छठ पूजा का इतिहास क्या है

  1. छठ पूजा क्यों मनाई जाती है छठ पूजा का इतिहास
  2. जानिए छठ पूजा का महत्व, इतिहास और छठ पूजा की विधि
  3. Chhath Puja kyu Manaya Jata Hai
  4. छठ पूजा 2023
  5. Chhath Puja का इतिहास
  6. छठ पूजा का इतिहास, अनुष्ठान और लाभ
  7. छठ पूजा क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? आइए छठ पूजा के इतिहास, रसम रिवाज (धार्मिक क्रिया) और महत्व को डिटेल्स में जानते है – Ranjeetians World®️
  8. छठ पूजा का है पौराणिक महत्व, जानें, इसका पूरा इतिहास
  9. छठ पर्व का क्या महत्व है?


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छठ पूजा क्यों मनाई जाती है छठ पूजा का इतिहास

भारत के बिहार, झारखंड,उत्तरी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कई इलाकों में छठ पूजा की जाती है | उत्तर भारत के राज्यों में ये परम्परा अभी पैर पसारने लगी है क्योंकि इन इलाकों से बहुत सारे लोग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली जैसी जगहों पर आकर बस गए हैं और वो अपने साथ अपने त्यौहार, खान पान भी लाए हैं | पर हम नार्थ इंडियन जब बिहार, झारखण्ड के लोगों को ये पूजा करते देखते हैं तो मन में बहुत सारे सवाल आते हैं के छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ? छठ पुजा क्या होती है ? छठ पुजा की कहानी क्या है ? कैसे करते हैं छठ पूजा इत्यादि | अगर आपके मन में भी ये सवाल आते हैं तो हम आपके सवालों के जवाब देने के लिए हैं | आईये जानते हैं छठ पूजा की कहानी, इसे करने की विधि ताकि आप भारत देश के एक अनोखे पर्व के बारे में और जान सके | • • • छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ? इस पूजा के दौरान सूर्य भगवान की पूजा की जाती है | इसके संबंध में बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं, कहा जाता है के भगवान राम ने भी ये पूजा की थी | पर सबसे ज्यादा प्रचलित है राजा प्रियंवद की कहानी | कहा जाता है के राजा प्रियवंद एक सम्पन्न राजा थे पर उनकी विरासत को संभालने के लिए कोई वारिस नहीं था | वो निसंतान थे, जिसका उन्हें बहुत दुःख था और उन्होंने ऐसा कोई कर्म कांड नहीं छोड़ा था जिससे उन्हें संतान की प्राप्ति हो | अत्यंत दुखी होकर वो महिषी कश्यप से इसके बारे में बात करते हैं | महर्षि कश्यप राजा की पीड़ा समझते हुए पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करते हैं | यज्ञ में पूजा के लिए एक खीर बनाई गयी जिससे उस यज्ञ में आहुति दी जानी थी | वो खीर राजा की पत्नी मालिनी को दी गयी और चमत्कार ये हुआ के यज्ञ के असर से और खीर के पर्षद से मालिनी ने एक बच्चे को जन्म दिया, जो पुत्...

जानिए छठ पूजा का महत्व, इतिहास और छठ पूजा की विधि

छठ पूजा का महत्व(Chhath Puja Ka Mahatva), भारत एक विशाल देश है जहां कई तरह से कई त्योहार मनाए जाते हैं। छठ त्योहार भारत के कई स्थानों पर मनाया जाता है, लेकिन भारत के राज्यों में से एक, छठ त्योहार का बिहार राज्य में कुछ खास स्थान है। वैसे तो बिहार में कई त्यौहार मनाए जाते हैं, लेकिन सबसे बड़ा और पवित्र छठपर्व है, जो बिहार की हमारी माताओं और भाइयों द्वारा पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से, पवित्र छठ की पूजा कैसे होती है जानेंगे। Chhath Puja Ka Mahatva– छठ पूजा का महत्व छठ पूजा का महत्व इस संपूर्ण छठ की पूजा विधि को करने के लिए शुद्ध मन और दृढ़ संकल्प परम आवश्यक है। क्योंकि यह जितना पवित्र और फलदायी है, उतना ही कठिन भी है। छ्ठ पूजा का महत्व शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को की गई, छठ की पूजा का संबंध मुख्यरूप से संतान की प्राप्ति और उसके दीर्घायु होने के लिए होता है। मतलब छ्ठ पूजा के दौरान सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान और उसकी लम्बी आयु का वरदान प्राप्त होता है। छठ पूजा का इतिहास किंवदंतिया • रामायण सूर्यवंशी भगवान श्री राम जब लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या लौटे, तो उन्होंने अपने कुलदेवता सूर्यदेव की उपासना के लिए, देवी सीता के साथ षष्ठी तिथि पर एक व्रत रखा। और उसी दिन शाम को सरयू नदी में, डूबते हुए सूर्य को अर्ध्य दिया। फिर सप्तमी तिथि की सुबह को भगवान श्री राम ने उगते सूर्य को अर्ध्य दे के अपना व्रत पूरा किया। उसके पश्चात आम जन मानस ने भी वैसे ही सूर्यदेव की आराधना करना आरम्भ कर दिया। मान्यता है कि उसी समय से छठ पूजा का आरम्भ हुआ। • महाभारत दूसरी मान्यता के अनुसार, महाभारत काल से ही छठ पर्व की शुरुआत हुयी थी। पहले, सूर्य पुत्र कर्ण ने...

