छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध 5 तीर्थ स्थलों के नाम और उनके बारे में

  1. भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ
  2. छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के नाम
  3. छत्तीसगढ़ की सपूर्ण जानकारी
  4. छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों के नाम और उनसे जुड़ी पूरी जानकारी
  5. छत्तीसगढ़
  6. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध 5 तीर्थ स्थलों के नाम
  7. छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल


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भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ

अनुक्रम • 1 तीर्थ की परिभाषा • 2 स्कंद्पुराण में तीर्थ • 3 भारतीय क्षेत्रवार तीर्थों की सूची और उनका विवरण • 3.1 चार धाम • 3.2 छोटा चार धाम • 4 उत्तराखंड के तीर्थ • 5 उत्तर भारत के तीर्थ • 6 पूर्वी भारत के तीर्थ • 7 दक्षिण भारत के तीर्थ • 7.1 द्राक्षारामम • 8 दक्षिण-मध्य भारत के तीर्थ • 9 पश्चिम भारत/ उत्तर-मध्य भारत के तीर्थ • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरीकड़ियाँ तीर्थ की परिभाषा [ ] यों तो तीर्थ की परिभाषाएँ अनेक हैं, पर शायद सबसे संक्षिप्त है- तीर्थी कुर्वन्ति तीर्थानि (जो स्थान मन-प्राण-शरीर को निर्मल कर दे, वही तीर्थ है। )" तीन प्रकारों के तीर्थ भारतीय मनीषा में उल्लिखित हैं- नित्य तीर्थ, भगवदीय तीर्थ और संत तीर्थ| स्कंद्पुराण में तीर्थ [ ] भारतीय क्षेत्रवार तीर्थों की सूची और उनका विवरण [ ] यद्यपि स्थानाभाव और जानकारी के अभाव में भारत के सब तीर्थ स्थलों का विवरण दिया जा सकना असम्भव है, यहां भारत के प्रमुख तीर्थस्थलो की सूची दी गई है, जिनमे से कई तीर्थस्थल किसी एक ही देवी या देवता को समर्पित होते है। चार धाम [ ] मुख्य लेख: छोटा चारधाम या चारधाम, इस परिपथ के चार धाम हैं: • • • • उत्तराखंड के तीर्थ [ ] • • • • • • • • • • • • • • • • उत्तर भारत के तीर्थ [ ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पूर्वी भारत के तीर्थ [ ] • • • • • • • • • • • • • • • दक्षिण भारत के तीर्थ [ ] • • • • • • • द्राक्षारामम [ ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • दक्षिण-मध्य भारत के तीर्थ [ ] • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पश्चिम भारत/ उत्तर-मध्य भारत के तीर्थ [ ]...

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों के नाम

Chhattisgarh ke paryatan sthal: छत्तीसगढ़ हमारे देश का एक सुंदर राज्य है जो मध्य प्रदेश से अलग होकर बना है , जो प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर है साथ ही घने जंगलों वाला राज्य है, चारों ओर से ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल की बात करें तो छत्तीसगढ़ में पर्यटन स्थलों की कमी नही है यहाँ ऐतिहासिक इमारतें, वन्य जीव, खूबसूरत झरने इत्यादि देखने को मिलेंगे। विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • • • छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल की जानकारी पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ राज्य के लगभग 100+ छोटे बड़े स्थानों को छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है। उनमे से कुछ पर्यटन स्थल के बारे में जानेंगे। अगर आप भी छत्तीसगढ़ घूमने की योजना बना रहे हैं तो हमने नीचे जितने भी Chhattisgarh ke paryatan sthal के बारे में बताया है वहाँ जाना न भूले भोरमदेव मंदिर भोरमदेव मंदिर, कबीरधाम जिले के चौरागाँव में स्थित है। इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है और इसकी तुलना उड़ीसा के सूर्य मंदिर से भी की जाती है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। इस मंदिर को 1089 ई. में फणी नागवंशी शासक गोपाल देव ने बनवाया था। इस मंदिर के गर्भगृह में मुख्य रूप से शिवलिंग की मूर्तियाँ हैं, इसके अलावा भगवान विष्णु के अवतार और काल भैरव, अष्टभुजी गणेश की नृत्य करते हुए मूर्तियाँ हैं। भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ चित्रकोट वॉटरफॉल छत्तीसगढ़ का यह खूबसूरत जलप्रपात बस्तर जिले के जगदलपुर शहर से 38 किमी दूर इंद्रावती नदी पर स्थित है, जिसकी चौड़ाई 985 फीट और 95 फीट है, यह जलप्रपात घोड़े के नाल के आकार का है इस कारण इसे भारत का नियाग्रा के रूप में जाना जाता है। यह मानसून के...

