बकासुर बैल

  1. बकासुर बैल माहिती Hind Kesari Bakasur
  2. बकासुर
  3. श्री कृष्णा और उनकी लीलाएं
  4. इंदौर में मनाया गया होली का पर्व, कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे लोग… – Trends
  5. Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें
  6. बकासुर का वध
  7. बकासुर का वध
  8. बकासुर बैल माहिती Hind Kesari Bakasur
  9. Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें
  10. बकासुर


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बकासुर बैल माहिती Hind Kesari Bakasur

Maharashtra Hind kesari Bakasur: बकासुर बैल माहिती :आज पूरे महाराष्ट्र के बैल गाड़ा शर्यती में जिनका डंका बजता हैं वह एक ही नाम ” बकासुर ” सुसगांव के मोहिल सेठ , उम्र 22 साल जिन्होंने बकासुर को इस काबिल बनाया है। की आज बकासुर के साथ मोहील सेठ का नाम आगे आता है। बकासुर वह हवा है जिनके रफतार आगे कोहीबी नही टिक पाता। Real Name : सरपंच ( बकासुर) साथी : महिब्या BakasurAge : 5 साल मालक :मोहिल सेठ • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ( Sangli ) सांगली में हुवा सबसे बड़ा रुस्तूम – ए – हिंद बैल गाड़ा शर्यत , इस खेल का आयोजन “डबल महाराष्ट्र केसरी” पैलवान चंद्रहार पाटील, यूथ फाउंडेशन के द्वारा हुआ , इस खेल में 200 से भी अधिक बैल गाड़ी सह भागी होने के लिए आए हुए थे। दूर दूर से सबसे लोक प्रिय बैल गाड़ा सर्यति इस थार को जितने के लिए उपस्थित थे। इस खेल को देखने के लिए दूर – दूर के लोगो की बड़ी भीड़ जमा हो गई थी। सबको इस वक्त का इंतजार था की महाराष्ट्र में हुइ सबसे बड़ी बैल गाड़ा शर्यात में कोन इस थार को जीतेगा और No.1 बनेगा इस खेल के प्रस्तुति के लिए 10 इकर जमीन का आयोजन किया गया था। उनमें से एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पूना से, मुळशी के मोहिल शेठ के तूफान Bakasur और कराड रेठरे के सदाशिव कदम का Mahibya इस दोनो ने मिले के थार को जीता। और महाराष्ट्र के सबसे बड़े खेल में बन गए ( Maharashtra Hind Keshri )महाराष्ट्र हिंद केसरी इस प्रतियोगिता में ठराव मुताबिक प्रथम प्रतियोगिता वो को खासदार श्रीनिवास पाटील, डबल महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटील के हातो से थार गाडी,दी गई।और उनका मान सम्मान बढ़ाया गया। हिन्द केसरी बकासुर और महिबा के मालक हिन्द केसरी बकासुर ( Bakasur ) : मोहिल शेठ मुळ...