Chhath Puja kyu Manaya Jata Hai

छठ पूजा (Chhath Pooja) का यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित है। खासतौर पर बिहार और पूर्वांचल के निवासी इस दिन को विशेष श्रद्धाभाव से मनाते हैं। छठ पर्व पर वे जहां भी होते हैं, सूर्य भगवान की पूजा (why chhath puja is celebrated in hindi) करना और उन्हें अर्घ्य देना नहीं भूलते हैं। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व बड़ा ही कठिन होता है और यह पूर्वांचल के अहम पर्वों में से एक माना जाता है। यहां पढ़ें Table of Contents • • • • • • • • Chhath Puja Kab Hai | छठ पूजा कब है 2022 में छठ पूजा (chhath puja 2022) का त्योहार 30 अक्टूबर से शुरू होगा। दरअसल, 29 अक्टूबर को खरना किया जाएगा और इसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को छठ के महापर्व (2022 छठ पूजा) का संध्याकालीन अर्घ्य है। बता दें कि छठ, 4 दिवसीय त्योहार होता है और छठ (chhath kab hai) की शुरुआत भाईदूज के तीन दिन बाद होती है। Chhath Puja kyu Manaya Jata Hai | क्यों मनाया जाता है छठ का पर्व कई लोगों के जहन में ये सवाल भी आता है कि छठ पर्व क्यों मनाया जाता है (chhath puja kyu manaya jata hai) तो हम आपको बता दें कि छठ पर्व मूलतः सूर्य की आराधना का पर्व है, जिसे हिन्दू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है। हिन्दू धर्म के देवताओं में सूर्य ऐसे देवता हैं, जिन्हें मूर्त रूप में देखा जा सकता है। छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। भारत में सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध यह पर्व मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण ‘छठ’ के नाम से जाना जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्...

छठ पूजा 2023

• इतिहास • घूमने के स्थान • कैसे पहुंचा जाये छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू वैदिक त्योहार है जो बिहार में प्रमुखता से मनाया जाता है। इस पर्व के दिन लोग पवित्र नदी गंगा के तट पर एकत्रित होकर सूर्य देव को अपनी कृतज्ञता अर्पित करते हैं। पवित्र जल में डुबकी लगाने के बाद, वे महत्वपूर्ण उत्सव अनुष्ठान करते हुए भगवान से प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा बिहार के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, जहां हजारों भक्त पवित्र पारंपरिक उत्सवों में भाग लेते हैं। चार दिनों की अवधि के लिए मनाया जाने वाला यह त्योहार बहुत ही मजेदार और उत्साह का समय होता है। लोगों को मस्ती करते हुए देखा जा सकता है क्योंकि भक्ति गीत बजाए जाते हैं, और लोक नृत्यों को समग्र उत्सव को रोशन करने के लिए किया जाता है। पुरुषों और महिलाओं को रंगीन पोशाक पहने देखा जा सकता है। कम ही लोग जानते हैं कि यह त्योहार व्रत रखने और बर्तन साफ ​​करने के लिए जाना जाता है। त्योहार की तारीखों में साल दर साल उतार-चढ़ाव होता रहता है। लेकिन आम तौर पर, यह दीवाली के त्योहार के ठीक बाद अक्टूबर और नवंबर के महीनों के बीच आता है। जबकि छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार का त्योहार है, यह उत्तर प्रदेश, झारखंड और यहां तक ​​कि नेपाल के कुछ क्षेत्रों जैसे कई अन्य भारतीय राज्यों में भी मनाया जाता है। यह जानना दिलचस्प है कि छठ पूजा का त्योहार मुख्य रूप से सूर्य देव और उनकी अर्धांगिनी उषा (दिन का पहला प्रकाश) और प्रत्युषा (दिन का अंतिम प्रकाश) को समर्पित है। यह मूल रूप से पृथ्वी को प्रकृति के कई जीवनदायी उपहारों के लिए धन्यवाद देने के लिए किया जाता है, जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन की संभावना हो सकती है। यह भी पढ़ें- छठ पूजा पर्व की रस्में और परंपराएं हालाँकि छठ पूजा का त्यौहा...

