चार धाम कोनसे है

  1. चार दिशाओं में हैं चार धाम, जगतगुरू शंकराचार्य ने किया था इनकी यात्रा का प्रचार
  2. Chardham: किस स्थान से शुरू होकर कहां खत्म होती है चार धाम यात्रा? क‍िस धाम का रूट क‍ितना मुश्‍क‍िल, जानें सबकुछ
  3. भारत के चार धाम कौन कौन से हैं? नाम सहित यात्रा की जानकारी
  4. Bharat ke Char Dham


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चार दिशाओं में हैं चार धाम, जगतगुरू शंकराचार्य ने किया था इनकी यात्रा का प्रचार

स्कंद पुराण के तीर्थ प्रकरण के अनुसार चार धाम यात्रा को महत्वपूर्ण माना गया है। चार धामों के दर्शन करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है। ये चार धाम चार दिशाओं में स्थित है यानी उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी। प्राचीन समय से ही ये चार धाम तीर्थ के रूप मे मान्य थे, लेकिन इनके महत्व का प्रचार जगत गुरु शंकराचार्य जी ने किया था। क्यों बनाए गए चार धाम ग्रंथों के अनुसार प्राचीन तीर्थ स्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान बढ़ता है। देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं और परंपराएं मालूम होती हैं। प्राचीन संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। मंदिर के पंडित और आसपास रहने वाले लोगों से संपर्क होता है, जिससे अलग-अलग रीति-रिवाजों को जानने का अवसर मिलता है। भगवान और भक्ति से जुड़ी मान्यताओं की जानकारी मिलती है। जिसका लाभ दैनिक जीवन की पूजा में मिलता है। इसलिए चार धामों को अलग-अलग दिशाओं में स्थापित किया गया है। किस धाम की क्या विशेषता है बद्रीनाथ धाम यह तीर्थ बद्रीनाथ के रूप में भगवान विष्णु को समर्पित है। ये अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। माना जाता है इसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। इस मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है। यहां पर श्रद्धालु तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहां पर वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के आखिरी या मई के शुरुआती दिनों में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के पट फिर से बंद कर दिए जाते है...

Chardham: किस स्थान से शुरू होकर कहां खत्म होती है चार धाम यात्रा? क‍िस धाम का रूट क‍ितना मुश्‍क‍िल, जानें सबकुछ

देहरादून. कड़ाके की ठंड के बाद उत्तराखंड में चारों धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा गर्मियों के छह महीनों में श्रद्धालुओं के लिए खुलती है,. किसी ज़माने में इसे बैकुंठलोक की यात्रा की तरह समझा जाता था. विशेषकर 2013 की आपदा के बाद से केदारनाथ में हो रहे नवनिर्माण और बद्रीनाथ में मास्टर प्लान के तहत हो रहे विकास के कारण अब यह तीर्थ यात्रा पर्यटन के साथ घुल मिल चुकी है. कोरोना काल के दो सालों के अवरोध के बाद इस साल पूरी लय में शुरू हुई यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या 15 लाख के आंकड़े की तरफ है, तो चिंता 125 मौतों को लेकर है. आखिर क्या है यात्रा का पूरा ब्योरा और कैसे इन आंकड़ों को समझने में यह मदद करता है? यात्रा कहां से किस तरह शुरू होकर कैसे संपन्न होती है? मान्यता है कि चारधाम यात्रा की शुरुआत हरिद्वार में गंगा स्नान के साथ शुरू होती है. यहां से सबसे पहले मां यमुना के धाम को कूच किया जाता है. उसके बाद मां गंगा के दर्शन करते हुए बाबा केदार के द्वार पहुंचा जाता है और बद्री विशाल यात्रा का अंतिम सोपान होता है. यदि आप उत्तराखंड के बाहर से हैं, तो यहां से वापस हरिद्वार होकर लौटना ही मुफीद रहता है. इस पूरी यात्रा में 8 से 10 दिन का समय लगता है. कैसे प्लान हो रहा है टूर? जो श्रद्धालु धार्मिक मान्यताओं के चलते चार धाम करते हैं, वो अब भी बताए गए तरीके से यात्रा करते हैं, लेकिन जो पर्यटन की दृष्टि से यात्रा करते हैं, वो पूरे चार धाम जाएं, यह ज़रूरी ही नहीं. दूसरे अब यात्रा का पैटर्न और नियम बदले हैं तो रजिस्ट्रेशन में आ रही मुश्किलों के चलते भी धामों का चयन हो रहा है. जैसे​ पिछले कुछ समय से केदारनाथ के रजिस्ट्रेशन फुल होने के कारण कई श्रद्धालु अन्य धामों की ...

