चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत कब आया

  1. चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत कब आया था?
  2. हर्षवर्धन के समय चीनी यात्री ह्वेनसांग कहाँ अध्ययन कर रहे थे?
  3. शून्य का आविष्कार कब और किसने किया?
  4. ह्वेनसांग चीनी यात्री
  5. फाह्यान ने भारत के बारे में क्या लिखा? – Expert
  6. चीनी यात्री फाह्यान कौन था? – ElegantAnswer.com
  7. इत्सिंग कौन था, यह किसके शासनकाल में भारत आया था


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चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत कब आया था?

आज हम ह्वेनसांग से जुडी जानकारियां साझा करने वाले है जो एक चीनी यात्री था साथ ही आप जानेंगे कि चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत कब आया था? चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत कब आया था? ह्वेनसांग चीन का रहने वाला था यह एक चीनी बौद्ध भिक्षु था, जिसका जन्म चीन के लुओयंग स्थान पर सन 602 में हुआ था। यह चार भाई-बहन थे जिनमे सबसे छोटे ह्वेनसांग ही थे। सन 629 में ह्वेनसांग ने एक सपना देखा जिससे उन्हें भारत की यात्रा की प्रेरणा मिली थी और इसी प्रकार सन 629 में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था। इस समय 7वीं सदी चल रही थी और भारत में हर्षवर्द्धन का शासन था इसिलए उनके वर्णनों में हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। ह्वेनसांग ने भारत आ कर यहा बुद्ध के जीवन से जुड़े सभी पवित्र स्थलों का भ्रमण किया था तथा वो भारत के नालंदा से 657 पुस्तकों की लिपियां अपने साथ ले गया था। कुछ और महत्वपूर्ण लेख – • • •

हर्षवर्धन के समय चीनी यात्री ह्वेनसांग कहाँ अध्ययन कर रहे थे?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • 1 हैंग सॉन्ग कौन था? • 2 चीनी यात्री भारत कब आया? • 3 युवान चांग कौन थे? • 4 6 श्वैन त्सांग कौन था? • 5 जुआनजांग कौन था? हैंग सॉन्ग कौन था? इसे सुनेंरोकेंह्वेनसांग यह एक चीनी विद्वान , बौद्ध भिक्षु और प्रवासी थे। उनका जन्म ईसवी सन 602 में चीन में हुआ था। वे भारत भारतीय बौद्ध धर्म और चीनी बौद्ध धर्म के परस्पर विचार का अभ्यास करने आये थे। वे 7वी सदी में भारत आये थे। चीनी यात्री भारत कब आया? इसे सुनेंरोकेंक. भारत मे 399-414 ईस्वी तक। फाह्यान भारत आने वाला पहला चीनी यात्री था, जिसने चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के समय भारत की यात्रा की थी। चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने एक रात नालंदा विश्वविद्यालय से संबंधित क्या सपना देखा था? इसे सुनेंरोकें15 महीनों के लिए, ह्वेन सांग ने नालंदा विश्वविद्लाय में संस्कृत जानने के लिए अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय दर्शन, व्याकरण और तर्क का भी अध्ययन किया. वह एक महान विद्वान थे और उत्तरी भारत के राजा हर्षवर्धन को उनके बारे में तब पता चला जब वह अपने देश लौट रहे थे. राजा ने उनकी चीन वापस जाने की यात्रा को आसान बना दिया. सातवी शताब्दी में भारत आने वाला विदेशी यात्री कौन था? इसे सुनेंरोकेंइत्सिंग – इस चीनी यात्री ने 7 वी शताब्दी में भारत की यात्रा की थी। इसने नालंदा विश्वविद्यालय तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय का वर्णन किया है। अलबरूनी – यह भारत महमूद गजनवी के साथ आया था। अलबरूनी ने ‘ तहकीक-ए-हिन्द या ‘किताबुल हिन्द’ नामक पुस्तक की रचना की थी। युवान चांग कौन थे? इसे सुनेंरोकेंह्वेन त्सांग / ह्वेन सांग / युवान चांग या युआन-त्यांग (संस्कृत: मोक्षदेव, अंग्रेज़ी:Xuanzang, जन्म: 602 ई. लगभग मृत्यु: 5 फ़रवरी, 664 ई. लगभग) ...

शून्य का आविष्कार कब और किसने किया?