Chhath Puja का इतिहास

छठ कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्टी को मनाया जाता है। Chhath Puja हिंदुओं का एक मशहूर त्योहार है। सूर्यउपासना का ये पर्व से भारत के 5 से 6 राज्य में ज्यादा मनाया जाता है। अगर संछिप्त में कहा जाए तो छठ बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाले सबसे पॉपुलर त्योहार है। क्योंकि ये कुछ राज्यों के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसी कारण से Chhath Puja को इस राज्यों से बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। क्योंकि ये पर्व बहुत ही रस्मों-रिवाज़ से भरा हुआ है। Chhath Puja एक सांस्कृतिक से जुड़ हुआ पर्व है जो कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। आपको बता दे कि ये इतना ज्यादा प्रमुख त्योहारों से एक त्योहार है कि, छठ पर्व को सबसे उच्च दर्जे का पर्व माना जाता है। अब तो छठ पर्व बिहार की संस्कृति बन चुकी है। क्योंकि इस त्योहार मतलब छठ पूजा को बिहार में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। आज की इस लेख में Chhath Puja के बारे में जानने को मिलने वाला है। जैसे कि Chhath Puja क्या है, छठ पर्व क्यों मनाया जाता है, छठ पर्व कब और क्यों मनाया जाता है, छठ पूजा की शुरुवात कहाँ से हुई है। छठ पूजा 2022 कब है, Chhath Puja Hindi, छठ पूजा गीत, Chhath Puja Songs 2022 और छठ पूजा पर लेख के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगा। विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • Chhath Puja कब और क्यों मनाया जाता है? छठ पूजा में सूर्य देव और गंगा माता के साथ-साथ शुरू होती है और सूर्य के आराधना पर ही छठ पूजा समाप्त हो जाती है। छठ पूजा में बहुत सारे फल और नई-नई वस्त्र का उपयोग किया जाता है। छठी मैया की विधि विधान से किया जाने वाला त्योहार बहुत अहम है। झारखण्ड और बिहार समेत...

छठ पूजा का इतिहास, अनुष्ठान और लाभ

भारत का एक प्राचीन हिंदू त्योहार, छठ पूजा सर्दियों के मौसम की शुरुआत में कई भारतीय राज्यों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। वैदिक देवता, सूर्य (सूर्य) और उनकी पत्नी उषा (छठी मैया के रूप में संदर्भित) को समर्पित, यह महान भारतीय त्योहार उनके प्रति आभार व्यक्त करने के बारे में है। इस शुभ अवसर पर, लोग शक्ति, प्रकाश और ऊर्जा के सर्वोच्च स्रोत सूर्य को श्रद्धा अर्पित करते हैं। चार दिनों की अवधि में विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं और लोग बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में सख्त उपवास रखते हैं, पूरी दुनिया में एकमात्र त्योहार के रूप में पहचाने जाने के कारण जो उगते और डूबते सूरज को श्रद्धा देता है, ऐसी बहुत सी दिलचस्प चीजें हैं जिन्हें हमने आपके जानने के लिए एक साथ रखा है। इसके इतिहास, रीति-रिवाजों और फायदों के साथ, यहां भारत के प्रसिद्ध प्राचीन त्योहार छठ पूजा के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। एक हंस ले! त्योहार जो भलाई और समृद्धि को बढ़ावा देता है, छठ पूजा अपनी जड़ों को प्रारंभिक वैदिक काल में उस समय तक ले जाती है जब संतों ने खुद को सीधे सूर्य के प्रकाश में उजागर करके अनुष्ठान किया और खुद को भोजन करने से भी रोक दिया।

छठ पूजा क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है? आइए छठ पूजा के इतिहास, रसम रिवाज (धार्मिक क्रिया) और महत्व को डिटेल्स में जानते है – Ranjeetians World®️

