसे याद करें..?
  3. भोपाल गैस कांड के 35 साल: आरोपियों का बच निकलना भी त्रासदी से कम नहीं_bhopal gas tragedy 35 years escape of accused is also a tragedy knowat
  4. गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? – ElegantAnswer.com
  5. भोपाल गैस कांड के 36 साल: जब लाशें ढोने के लिए गाड़ियां और अस्पताल में कम पड़ गए थे कफन
  6. भोपाल गैस कांड: जब रात के अंधेरे में हमेशा के लिए सो गईं थीं हजारों जानें
  7. भोपाल गैस त्रासदी: मिनटों में हुई थी हजारों मौत, जानिए 2 दिसंबर की रात कैसे लीक हुई थी जहरीली गैस?
  8. Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड पीड़ितों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग
  9. भोपाल गैस कांड : आख़िर कब मिलेगा पीड़ितों को इंसाफ़
  10. गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? – ElegantAnswer.com


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भोपाल गैस काण्ड

भोपाल गैस कांड या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित भोपाल गैस त्रासदी को लगातार मानवीय समुदाय और उसके पर्यावास को सबसे ज़्यादा प्रभावित करने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं में गिना जाता रहा है। इसीलिए 1993 में भोपाल की इस त्रासदी पर बनाए गये भोपाल-अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को इस त्रासदी के पर्यावरण और मानव समुदाय पर होने वाले दीर्घकालिक प्रभावों को जानने का काम सौंपा गया था। अनुक्रम • 1 पूर्व-घटना चरण • 2 कारकों का योगदान • 3 गैस का निस्तार • 4 गैस का बादल • 5 निस्तार वाद • 6 दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभाव • 7 स्वास्थ्य देखभाल • 8 पर्यावरण पुनर्वास • 9 आर्थिक पुनर्वास • 10 यूनियन कार्बाइड कारखाने के विरुद्ध प्रभार • 11 सन्दर्भ पूर्व-घटना चरण [ ] सन १९६९ में यू.सी.आइ.एल.कारखाने का निर्माण हुआ जहाँ पर मिथाइलआइसोसाइनाइट नामक पदार्थ से कीटनाशक बनाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई। सन १९७९ में मिथाइल आइसोसाइनाइट (MIC) के उत्पादन के लिये नया कारखाना खोला गया। कारकों का योगदान [ ] नवम्बर १९८४ तक कारखाना के कई सुरक्षा उपकरण न तो ठीक हालात में थे और न ही सुरक्षा के अन्य मानकों का पालन किया गया था। स्थानीय समाचार पत्रों के पत्रकारों की रिपोर्टों के अनुसार कारखाने में सुरक्षा के लिए रखे गये सारे मैनुअल अंग्रेज़ी में थे जबकि कारखाने में कार्य करने वाले ज़्यादातर कर्मचारी को अंग्रेज़ी का बिलकुल ज्ञान नहीं था। साथ ही, पाइप की सफाई करने वाले हवा के वेन्ट ने भी काम करना बन्द कर दिया था। समस्या यह थी कि टैंक संख्या 690 में नियमित रूप से ज़्यादा एमआईसी गैस भरी थी तथा गैस का तापमान भी निर्धारित 4.5 डिग्री की जगह 20 डिग्री था। मिक को कूलिंग स्तर पर रखने के लिए बनाया गया फ्रीजिंग प्लांट ...

भोपाल गैस त्रासदी:छत्तीसवीं बरसी पर भोपाल गैस कांड को कैसे याद करें..?

