छोटी सी कविता हिंदी में

  1. छोटी सी कविता हिंदी में
  2. Chhoti Si Hamari Nadi Poem Class 5 Hindi Chapter 17
  3. Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी
  4. नदी पर कविता
  5. हिंदी दिवस पर छोटी सी कविता
  6. 4 छोटी हिंदी कविताएँ
  7. छोटी सी है जिन्दगी
  8. बच्चों के लिए हिंदी की 14 आसान व छोटी कविताएं
  9. 4 छोटी हिंदी कविताएँ
  10. छोटी सी है जिन्दगी


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छोटी सी कविता हिंदी में

कविता ( poetry ) को सभी लोगो को पढ़ना चाहिए, क्योंकि इससे सामाजिक ज्ञान छिपा रहता है। कोई भी लेखक जब कविता लिखता है, जो कुछ समाज में चलता है। उसी को देखते हुए अपनी कविता लिखता है। इसलिए लोगो को सामाजिक ज्ञान बढाने के लिए अधिक से अधिक कविता को पढ़ना चाहिए। इसी को देखते हुए आज हम आपके लिए कुछ छोटी सी कविता कोश लेकर आए हैं। आशा करता हूं कि यह आपको जरूर पसंद आएगा। प्रकृति से सीखो - chhoti si kavita in hindi ।। Small kavita खिलों फूल से क्योंकि कभी वे अपने लिए नही खिलते हैं फलों वृक्ष से क्योंकि कभी वे अपने लिए नही फलते है। प्यासे जग की प्यास बुझाने बादल जल भर भर लाते हैं। सीखो उनसे वे कैसे औरों के हित में मिट जाते हैं। पर हित के लिए देह धारण करते हैं सज्जन प्राणी। वृक्ष स्वयं न कभी फल खाते नदिया स्वयं न पीती पानी। जंगल मंगल हित जीने वालों का मस्तक ऊंचा रहता है। दीपक की स्वर्णिम लौ का रुख कभी नहीं नीचे झुकता है। छोटी कविता - small poetry ।। Chhoti si kavita for class 1 सकारात्मक सोचिए आपकी जिंदगी बदल जायेगी जीवन अंधकार में है थोड़ी सी रोशनी मिल जाएगी। उस रोशनी में एक नई राह नजर आएगी निराशा को भूलकर आशा की जोत जलाइये, नफरत, ईर्ष्या, अहंकार को भूलकर, प्यार का सागर बहाइए सकारात्मक सोचिए आपकी जिंदगी बदल जायेगी नैतिक कविता - small poetry in hindi ।। Naitik poem in hindi

Chhoti Si Hamari Nadi Poem Class 5 Hindi Chapter 17

5/5 - (1 vote) This articles will cover the full chapter Choti Si Hamaari Nadi along with explanation of all the hard words of Choti Si Hamari Nadi. Chhoti si hamari nadi hindi chapter 17 is explained in a very easy way for the students of Class 5. Ncert hindi book class 5 chapter 17 Choti Si hamaari Nadi will be very useful for preparing for all your board exams text book. Table of Contents • • • • • • Ncert Book Chhoti Si Hamari Nadi Poem ( छोटी सी हमारी नदी ) इस छोटी सी हमारी नदी कविता का लेखक महान कवि रविंद्रनाथ टैगोर जी है। जो भारत के प्रसिद्ध कवि माने जाते हैं। इन्होंने कविता के साथ-साथ उपन्यास और रचनाएँ भी लिखी हुई है। इनकी कुछ प्रसिद्ध उपन्यास है नौकाटूबी, गौरा, चतुरंगा, आदि है और उनका प्रसिद्ध रचनाएं इस प्रकार है जैसे कि गीतांजली, गीताली, शिशु , भोलेनाथ आदि है। महान कवि रविन्द्रनाथ टैगोर को 1913 में नोबल पुरस्कार द्वारा सम्मानित भी किया गया है। इन्होंने एक बहुत ही सुंदर कविता लिखी हुई है जिसका नाम – छोटी सी हमारी नदी कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने इस कविता का सुंदर चित्रण करते हुए कहा है कि गाँव में एक छोटी सी नदी होती है जो बिना भेदभाव किए बिना ही निरन्तर बहती रहती है। हमें भी उस छोटी नदी के समान भेदभाव किए बिना ही आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आइए इस छोटी सी कविता को पढ़ कर उसके भावार्थ को समझ सकें। यह कविता अच्छी लगे तो अपने मित्र के साथ Share ( शेयर ) अवश्य करें। छोटी सी हमारी नदी Chhoti Si Hamari Nadi Poem छोटी-सी हमारी नदी टेढ़ी मेढ़ी धार, गर्मियों में घुटने भर भिगों कर जाते पार | पार जाते ढोर-डंगर , बैलगाड़ी चालू , ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू | पेटे मे...

Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी

Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी छोटी सी हमारी नदी पाठ 17 हिंदी class 5th Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी Ch17 छोटी सी हमारी नदी | Choti Si Hamari Nadi Hindi, Grade 5 CBSE Easy explanation छोटी सी हमारी नदी Choti Si Hamari Nadi Chapter 17 Class 5 Hindi Question & Answers Chhoti si hamari nadi rimjhim 5 छोटी सी हमारी नदी रिमझिम 5 hindi class 5 CBSE NCERT class 5 Chhoti si hamari nadi CBSE Class 5 Poem NCERT Poems छोटी सी हमारी नदी कविता का अर्थ Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी छोटी सी हमारी नदी पाठ 17 हिंदी class 5th Chotti Si Hamari Nadi छोटी सी हमारी नदी Ch17 छोटी सी हमारी नदी | Choti Si Hamari Nadi Hindi, Grade 5 CBSE Easy explanation छोटी सी हमारी नदी Choti Si Hamari Nadi Chapter 17 Class 5 Hindi Question & Answers Chhoti si hamari nadi rimjhim 5 छोटी सी हमारी नदी रिमझिम 5 hindi class 5 CBSE NCERT class 5 Chhoti si hamari nadi CBSE Class 5 Poem NCERT Poems व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि 'रवींद्रनाथ ठाकुर' के द्वारा रचित कविता 'छोटी सी हमारी नदी' से ली गई हैं | इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं कि हमारी नदी छोटी है और इसकी धार टेढ़ी-मेढ़ी है | गर्मी के मौसम में इसमें घुटने भर तक पानी होता है | इसे पार करना सबके लिए आसान होता है | फिर चाहे वह आदमी, जानवर या बैलगाड़ी हो | नदी के किनारे ऊँचे हैं और इसके पाट ढालू हैं | पर इसके तल में बालू या कीचड़ कुछ भी नहीं है | काँस के फूल खिलने पर धूप जैसे चमकदार उजला दिखते हैं | इसकी डालियों पर मैना दिनभर किचपिच-किचपिच करती रहती है और रात्रि के वक़्त सियार हुआँ-...

