बनावट की दृष्टि से आलेखन कितने प्रकार के होते हैं

  1. वाक्य के अंग MCQ [Free PDF]
  2. CBSE Class 8 Hindi Grammar शब्द विचार
  3. बनावट के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं? » Banawat Ke Aadhar Par Shabd Kitne Prakar Ke Hote Hain
  4. मानचित्र
  5. रूपिम क्या है ? संरचना की दृष्टि से रूपिम के कितने भेद होते हैं
  6. कार्यालयी हिंदी/आलेखन के स्वरूप और विशेषताएँ
  7. CBSE NCERT Class 5 Hindi Grammar Chapter 11 Vaaky in PDF file Download
  8. Aalekhan (Drafting) आलेखन
  9. कागज के थैले


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वाक्य के अंग MCQ [Free PDF]

रचना के भेद के आधार पर वाक्य का भेद नहीं है- 'प्रश्न वाचक वाक्य' • अर्थ के भेद के आधार पर वाक्य का भेद है- 'प्रश्नवाचक वाक्य' प्रश्नवाचक वाक्य- • जहाँ वाक्य में प्रश्नवाचक शब्दों जैसे कब, कहाँ, कैसे, क्यों, क्या का प्रयोग करते हुए प्रश्न पूछा जाता है। • प्रश्नवाचक वाक्य के बाद (?) प्रश्नवाचक चिन्ह लगता है। उदाहरण- • तुम स्कूल कब जाओगे ? • दशरथ कहाँ के राजा थे ? Key Points • रचना के भेद के आधार- • सरल वाक्य • मिश्र वाक्य • संयुक्त वाक्य Important Points मिश्र वाक्य:- • जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य तथा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों उसे मिश्र वाक्य कहते हैं। • मिश्रित वाक्य में जब-तब, जैसा-वैसा, कि, जितना-उतना, जिसकी-उसकी, यदि-तो, यद्यपि-तथापि, जो-सो आदि योजक शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण- • रवि ने कहा कि वह मुंबई जा रहा है। • जिसकी लाठी उसकी भैंस। सरल वाक्य:- • ऐसा वाक्य जिसमे एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। उदाहरण- • शिशु सोता रहता है। • अमित खाना खाता है। संयुक्त वाक्य:- • ऐसा वाक्य जिसमे दो या दो से अधिक उपवाक्य हो एवं सभी उपवाक्य प्रधान हों, ऐसे वाक्य को सयुंक्त वाक्य कहते हैं। • सरल वाक्यों को और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर आदि का प्रयोग करके जोड़ा जाता है। उदाहरण- • उसने बहुत परिश्रम किया किन्तु सफल नहीं हो सका। • मेरी पैर पर लग गयी और दर्द होने लगा। सही उत्तर ' हम'है। • 'हम कल दिल्ली जाएँगे' वाक्य में उद्देश्य ' हम ' है। क्योंकि जिसके बारे में बात की जाये उसे उद्देश्य कहते हैं। अतः हम उद्देश्य का उदाहरण होगा। ...

CBSE Class 8 Hindi Grammar शब्द विचार

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बनावट के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं? » Banawat Ke Aadhar Par Shabd Kitne Prakar Ke Hote Hain

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। आपने प्रश्न किया है की बनावट के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं इसका उत्तर है बनावट या युवती के आधार पर शब्द तीन प्रकार के होते हैं जिनका नाम है मूल शब्द योगिक शब्द और योगरूढ़ शब्द aapne prashna kiya hai ki banawat ke aadhar par shabd kitne prakar ke hote hain iska uttar hai banawat ya yuvati ke aadhar par shabd teen prakar ke hote hain jinka naam hai mul shabd yogic shabd aur yogrudh shabd आपने प्रश्न किया है की बनावट के आधार पर शब्द कितने प्रकार के होते हैं इसका उत्तर है बनावट

