छठ पूजा में क्या-क्या लगता है

  1. Chhath Puja Samagri List जानें छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री यहां देखें पूरी लिस्ट
  2. Health Benefits Of Chhath Puja Samagri Chhath Puja 2022
  3. छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है? – Expert
  4. छठ पूजा
  5. Chhath Pooja Importance and connection with lord shri Rama
  6. छठ पूजा :क्या करें और क्या न करें
  7. छठ पूजा क्या है ? छठ पूजा का इतिहास ? छठ पूजा का महत्व क्या है !!
  8. छठ पूजा 2022


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Chhath Puja Samagri List जानें छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री यहां देखें पूरी लिस्ट

Chhath Puja Samagri List: सूर्य देव की उपासना का महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ 18 नवंबर दिन बुधवार से होचुका है। छठ पूजा का प्रारंभ कल नहाय-खाय से हुआ। बिहार समेत देश के कई हिस्सों में छठ पूजा के लिए तैयारियां चल रही हैं। हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए लोगों को सतर्कता भी बरतने की जरूरत है। आप या आपके कोई सगे-संबंधी इस बार छठ पूजा का व्रत रखने वाले हैं, तो आपके लिए यह जानना जरूरी है कि छठ पूजा में ​क्या-क्या सामग्री लगती है। इसके लिए आपको छठ पूजा की सामग्रियों की खरीदारी आज ही कर लेनी चाहिए। आइए जानते हैं कि छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियां क्या हैं? 3. बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां। इसमें छठ पूजा का प्रसाद रखा जाता है। 4. दूध तथा जल रखने के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली खरीद लें। 5. पूजा में प्रयोग के लिए 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों। 6. हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा। 7. पानी वाला हरा नारियल। 8. शरीफा, केला, नाशपाती और बड़ा वाला मीठा नींबू (डाभ)। 9. दीपक, चावल, सिंदूर और धूप। 10. पान और साबुत सुपारी। 11. शकरकंदी तथा सुथनी। 12. मिठाई। 13. शहद। 14. चंदन, अगरबत्ती या धूप, कुमकुम तथा कपूर। 15. गेहूं और चावल का आटा तथा गुड़। खरना वाले दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। छठ पूजा के लिए प्रसाद में ठेकुआ जरूर बनाया जाता है। यह गेहूं के आटे, गुड़ या चीनी मिलाकर तैयार किया जाता है। इसके अलावा चावल के आटे से कसार भी बनाया जाता है। एक तरह से यह चावल के आटे से बना लड्डू होता है। Chhath Puja Nahay Khay Time: चतुर्थी तिथि पर इस तरह करें नहाय-खाय, जानें तिथि और पूजा विधि सूर्य देव को अर्घ्य देने तथा छठ मैया की पूजा के लिए डाल सजाया जाता है। बांस के बड़े टोकरे में पूजा की सामग्री, प...