छत्तीसगढ़ की सपूर्ण जानकारी

छत्तीसगढ़ की सपूर्ण जानकारी – Information about Chhattisgarh in Hindi छत्तीसगढ़ (State of India) भारत का 26 वां राज्य है। वनों से अच्छादित, दूर दूर तक फैले धान के खेत इस राज्य की समृद्धता का घोतक है। घान की खूब पैदावार होने के कारण छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। वैसे तो इस प्रदेश का गठन सन 2000 ईस्वी में हुआ। लेकिन छत्तीसगढ़ का इतिहास पौराणिक माना जाता है। पौराणिक समय में यह प्रदेश ऋषियों और मुनियों की तपस्थली रही है। कहा जाता है की यह प्रदेश प्राचीन ऋषि अत्री, अगस्त, शृंगी आदि का तपोस्थल रहा है। छत्तीसगढ़ को प्राचीन काल में ‘दक्षिण कौशल’ प्रदेश के नाम से जाना जाता था। इस लेख में छत्तीसगढ़ का इतिहास, यहाँ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की विशेषताएं, रहन सहन, वेशभूषा, chhattisgarh general knowledge in hindi और राज्यों के गठन का सम्पूर्ण वर्णन दिया गया है। छत्तीसगढ़ की सपूर्ण जानकारी – INFORMATION ABOUT CHHATTISGARH IN HINDI छतीसगढ़ के बारे में जानकारी – Brief Information about Chhattisgarh in Hindi राज्य का नाम छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh ) छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर राज्य की स्थापना दिवस 01 नबम्बर 2000 छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल 135,100 वर्ग किमी. छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु(State Animal) जंगली भैसा छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी(State Bird) पहाड़ी मैना छत्तीसगढ़ की राजकीय फूल(State flower) पलास छत्तीसगढ़ की राजकीय वृक्ष(State Tree) साल छत्तीसगढ़ का राजकीय फल (state fruit ) कटहल छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत योगी छत्तीसगढ़ में कुल जिले की संख्या 28 राज्य में लोकसभा की कुल सीटें 11 राज्य में राज्‍यसभा की कुल सीटें 05 विधानसभा की कुल सीटें...

छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों के नाम और उनसे जुड़ी पूरी जानकारी

उत्कृष्ट नक्काशीदार मंदिरों, प्राचीन स्मारकों, पहाड़ी पठारों, बौद्ध स्थलों, दुर्लभ वन्यजीवों, जलप्रपातों, महलों, शैल चित्रों और गुफाओं से युक्त होने के बावजूद, इनमें से कुछ दर्शनीय स्थल अभी भी प्राचीन और अछूते हैं। ये आगंतुकों को एक विशिष्ट और वैकल्पिक अनुभव प्रदान करते हैं, जो छत्तीसगढ़ की पारिस्थितिक और संस्कृति की पहचान का अनुभव कराते हैं। छत्तीसगढ़ में प्राचीन मंदिर ही न केवल एक तीर्थस्थल भी हैं बल्कि एक योग्य पर्यटक आकर्षण भी रहा है। छत्तीसगढ़ में बहुत से उत्कृष्ट नक्काशीदार मंदिर हैं जो हजारों साल पुराने हैं। इन मंदिरों के दर्शन के लिए लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं। मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर ( Maa Bamleshwari Devi) मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर डोंगरगढ़ में स्थित है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में स्थित यह मंदिर 1600 फीट की पहाड़ी पर स्थित है। मुख्य रूप से बड़ी बम्बलेश्वरी मंदिर के रूप में जाना जाता है, यह छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक बार आने वाले मंदिरों में से एक है। मुख्य मंदिर में एक और मंदिर है जो जमीनी स्तर पर स्थित है जिसे छोटी बम्बलेश्वरी के नाम से जाना जाता है। छोटी बम्बलेश्वरी माँ बम्लेश्वरी देवी मंदिर के मुख्य परिसर से लगभग 1.5 किमी की दूरी पर स्थित है। इन दोनों मंदिरों में हर साल लाखों लोग आते हैं जो रामनवमी और दशहरा के दौरान बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं। नवरात्रि में यहां ज्योति कलश जलाया जाता है। खासकर नवरात्रि में यहाँ लोगों की काफी भीड़ होती है। मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर( Maa Bamleshwari Devi) महामाया मंदिर( Mahamaya Temple) महामाया मंदिर 12वीं शताब्दी से अस्तित्व में है। दोहरी देवी सरस्वती और लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर वास्तुकला की नागर शैली का है। बिलास...