भारत के चार धाम कौन कौन से हैं? नाम सहित यात्रा की जानकारी

By Aug 8, 2020 चारधामभारतमेंचारतीर्थस्थलोंकाएकसमूहहै।हिंदुओंकामाननाहैकिइनस्थलोंपरजानेसे“मोक्ष”प्राप्तकरनेमेंमददमिलतीहै।इसमेंबद्रीनाथ, द्वारका, पुरीऔररामेश्वरमशामिलहैं।यहहिंदुओंद्वारामानाजाताहैकिप्रत्येकहिंदूकोअपनेजीवनकालमेंचारधामकीयात्राकरनीचाहिए।आदिशंकराचार्यद्वारापरिभाषितचारधाममेंचारहिंदूतीर्थस्थलहैं।चारतीर्थस्थलों-यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, औरबद्रीनाथकेउत्तराखंडमेंएकऔरछोटेसर्किटकोछोटाचारधामकहाजाताहै। चारधामकाइतिहास हिंदूमान्यताकेअनुसार, बद्रीनाथतबप्रमुखहोगएजबविष्णुकेएकअवतारनर-नारायणनेतपस्यावहांकी।उससमयवहजगहबेरकेपेड़ोंसेभरगईथी।संस्कृतभाषामें, जामुनको“बद्री”कहाजाताहै, इसलिएउसस्थानकानामबद्रिका-वनरखागया, यानीजामुनकाजंगल।वहविशेषस्थानजहाँनर-नारायणनेतपस्याकीथी, बारिशऔरधूपसेउसेबचानेकेलिएएकबड़ाबेरकापेड़बनायागयाथा।स्थानीयलोगोंकामानना​​हैकिमातालक्ष्मीभगवाननारायणकोबचानेकेलिएबेरकापेड़बनगईं।तपस्या, नारायणनेकहा, लोगउनकेनामसेपहलेहमेशाउनकानामलेंगे, इसलिएहिंदूहमेशा“लक्ष्मी-नारायण”कासंदर्भदेतेहैं।इसलिएइसेबद्री-नाथकहाजाताथा, अर्थात्बेरीवनकेभगवान।यहसबसत्ययुगमेंहुआ। इसलिएबद्रीनाथकोपहलेधामकेरूपमेंजानाजानेलगा।एकऔरकहानीयहहैकिजबरावणनेभगवानशिवसेकहाकिवहउसकेसाथलंकामेंरहसकताहैलेकिनभगवानशिवनेउसेमनाकरदियाऔरउसेएकलिंगमदियाऔरकहाकिइसलिंगकोलंकामेंएकचरणकेरूपमेंलेजाओ, लेकिनतुमइसलिंगकोकहींभीपहुंचनेसेपहलेनहींरखसकते।लंकाकोईभीहोजहाँअगरआपइसलिंगमकोरखतेहैंतोलिंगमकोऊपरनहींउठायाजासकताहै।जैसेअगरलिंगमलंकापहुंचातोलंकासुरक्षितहोजाएगी।इसलिएभगवानगणेशबद्रीकेसाथरावणकेपासगएक्योंकिरावणकोपेशाबकरनाहैइसलिएउन्होंनेलिंगमकोपकड़नेकेलिएबद्रीकोकहाऔरकहाकिइसेकहींभीमतरखोऔरफिरवहपेशाबकरनेचलागयालेकिनबद्रीनेइसेजमीनपररखदियाऔरजबरावणनेरावणको...

Bharat ke Char Dham

चार धाम (अर्थ: चार निवास) भारत में चार तीर्थ स्थलों का एक समूह है। ऐसा माना जाता है कि इन स्थलों पर जाने से मोक्ष प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह माना जाता है कि प्रत्येक हिंदू को अपने जीवनकाल में चार धाम की यात्रा करनी चाहिए। हम सभी ने हिंदू धर्म ग्रंथों में ( Bharat ke Char Dham ) भारत के चारो धाम का नाम सुना होगा। Char Dham ke Naam उत्तराखण्ड में बद्रीनाथ, गुजरात में द्वारका, तमिलनाडु में रामेस्वरम और ओडिशा में जगन्नाथ पूरी आते हैं | ये सभी हिंदुओं का धर्म स्थान है। जहां जाने के बाद लोगों के जन्मो जन्मो का पापों से मुक्ति मिलता है | आज हम इन्हीं चारों धामो के बारे में आपको बताने जा रहे हैं | चार धाम, चार दिशा, चार युग, और भगवान बिष्णु के चार कार्य | आपको यह जानके आश्चर्य होगा की यह चार धाम हमारे देश भारत के चारों दिशा में हैं | भौगोलिक रूप से चार धाम बोलने से बद्रीनाथ और रामेश्वरम एक ही देशांतर पर गिरते हैं और द्वारका (पुराना) और पुरी एक ही अक्षांश पर स्थित हैं, जो भारत के सुदूर उत्तर पूर्व और दक्षिण के बिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं । और यह पुराण के हिसाब से चारों युग से तालुक रखते हैं । जैसे की बद्रीनाथ – सत्य युग का, द्वारका – द्वापर, रामेस्वरम – त्रेता और जगन्नाथ पूरी कलियुग का धाम है। और भगवन यह चारो धाम में चार अलग अलग कार्य निर्बाह करते हैं। जैसे की बदिरनाथ में तपाया, द्वारका में पालन, रामेस्वरम में स्नान और जगन्नाथ पूरी में भोजन करते हैं। Char Dham in Hindi में हम इन्ही चारो धामों के यात्रा करके तृप्त हो । छोटा चार धाम आदि शंकराचार्य द्वारा परिभाषित चार धाम में चार हिंदू तीर्थ स्थल शामिल हैं। चार तीर्थ स्थल या फिर छोटा चार धाम कहते हैं | Chota Char Dham ke n...