बकासुर

इस लेख में विकिपीडिया के अन्य लेखों की कड़ियों की आवश्यकता है। आप इस लेख में प्रासंगिक एवं उपयुक्त कड़ियाँ जोड़कर इसे (जनवरी 2017) बकासुर एक दानव जो की महापुरुष का कहना है कि एकचक्रनगरी के शहर में एक छोटा सा गांव, उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में रहता था वर्तमान में चक्रनगरी को चकवड़ के नाम से जाना जाता है। बकासुर मुख्यतः तीन स्थान में रहता था जो द्वैतवन के अंतर्गत आता था। पहला चक्रनगरी, दूसरा बकागढ़, बकासुर इस क्षेत्र में रहता था इसलिए इस स्थान का नाम बकागढ़ पड़ा था किन्तु वर्तमान में यह स्थान बकाजलालपुर के नाम से जाना जाता है जो कि इलाहाबाद जिले के अंतर्गत आता है। तीसरा और अंतिम स्थान जहां राक्षस बकासुर रहता था वह था डीहनगर,जिला प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद जिला ले उत्तर में बकुलाही नदी के तट पर बसा है। इस स्थान को वर्तमान में ऊचडीह धाम के नाम से जाना जाता है। लोकमान्यता है कि इसी जगह राक्षस बकासुर का वध भीम ने अज्ञातवास के दौरान किया था। बकासुर का वध [ ] जब महाभारत काल मे पांडव पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा उनकी माता अज्ञातवास मे थे, तब भीम और उनके भाई भटकते भटकते एक गांव मे पहुंच गये, जहा बकासुर नाम के एक विशालकाय राक्षस का आतंक था। वह राक्षस उस गांंव के नागरिको को त्रस्त करता था। उनको कहता था कि हर गांंव वाले मेंं से कोई न कोई उसके लिये भोजन लेकर आयेगा, नही तो वो गांंव मे आकर लोगो को उठाकर खा लेगा। चिंतित ग्रामीणों ने बकासुर के आतंक से बचने हेतु उस को भोजन पहुचाना प्रारंभ किया। हर रोज कोई न कोई गांंव वाला बकासुर के लिए उसकी गुफा मे भोजन ले जाता था। भीम तथा उनके भाई भी उसी गांंव मे रह रहे थे, भीम को जब बाकासुर के आतं...

श्री कृष्णा और उनकी लीलाएं

भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार है । भगवान श्री कृष्ण का पूरा बचपन अद्भुत लीलाओं से भरा है वही युवा अवस्था की कथाएं भी प्रसिद्ध है। कभी वह एक राजा के रूप में प्रजा पालक बनते हैं कभी भगवान के रूप में भक्तों के पालनहार, तो युद्ध के समय एक कुशल नीतिज्ञ तथा रणनीति कार उनके जीवन की सभी अवस्थाओं के प्रसंग परिस्थिति अनुसार अलग रूप को दिखा जन-जन को प्रेरित करते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार हिंदू धर्म के लोगों के लिए बेहद खास है। क्योंकि इस दिन अपरंपार लीलाएं करने वाले भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी (janmashtami) जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस वर्ष यह तिथि 12 अगस्त 2020 को है। सभी हिंदू (विशेष रुप से वैष्णव संप्रदायी) इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। भजन कीर्तन करते हैं, उन्हें झूला झुलाते हैं तथा अगले दिन प्रात काल तक व्रत करते हैं। मंदिरों में श्रृंगार तथा रोशनी की जाती है। तथा भगवान श्री कृष्ण के जीवन प्रसंगों की झांकियां सजाई जाती है। रात्रि में 12:00 बजे शंख तथा घंटों की ध्वनि से जन्मोत्सव की खबर चारों ओर दिशा में गूंजती है। भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारी जाती है। और प्रसाद (पंजीरी/पंचामृत) का वितरण किया जाता है। कई शहरों में दहीहंडी प्रतियोगिता भी होती है। हर साल की तरह इस वर्ष भी जन्माष्टमी का शुभ पर्व मथुरा-वृंदावन और द्वारिका में 12 और जगन्नाथ पुरी में 11 अगस्त को मनाया जाएगा| भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव समूचे देश के लिए हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। वैष्णव मत के मुता...