प्रश्न. शून्य का आविष्कार कब और किसने किया? [ When and who invented zero? ] वराहमिहिर आर्यभट्ट भास्कर इनमें से कोई नहीं Right Answer – शून्य का आविष्कार किसने और कब किया यह आज तक यह जानकारी छुपी हुई है लेकिन भारतीय गणितज्ञ वर्षों से ये दावा करते रहे हैं कि शून्य का अविष्कार भारत में किया गया था कहा जाता है की शून्य का आविष्कार भारत में पांचवीं शताब्दी के मध्य में शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट जी ने किया उसके बाद ही यह दुनिया में प्रचलित हुई लेकिन अमेरिका के एक गणितज्ञ कहना है कि शून्य का आविष्कार भारत में नहीं हुआ था। अमेरिकी गणितज्ञ आमिर एक्जेल ने सबसे पुराना शून्य कंबोडिया में खोजा है। कहा जाता है की सर्वनन्दि नामक दिगम्बर जैन मुनि द्वारा मूल रूप से प्रकृत में रचित लोकविभाग नामक ग्रंथ में शून्य का उल्लेख सबसे पहले मिलता है। इस ग्रंथ में दशमलव संख्या पद्धति का भी उल्लेख है और यह उल्लेख सन् 498 में भारतीय गणितज्ञ एवं खगोलवेत्ता आर्यभट्ट ने आर्यभटीय ( सङ्ख्यास्थाननिरूपणम् ) में कहा है और सबसे पहले भारत का ‘शून्य’ अरब जगत में ‘सिफर’ (अर्थ – खाली) नाम से प्रचलित हुआ लेकिन फिर लैटिन, इटैलियन, फ्रेंच आदि से होते हुए इसे अंग्रेजी में ‘जीरो’ (Zero) कहते हैं। ये भी देखें :- • • Post navigation

ह्वेनसांग चीनी यात्री

ह्वेन त्सांग ( : 玄奘; : Xuán Zàng; : Hsüan-tsang) एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह के शासन काल में आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। उसके वर्णनों से हर्षकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक तथा सांस्कृतिक अवस्था का परिचय मिलता है। ग्रेट वाइल्ड गूज़ पगोडा मंदिर के बाहर त्सांग की मूर्ति, में अपनी यात्रा के दौरान, वह अबेकों बौद्ध प्रवीणों से मिला। खासकर में, जहां वृहत बौद्ध शिक्षा केन्द्र था। लौटने पर, उसके साथ 657 संस्कृत पाठ्य थे। सम्राट के सहयोग से, उसने बड़ा अनुवाद संस्थान चआंग में खोला, जिसे वर्तमान में ज़ियांन कहते हैं। यहां पूरे पूर्वी एशिया से छात्र आते थे। उसने 1330 लेखों के अनुवाद चीनी भाषा में किये। उसका सर्वोत्तम योगदान योगकारा (瑜伽行派) के क्षेत्र में था। त्सांग को उसके भारतीय बौद्ध पाठ्यों के यथार्थ और सटीक चीनी अनुवादों और बाद में खोये हुए भारतीय बौद्ध पाठ्यों की उसके द्वारा किये चीनी अनुवादों से पुनर्प्राप्ति के लिये सर्वदा स्मरण किया जायेगा। उसके द्वारा लिखे ”’चेंग वैशी लूं”’, इन पाठ्यों पर टीका के लिये भी चिरस्मरणीय रहेगा। उसका क अनुवाद अब तो मानक बन चुका है। उसने लघु काल के लिये ही सही, परन्तु चीनी फ़ाक्ज़ियान विद्यालय की स्थापना की थी। इस सबके साथ ही उसे हर्षवर्धन के कालीन भारत के वर्णन के लिये सन्दर्भित किया जाता है। उसकी जीवनी और आत्मकथा सन में सम्राट के निवेदन पर, त्सांग ने अपनी पुस्तक (大唐西域記), पूर्ण की। यह मध्य एशिया और भारत के मध्यकालीन इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती है। इसका में 1857 में अनुवाद स्टैनिस्लैस जूलियन द्वारा किया गया था। भिक्षु हुइलि द्वारा त्सांग की जीव...

फाह्यान ने भारत के बारे में क्या लिखा? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • फाह्यान ने भारत के बारे में क्या लिखा? फाह्यान का भारत वर्णन – उसने भारत की आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक व सामाजिक स्थिति का वर्णन किया है। तत्कालीन समाज में शाकाहार का प्रचलन था, सामान्यतयः जनता लहसुन प्याज का सेवन नहीं करती थी। अस्पृश्यता विद्यमान थी, परन्तु आम जनता का जीवन सादा व अहिंसक था। फाह्यान नालंदा कब आए थे? फाह्यान एक चीनी यात्री थे जो चौथी सदी में नालंदा आये थे। फाह्यान का क्या अर्थ होता है? चीनी यात्री फाह्यान – भारत में विदेशी यात्री पुस्तक के शीर्षक का अर्थ है बौद्ध राज्यों का विवरण । भारत आनेवाले इस प्रथम बौद्ध चीनी यात्री की कहानी दिलचस्प है । फाह्यान के माता-पिता की इच्छा थी कि उनका पुत्र बड़ा होकर श्रमण अर्थात बौद्ध-भिक्षु बने । READ: अलंकार किसे कहते हैं और कितने प्रकार के होते हैं? फाह्यान भारत में कितने वर्ष तक रहा था? उसने पाटलिपुत्र में बिताए 3 सालों और ताम्रलिप्ति (आधुनिक मिदनापुर) में बिताये दो वर्षों का बड़ा रोचक वृतांत प्रस्तुत किया है। फाह्यान ने भारत में बिताए 12 वर्षों में से 6 वर्ष यात्रा में और 6 वर्ष अध्यवसाय में बिताए थे। चीनी यात्री फाह्यान की पुस्तक का नाम क्या है? Faxian’s BiographyA Record of Buddhistic Kingdoms1877The Travels of Fa: Hsien (399A Record of Buddhistic Kingdoms…Chinese LiteratureA Record of Buddhistic Kingdoms… फ़ाहियान/किताबें भारत में आया प्रथम चीनी यात्री कौन है? भारत का भ्रमण करने वाला प्रथम चीनी यात्री फाह्यान था। फाहियान और ह्वेनसांग कौन थे? चीनी यात्री फाहान चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के समय आया था 399 ए डी में। और हेंगस्वान हर्षवर्धन के काल में भारत आया 632ए डी में । दोनों ही बुद्ध भि...

