छोटू दादा घर से कचरा निकाल

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  2. गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल
  3. गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल
  4. छोटू दादा कौन हैं
  5. मनपा का गाना ' गाड़ीवाला आया घर से कचरा निकाल ' हुआ काफी लोकप्रिय
  6. Swachh Survekshan The garbage man came took out the garbage from the house
  7. छोटू दादा कौन हैं
  8. Swachh Survekshan The garbage man came took out the garbage from the house
  9. गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल
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Chotu dada videos know real life of chotu dada who has millions subscribers and views check here all details

यू-ट्यूब पर आपने देखा होगा कि एक चार फुट का लड़का फनी वीडियो बनाता है और इसके व्यूज लाखों में नहीं करोड़ों में होते हैं. आप भले ही इसे नाम से नहीं जानते होंगे, लेकिन शक्ल देखकर आप भी इसे जान गए होंगे. चार फुट के इस छोटू का फनी अंदाज लोगों को काफी पसंद आता है और उनके डायलॉग बोलने का स्टाइल भी काफी अलग है. छोटू यू-ट्यूब पर इतने फेमस हैं कि उनके हर वीडियो 3-4 करोड़ व्यूज तो आ ही जाते हैं. आपमें से कई लोग उनके वीडियो के फैन होंगे. ऐसे में आज जानते हैं कि वीडियो के जरिए आपको हंसाने वाले छोटू की असल जिंदगी कैसी है और साथ ही जानेंगे उनकी असल जिंदगी से जुड़ी खास बातें, वो शायद ही आपको पता होगी. इसलिए आज आप भी जान लीजिए छोटू का नाम क्या है… क्या है असली नाम? इंटरनेट की दुनिया में छोटू दादा के नाम से मशहूर इस शख्स का असली नाम शफीक है. इंटरनेट पर मिली अन्य रिपोर्ट्स के अनुसार अभी छोटू दादा 30 साल के हैं और महाराष्ट्र के मालेगाव के रहने वाले हैं. यू-ट्यूब पर उनके वीडियो भी छोटू दादा के नाम से ही फेमस है और उन्होंने मालेगाव से ही पढ़ाई की है. छोटू दादा यानी शफीक ने 2017 से ही वीडियो बनाने शुरू कर दिए थे और उसके बाद इंटरनेट पर काफी हिट हो गए. अब छोटू दादा इंटरनेट पर इतने हिट हैं कि Khandeshi Movies के करोड़ों में सब्सक्राइबर हैं. इसके अलावा अन्य चैनलों पर भी उनके वीडियो शेयर किए जाते हैं, जिनपर भी हर वीडियो के व्यूज 3 करोड़ से ऊपर जाते है. छोटू दादा फनी वीडियो और उसमें अपने फनी अंदाज की वजह से फेमस हुए हैं. वे शॉर्ट फिल्मों के रूप में अपने वीडियो बनाते हैं और यूट्यूब पर उन्हें काफी सराहा जाता है. वैसे साफ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन इंटरनेट पर कई आर्टिकल में उनकी संपत्ति को लेकर भी काफी ...

गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल

आप सभी यह लाइन आजकल रोज सुबह सुनते ही होंगे" गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल"। पर क्या सच में घरों से कचरा निकलता है? क्या कचरे वाला सही तरीके से अपनी ड्यूटी करता है? क्या सच में हमारा भारत स्वच्छ हो रहा है? आप सभी को पता है इसका जवाब पूरी तरह से 'नहीं' है। उसके बाद भी कोशिश जारी है। और कोशिश करनी भी होगी। जल्दी, सब कुछ नहीं मिलता। थोड़ा सब्र करना पड़ता है। थोड़ी नहीं बहुत कोशिश करनी पड़ती है। लोगों का यही सोचना है कि जागरूक करना अच्छी बात है, पर खुद जागरूक होना बहुत बड़ी बात है। अपने घर से कचरा निकाल दिया बाहर फेंक दिया और क्या यही स्वच्छता है। नहीं यह स्वच्छता नहीं है। यह साफ सफाई नहीं है। इधर का कचरा उठाया दूसरी जगह पर फेंक दिया। घर का कचरा निकाला बाहर फेंक दिया तो क्या हम भारत स्वच्छ कर रहें हैं? बात सोचने की है, कचरा बाहर फेंक तो दिया पर क्या हम घर के अंदर ही रहते हैं हमेशा, हमारे बच्चे और हम क्या घर से बाहर नहीं निकलते हैं? हम उसके सामने से ही रोज निकलते हैं, वह दूषित हवा हमारे अंदर नहीं जाती क्या? बीमारियां जो आती हैं वह बाहर के कचरे से ही आती है। थोड़ा और समझ कर देखिये घर में साफ सफाई है, घर में जाले नहीं है, बदबू नहीं है पर घर के बगल में, बालकनी के बाहर या घर के सामने कचरे का ढेर लगा है, नालियां सड़ रही हैं तो इसका नतीजा क्या होगा। नालियों की सफाई खुद के ख़र्चे पर कराओ तो भी तो अपनी हिस्से का गन्दा दूसरी जगह पर डाल दिया और नगर निगम में बोलो तो अब टाइम ओवर हो गया अगर सफाई करानी है तो एक हज़ार तक लगेगा, वरना अगली सुबह तक उठेगा। दिन भर वही दूषित हवा। अब जनता क्या करे? एक एक कर के जनता में सभी पीछे हट जाते हैं, नगर निगम का काम जनता खुद अपने ही कर लेती हैं पर मजबूरी मे...

गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल

संवाद सहयोगी, कायमगंज : स्वच्छता मिशन के तहत नगर क्षेत्र को ओडीएफ घोषित करने के साथ गीले-सूखे कूड़े को अलग-अलग संग्रह कर निस्तारण के लिए रिक्शे व मोटर चालित वाहनों की खरीद की गई। नए खरीदे गए कूड़ा संग्रह वाहन पर लगी साउंड मशीन में संगीतमय गाना 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल'भी बजता है। लेकिन इसका कोई प्रभाव नागरिकों पर नहीं पड़ रहा। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कायमगंज नगरपालिका ने शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा करने के आधार पर नगर को ओडीएफ तो घोषित करा लिया, लेकिन अनेक घरों में अभी भी शौचालय नहीं हैं। गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग संग्रह कराने को घर-घर नीले व हरे रंग के कूड़ेदान वितरित किए गए। जिसमें लाखों का खर्च आया। इसके साथ ही नगरपालिका ने कूड़ा संग्रह के लिए लाखों रुपये खर्च कर 25 रिक्शा वाहन व दो मोटर चलित वाहन भी खरीदे, लेकिन इन वाहनों में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित नहीं हो रहा। कूड़ा संग्रह करने वाले कई वाहन चालकों ने बताया कि लोग घरों में ही गीला व सूखा कूड़ा नहीं रखते हैं। इसलिए इसका अलग-अलग संग्रह भी नहीं होता। वहीं नगरपालिका के पास भी कोई ऐसा डं¨पग ग्राउंड है ही नहीं, जहां अलग-अलग कचरा एकत्रित किया जा सके। घरों में दिए गए कूड़ेदान पानी भरने की बाल्टियों के तौर पर प्रयोग किए जा रहे हैं।