Health Benefits Of Chhath Puja Samagri Chhath Puja 2022

Chhath Parv 2022: बिहार और उसके आसपास के इलाकों में छठ का पर्व (Chhath Parv) बड़े ही हर्ष के साथ मनाया जाता है. व्रती महिलाएं महीनों पहले से ही छठ की तैयारियों में लग जाती है. पूरे 4 दिन तक चलने वाले इस महापर्व में ऐसी कई चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो आपकी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं. छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती है. इसमें गन्ने का रस, सिंघाड़ा और नारियल जैसे सुपरफूड का इस्तेमाल किया जाता है. जानते हैं छठ पूजन सामग्री (Chhath Poojan Samagri) में इस्तेमाल होने वाली चीजें आपके स्वास्थ्य को कैसे अच्छा बनाती हैं. छठ पूजा सामग्री के फायदे 1- ईख (Sugarcane)- छठ पूजा ईख यानि गन्ने का इस्तेमाल किया जाता है. जिसे अंगोला कहते हैं. इसके अलावा गन्ने के रस की खीर बनाई जाती है. गन्ना सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है. गन्ने का रस शरीर को एनर्जी देता है इससे स्किन ग्लो करती है और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है. गन्ने का रस लिवर और किडनी का फंक्शन को बेहतर बनाता है. 2- डाभ नींबू (Grapefruit)- छठ पूजा में डाभ नींबू का भी इस्तेमाल किया जाता है. ये बहुत फायदेमंद होता है. डाभ नींबू का जूस पीने से आप दिनभर ऊर्जावान रहते हैं. इससे विटामिन सी मिलता है जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है. ये एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है जो सीजनल इंफेक्शन और बीमारियों से बचाता है. इसे पेट और पाचन के लिए बहुत अच्छा माना जाता है. 3- नारियल (Coconut)- नारियल भी छठ पूजा सामग्री का हिस्सा है. आप किसी भी रूप में नारियल का इस्तेमाल कर सकते हैं. कोकोनट वॉटर, कच्चा नारियल, नारियल का तेल और सूखा नारियल आपको हेल्दी और हाइड्रेटेड रखता है. रोजाना 1 टुकड़ा नारियल खाने...

छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • छठ पूजा में क्या क्या सामान लगता है? दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा या कलश और थाली. पांच गन्ने जिसमें पत्ते लगे हों, पानी वाला नारियल, अक्षत, पीला सिंदूर, दीपक, घी, बाती, कुमकुम, चंदन, धूपबत्ती, कपूर, दीपक, अगरबत्ती, माचिस, फूल, हरे पान के पत्ते, साबुत सुपाड़ी, शहद का भी इंतजाम कर लें. छठ पूजा में कौन कौन सा फल चढ़ता है? Chhath Pooja 2021: जानिए छठी मैय्या को प्रिय हैं कौन से 6 फल? डाले में जरूर रखें • डाभ नींबू या अतर्रा नींबू डाभ नींबू या अतर्रा नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है। • केला केला केला भगवान विष्णु का भी प्रिय फल है। • नारियल छठ के त्योहार में नारियल चढ़ाने का विशेष महत्व है। • गन्ना • सुथनी • सिंघाड़ा छठ व्रत की पूजा कैसे की जाती है? छठ व्रत की पूजा विधि • छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ-सफाई की जाती है। • पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है। • पंचमी को उपवास करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा में कितना फल लगता है? छठ पर्व में इन 7 फलों के बिना अधूरी है पूजा, जानें महत्व चार दिनों तक चलने वाले छठ की आज से शुरुआत हो चुकी है। यह पर्व पहले दिन नहाय खाय की पंरपरा के साथ शुरू होता है। व्रती इस दिन सात्विक भोजन को खाकर व्रत की शुरुआत करते हैं। READ: 2021 का मोहर्रम कितने तारीख को पड़ रहा है? छठ पूजा में कितने फल लगते हैं? व्रती इस दिन सात्विक भोजन को खाकर व्रत की शुरुआत करते हैं। छठ मैय्या को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी प्रिय वस्तुएं खरीदते हैं और पूजा के लिए इकट्ठा करते हैं। छठ माता का पति...