नदी पर कविता

Poem On River In Hindi: नमस्कार दोस्तों, आज के लेख में हम आपके साथ नदियों पर कविता शेयर करेंगे और यह कविता Poem On River हिंदी में होगी| हमारे भारत देश में बहुत नदियां है और बहुत से कवियों ने नदी पर कविता लिखी हैं और आज हम उन सब कविता को सम्मिलित करेंगे| यह Nadiyo Ki Kavita for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, & 9 के लिए हैं| • 1 8+ लोकप्रिय नदी पर कविता – Poem On River In Hindi • 1.1 Best Nadi Par Kavita • 1.2 Latest Hindi Poem On River – यमुना नदी पर कविता • 1.3 Hindi Kavita Nadi Par (हिंदी कविता नदी पर ) • 1.4 Poem On River Ganga In Hindi – गंगा नदी पर कविता • 1.5 Poem On Yamuna River In Hindi • 1.6 Short Poem On River in Hindi – नदी पर छोटी सी कविता 8+ लोकप्रिय नदी पर कविता – Poem On River In Hindi समय बर्बाद न करते हुए नदी पर कविता पढ़ना शुरू करते हैं Best Nadi Par Kavita हिम खंडों से पिघलकर, पर्वतों में निकलकर, खेत खलिहानों को सींचती, कई शहरों से गुजरकर विकसित होती विकास की आंधी तोड़ पहाड़, पर्वतों को ढूंढ रहे नई वादी, गर्म होती निरंतर धरा, पिघलते, सिकुड़ते हिम खंड कह रहे मायूस हो, शायद वो एक नदी है। लुप्त होते पेड़ पौधे, विलुप्त होती प्रजातियां, खत्म होते संसाधन, सूख रहीं वाटिकाएं छोटे करते अपने आंगन, गौरेया, पंछी सब गुम गए, पेड़ों के पत्ते भी सूख गए सूखी नदी का किनारा देख, बच्चे पूछते नानी से, क्या वो एक नदी थी। Latest Hindi Poem On River – यमुना नदी पर कविता जब सारा जल ज़हर हो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं? जब यमुना का अर्थ खो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं? चट्टानों से लड़-लड़कर जो बढ़ती रही नदी, हर बंजर की प्यास बुझाती बहती रही नदी! जब प्यासा हर घाट रो रहा, क्यों नदियाँ चुप हैं? ज्...

हिंदी दिवस पर छोटी सी कविता

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4 छोटी हिंदी कविताएँ

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है आप पढ़ रहे हैं 4 छोटी हिंदी कविताएँ :- 4 छोटी हिंदी कविताएँ जीवन राह मौत की परछाईं पर जिंदगी जीनें आया था, हर गम की बाहों को मोड़ जीवन राह बनाया था। कांटे बिछे थे राहों में पैरों में थे छाले, हमने तो तुफानो में भी, रखा होश संभाले। हमें सुकून की चाहत थी मगर ठोकरें मिलीं सदा, हर मुश्किलों पर मैंने अपने साथ पाया खुदा। क्या औकात ग़मों की थी, जो मुझसे टकराते क्योंकि हम तो हर गम में रहे सदा मुसकाते। उसके बिछाए मोहरों को मैंने चाल सिखाया था, खुद की तकलीफों में उसे हँस कर मैंने चिढाया था। हर गम की बाँहों को मोड़ जीवन राह बनाया था, मौत की परछाई पर जिंदगी जीने आया था। पढ़िए :- बेहतरीन कविता “रास्ता भटक गया हूँ मैं” बारिश हैं मायूस ना जाने किससे सावन बरस ना पाए, बूँद बरसे तो जरा फिरसे हरियाली आये। गर्म तपती धूप से सबको राहत सी आ जाए, सुबह की पहली धूप में फिरसे शबनम मोती बन जाए। दे सुकून हम को बड़ा जब अंबर से तू आये, बह जाए कभी नाली में कभी नदी बन जाए। फैलाती है धरती पर मिट्टी की सौंधी खुशबू, भीनी-भीनी यह खुशबु सबके मन को भाये। खिलती थी तेरे छूने से अब वो लता घबराए, गर्म तपती धूप में सभी रहीं मुरझाए। हैं मायूस ना जाने किससे सावन बरस ना पाए, बूँद बरसे तो जरा फिरसे हरियाली आये। पढ़िए :- बारिश से जुड़ी कुछ रोचक व् अनसुनी जानकारियां विश्वास विश्वास को ऊँचा कर हर कदम बढ़ाऊंगा, कैसा भी रस्ता हो मंजिल मैं पाउँगा। लाख मुश्किलों आएंगी मैं फिर भी न घबराऊंगा, हिम्मत बांधे अपनी मैं बस आगे बढ़ता जाऊंगा। नहीं रुकूँगा, नहीं थकूंगा ऐसा मैं बन जाऊंगा, अपने साथ ही अपने बड़ों का मैं तो मान...