Pm Modi’s Special Message on Chhath Pooja क्या है छठ पूजा? विश्व विख्यात हिंदुओं की छठ पूजा भगवान सूर्य देव और उनकी धर्मपत्नी उषा (जिन्हें छठ मैया के नाम से भी जाना जाता है) को समर्पित पवित्र त्योहार है, जो कि दिवाली के छठे दिन को ‘सझिया घाट’ और सातवें दिन ‘भिनहिया घाट’ के नाम से मनाया जाता है। भक्त 4 दिनों की अवधि में अनुष्ठान और प्रार्थना करते हैं। उपवास (Fasting) इस पवित्र पर्व का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और जो लोग इस दिन उपवास करते हैं उन्हें ‘व्रती’ (Vrati) कहा जाता है। छठ पूजा का इतिहास • ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा प्रारंभिक वैदिक काल से की जाती रही है और इस युग के ऋषि उपवास रखने के बाद सूर्य की किरणों से ऊर्जा और जीवन शक्ति प्राप्त करने के लिए खुद को सीधे सूर्य के प्रकाश में उजागर करके प्रार्थना करते थे। यह अनुष्ठान अभी भी उत्तर भारतीय राज्यों में विभिन्न लोगों द्वारा किया जाता है। • यह भी माना जाता है कि भगवान राम छठ पूजा की शुरुआत से जुड़े हैं। रामायण से जोड़ते हुए कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने और उनकी पत्नी सीता ने सूर्य देव के सम्मान में व्रत रखा और डूबते सूर्य के साथ ही इसे तोड़ा। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जिसे बाद में छठ पूजा में विकसित किया गया। Happy Chhath Pooja 2021 in Advance to one & all. छठ पूजा का महत्व यह त्योहार उन कुछ हिंदू उत्सवों में से एक है जहां कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। यह पूरी तरह से सूर्य भगवान सूर्य और उनकी पत्नी उषा माता की पूजा के लिए समर्पित है। छठ पूजा के दौरान, भक्त प्रकाश के देवता की पूजा करते हैं, क्योंकि उन्हें जीवन शक्ति माना जाता है जो ब्रह्मांड को बांधती है और सभी जीवित चीजों को ऊर्जा देती है। भक्तों का मा...

छठ पूजा का है पौराणिक महत्व, जानें, इसका पूरा इतिहास

छठ पूजा का है पौराणिक महत्व, जानें, इसका पूरा इतिहास यूं तो छठ पूजा के पर्व की धूम देशभर में रहती है, लेकिन बिहार में इस पर्व को बड़े उल्लास और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. बिहार में छठ पूजा पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. अब आप लोगों के मन में सवाल आता होगा कि छठ माता की कहानी क्या है आखिर में छठ पूजा क्यों मनाई जाती है कैसे बनाई जाती है छठ पूजा का इतिहास छठ, पूजा की संपूर्ण कथा इन सब के बारे में अगर आप नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं है तो चलिए जानते हैं बिहार में छठ पूजा मनाने की अनूठी परंपरा कब और कैसे शुरू हुई.

छठ पर्व का क्या महत्व है?

जल-लहरियों में आस्था और विश्वास के रंगों में सजी, श्रंगार-विन्यास में दिव्य, व्रतधारी स्त्रियां, दूर पहाड़ों पर नीम-कुहासे को पछाड़ कर आसमान की पहली सीढ़ी चढ़ आये सूरज की ओर मुंह किये हुए छठ के पारंपरिक गीत गाती हुई स्त्रियों को पिछले साल मैने भी देखा। यही अनुभूति हुई मुझे कि जो भी आस्था के गीत व भजन ये स्त्रियां गा रही हैं, संभवतः सूर्य भगवान के आचार-व्यवहार से इन्होंने यही सीखा होगा कि अंधकार अस्थाई है। निश्चित ही अंधकार के बाद प्रकाश का अवतरण होगा।सूर्य डूबेगा ज़रूर लेकिन पुनः: दैदीप्यमान होगा नयी उम्मीद और नयी आशा की किरण लेकर। एक विहंगम दृश्य, भोर की पौ फटती है और पीत स्वर्ण हो जाती है संपूर्ण प्रकृति अर्थात नदी, पोखर,सरोवर ,तालाब के तटों पर बदलते मौसम की शीत बयार से विरत असंख्य श्रद्धालु सूर्य भगवान के दर्शन हेतु आतुर हैं। जहां महिलायें सर्द-सुबह की परवाह किये बिना, मांग से नाक तक लंबा सिंदूर काढ़े संपूर्ण श्रंगार ओढ-पहनकर पानी में अर्ध - रूप से भीगते हुए, खड़े होकर, प्रकृति जनित फल एवं सब्जियां तथा पारंपरिक मिठाईयां ठेकुआ व खाजा को बांस के सुप्पे या टोकरी में भरकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। छठ पर्व दीपावली के बाद मनाया जाने वाला प्रकृति पूजा,आस्था और पर्यावरण का पर्व है।यह पर्व नदियों व जलाश्य के तटों व किनारे पर बड़े हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है।छठ पूजा में किसी देवी-देवता की मूर्तियां या मंदिर की पूजा नहीं की जाती बल्कि धरती और जल की पूजा के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर उनके समक्ष समस्त मानव जाति के स्वास्थ्य की कामना वह उन्हें अन्न,जल,ऊष्मा देने के लिए कृतज्ञता प्रकट की जाती है।छठ पर्व के दौरान प्रयुक्त होने वाली केवल प्रकृति जनित खाद्य वस्तुओं को ही...