भोपाल गैस त्रासदी: छत्तीसवीं बरसी पर भोपाल गैस कांड को कैसे याद करें..? विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी की छत्तीसवीं बरसी पर यह सवाल मन में कौंध रहा है कि भोपाल गैस कांड को हम किस तरह याद करें? विश्व की भीषणतम औद्योगिक त्रासदी के रूप में गैस पीडि़तों की अंतहीन तकलीफों के रूप में या अतीत में हुए ऐसे भयंकर हादसे के रूप में जिसमें हजारों बेगुनाह जहरीली गैस का शिकार बने, या फिर एक भयावह त्रासदी की बरसी की रस्म अदायगी के रूप में, जिसके बारे में हमारी युवा पीढ़ी को कुछ खास पता नहीं है और भोपाल जिनके लिए अब ताल, तफरीह और माॅल का शहर है। उस वक्त भोपाल लाशों के शहर में तब्दील हो चुका था और उसे ठीक से यह भी पता नहीं था कि इसके पीछे शैतान कौन है। इस भयंकर हादसे से यह संदेश गया कि औद्योगिक संस्कृति में इंसान की कोई जगह नहीं है। वैसे कई लोग विश्व की भीषणतम मानवीय त्रासदी 1975 में चीन के हन्नान प्रांत में बेन कियाओं बांध फूटने को मानते हैं,जिसमें ढाई लाख से ज्यादा लोग मरे थे। लेकिन उसकी बहुत ज्यादा प्रामाणिक जानकारियां नहीं है, इसलिए भोपाल गैस त्रासदी को ही भीषणतम औद्योगिक त्रासदी माना जाता है। यह सही है कि अतीव आनंद या दुख के लमहो से समय जैसे-जैसे आपको दूर ले जाता है, उस घटना से जुड़ी पीड़ाएं, संवेदनाएं धीरे-धीरे इतिहास के संदूक में बंद होने लगती हैं। अतीत के उन लमहों को याद करना भी एक रस्म अदायगी में सिमटने लगता है, जो कभी आंखों के सामने घटा था, वह किस्सों और किताबों का हिस्सा बनता जाता है। ‘हां, यही हुआ था’, का भाव ‘क्या ऐसा भी हुआ था’, में तब्दील होने लगता है। तमाम गुस्से और संवेदनाओं के बावजूद यह हकीकत है कि आज गैस कांड का दर्द शहर के गैस पीडि़त इलाकों तक सिमट कर रह गया है। वो तड...

भोपाल गैस कांड के 35 साल: आरोपियों का बच निकलना भी त्रासदी से कम नहीं_bhopal gas tragedy 35 years escape of accused is also a tragedy knowat

भोपाल गैस कांड (Bhopal Gas Tragedy) के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन (Warren Anderson) की मौत 5 साल पहले ही हो चुकी है. विश्व की इस सबसे बड़ी औद्योगिक गैस त्रासदी की एक कहानी आरोपियों के कानूनी कार्यवाही से बचने की भी है. आरोप लगे और चर्चा भी रही कि गैस कांड के मुख्य आरोपी को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इशारे पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने भगाया था. अदालत में आरोपी को भगाने के षड्यंत्र का कोई मुकदमा तो नहीं चला लेकिन जिन धाराओं में चार्जशीट दायर की गई वह यह बताने के लिए काफी है कि सरकार का नजरिया हजारों मौतों के बाद संवेदनशील नहीं था. 35 साल में सीबीआई को नहीं मिला कुरेशी भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने की कवायद 3 दिसंबर से ही शुरू हो गई थी. 2 और 3 दिसंबर की मध्य रात्रि को पुराने भोपाल के सघन इलाके छोला में स्थित यूनियन कार्बाइड के कारखाने से मिक गैस का रिसाव हुआ था. 3 दिसंबर की सुबह पुराने भोपाल और नए भोपाल की सड़कों पर जगह-जगह लाशें पड़ी हुईं थीं. पूरी दुनिया को इस रासायनिक त्रासदी ने हिला कर रखा दिया था. यूनियन कार्बाइड के चेयरमेन वारेन एंडरसन थे. वे त्रासदी के बाद भोपाल आए भी, लेकिन उन्हें सुरक्षित भोपाल से बाहर जाने दिया गया. सरकारी गाड़ी में आरोपी को भगाया! बताया जाता है कि पुलिस और प्रशासन के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने वारेन एंडरसन को विशेष विमान तक सरकारी वाहन से खुद छोड़ा था. इस पूरे मामले की जांच राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सीबीआई से कराई थी. घटना की तीन साल तक जांच करने के बाद सीबीआई ने वारेन एंडरसन सहित यूनियन कार्बाइड के 11 अधिकारियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी. वारेन एंडरसन को कभी भारत नहीं ला...

गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? – ElegantAnswer.com

गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? इसे सुनेंरोकेंसरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसो साइनेट (मिक)’ गैस की चपेट में आकर मरने वालों की आधिकारिक संख्या 4 हजार से कम है, लेकिन दावा किया जाता है कि इस हादसे में 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. भोपाल गैस कांड का पैसा कब मिलेगा? इसे सुनेंरोकेंगैस कांड के पीड़ितों को मुआवजा देने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अप्रैल से सुनवाई करेगा। यह याचिका केंद्र सरकार और पीड़ितों की ओर से दायर की गई है। इसमें अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) से 7413 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई। विशाखापट्टनम में कौन सी गैस लीक हुई है? इसे सुनेंरोकेंविशाखापत्तनम गैस रिसाव, जिसे विजाग गैस रिसाव भी कहा जाता है, 7 मई 2020 की रात को आन्ध्र प्रदेश विशाखापत्तनम के वेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर उद्योग में विषाक्त गैस के रिसाव की एक दुर्घटना थी। इस दुर्घटना में, स्टायरीन (Styrene ) नामक यौगिक वाष्पीकृत होकर रिस गया और हवा में मिलते हुए आसपास के गाँवों में फैल गया। भोपाल गैस दुर्घटना कब हुआ था? इसे सुनेंरोकेंभोपाल गैस त्रासदी को 37 साल हो चुके हैं, भोपाल में 2-3 दिसम्बर 1984 यानी आज से 37 साल पहले दर्दनाक हादसा हुआ था. इतिहास में जिसे भोपाल गैस कांड, भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया है. भोपाल गैस दुर्घटना कब हुई थी? इसे सुनेंरोकें02 दिसंबर, 1984 को घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण हजारों की तादाद में लोगों की मृत्यु हो गई. भोपाल...

भोपाल गैस कांड के 36 साल: जब लाशें ढोने के लिए गाड़ियां और अस्पताल में कम पड़ गए थे कफन

Edited By meena, Updated: 02 Dec, 2020 06:52 PM • • • • विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी यानी भोपाल गैस कांड को भले ही 36 साल बीत गए लेकिन इस त्रासदी का शिकार हुए लोगों के जख्म आज भी ताजा है। 3-4 दिसबंर 984 की उस काली रात का दर्द से मध्य प्रदेश आज तक उभर नहीं पाया है। वो चारों तरफ लाशों के बिछे ढ़ेर,... भोपाल:विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी यानीभोपालगैसकांडको भले ही 36 साल बीत गए लेकिन इस त्रासदी का शिकार हुए लोगों के जख्म आज भी ताजा हैं। 3-4 दिसंबर 1984 की उस काली रात केदर्द से मध्य प्रदेश आज तक उभर नहीं पाया है। वो चारों तरफ लाशों के बिछे ढ़ेर, अपनों को ढूंढती आंखे, चीख पुकार उस समय की ये दर्दनाक तस्वीरें जब आंखों के सामने आते ही तो बर किसी की रुह कांप जाती है। शायद ये जख्म कभी नहीं भरेंगे क्योंकि अपनो को खोने का दर्द,वो भी किसी भयानक हादसे में,कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। क्योंकि उस रात हज़ारों मासूम लोगों ने एक साथ अपनी जान गंवाई थी। वो एक ऐसी रात थी,जिसे याद करकेभोपालवासी सिहर उठते हैं और पूरा देश उसे याद करके दुख मनाता है। ऐसे लिखी गई मौत की इबारत मध्यप्रदेश की राजधानीभोपालमें बसे जेपी नगर के ठीक सामने यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 1969 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के नाम से भारत में एक कीटनाशक फैक्ट्री खोली थी। ठीक इसके 10 सालों बाद 1979 मेंभोपालमें एक प्रॉडक्शन प्लांट लगाया गया। इस प्लांट में एक कीटनाशक तैयार किया जाता था जिसका नाम सेविन था। सेविन असल में कारबेरिल नाम के केमिकल का ब्रैंड नाम था। इस घटना के लिए यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के द्वारा उठाए गए शुरुआती कदम भी कम जिम्मेदार नहीं थे। उस समय जब अन्य कंपनियां कारबेरिल के उत्पादन के लिए कुछ और इस...