छोटी सी है जिन्दगी

कभी किसी को इससे न रूठने दीजिए , रूठ जाय कोई तो पलक झपकते ही मनाने का उसे उपक्रम कोई कीजिए । हो जाय जो इंतजार कुछ लंबी , तो बिना गलती के ही गलती अपनी मान कर , पास आने का उसे निमंत्रण दीजिए । अस्वीकार हो निमंत्रण फिर भी , जिंदगी में कमी उसकी , शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किजीये । आयेंगे वो पल इसी जिंदगी में , जब वो भी आपकी तरह अपनी दिनचर्या में बेबाकी से , कमी का आपकी का इजहार करेगा , न लगाएगा गले ,न सही ह्रदय के अपने आसुओं से अपनायेगा, आपको शीघ्र ही । पिघल जायेंगें पठार गलत फहमियों के , हो जायेंगें समतल रास्ते दोनों के , उगी हुई ताजी नरम घास की हरियाली से , खिलते जायेंगे फूल खुशगवार, दोनों के लिये । महकती जायगी बगियाखुशनुमा नई किसी सुबह की तरह । बहुत छोटी सी है जिन्दगी , न कभी किसी को इसमें रूठने दिजीये । रूठ जाये कोई तो , गलती अपनी न हो तब भी गलती अपनी मानकर , मनाने का उसे हर उपक्रम किजीये । सुरेंद्र कुमार अरोड़ा साहिबाबाद - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए

बच्चों के लिए हिंदी की 14 आसान व छोटी कविताएं

बच्चों के लिए कविता के बहुत सारे फायदे हैं। कविताएं, न केवन जानकारी प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है बल्कि यह उन्हें बहुत आनंदित भी करती हैं। कविताओं को पढ़ना और इन्हें याद रखना बहुत ज्यादा मजेदार होता है जिसमें आप अपने बच्चे को व्यस्त रख सकते हैं। आइए, बच्चों की कुछ मजेदार और प्रसिद्ध कविताओं पर एक नजर डालें और साथ ही साथ इस लेख के माध्यम से हम चर्चा करेंगे कि आप अपने बच्चे के लिए सही कविता कैसे चुने और उन्हें कविताएं पढ़ना कैसे सिखाएं। अपने बच्चे के लिए सही कविता कैसे चुनें? सबसे पहली चीज आती है कि बच्चों के लिए कविताएं कैसे चुनी जाएं। इसके लिए आपको यह ध्यान रखना होगा कि बच्चे को कविताएं सिखाने का उद्देश्य यही होना चाहिए कि वह कविता उसे अच्छी लगे, समझ आए और परिणामस्वरूप वह कविताओं के प्रति सम्मान और प्रशंसा व्यक्त कर सके। आपका लक्ष्य होना चाहिए कि आप भी कविताओं के प्रति सकारात्मक रहें और बच्चे के लिए कुछ ऐसी कविताओं का चयन करें जिन्हें वह समझ सके और सरलता से याद कर सके। आप कविता का कोई ऐसा विषय चुन सकती हैं जो आपके और बच्चे से जुड़ा हो और आप दोनों उसका आनंद ले सकें। शुरूआत में बच्चों के लिए छोटी व बेहद सरल कविताएं ही बेस्ट विकल्प हैं क्योंकि बच्चों को ऐसी कविताएं जल्दी याद हो जाती हैं और वे इनका आनंद भी उठाते हैं। यहाँ कुछ विभिन्न प्रकार की हास्य कविताएं दी हुई हैं जो बच्चे को सिखाने में आपकी मदद कर सकती हैं और साथ ही उन्हें नैतिक ज्ञान भी प्रदान करती हैं। 3. आए बादल आसमान पर छाए बादल, बारिश लेकर आए बादल। गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में, ढोल-नगाड़े बजाए बादल। बिजली चमके चम-चम, चम-चम, छम-छम नाच दिखाए बादल। चले हवाएँ सन-सन, सन-सन, मधुर गीत सुनाए बादल। बूंदें टपके टप-टप, टप-...