छोटू दादा कौन हैं

स्वागत है दोस्तों आज हम जाने वाले हैं छोटू दादा कौन है. कहते हैं भले कद छोटी हो लेकिन इरादे बड़ी होनी चाहिए , सपने बड़ी होनी चाहिए, अपने काम से नाम इतना बड़ा करो कि लोग तुम्हें कद से नहीं अपने काम से पहचाने। दोस्तों आज हम एक ऐसे Youtuber के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसकी कॉमेडी की लहर घर-घर में बहती है । जी हां दोस्तों हम यह आर्टिकल में छोटू दादा जीवन परिचय के बारे में बात करने वाले हैं। यूट्यूब आज बहुत सारे लोगों को एक ऐसा प्लेटफार्म खड़ा करके दिया है जिसमें बहुत सारे लोग अपने हुनर और skill से घर बैठे पैसे कमा रहे हैं। कमाई के साथ-साथ बहुत सारे यूट्यूबर अपने टैलेंट को लोगों के साथ साझा कर रहे हैं। यूट्यूब बहुत सारे लोगों को अपना करियर बनाने का एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है। इस प्लेटफार्म में हमारे छोटू दादा भी पहचाने जाते हैं। यह Article में हम क्या-क्या जानने वाले हैं। पहले तो छोटू दादा कौन हैं जानेंगे, उसके बाद उनकी जीवनी और यूट्यूब से कितना कमाते हैं. क्या सारी जानकारी के अलावा छोटू दादा सफलता की कहानी के बारे में जानने वाली है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • छोटू दादा कौन है? (Chotu Dada Biography in Hindi) छोटू दादा का वास्तविक नाम शफ़ीक़ नाटिया है,जे एक YouTuber, कॉमेडियन और अभिनेता है. जिनकी कॉमेडी वीडियो के सब दीवाने हैं. उनका जन्म 25 नवंबर 1991 को महाराष्ट्र में हुआ था. छोटू दादा अपने एक्टिंग कैरियर की शुरुआत 2006 से शुरू की। वह यूट्यूब में आने से पहले टेलीविजन में अपना डेब्यू किया था। छोटू दादा का जन्म छोटू दादा का जन्म 25 नवंबर 1991 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ था। छोटू दादा के घर में उनके माता-पिता के अलावा चार भाई और दो बहने है...

मनपा का गाना ' गाड़ीवाला आया घर से कचरा निकाल ' हुआ काफी लोकप्रिय

इस गाने को सुनते ही लोग दौड़ भाग करते हुए कचरा लेकर गाडी की तरफ दौड़ते है। इस गाने के गीतकार हैं श्याम बैरागी । जो मध्य प्रदेश के मंडला में रहते हैं। वे पेशे से टीचर हैं। लेकिन गाना लिखते रहते हैं और गाते भी हैं । मंडला नगर पालिका अध्यक्ष के आदेश पर श्याम ने ‘गाड़ी वाला’ गाना लिखा था । कचरा वाली गाड़ी में सुबह-सुबह इसे बजाया जाने लगा । कुछ ही समय में मंडला में ये गाना बहुत फेमस हो गया । फिर राज्य के कुछ दूसरे जिलों की नगर पालिकाओं ने भी इस गाने को उठा लिया, और कचरा गाड़ी में बजाने लगे। इंदौर, जबलपुर, रीवा, सतना जैसे ज़िलों में ये जमकर फेमस हुआ और काफी असरदार भी रहा । फिर छत्तीसगढ़ में भी इसे बजाया जाने लगा ।

Swachh Survekshan The garbage man came took out the garbage from the house

कई टन कचरा इकटठा कर रही गाड़ियां नगर निगम द्वारा घर-घर जाकर कचरा उठाने की कोशिश को अच्छी सफलता मिल रही है। शहरवासी भी अब कचरा गाड़ी का इंतजार करने लगे हैं। नगर निगम द्वारा कई गाड़ियां खरीदी गई हैं। जैसे ही निगम की गाड़ी आती है लोग डस्टबिन लेकर घर के बाहर खड़े हो जाते हैं। इससे निगम प्रशासन को कम स्टाफ के बावजूद कचरा निपटान में काफी मदद मिल रही है। अभी निगम की कई गाड़िया वार्डों से रोज कई टन कचरा इकट्ठा कर रही हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में सबका योगदान जरूरी सहायक नगर आयुक्त रशिम भारती ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा कि स्वच्छता अभियान में सहयोग करें, कूड़ा निस्तारण की किसी भी समस्या के लिए सीधे नगर निगम कार्यालय या वार्ड में सफाई नायक से शिकायत करें। पर्याप्त वाहन व्यवस्था स्वच्छ भारत मिशन के डीपीएम शेफ ने बताया कि नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए वाहन व्यवस्था पर्याप्त है। 75 ई-रिक्शा, 25 ट्रैक्टर ट्राली, 25 टूयिनविन डिपर तथा डंपर भी कूड़ा उठाने के लिए लगे हुए हैं। पहले झिझकते थे लोग घर-घर से कचरा संग्रहण की शुरुआत में लोग कचरा लेकर बाहर निकलने में झिझकते थे। समय के साथ कचरा फेंकने के लिए नागरिकों को निगम के वाहन कचरा डालना ज्यादा सुविधाजनक लगने लगा है।