भोपाल गैस कांड: जब रात के अंधेरे में हमेशा के लिए सो गईं थीं हजारों जानें

Believing in the notion of 'live and let live’, Preeti feels it's important to counter and check misinformation and prevent people from falling for propaganda, hoaxes, and fake information. She holds a Master’s degree in Mass Communication from Guru Jambeshawar University and has been a journalist & producer for 10 years. भोपाल गैस त्रासदी को 35 साल पूरे हो गए हैं और यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 340 टन के जहरीले कचरे को अभी तक नष्ट नहीं किया गया है। ये कचरा आसपास के इलाकों के लिए आज भी उतना ही बड़ा खतरा बना हुआ है जितना 35 साल पहले था, यहां रहने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं , पीने का पानी भी दूषित है। क्या है भोपाल गैस कांड ? 2-3 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने में जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइट (MIC) का रिसाव हुआ जिसने कुछ ही घंटे में भोपाल शहर को अपनी चपेट में ले लिया। मध्यप्रदेश की तत्कालीन सरकार ने इस हादसे में 3,787 लोगों के मरने की पुष्टि की थी। दूसरे अनुमान बताते हैं कि इस केमिकल हादसे में 8000 लोगों की मौत 2 हफ्ते के अंदर हो गई थी और लगभग 8000 लोग गैस रिसने के बाद होने वाली बीमारियों से मारे गये। 2006 में एक शपथ पत्र में सरकार ने माना था कि जहरीली गैस के रिसाव से करीब 5 लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे। हादसे के बाद तब के प्रधानमंत्री राजीव गांधी भोपाल गए और वादा किया कि पीड़ितों को मुआवज़ा दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने मार्च 1985 में भोपाल गैस लीक एक्ट भी पास किया और तय किया कि भारत सरकार खुद पीड़ितों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेगी। हालांकि ये मामला इस कदर ढीला पड़ता गया कि अंत में यूनियन कार्बाइड कंपनी महज़ 430 मिलियन ड...

भोपाल गैस त्रासदी: मिनटों में हुई थी हजारों मौत, जानिए 2 दिसंबर की रात कैसे लीक हुई थी जहरीली गैस?