इंदौर में मनाया गया होली का पर्व, कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे लोग… – Trends

This website uses cookies to improve your experience while you navigate through the website. Out of these, the cookies that are categorized as necessary are stored on your browser as they are essential for the working of basic functionalities of the website. We also use third-party cookies that help us analyze and understand how you use this website. These cookies will be stored in your browser only with your consent. You also have the option to opt-out of these cookies. But opting out of some of these cookies may affect your browsing experience. Necessary cookies are absolutely essential for the website to function properly. These cookies ensure basic functionalities and security features of the website, anonymously. Cookie Duration Description cookielawinfo-checkbox-analytics 11 months This cookie is set by GDPR Cookie Consent plugin. The cookie is used to store the user consent for the cookies in the category "Analytics". cookielawinfo-checkbox-functional 11 months The cookie is set by GDPR cookie consent to record the user consent for the cookies in the category "Functional". cookielawinfo-checkbox-necessary 11 months This cookie is set by GDPR Cookie Consent plugin. The cookies is used to store the user consent for the cookies in the category "Necessary". cookielawinfo-checkbox-others 11 months This cookie is set by GDPR Cookie Consent plugin. The cookie is used to store the user consent for the cookies in the category "Other. cookielawinfo-checkbox-performance 11 mon...

Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें

महाभारत काल में बकासुर एक नरभक्षी असुर था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. Mahabharata: आपने बकासुर के बारे में सुना है? यदि कभी आपने महाभारत पढ़ा होगा तो यह जानते होंगे कि बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. वर्तमान में एकचक्रा नगरी उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में पड़ती है, जिसे चकवड़ के नाम से जाना जाता है. यहीं पर महाभारतकाल की निशानियां मिलती हैं. बकासुर बेहद क्रूर स्वभाव का था, उसे इंसानों का मांस खाना पसंद था. उसका वध महाबली भीमसेन ने किया था. बात उस समय की है, जब भीमसेन समेत सभी पांचों भाई अपनी मां कुंती के साथ कौरवों के लाक्षागृह षड्यंत्र से बचकर निकले थे और हस्तिनापुर से बहुत दूर पहचान छुपाकर रह रहे थे. यह भी पढ़ें: क्या है भगवान गणेश का स्वास्तिक रूप? वास्तु दोषों को करता है दूर यह भी पढ़ें: घर में रखना है एक्वेरियम तो जानें इसके लिए सही दिशा और नियम पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि जब वे एकचक्रा नगरी में पहुंचे तो एक ब्राह्मण ने उन्‍हें अपने घर में आश्रय दिया. उस नगरी के पास ही बकासुर रहता था. उस नगरी का शासक दुर्बल था, जो नगर वासियों को छोड़कर भाग गया था. फिर बकासुर के प्रकोप से वहां हाहाकार मच गया था. तब नगरवासियों ने बकासुर से विनती की और तय किया कि वहां के निवासी गृहस्थ बारी-बारी से उसके एक दिन के भोजन का प्रबंध करेंगे. उसको रोजाना 20 खारी अगहनी के चावल, पकवान, 2 बैल व एक मनुष्य पहुंचाए जाते थे, जिन्‍हें असुर खा जाता था. उस दिन बारी पांडवों के आश्रयदाता ब्राह्मण की थी. उस ब्राह्मण के परिवार में पति-पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री थ...