छोटू दादा कौन हैं

स्वागत है दोस्तों आज हम जाने वाले हैं छोटू दादा कौन है. कहते हैं भले कद छोटी हो लेकिन इरादे बड़ी होनी चाहिए , सपने बड़ी होनी चाहिए, अपने काम से नाम इतना बड़ा करो कि लोग तुम्हें कद से नहीं अपने काम से पहचाने। दोस्तों आज हम एक ऐसे Youtuber के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसकी कॉमेडी की लहर घर-घर में बहती है । जी हां दोस्तों हम यह आर्टिकल में छोटू दादा जीवन परिचय के बारे में बात करने वाले हैं। यूट्यूब आज बहुत सारे लोगों को एक ऐसा प्लेटफार्म खड़ा करके दिया है जिसमें बहुत सारे लोग अपने हुनर और skill से घर बैठे पैसे कमा रहे हैं। कमाई के साथ-साथ बहुत सारे यूट्यूबर अपने टैलेंट को लोगों के साथ साझा कर रहे हैं। यूट्यूब बहुत सारे लोगों को अपना करियर बनाने का एक बेहतर प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है। इस प्लेटफार्म में हमारे छोटू दादा भी पहचाने जाते हैं। यह Article में हम क्या-क्या जानने वाले हैं। पहले तो छोटू दादा कौन हैं जानेंगे, उसके बाद उनकी जीवनी और यूट्यूब से कितना कमाते हैं. क्या सारी जानकारी के अलावा छोटू दादा सफलता की कहानी के बारे में जानने वाली है। Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • छोटू दादा कौन है? (Chotu Dada Biography in Hindi) छोटू दादा का वास्तविक नाम शफ़ीक़ नाटिया है,जे एक YouTuber, कॉमेडियन और अभिनेता है. जिनकी कॉमेडी वीडियो के सब दीवाने हैं. उनका जन्म 25 नवंबर 1991 को महाराष्ट्र में हुआ था. छोटू दादा अपने एक्टिंग कैरियर की शुरुआत 2006 से शुरू की। वह यूट्यूब में आने से पहले टेलीविजन में अपना डेब्यू किया था। छोटू दादा का जन्म छोटू दादा का जन्म 25 नवंबर 1991 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुआ था। छोटू दादा के घर में उनके माता-पिता के अलावा चार भाई और दो बहने है...

Swachh Survekshan The garbage man came took out the garbage from the house

कई टन कचरा इकटठा कर रही गाड़ियां नगर निगम द्वारा घर-घर जाकर कचरा उठाने की कोशिश को अच्छी सफलता मिल रही है। शहरवासी भी अब कचरा गाड़ी का इंतजार करने लगे हैं। नगर निगम द्वारा कई गाड़ियां खरीदी गई हैं। जैसे ही निगम की गाड़ी आती है लोग डस्टबिन लेकर घर के बाहर खड़े हो जाते हैं। इससे निगम प्रशासन को कम स्टाफ के बावजूद कचरा निपटान में काफी मदद मिल रही है। अभी निगम की कई गाड़िया वार्डों से रोज कई टन कचरा इकट्ठा कर रही हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण में सबका योगदान जरूरी सहायक नगर आयुक्त रशिम भारती ने शहरवासियों से अपील करते हुए कहा कि स्वच्छता अभियान में सहयोग करें, कूड़ा निस्तारण की किसी भी समस्या के लिए सीधे नगर निगम कार्यालय या वार्ड में सफाई नायक से शिकायत करें। पर्याप्त वाहन व्यवस्था स्वच्छ भारत मिशन के डीपीएम शेफ ने बताया कि नगर निगम द्वारा डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए वाहन व्यवस्था पर्याप्त है। 75 ई-रिक्शा, 25 ट्रैक्टर ट्राली, 25 टूयिनविन डिपर तथा डंपर भी कूड़ा उठाने के लिए लगे हुए हैं। पहले झिझकते थे लोग घर-घर से कचरा संग्रहण की शुरुआत में लोग कचरा लेकर बाहर निकलने में झिझकते थे। समय के साथ कचरा फेंकने के लिए नागरिकों को निगम के वाहन कचरा डालना ज्यादा सुविधाजनक लगने लगा है।

गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल

आप सभी यह लाइन आजकल रोज सुबह सुनते ही होंगे" गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल"। पर क्या सच में घरों से कचरा निकलता है? क्या कचरे वाला सही तरीके से अपनी ड्यूटी करता है? क्या सच में हमारा भारत स्वच्छ हो रहा है? आप सभी को पता है इसका जवाब पूरी तरह से 'नहीं' है। उसके बाद भी कोशिश जारी है। और कोशिश करनी भी होगी। जल्दी, सब कुछ नहीं मिलता। थोड़ा सब्र करना पड़ता है। थोड़ी नहीं बहुत कोशिश करनी पड़ती है। लोगों का यही सोचना है कि जागरूक करना अच्छी बात है, पर खुद जागरूक होना बहुत बड़ी बात है। अपने घर से कचरा निकाल दिया बाहर फेंक दिया और क्या यही स्वच्छता है। नहीं यह स्वच्छता नहीं है। यह साफ सफाई नहीं है। इधर का कचरा उठाया दूसरी जगह पर फेंक दिया। घर का कचरा निकाला बाहर फेंक दिया तो क्या हम भारत स्वच्छ कर रहें हैं? बात सोचने की है, कचरा बाहर फेंक तो दिया पर क्या हम घर के अंदर ही रहते हैं हमेशा, हमारे बच्चे और हम क्या घर से बाहर नहीं निकलते हैं? हम उसके सामने से ही रोज निकलते हैं, वह दूषित हवा हमारे अंदर नहीं जाती क्या? बीमारियां जो आती हैं वह बाहर के कचरे से ही आती है। थोड़ा और समझ कर देखिये घर में साफ सफाई है, घर में जाले नहीं है, बदबू नहीं है पर घर के बगल में, बालकनी के बाहर या घर के सामने कचरे का ढेर लगा है, नालियां सड़ रही हैं तो इसका नतीजा क्या होगा। नालियों की सफाई खुद के ख़र्चे पर कराओ तो भी तो अपनी हिस्से का गन्दा दूसरी जगह पर डाल दिया और नगर निगम में बोलो तो अब टाइम ओवर हो गया अगर सफाई करानी है तो एक हज़ार तक लगेगा, वरना अगली सुबह तक उठेगा। दिन भर वही दूषित हवा। अब जनता क्या करे? एक एक कर के जनता में सभी पीछे हट जाते हैं, नगर निगम का काम जनता खुद अपने ही कर लेती हैं पर मजबूरी मे...

गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल

संवाद सहयोगी, कायमगंज : स्वच्छता मिशन के तहत नगर क्षेत्र को ओडीएफ घोषित करने के साथ गीले-सूखे कूड़े को अलग-अलग संग्रह कर निस्तारण के लिए रिक्शे व मोटर चालित वाहनों की खरीद की गई। नए खरीदे गए कूड़ा संग्रह वाहन पर लगी साउंड मशीन में संगीतमय गाना 'गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल'भी बजता है। लेकिन इसका कोई प्रभाव नागरिकों पर नहीं पड़ रहा। गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत कायमगंज नगरपालिका ने शौचालय निर्माण का लक्ष्य पूरा करने के आधार पर नगर को ओडीएफ तो घोषित करा लिया, लेकिन अनेक घरों में अभी भी शौचालय नहीं हैं। गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग संग्रह कराने को घर-घर नीले व हरे रंग के कूड़ेदान वितरित किए गए। जिसमें लाखों का खर्च आया। इसके साथ ही नगरपालिका ने कूड़ा संग्रह के लिए लाखों रुपये खर्च कर 25 रिक्शा वाहन व दो मोटर चलित वाहन भी खरीदे, लेकिन इन वाहनों में गीला व सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित नहीं हो रहा। कूड़ा संग्रह करने वाले कई वाहन चालकों ने बताया कि लोग घरों में ही गीला व सूखा कूड़ा नहीं रखते हैं। इसलिए इसका अलग-अलग संग्रह भी नहीं होता। वहीं नगरपालिका के पास भी कोई ऐसा डं¨पग ग्राउंड है ही नहीं, जहां अलग-अलग कचरा एकत्रित किया जा सके। घरों में दिए गए कूड़ेदान पानी भरने की बाल्टियों के तौर पर प्रयोग किए जा रहे हैं।