चीनी यात्री फाह्यान कौन था? – ElegantAnswer.com

चीनी यात्री फाह्यान कौन था? इसे सुनेंरोकेंफ़ाहियान या फ़ाशियान (चीनी: 法顯 या 法显, अंग्रेज़ी: Faxian या Fa Hien; जन्म: ३३७ ई; मृत्यु: ४२२ ई अनुमानित) एक चीनी बौद्ध भिक्षु, यात्री, लेखक एवं अनुवादक थे जो ३९९ ईसवी से लेकर ४१२ ईसवी तक भारत, श्रीलंका और आधुनिक नेपाल में स्थित गौतम बुद्ध के जन्मस्थल कपिलवस्तु धर्मयात्रा पर आए। इब्नबतूता भारत क्यों आया था? इसे सुनेंरोकेंइब्नबतूता भारत क्यों आया था? उसने दिल्ली के सुल्तान महुम्मद बिन तुगलक केे बारे में सुना था और कला और साहित्य के एक दयाशील संरक्षक के रूप में उसकी ख्याति से आकर्षित हो बतूता ने मुल्तान और उच्छ के रास्ते होकर दिल्ली की ओर प्रस्थान किया। इसे सुनेंरोकेंह्वेन त्सांग (चीनी: 玄奘; pinyin: Xuán Zàng; Wade-Giles: Hsüan-tsang) एक प्रसिद्ध चीनी बौद्ध भिक्षु था। वह हर्षवर्द्धन के शासन काल में भारत आया था। वह भारत में 15 वर्षों तक रहा। उसने अपनी पुस्तक सी-यू-की में अपनी यात्रा तथा तत्कालीन भारत का विवरण दिया है। फरहान भारत कब आया था? इसे सुनेंरोकेंफाह्यान भारत में 399 ईस्वी में भारत में आया था। जब भारत पर चंद्रगुप्त विक्रमादित्य का शासन था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सिरपुर की यात्रा कब की थी? इसे सुनेंरोकें-प्रसिद्ध चीनी यात्री व्हेनसांग भी 643 वीं शताब्दी में सिरपुर आया था। उसने यहां के वैभव का अपने यात्रा वृतांत में उल्लेख किया है। -उसने लिखा है कि मध्य भारत का यह भाग बौद्ध धर्म का स्तम्भ था। कौन विदेशी यात्री सर्वप्रथम चीन पहुंचने वाला था? इसे सुनेंरोकेंFa-Hien एक विदेशी दूत है जो चंद्रगुप्त द्वितीय के समय भारत का दौरा किया, जिसे विक्रमादित्य के नाम से जाना जाता है। वह एक चीनी तीर्थयात्री था। फा-हियान भारत जाने वाले पहले चीनी ती...

इत्सिंग कौन था, यह किसके शासनकाल में भारत आया था

अपनी यात्रा समाप्त कर 693-94 ईस्वी के लगभग सुमात्रा होता हुआ वह चीन वापस लौट गया। वह अपने साथ चीनी भाषा में लिखा गया। उसका अनुवाद अंग्रेजी भाषा में प्रसिद्ध तक्कुसु ने ए रेकार्ड आफ द बुद्धिस्ट रेलिजन नाम से प्रस्तुत किया। इसके अध्ययन से हम सातवीं शती के उत्तरी भारत के समाज एवं संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करते हैं। अपने यात्रा विवरण के प्रारंभ में इत्सिंग चीन से भारत तथा उसके पङोसी देशों की यात्रा पर आने वाले 56 बौद्ध यात्रियों का विवरण देता है। सुमात्रा का वर्णन करते हुये वह हमें बताता है, कि इसके किनारे पर एक समृद्ध व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा धार्मिक विहार था। यहाँ से व्यापारी माल लेकर कैन्टन को जाते थे। वह मार्ग की कठिनाइयों का भी वर्णन करता है। वह भारतीयों की धार्मिक परंपराओं का भी वर्णन करता है। उसके अनुसार बौद्ध धर्म के अनुयायी चार संप्रदायों जो निम्नलिखित हैं- • आर्यमहासंघिति, • आर्यस्थविर, • आर्यमूलसर्वास्तवादिन्, • आर्यसम्मतिय। चार भागों में विभाजित थे। नालंदा का वर्णन करते हुए इत्सिंग लिखता है, कि इसके पूर्व की ओर 40 स्टेज पर गंगा नदी के किनारे