मानचित्र

मानचित्रण कहलाता हैं। मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार एक मानचित्र किसी बड़े भूभाग को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे एक नजर में भौगोलिक जानकारी और उनके अन्तर्सम्बन्धों की जानकारी मिल सके। मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है। आजकल मानचित्र केवल धरती, या धरती की सतह, या किसी वास्तविक वस्तु तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिये अनुक्रम • 1 परिचय • 2 मानचित्र की उपयोगिता • 3 मानचित्र पठन के लिये आवश्यक बातें • 4 मानचित्र का वर्गीकरण और प्रकार • 4.1 पैमाने तथा उद्देश्य के आधार पर • 4.2 उद्देश्य तथा समाविष्ट तथ्य के आधार पर • 5 मानचित्र की भाषा • 5.1 पैमाना • 5.2 संकेतात्मक एवं रूढ़ चिह्न (symbols and conventional signs) • 5.3 रंग • 5.4 भौगोलिक जाल • 5.5 मानचित्र प्रक्षेप • 6 भू-आकृति की उँचाई, निचाई तथा स्वरूप का प्रदर्शन • 6.1 चित्र द्वारा प्रदर्शन • 6.1.1 पहाड़ी छायाकरण (Hill Shading) • 6.1.2 स्तर वर्ण (layer tint) बिधि • 6.2 गणित द्वारा प्रदर्शन • 6.3 मिश्रित विधियाँ • 7 मानचित्र कला (Cartography) • 8 शुद्ध रेखण • 9 मानचित्र संकलन • 10 छपाई की विधियाँ • 10.1 फोटोजिंको छपाई • 10.2 रोटरी ऑफसेट छपाई • 11 पैमाना या मापनी • 12 मानचित्र-प्रक्षेप • 13 मानचित्रों के प्रकार • 13.1 भौगोलिक मानचित्र • 13.2 स्थलाकृतिक मानचित्र • 13.3 भू-कर तथा राजस्व मानचित्र • 13.4 नगर और कस्बों के दर्शक मानचित्र • 13.5 छावनी मानचित्र • 13.6 विविध मानचित्र • 14 वितरण मानचित्र एवं मानारेख • 15 इन्हें भी देखें • 16 बाहरी कड़ियाँ परिचय मानचित्र किसी चौरस सतह पर निश्चित मान या पैमाने और अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं क...

रूपिम क्या है ? संरचना की दृष्टि से रूपिम के कितने भेद होते हैं

रूपिम का लक्षण - भाषा या वाक्य की सार्थक लघुतम इकाई को रूपिम (रूपग्राम) कहते हैं। रूपिम और स्वनिम में मुख्य अन्तर यह है कि स्वनिम का सार्थक होना अनिवार्य नहीं है, रूपिम का सार्थक होना अनिवार्य है।‘राम’ में र् आ म् अ = 4 स्वनिम हैं, ये चारों निरर्थक हैं। परन्तु‘राम’ रूपिम एक सार्थक इकाई है। यह एक रूपिम है, क्योंकि एक सार्थक शब्द है। रूप या पद विवेचन पहले किया जा चुका है। उसमें शब्द या धातु + प्रत्यय = शब्द का उल्लेख हुआ है। प्रत्येक पद या रूप को दो दृष्टियों से देखा जाता है ( 1) रचना, (2) अर्थ। • पढ़>पढ़ना, पढ़ा, पढ़ता आदि। • वा> चलवाता, मरवाना, लिखवाएगा आदि। • ऊँ> मिलवाऊँ, पढ़ाऊँ, आऊँ आदि। • ग >जाएगी, हँसेगा, दौड़ाएगा आदि। • आ > पढ़ता, पढ़ा, पढ़ेगा आदि। इन अर्थपूर्ण खण्डों के विवेचन से यह तथ्य सुस्पष्ट होता है। रूपिम-विवेचन के लघुतम खण्डों में अर्थ सुरक्षित होना अनिवार्य है और खण्डों में अन्य शब्द-रचना की शक्ति होती है।‘फूलों की सुन्दरता किसका मन हर नहीं लेती’’ वाक्य का रूपिम विश्लेषण होगा- • /फूल/ • / ों (ओं) बहुवचन प्रत्यय/ • /की/कारण प्रत्यय / • /सुन्दर/ • /ता/भाववाचक प्रत्यय / • /किस/ • /का/कारक प्रत्यय / • /मन/ • /हर/ • /नहीं/ • /लेत्/ • /स्त्री प्रत्यय/ उक्त वाक्य में रूपिमों की संख्या बारह है। रूपिम की संरचना एक अथवा एक से अधिक स्वनिम के आधार पर होती है; यथा-’’तू आ’’ वाक्य में‘‘तू’’ और ‘‘आ’’ दो रूपिम हैं। जिनमें‘‘तू’’ की संरचना‘‘तू’’ और ‘‘ऊ’’ स्वनिम से हुई है, तो‘‘आ’’ एक स्वनिम आधारित रूपिम है। रूपिम में विभिन्न स्वनिमों का प्रयोग पूर्ण व्यवस्थित रूप में होता है; यथा - ‘‘नहर’’ रूपिम में‘‘न’’, ‘‘ह’’ और ‘‘र’’ तीनों स्वनिमों की क्रमिक व्यवस्था है। इसके विपरीत कोई भी व्...