छत्तीसगढ़

गान: " ( अरपा और पैरी की धाराएँ)) भारत में छत्तीसगढ़ का स्थान निर्देशांक(छत्तीसगढ़): 21°15′N 81°36′E / 21.25°N 81.60°E / 21.25; 81.60 देश गठन 1 नवंबर 2000 राजधानी सबसे बड़े शहर 33 जिले ( शासन •सभा • [[Bishwa Bhushan Harichandra ]] • • • • • • क्षेत्रफल •कुल 135192किमी 2 (52,198वर्गमील) क्षेत्रदर्जा जनसंख्या (2020) •कुल 2,94,36,231 •दर्जा •घनत्व 220किमी 2 (560वर्गमील) भाषा •राजभाषा •क्षेत्रीय 0.613 ( medium) HDI rank 77.3% (2017) वेबसाइट .gov .in छत्तीसगढ़ वां राज्य है। पहले यह अनुक्रम • 1 नामोत्पत्ति • 2 इतिहास • 3 भूगोल • 3.1 छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण • 4 जिले • 5 कला एवं संस्कृति • 5.1 साहित्य • 5.2 लोकगीत और लोकनृत्य • 6 खेल • 6.1 फुगड़ी • 6.2 लंगड़ी • 6.3 खुडुवा (कबड्डी) • 6.4 डांडी पौहा • 7 जातियां • 8 पर्यटन स्‍थल • 9 बाहरी कड़ियाँ • 10 इन्हें भी देखें • 11 टीका टिप्पणी • 12 सन्दर्भ नामोत्पत्ति [ ] "छत्तीसगढ़" एक प्राचीन नाम नहीं है, इस नाम का प्रचलन १८ सदी के दौरान मराठा काल में शुरू हुआ। प्राचीन काल में छत्तीसगढ़ "दक्षिण कोशल" के नाम से जाना जाता था। सभी ऐतिहासिक शिलालेख, साहित्यिक और विदेशी यात्रियों के लेखों में, इस क्षेत्र को दक्षिण कोशल कहा गया है। आधिकारिक दस्तावेज में "छत्तीसगढ़" का प्रथम प्रयोग १७९५ में हुआ था। छत्तीसगढ़ शब्द की व्युत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों में कोई एक मत नहीं है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि कलचुरी काल में छत्तीसगढ़ आधिकारिक रूप से ३६ गढ़ो में बंटा था, यह गढ़ एक आधिकारिक इकाई थे, नकि किले या दुर्ग । इन्ही "३६ गढ़ो " के आधार पर छत्तीसगढ़ नाम कि व्युत्पत्ति हुई। (१ गढ़ = ७ बरहो = ८४ ग्राम) इतिहास [ ] मुख्य लेख: छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल के दक...