छठ पूजा

छठ पूजा छठ पूजा आधिकारिक नाम छठ पूजा अन्य नाम छइठ, छठ व्रत, छठ, छठी म‌इया की पूजा, रनबे माय पूजा, छठ पर्व, डाला छठ, सूर्य षष्ठी अनुयायी प्रकार उद्देश्य सर्वकामना पूर्ति अनुष्ठान सूर्योपासना, निर्जला व्रत तिथि समान पर्व ललही छठ,चैती छठ,बैसक्खा छठ,अगहनिया छठ छठ पर्व, छइठ या षष्‍ठी पूजा बिहार मे हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को छठी मैया, जिसे त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं क्योंकि छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। छठ महापर्व के व्रत को स्त्री - पुरुष - बुढ़े - जवान सभी लोग करते हैं। पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ अनुक्रम • 1 शुरुआत • 2 नामकरण • 3 लोक आस्था का पर्व • 4 छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं? • 5 उत्सव का स्वरूप • 5.1 नहाय खाय • 5.2 खरना और लोहंडा • 5.3 संध्या अर्घ्य • 5.4 उषा अर्घ्य • 6 व्रत • 7 सूर्य पूजा का संदर्भ • 8 सूर्योपासना की परम्परा • 8.1 देवता के रूप में • 8.2 मानवीय रूप की कल्पना • 8.3 आरोग्य देवता के रूप में • 9 पौराणिक और लोक कथाएँ • 9.1 रामायण से • 9.2 महाभारत से • 9.3 पुराणों से • 10 सामाजिक/सांस्कृतिक महत्त्व • 11 छठ गीत • 12 छठ शुभकामना सन्देश • 13 तिथि • 14 छठ पूजा और बिहारवासियों की पहचान • 15 यह भी देखें • 16 सन्दर्भ • 17 बाहरी कड़ियाँ शुरुआत ऐतिहासिक रूप से, मुंगेर एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर...

Chhath Pooja Importance and connection with lord shri Rama

Chhath Pooja Importance: दिवाली के तुरंत बाद होने वाले छठ पूजा पर्व का खास महत्व है. कार्तिक माह की षष्ठी यानी दीपोत्सव से ठीक छठे दिन मनाए जाने वाले इस पर्व में लोग डूबते और फिर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस बार यह पर्व 30 अक्टूबर (रविवार) को पड़ेगा. मान्यता के अनुसार यह पर्व चतुर्थी से प्रारंभ होकर सप्तमी की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होता है. कहा जाता है कि इस पर्व पर विधि विधान से पूजा करने से भक्तों के सभी दुख दर्द और कष्ट दूर होते हैं. उनके मान सम्मान और धन वैभव में वृद्धि होती है. लोक मान्यताओं में छठ पूजा को लेकर अनेक पौराणिक और लोक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की. श्री राम और सीता ने व्रत रखने के बाद सप्तमी को सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्ध्य देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया था. वहीं, एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व पर अर्घ्य देने की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सबसे पहले सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव को जल का अर्घ्य देकर यह परंपरा शुरू की थी. आज भी छठ में अर्घ्य की यही पद्धति प्रचलित है. कुछ कथाओं में पांडवों की पत्नी द्रौपदी की ओर से भी सूर्य की पूजा करने का उल्लेख है. वह अपने परिजनों के उत्तम स्वास्थ्य की कामना और लंबी उम्र के लिए सूर्य की पूजा करती थीं. ये भी है एक मान्यता एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, राजा प्रियवद के कोई संतान नहीं थी. महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनाई गई खीर दी. उन्हें पुत्र तो हुआ, लेकिन वह जीवित नहीं रहा. प्रियवद पुत्र ...

छठ पूजा :क्या करें और क्या न करें

छठ पूजा का त्योहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 3 दिन तक मनाएं जाने वाला त्योहार है। छठ पूजा पूर्वांचल व बिहार, झारखंड में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह पूजा नहाए खाए के साथ शुरू होती है और 3 दिनों तक चलती है। पूजा के लिए बुधवार सुबह से देर रात तक घर और घाटों पर तैयारियां होती रहीं।

छठ पूजा क्या है ? छठ पूजा का इतिहास ? छठ पूजा का महत्व क्या है !!