कार्यालयी हिंदी/आलेखन के स्वरूप और विशेषताएँ

आलेखन(मसौदा) के स्वरूप [ ] मसौदा लेखन को ही प्रारूप लेखन, प्रारूपण अथवा आलेखन आदि कहा जाता है, किन्तु सरकारी कार्यालयों में आमतौर पर मसौदा लेखन (Drafting) शब्द ही प्रचलित है। उन्नत आलेखन (Advanced Drafting) शासकीय एवं कार्यालयीन पत्र-व्यवहार का प्रमुख अंग है। प्राप्ति पर टिप्पणी कार्य खत्म होने के पश्चात् उसके आधार पर पत्रोत्तर का जो प्रारूप तैयार किया जाता है, वह आलेखन कहलाता है। वस्तुत: आलेखन टिप्पणी कार्य का ही लक्ष्य और परिणाम होता है। इसे मसौदा या मसविदा भी कहते हैं। मसौदा लेखन के अन्तर्गत विभिन्न सरकारी पत्रों, परिपत्रों, आदेशों, अधिसूचनाओं, संकल्पों, सार्वजनिक सूचनाओं, करारों, प्रेस-विज्ञप्तियों तथा अन्य आवश्यक सूचनाओं आदि के प्रारूप (Draft) तैयार करने होते हैं। अत: मसौदा सरल, सुबोध तथा सुस्पष्ट होना अत्यावश्यक है। जिन मामलों में की जाने वाली कार्रवाई बिल्कुल स्पष्ट तथा निश्चित हो तब अधिकारी या प्राधिकारी के आदेश के अनुसरण में मसौदा तैयार किया जाता है। सरकारी कार्यालयों में सामान्यत: मसौदा सहायक अथवा अधीक्षक या अनुभाग अधिकारी तैयार करते हैं। इस प्रकार, मसौदा तैयार करते समय उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि अनुभाग अधिकारी अथवा सम्बन्धित वरिष्ठ अधिकारी द्दारा दिए गये आदेशों या अनुदेशों में निहित तथ्यों बातों और भावों को सही और स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया जाए। इसे अधिकारी अथवा उच्च अधिकारी के पास अनुमोदन के लिए भेज दिया जाता है। तैयार किये गए मसौदा के ऊपर दाहिनी ओर 'अनुमोदनार्थ मसौदा' (Draft for approval-DFA) अवश्य लिखा जाता है। आवश्यक टिप्पणी के साथ उच्चाधिकारी के पास जब मसौदा आता है तब यदि आवश्यक हो तो वह अधिकारी मसौदे में थोडा़-बहुत संशोधन करके अनुमोदित कर देते है। आलेख...

CBSE NCERT Class 5 Hindi Grammar Chapter 11 Vaaky in PDF file Download

NCERT Solutions for Class 5 Hindi Grammar Chapter 11 वाक्य (Vaaky) and Vaaky ke Bhed updated for academic session 2023-2024 free to download in PDF file format or view online. We will learn here about Vaaky kise kahte hain aur iska sahi prayog kis prakar kiya jata hai. All the terms related to Vaaky (Sentences) are given here with examples for practice. सभी जानते हैं कि ‘ल’, ‘आ’, ‘ला’ ध्वनियों का अलग-अलग अपने में कोई अर्थ नहीं है किंतु इनके योग से ‘लाल’ शब्द बनता है तो इसका अर्थ प्रकट होता है। फिर भी प्रश्न बना रहता है कि ‘लाल’ क्या चीज है? लाल स्याही, लाल रंग या लाल साड़ी। यदि लाल स्याही या लाल साड़ी भी कहें तो भी पूरा आशय प्रकट नहीं होता। प्रश्न उठता है कि लाल साड़ी के बारे में क्या कहा जा रहा है? इसी तरह नदी, जाना, गाय, किनारा आदि शब्द कह देने मात्र से पूरी बात प्रकट नहीं होती। इन शब्दों के अपने अ...