बकासुर का वध

बकासुर वध एकचक्रा नगरी में पाण्डव बड़ी कठिनाई से अपना जीवनयापन कर रहे थे। उस नगरी के समीप एक गुफा में एक अत्याचारी राक्षस रहता था। वह पिछले तेरह वर्ष से एकचक्रा नगरवासियों पर बड़े जुल्म ढा रहा था। उस राक्षस का नाम बकासुर था। वह नगर के लोगों को जहां भी देखता मारकर खा जाता था। उसके अत्याचार से घबराकर वहां के लोगों ने मिलकर बकासुर से प्रार्थना की थी कि प्रति सप्ताह उसे जितनी मदिरा, मांस, अन्न, दूध, दही चाहिए वह उसे एक बैलगाड़ी में भरकर भेज दिया करेंगे। गाड़ी हांकने वाला और दो बैल, जो गाड़ी खींचकर उसके पास आएंगे, उन्हें भी वह खा लिया करेगा। इस प्रकार वे रोज-रोज के भय से बच जाएंगे। बकासुर ने उनकी बात मान ली थी। एक दिन उस आश्रयदाता ब्राह्मण की बारी आई। वह गाड़ी हांककर बकासुर के पास ले जाने वाला था। उस ब्राह्मण की पत्नी रोने लगी और कुंती के पूछने पर उसने कुंती को सारी बात बताई। भीम ने भी सारी बात सुनी, क्योंकि उस दिन वह अपने भाइयों के साथ भिक्षा मांगने नहीं गया था। “तुम घबराओ मत!” कुंती ने अपनी आश्रयदाता ब्राह्मणी से कहा- "आज तुम्हारे पति की जगह मेरा पुत्र गाड़ी लेकर जाएगा।” “नहीं बहन! मैं तुम्हारे पुत्र को संकट में नहीं डाल सकती।” ब्राह्मणी ने रोते हुए कहा। "हां बहन! आप हमारी अतिथि हैं।” ब्राह्मण बोला—“अतिथि तो देवता के समान होता है। हम आपके बेटे को मौत के मुंह में नहीं धकेल सकते।” “विप्रवर! आप चिंतित न हों।" कुंती ने उन्हें समझाया–“मैं अपने जिस बेटे को राक्षस के पास भेजूंगी, वह कोई साधारण बेटा नहीं है। तुम देखना वह उस राक्षस को मारकर ही लौटेगा।" “हां माते! मैं जाऊंगा, उस दुष्ट राक्षस के पास।" भीम बोले–“लेकिन इस बात को आप गुप्त रखें।" “भीम ठीक कहता है।" कुंती बोली–“अगर बात खुल ग...

बकासुर का वध

बकासुर वध एकचक्रा नगरी में पाण्डव बड़ी कठिनाई से अपना जीवनयापन कर रहे थे। उस नगरी के समीप एक गुफा में एक अत्याचारी राक्षस रहता था। वह पिछले तेरह वर्ष से एकचक्रा नगरवासियों पर बड़े जुल्म ढा रहा था। उस राक्षस का नाम बकासुर था। वह नगर के लोगों को जहां भी देखता मारकर खा जाता था। उसके अत्याचार से घबराकर वहां के लोगों ने मिलकर बकासुर से प्रार्थना की थी कि प्रति सप्ताह उसे जितनी मदिरा, मांस, अन्न, दूध, दही चाहिए वह उसे एक बैलगाड़ी में भरकर भेज दिया करेंगे। गाड़ी हांकने वाला और दो बैल, जो गाड़ी खींचकर उसके पास आएंगे, उन्हें भी वह खा लिया करेगा। इस प्रकार वे रोज-रोज के भय से बच जाएंगे। बकासुर ने उनकी बात मान ली थी। एक दिन उस आश्रयदाता ब्राह्मण की बारी आई। वह गाड़ी हांककर बकासुर के पास ले जाने वाला था। उस ब्राह्मण की पत्नी रोने लगी और कुंती के पूछने पर उसने कुंती को सारी बात बताई। भीम ने भी सारी बात सुनी, क्योंकि उस दिन वह अपने भाइयों के साथ भिक्षा मांगने नहीं गया था। “तुम घबराओ मत!” कुंती ने अपनी आश्रयदाता ब्राह्मणी से कहा- "आज तुम्हारे पति की जगह मेरा पुत्र गाड़ी लेकर जाएगा।” “नहीं बहन! मैं तुम्हारे पुत्र को संकट में नहीं डाल सकती।” ब्राह्मणी ने रोते हुए कहा। "हां बहन! आप हमारी अतिथि हैं।” ब्राह्मण बोला—“अतिथि तो देवता के समान होता है। हम आपके बेटे को मौत के मुंह में नहीं धकेल सकते।” “विप्रवर! आप चिंतित न हों।" कुंती ने उन्हें समझाया–“मैं अपने जिस बेटे को राक्षस के पास भेजूंगी, वह कोई साधारण बेटा नहीं है। तुम देखना वह उस राक्षस को मारकर ही लौटेगा।" “हां माते! मैं जाऊंगा, उस दुष्ट राक्षस के पास।" भीम बोले–“लेकिन इस बात को आप गुप्त रखें।" “भीम ठीक कहता है।" कुंती बोली–“अगर बात खुल ग...