• 4 days ago • 4 days ago • 8 days ago • 10 days ago • 20 days ago • 22 days ago • 22 days ago • 24 days ago • 1 months ago • 1 months ago • 1 months ago • 1 months ago • 2 months ago • 2 months ago • 2 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 3 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 4 months ago • 5 months ago • 39.9°C Edited By Vikas Tiwari, Updated: 03 Dec, 2021 12:33 PM • • • • विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी यानी भोपाल गैस कांड को 37 साल पूरे होने जा रहे हैं। 2-3 दिसंबर 1984 की रात को हुआ ये भयावह हादसा हजारों लोगों को निगल गया। 2-3 दिसंबर की रात को हजारों जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। इस रात यूनियन कार्बाइड से... मध्यप्रदेश डेस्क (विकास तिवारी) :आजविश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी यानी भोपाल गैस कांड को 37 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। 2-3 दिसंबर 1984 की रात को हुआ ये भयावह हादसा हजारों लोगों को निगल गया। 2-3 दिसंबर की रात को हजारों जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। इस रात यूनियन कार्बाइड से निकलने वाली मौत ने हर दरवाजे पर दस्तक दी थी। हर शख्स सांस लेना चाहता था। लेकिन उस जहरीली गैस ने फेफड़ों फूलना बंद कर दिया था। हर कोई अस्पताल की ओर भाग रहा था। लेकिन आंखें भी दगा दे रही थीं। उनमें देखने की ताकत खत्म हो चली थी। लिहाजा, कई लोग रास्ते में ही गिर गये, और जो गिरा, वो फिर उठने लायक नहीं रहा। आलम यह था कि हमीदीया और जयप्रकाश (JP) जैसे बड़े अस्पताल भी सैकड़ों लोगों की पीड़ा से कराह उठे। धीरे धीरे अस्पताल मुर्दाघर बनने लगे। आलम यह था कि अस्पत...

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस कांड पीड़ितों को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग

Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को 7400 करोड़ के अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की रात में हुए इस हादसे में 16 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी। हादसे से बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था पीड़ितों ने अतिरिक्त मुआवजे के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। पीड़ितों की ओर से केंद्र ने इस मामले में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। केंद्र ने यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,844 करोड़ रुपये मांगे थे। हालांकि जस्टिससंजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले की फिर से सुनवाई करना पीड़ितों के पक्ष में भी नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि ‘यह केवल भानुमती का पिटारा खोलकर यूसीसी के पक्ष में काम करेगा और दावेदारों को भी इससे कोई लाभ नहीं होगा। ‘ • मुखपृष्ठ • चुनाव 2023 • भारत न्यूज़ • ब्रेकिंग न्यूज़ • वीडियो • अंतरराष्ट्रीय • व्यापार • बजट • खेल • क्रिकेट • फ़ुटबॉल • IPL 2023 • विशेष • राज्य • नई दिल्ली • मुंबई • पुणे • लखनऊ • कोलकाता • बेंगलुरु • जयपुर • अहमदाबाद • चेन्‍नई • नोएडा • चंडीगढ़ • गुड़गांव • पटना • वाराणसी • कानपुर • भोपाल • भागलपुर • विचार • ब्लॉग • संपादकीय • राजनीति • दुनिया मेरे आगे • समांतर • चौपाल • रविवारीय स्तम्भ • बेबाक बोल • बारादरी • मनोरंजन • लाइफस्टाइल • जीवन-शैली • ब्‍यूटी • वेट लॉस/गेन • स्किन • पाक विधि • योग और मेडिटेशन • लव और रिलेशनशिप • प्रेग्‍नेंसी • हेल्थ • जुर्म • यूटिलिटी ...