Aalekhan (Drafting) आलेखन

Aalekhan (Drafting) आलेखन आलेखन (Drafting) की परिभाषा सरकारी कार्यालयों में पत्र-व्यवहार की पद्धितियों के अनुसार पत्रों का प्रारूप या आलेख (Draft) तैयार किया जाना ही आलेखन कहलाता है। इसे प्रालेखन या प्रारूपण भी कहा जाता है। आलेख आवश्यकतानुसार लिपिक से लेकर अधिकारियों तक को तैयार करना पड़ता है अतः इसका सम्यक ज्ञान सभी के लिए आवश्यक है। आलेखन के ज्ञान के अभाव में कार्यालय की कार्यक्षमता गिरने के साथ-साथ कार्य सम्पादन में भी अनावश्यक विलम्ब होता है, अतः इसका ज्ञान हमारे लिए बहुत उपयोगी है। आलेखन पत्राचार का एक अंग है। समाज के विकास के साथ आलेखन के भित्र-भित्र रूप विकसित होते रहे हैं। विशेषकर सरकारी सेवाओं में और कार्यालयों में काम करनेवालों के लिए आलेखन में निपुण होना आवश्यक है। इसकी कुशलता दो बातों पर निर्भर है- (1) भाषा का अच्छा ज्ञान और (2) आलेखन के विविध रूपों और उसके विशिष्ट नियमों की जानकारी। आलेखन की सफलता शुद्ध, सुगठित और परिमार्जित भाषा पर निर्भर है। यहाँ आलेखन से हमारा तात्पर्य सरकारी कार्यालय में व्यवहृत आलेखनों से है। इसे 'प्रारूप' भी कहते हैं। आलेखन के प्रकार आलेखन दो प्रकार के होते है- (1) प्रारम्भिक आलेखन (Elementary Drafting) (2) उत्रत अथवा उच्चतर आलेखन (Advanced Drafting) । (1) प्रारम्भिक आलेखन (Elementary Drafting)- प्रारम्भिक आलेखन में वैयक्तिक और सामाजिक पत्राचार आते है। इनके अन्तर्गत पारिवारिक पत्र, आवेदनपत्र, पदाधिकारियों से पत्र-व्यवहार, व्यावसायिक पत्र, सम्पादक के नाम पत्र, निमन्त्रण पत्र इत्यादि आते हैं। (2) उत्रत अथवा उच्चतर आलेखन (Advanced Drafting)- उच्चतर आलेखन में सरकारी कार्यालयों में प्रयुक्त होनेवाले भित्र-भित्र प्रकार के पत्राचारों का समावेश ह...

कागज के थैले

अनुक्रम • 1 इतिहास • 2 उत्पादन • 3 एकल परत • 4 बहुभीत कागजी थैले • 5 संदर्भ इतिहास [ ] 1852ई. में एक स्कूली शिक्षक फ्रांसिस वोले ने वृहद संख्या में कागज के थैले के उत्पाद के लिए पहली मशीन का आविष्कार किया। 1871ई. में, आविष्कारक मार्गरेट ई. नाइट ने एक मशीन तैयार की जो सपाट-तल वाले कागज के थैले बना सकती थी। 1883ई. में चार्ल्स स्टिलवेल ने एक ऐसी मशीन की रजिस्ट्री कराई, जो वर्गाकार-तल के कागज के थैले बनाती थी, जिससे उन्हें मोड़ना और संग्रहित करना आसान हो जाता था। 1912ई. में सेंट पॉल, मिनेसोटा के एक किराने वाले वाल्टर डेबनर ने कागज के थैले को सुदृढ़ बनाने के लिए डोरी का इस्तेमाल किया, साथ ही उसमें कैरिंग हैंडल भी जोड़ा। इस "डेबनर खरीदारी थैले" में एक बार में 75 पौंड तक का वजन ले जाया जा सकता था। यह थैला इतना लोकप्रिय हुआ कि 1915 तक एक लाख थैले प्रतिवर्ष बिकते थे। बाद में हैंडलसहित कागज थैले डिपार्टमेंट स्टोर के लिए मानक बन गए और प्रायः स्टोर के लोगो या ब्रांड रंगोंसहित मुद्रित होते थे। 1970 के दशक में प्लास्टिक की थैलियों से परिचय मिला। 2015ई. में दुनिया का सबसे बड़ा खरीदारी कागजी थैला ब्रिटेन में बनाया गया जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा दर्ज किया गया था। उत्पादन [ ] स्तरीय ब्राउन कागज के थैले क्राफ्ट कागज से बनाए जाते हैं। टोट-शैली के कागज के थैले, जो प्रायः डिपार्टमेंट स्टोर या उपहार बैग के रूप में उपयोग किया जाता है, किसी भी प्रकार के कागज से बनाया जा सकता है। एकल परत [ ] इस प्रकार के थैलों जैसे- कागजी खरीदारी थैले, ब्राउन कागजी थैले, किराना थैले, कागजी ब्रेड थैले तथा अन्य मामूली शुल्क वाले थैले में कागज की परत एकल होती है। उनके विभिन्न प्रकार की बनावट और नमूने उपलब्ध हैं।...