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध 5 तीर्थ स्थलों के नाम

Table of Contents Show • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • रायपुर छत्तीसगढ़ की नव गठित राजधानी है| रायपुर ऐतिहासिक महत्व का स्थान है | यहां पर पांचवी सदी में पांडुवंश ने अपनी प्रभुत्व स्थापित किया था | यहाँ पर अनेक धार्मिक एवं पौराणिक स्थल है जिसमे महत्वपूर्ण दुधाधारी मठ ,शीतला माता मंदिर ,महामाया मंदिर ,बुढ़ेश्वर महादेव मंदिर तालाब किनारे भगवान राम का प्राचीन राम मंदिर स्थित है साथ ही बंजारी धाम ,महादेव घाट आदि प्रमुख है | सिरपुर - लक्ष्मण मन्दिर एवम पुरावशेष पुरातात्विक धार्मिक ऐतिहासिक स्थल है| सिरपुर कें पाण्डुवष की राजधानी थी प्राचीन नाम चित्रागदपुर था| महानदी के तट पर स्थित यह छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम नगरी व राजधानी थी लक्ष्मण मंदिर कानिर्माण महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में उनकी माता वासाटा देवी द्वारा 7 वी सदी मे लाल ईटो द्वारा प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर का निर्माण करवाया औरयह मंदिर नागर शैली प्रयुक्त हुई है जिसमे देवी देवता पशु का कलात्मक चित्रण हुआ है| इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु कि प्रतिमा है। Gandeshwar Mahadev Sirpur खल्लारी - नारायण मंदिर व खल्लारी माता मंदिर खल्लारी का प्राचीन नाम खल्लवाटिका थी | रायपुर के कलचुरी शासन ब्रमदेव के कार्य काल में देवपाल नामक एक मोची ने अपनी जीवन भर की कमाई से नायब नारायण मंदिर का निर्माण करवाया था | पहाड़ी के निचे बड़ी खल्लारी माता व पहाड़ के ऊपर छोटी खल्लारी माता विराजमान है | यहाँ पर भीम के पद चिन्न व भीम चूल डोंगा पत्थर व किद्वंती के अनुसार महाभारत कालीन लक्षागृह की घटना यही पर घटित हुई थी तुरतुरिया महर्षिवाल्मिकी आश्रम- व लव कुश जन्म स्थली माता सीता का दुसरी वनवास स्थल व लव कुश की जन्म स्थली ,माना गया है | यह...

छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल

सूची • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • बलौदाबाजार जिले में सिमगा के निकट यह कबीरपंथियों का तीर्थ है. यहाँ कबीर मठ की स्थापना कबीरपंथ के बारहवें वंश गुरू उग्रनाम साहब ने की थी. कबीर आश्रम एवं समाधि यहाँ का प्रमुख दर्शनीय स्थल है. श्री मुक्तामणि नाम साहब कबीर पंथ के प्रथम वंश गुरू कहलाए गिरौदपुरी बलौदाबाजार जिले में स्थित गुरूघासीदास का जन्म स्थल है. यह सतनामी समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है. गुरूघासीदास का जन्म 18 दिसंबर 1756 को हुआ था। यहाँ कुतुबमीनार से ऊंचा जैतखाम बनाया गया है. • गिरौदपुरी में गुरूघासीदास का निवास गुरू निवास कहलाता है. • यहाँ गुरू की गद्दी स्थापित है. • गिरौदपुरी के निकट पहाड़ी पर औरा-घौरा वृक्ष के नीचे गुरू घासीदास ने तपस्या की थी और ज्ञान प्राप्त किया था। यह स्थल तपोभूमि के नाम से जाना जाता है. तपोभूमि के पास छाता पहाड़ स्थित है जहाँ गुरू घासीदास ने समाधि लगाई थी. • इसके निकट ही गुरू घासीदास की पत्नी सुफरा जी का मठ है जो अपने पुत्र अमरदास के वन में खो जाने के वियोग में समाधिस्थ हो गई थी। चम्पारण्य राजिम से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंपारण्य, वल्लभ संप्रदाय के प्रणेता एवं अष्टछाप सम्प्रदाय के संस्थापक लक्ष्मण भट्ट के पुत्र वल्लभाचार्य की जन्म स्थली है. चम्पारण्य का नाम चम्पकेश्वर महादेव के नाम पर पड़ा था. यह पहले शैव तीर्थ और अब वैष्णव तीर्थ के रूप में विख्यात यह पुष्टिमार्ग के अनुयायियों की धर्मस्थली है. यहाँ वल्लभाचार्य को समर्पित उन के अनुयायियों द्वारा निर्मित मंदिर के अलावा एक प्राचीन शिवलिंग प्रसिद्ध है. इस स्थली की खोज का श्रेय गोस्वामी नरसिंह लाल महाराज, नथमल आचार्य, रायपुर के रायसाहब तथा कुछ वैष्णव भक्तों को है, इस...