भोपाल गैस कांड : आख़िर कब मिलेगा पीड़ितों को इंसाफ़

-फ़िरदौस ख़ान इतिहास की सबसे बुरी औद्योगिक त्रासदी कहे जाने वाले भोपाल गैस कांड को ढाई दशक से भी ज़्यादा का वक़्त बीत चुका है, लेकिन इतने अरसे तक इंसाफ़ की राह तकते-तकते पीड़ितों की आंखें पथरा गई हैं. हालत यह है कि इस मामले में भोपाल सीजेएम कोर्ट का आज आया फ़ैसला भी पीड़ितों के ज़ख्मों पर मरहम नहीं लगा पाया. भोपाल गैस त्रासदी मामले में अदालत ने आठ आरोपियों को दोषी क़रार देते हुए उन्हें दो-दो साल की सज़ा सुनाई और एक-एक लाख जु्र्माने भी लगाया, लेकिन सज़ा सुनाए जाने के कुछ मिनट बाद ही 25 हज़ार रुपए के मुचलके पर सात दोषियों को ज़मानत भी मिल गई. इसमें यूनियन कार्बाइड से जुड़े केशव महिंद्रा, वीपी गोखले, किशोर कामदार, एसपी चौधरी, आरबी रॉय चौधरी, केवी शेट्टी, जे मुकुंद और एसआई कुरैशी शामिल हैं. इतने लंबे अरसे के बाद और कम सज़ा वाले प्रावधान में दोषी ठहराए जाने के फ़ैसले को लेकर पीड़ितों में आक्रोश पनप रहा है. उनका कहना है अभी उनका संघर्ष जारी रहेगा. उन्‍होंने भोपाल में अदालत के बाहर अपने गुस्‍से का इज़हार करते हुए देश की लचर क़ानून व्यवस्था पर सवाल उठाए. उनका यह भी कहना है कि सीबीआई ने इस मामले में गंभीरता नहीं बरती, जिसकी वजह से आरोपी साफ़ बच निकले हैं. उन्हें मलाल है कि 25 साल लंबी लड़ाई की बावजूद भी उन्हें इंसाफ़ नहीं मिल पाया है, क्योंकि मुख्‍य अभियुक्‍त अभी भी क़ानून की की पकड़ से बाहर हैं. उनका कहना है कि सरकार लगातार कंपनी को मदद करती रही और मुख्‍य अभियुक्‍त (वारेन एंडरसन) को क़ानून के कठघरे में खड़ा करने की एक को‍शिश नहीं की गई. क़ाबिले-गौर है कि मध्य प्रदेश के भोपाल शहर में 2 दिसम्बर 1984 की रात को एक खौफ़नाक औद्योगिक हादसा हुआ, जिसे भोपाल गैस कांड के नाम से जाना जाता है....

गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? – ElegantAnswer.com

गैस कांड में कौन सी गैस लीक हुई थी? इसे सुनेंरोकेंसरकारी आंकड़ों के मुताबिक यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी जहरीली गैस ‘मिथाइल आइसो साइनेट (मिक)’ गैस की चपेट में आकर मरने वालों की आधिकारिक संख्या 4 हजार से कम है, लेकिन दावा किया जाता है कि इस हादसे में 16 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. भोपाल गैस कांड का पैसा कब मिलेगा? इसे सुनेंरोकेंगैस कांड के पीड़ितों को मुआवजा देने से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अप्रैल से सुनवाई करेगा। यह याचिका केंद्र सरकार और पीड़ितों की ओर से दायर की गई है। इसमें अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) से 7413 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग की गई। विशाखापट्टनम में कौन सी गैस लीक हुई है? इसे सुनेंरोकेंविशाखापत्तनम गैस रिसाव, जिसे विजाग गैस रिसाव भी कहा जाता है, 7 मई 2020 की रात को आन्ध्र प्रदेश विशाखापत्तनम के वेंकटपुरम गांव में एलजी पॉलिमर उद्योग में विषाक्त गैस के रिसाव की एक दुर्घटना थी। इस दुर्घटना में, स्टायरीन (Styrene ) नामक यौगिक वाष्पीकृत होकर रिस गया और हवा में मिलते हुए आसपास के गाँवों में फैल गया। भोपाल गैस दुर्घटना कब हुआ था? इसे सुनेंरोकेंभोपाल गैस त्रासदी को 37 साल हो चुके हैं, भोपाल में 2-3 दिसम्बर 1984 यानी आज से 37 साल पहले दर्दनाक हादसा हुआ था. इतिहास में जिसे भोपाल गैस कांड, भोपाल गैस त्रासदी का नाम दिया गया है. भोपाल गैस दुर्घटना कब हुई थी? इसे सुनेंरोकें02 दिसंबर, 1984 को घटित भोपाल गैस त्रासदी भारत के इतिहास में वह काला अध्याय है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सकेगा. भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड प्लांट में 2 दिसंबर को आधी रात में मिथाइल आइसोनेट (एमआईसी) के रिसाव के कारण हजारों की तादाद में लोगों की मृत्यु हो गई. भोपाल...