4 छोटी हिंदी कविताएँ

सूचना: दूसरे ब्लॉगर, Youtube चैनल और फेसबुक पेज वाले, कृपया बिना अनुमति हमारी रचनाएँ चोरी ना करे। हम कॉपीराइट क्लेम कर सकते है आप पढ़ रहे हैं 4 छोटी हिंदी कविताएँ :- 4 छोटी हिंदी कविताएँ जीवन राह मौत की परछाईं पर जिंदगी जीनें आया था, हर गम की बाहों को मोड़ जीवन राह बनाया था। कांटे बिछे थे राहों में पैरों में थे छाले, हमने तो तुफानो में भी, रखा होश संभाले। हमें सुकून की चाहत थी मगर ठोकरें मिलीं सदा, हर मुश्किलों पर मैंने अपने साथ पाया खुदा। क्या औकात ग़मों की थी, जो मुझसे टकराते क्योंकि हम तो हर गम में रहे सदा मुसकाते। उसके बिछाए मोहरों को मैंने चाल सिखाया था, खुद की तकलीफों में उसे हँस कर मैंने चिढाया था। हर गम की बाँहों को मोड़ जीवन राह बनाया था, मौत की परछाई पर जिंदगी जीने आया था। पढ़िए :- बेहतरीन कविता “रास्ता भटक गया हूँ मैं” बारिश हैं मायूस ना जाने किससे सावन बरस ना पाए, बूँद बरसे तो जरा फिरसे हरियाली आये। गर्म तपती धूप से सबको राहत सी आ जाए, सुबह की पहली धूप में फिरसे शबनम मोती बन जाए। दे सुकून हम को बड़ा जब अंबर से तू आये, बह जाए कभी नाली में कभी नदी बन जाए। फैलाती है धरती पर मिट्टी की सौंधी खुशबू, भीनी-भीनी यह खुशबु सबके मन को भाये। खिलती थी तेरे छूने से अब वो लता घबराए, गर्म तपती धूप में सभी रहीं मुरझाए। हैं मायूस ना जाने किससे सावन बरस ना पाए, बूँद बरसे तो जरा फिरसे हरियाली आये। पढ़िए :- बारिश से जुड़ी कुछ रोचक व् अनसुनी जानकारियां विश्वास विश्वास को ऊँचा कर हर कदम बढ़ाऊंगा, कैसा भी रस्ता हो मंजिल मैं पाउँगा। लाख मुश्किलों आएंगी मैं फिर भी न घबराऊंगा, हिम्मत बांधे अपनी मैं बस आगे बढ़ता जाऊंगा। नहीं रुकूँगा, नहीं थकूंगा ऐसा मैं बन जाऊंगा, अपने साथ ही अपने बड़ों का मैं तो मान...

छोटी सी है जिन्दगी

कभी किसी को इससे न रूठने दीजिए , रूठ जाय कोई तो पलक झपकते ही मनाने का उसे उपक्रम कोई कीजिए । हो जाय जो इंतजार कुछ लंबी , तो बिना गलती के ही गलती अपनी मान कर , पास आने का उसे निमंत्रण दीजिए । अस्वीकार हो निमंत्रण फिर भी , जिंदगी में कमी उसकी , शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किजीये । आयेंगे वो पल इसी जिंदगी में , जब वो भी आपकी तरह अपनी दिनचर्या में बेबाकी से , कमी का आपकी का इजहार करेगा , न लगाएगा गले ,न सही ह्रदय के अपने आसुओं से अपनायेगा, आपको शीघ्र ही । पिघल जायेंगें पठार गलत फहमियों के , हो जायेंगें समतल रास्ते दोनों के , उगी हुई ताजी नरम घास की हरियाली से , खिलते जायेंगे फूल खुशगवार, दोनों के लिये । महकती जायगी बगियाखुशनुमा नई किसी सुबह की तरह । बहुत छोटी सी है जिन्दगी , न कभी किसी को इसमें रूठने दिजीये । रूठ जाये कोई तो , गलती अपनी न हो तब भी गलती अपनी मानकर , मनाने का उसे हर उपक्रम किजीये । सुरेंद्र कुमार अरोड़ा साहिबाबाद - हम उम्मीद करते हैं कि यह पाठक की स्वरचित रचना है। अपनी रचना भेजने के लिए