सूची • • • • • छठ पूजा क्या है !! छठ पूजा एक हिन्दुओं का पर्व है जो दिवाली के कुछ दिन बाद आता है, इसे छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाने की प्रथा है. इस पर्व के अनुसार इसमें माँ छठी और सूर्य देव की उपासना की जाती है. ये पर्व बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ तराई स्थानों में मनाया जाता है. हिन्दुओं के अलावा इन्हे कुछ इस्लामी और अन्यधर्म के लोग भी मनाते देखे गए हैं. इसे लेके सभी लोगों की अपनी अपनी अलग अलग धारणा है इसे लेके लोगों के कई तथ्य हैं कोई इसे रामायण से जोड़ता है तो कोई इसे महाभारत से तो कोई इसके इतिहास को लेके कोई और कहानी की विषय में बताता है. जैसा की हमने बताया की इसे लेके कई प्रकार के इतिहास हैं तो आज हम आपको इसपूजा से जुड़े सारे इतिहास बताएंगे. छठ पूजा का इतिहास / कहानी !! छठ पूजा को लेके कई ऐतिहासिक कहानियां है तो आज हम आपको सारी कहानियां एक के बाद एक बताएंगे। # छठ पूजा की शुरुआत राजा प्रियंवद के जमाने में हुई जब राजा प्रियंवद के कोई संतान न होने के कारण उन्होंने और उनकी पत्नी ने एक यज्ञ किया जिसे खुद महर्षि कश्यप ने करवाया जिसके बाद महर्षि कश्यप ने पुत्र की प्राप्ति के लिए आहुति के लिए बनाई गई खीर को राजा की पत्नी को दी. जिससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन दुर्भाग्यवश वो पुत्र मरा हुआ पैदा हुआ. जब राजा अपने मरे हुए पुत्र को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान ले गए तो वहां रो रो के खुद के प्राण त्यागने लगे तभी वहां भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने राजा को रोका और कहा की यदि तुम मेरी पूजा करो और लोगों को मेरी पूजा करने की सलाह दो तो तुम पुत्र की प्राप्ति अवश्य होगी तब राजा ने उनकी पूजा आरम्भ की राजा ...

छठ पूजा 2022

भारत कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ अपनी संस्कृति व मर्यादाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। इस देश में विभिन्न रंग, रूप, धर्म, परंपराओं, रीति-रिवाजों को मान्यता दी गई है और यहाँ का हर त्योहार विशेष रूप से हमारी संस्कृति से बंधा हुआ है। भारत के कई त्योहारों में छठ पूजा भी एक मुख्य त्योहार है जिसे लोग विधि-विधान व नियमों के साथ मनाते हैं। छठ पूजा किसी भी धर्म के आधार पर नहीं की जाती है और यह सनातन धर्म का एक विशेष उदाहरण है। यह जन कल्याण के लिए एक प्राकृतिक अभ्यास है जिसमें लोग ईश्वर से प्रार्थना करते हैं और व्रत करते हैं। छठ पूजा वास्तव में क्या है? इसे कैसे किया जाता है और इसका महत्व क्या है? यह सब जानने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें। छठ पूजा कब होती है? 4 दिनों का यह त्योहार भारत में विशेषकर बिहार और झारखंड राज्यों में एक नया उत्साह लेकर आता है। इस दिन लोग सूर्य देव की स्तुति करते हैं और साथ ही मीठे व सात्विक पकवान भी पकाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा एक ऐसा त्योहार है जिसका वर्णन वेदों में भी किया गया है और यह एक सबसे पुरानी प्रथा है। यह पूजा कार्तिक महीने की षष्ठी के दिन होती है जिसे षष्ठी पूजा या सूर्य पूजा भी कहा जाता है। यह त्योहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होता है और सप्तमी को इसका समापन किया जाता है। परंतु इस त्योहार में षष्ठी यानी छठी के दिन छठी मैया की पूजा करते हैं जो सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस साल 2022 में छठ पूजा 28 से 31 अक्टूबर तक है। नहाय-खाय – 28 अक्टूबर, लोहंडा और खरना – 29 अक्टूबर, संध्या अर्घ्य – 30 अक्टूबर तथा उषा अर्घ्य व पारण – 31 अक्टूबर को है। छठ पूजा कैसे की जाती है? इस दिन लोग छठ पूजा छठी मैया को प्रसन्न करने के ...