बकासुर बैल माहिती Hind Kesari Bakasur

Maharashtra Hind kesari Bakasur: बकासुर बैल माहिती :आज पूरे महाराष्ट्र के बैल गाड़ा शर्यती में जिनका डंका बजता हैं वह एक ही नाम ” बकासुर ” सुसगांव के मोहिल सेठ , उम्र 22 साल जिन्होंने बकासुर को इस काबिल बनाया है। की आज बकासुर के साथ मोहील सेठ का नाम आगे आता है। बकासुर वह हवा है जिनके रफतार आगे कोहीबी नही टिक पाता। Real Name : सरपंच ( बकासुर) साथी : महिब्या BakasurAge : 5 साल मालक :मोहिल सेठ • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • ( Sangli ) सांगली में हुवा सबसे बड़ा रुस्तूम – ए – हिंद बैल गाड़ा शर्यत , इस खेल का आयोजन “डबल महाराष्ट्र केसरी” पैलवान चंद्रहार पाटील, यूथ फाउंडेशन के द्वारा हुआ , इस खेल में 200 से भी अधिक बैल गाड़ी सह भागी होने के लिए आए हुए थे। दूर दूर से सबसे लोक प्रिय बैल गाड़ा सर्यति इस थार को जितने के लिए उपस्थित थे। इस खेल को देखने के लिए दूर – दूर के लोगो की बड़ी भीड़ जमा हो गई थी। सबको इस वक्त का इंतजार था की महाराष्ट्र में हुइ सबसे बड़ी बैल गाड़ा शर्यात में कोन इस थार को जीतेगा और No.1 बनेगा इस खेल के प्रस्तुति के लिए 10 इकर जमीन का आयोजन किया गया था। उनमें से एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पूना से, मुळशी के मोहिल शेठ के तूफान Bakasur और कराड रेठरे के सदाशिव कदम का Mahibya इस दोनो ने मिले के थार को जीता। और महाराष्ट्र के सबसे बड़े खेल में बन गए ( Maharashtra Hind Keshri )महाराष्ट्र हिंद केसरी इस प्रतियोगिता में ठराव मुताबिक प्रथम प्रतियोगिता वो को खासदार श्रीनिवास पाटील, डबल महाराष्ट्र केसरी चंद्रहार पाटील के हातो से थार गाडी,दी गई।और उनका मान सम्मान बढ़ाया गया। हिन्द केसरी बकासुर और महिबा के मालक हिन्द केसरी बकासुर ( Bakasur ) : मोहिल शेठ मुळ...

Mahabharata: महाभारत काल में बकासुर कौन था? वह किसके हाथों मारा गया? जानें

महाभारत काल में बकासुर एक नरभक्षी असुर था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. Mahabharata: आपने बकासुर के बारे में सुना है? यदि कभी आपने महाभारत पढ़ा होगा तो यह जानते होंगे कि बकासुर एक नरभक्षी राक्षस था. वह एकचक्रा नामक नगरी के समीप एक गुफा में अपने कुनबे समेत रहता था. वर्तमान में एकचक्रा नगरी उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में पड़ती है, जिसे चकवड़ के नाम से जाना जाता है. यहीं पर महाभारतकाल की निशानियां मिलती हैं. बकासुर बेहद क्रूर स्वभाव का था, उसे इंसानों का मांस खाना पसंद था. उसका वध महाबली भीमसेन ने किया था. बात उस समय की है, जब भीमसेन समेत सभी पांचों भाई अपनी मां कुंती के साथ कौरवों के लाक्षागृह षड्यंत्र से बचकर निकले थे और हस्तिनापुर से बहुत दूर पहचान छुपाकर रह रहे थे. यह भी पढ़ें: क्या है भगवान गणेश का स्वास्तिक रूप? वास्तु दोषों को करता है दूर यह भी पढ़ें: घर में रखना है एक्वेरियम तो जानें इसके लिए सही दिशा और नियम पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि जब वे एकचक्रा नगरी में पहुंचे तो एक ब्राह्मण ने उन्‍हें अपने घर में आश्रय दिया. उस नगरी के पास ही बकासुर रहता था. उस नगरी का शासक दुर्बल था, जो नगर वासियों को छोड़कर भाग गया था. फिर बकासुर के प्रकोप से वहां हाहाकार मच गया था. तब नगरवासियों ने बकासुर से विनती की और तय किया कि वहां के निवासी गृहस्थ बारी-बारी से उसके एक दिन के भोजन का प्रबंध करेंगे. उसको रोजाना 20 खारी अगहनी के चावल, पकवान, 2 बैल व एक मनुष्य पहुंचाए जाते थे, जिन्‍हें असुर खा जाता था. उस दिन बारी पांडवों के आश्रयदाता ब्राह्मण की थी. उस ब्राह्मण के परिवार में पति-पत्नी, एक पुत्र तथा एक पुत्री थ...

बकासुर

इस लेख में विकिपीडिया के अन्य लेखों की कड़ियों की आवश्यकता है। आप इस लेख में प्रासंगिक एवं उपयुक्त कड़ियाँ जोड़कर इसे (जनवरी 2017) बकासुर एक दानव जो की महापुरुष का कहना है कि एकचक्रनगरी के शहर में एक छोटा सा गांव, उत्तर प्रदेश के जिले प्रतापगढ़ शहर के दक्षिण में स्थित द्वैतवन में रहता था वर्तमान में चक्रनगरी को चकवड़ के नाम से जाना जाता है। बकासुर मुख्यतः तीन स्थान में रहता था जो द्वैतवन के अंतर्गत आता था। पहला चक्रनगरी, दूसरा बकागढ़, बकासुर इस क्षेत्र में रहता था इसलिए इस स्थान का नाम बकागढ़ पड़ा था किन्तु वर्तमान में यह स्थान बकाजलालपुर के नाम से जाना जाता है जो कि इलाहाबाद जिले के अंतर्गत आता है। तीसरा और अंतिम स्थान जहां राक्षस बकासुर रहता था वह था डीहनगर,जिला प्रतापगढ़ के दक्षिण और इलाहाबाद जिला ले उत्तर में बकुलाही नदी के तट पर बसा है। इस स्थान को वर्तमान में ऊचडीह धाम के नाम से जाना जाता है। लोकमान्यता है कि इसी जगह राक्षस बकासुर का वध भीम ने अज्ञातवास के दौरान किया था। बकासुर का वध [ ] जब महाभारत काल मे पांडव पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव तथा उनकी माता अज्ञातवास मे थे, तब भीम और उनके भाई भटकते भटकते एक गांव मे पहुंच गये, जहा बकासुर नाम के एक विशालकाय राक्षस का आतंक था। वह राक्षस उस गांंव के नागरिको को त्रस्त करता था। उनको कहता था कि हर गांंव वाले मेंं से कोई न कोई उसके लिये भोजन लेकर आयेगा, नही तो वो गांंव मे आकर लोगो को उठाकर खा लेगा। चिंतित ग्रामीणों ने बकासुर के आतंक से बचने हेतु उस को भोजन पहुचाना प्रारंभ किया। हर रोज कोई न कोई गांंव वाला बकासुर के लिए उसकी गुफा मे भोजन ले जाता था। भीम तथा उनके भाई भी उसी गांंव मे रह रहे थे, भीम को जब बाकासुर के आतं...