चित्तौड़गढ़ का इतिहास

  1. चित्तौड़गढ़ क़िला
  2. चित्तौड़गढ़ क़िला, राजस्थान का इतिहास
  3. चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास
  4. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास
  5. चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास Chittorgarh Fort History Hindi
  6. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh ka Kila History in Hindi)
  7. चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी (१५६७


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चित्तौड़गढ़ क़िला

विवरण चित्तौड़गढ़ का क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाईवाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। राज्य ज़िला चित्तौड़गढ़ निर्माता स्थापना 7 वीं शताब्दी भौगोलिक स्थिति मार्ग स्थिति चित्तौड़गढ़ का क़िला, कब जाएँ कैसे पहुँचें हवाई जहाज़, रेल, बस आदि महाराणा प्रताप हवाई अड्डा चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन, चंडेरिया रेलवे स्टेशन, शंभूपुरा रेलवे स्टेशन मुरली बस अड्डा स्थानीय बस, ऑटो रिक्शा, साईकिल रिक्शा क्या देखें जैन कीर्तिस्तंभ, महावीरस्वामी का मंदिर, पद्मिनी का महल, कालिका माई का मंदिर कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह क्या खायें राजस्थानी भोजन एस.टी.डी. कोड 01472 ए.टी.एम लगभग सभी भाषा अन्य जानकारी दुर्ग अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। पैदल पोल के निकट वीर बाघसिंह का स्मारक है। अद्यतन‎ 15:07, 24 नवम्बर 2011 (IST) चित्तौड़गढ़ क़िला इतिहास प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला राजवंशों का शासन चित्तौड़गढ़ का क़िला कई राजवंशों के शासन का साक्षी रहा है, जैसे- • मोरी या मौर्य (7वीं-8वीं शताब्‍दी ई.) • प्रतिहार- 9वीं-10वीं शताब्‍दी ई. • परमार- 10वीं-11वीं शताब्‍दी ई. • सोलंकी- 12वीं शताब्‍दी ई. • गुहीलोत या सिसोदिया आक्रमण क़िले के लम्‍बे इतिहास के दौरान इस पर तीन बार आक्रमण किए गए। पहला आक्रमण सन 1303 में प्रवेश द्वार इस क़िले के सात प्रवेश द्वार हैं। प्रथम प्रवेश द्वार 'पैदल पोल' के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद 'भैरव पोल', 'हनुमान पोल', 'गणेश पोल', 'जोली पोल', 'लक्ष्‍मण पोल' तथा अंत में 'राम पोल' है, जो सन 1459 में बनवाया गया था। क़िले की पूर्वी दिशा में स्‍थित प्रवेश द्वार को 'सूरज पोल' कहा जाता है। पर्यटन स्थल चित्तौड़गढ़ क़िला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से पर...

चित्तौड़गढ़ क़िला, राजस्थान का इतिहास

Chittorgarh Fort / चित्तौड़गढ़ क़िला राजस्थान के इतिहास प्रसिद्ध चित्तौड़ में स्थित है। यह किला विशेषतः चित्तोड़, चित्तोड़ का किला मेवाड़ की राजधानी के नाम से जाना जाता है। क़िला ज़मीन से लगभग 500 फुट ऊँचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है कि इसे चित्रांगद मोरी ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया। कुछ समय तक यह परमारों, सोलंकियों और चौहानों के अधिकार में भी रहा, किंतु सन 1175 ई. के आस-पास उदयपुर राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय: गुहिलवंशियों के हाथ में ही रहा। यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है। Contents • • • • • • चित्तौड़गढ़ क़िला का इतिहास – Chittorgarh Fort Rajasthan History in Hindi प्राचीन चित्रकूट दुर्ग या चित्तौड़गढ़ क़िला राजपूत शौर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्‍थान रखता है। यह क़िला 7वीं से 16वीं शताब्‍दी तक सत्ता का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ के क्षेत्र में फैला यह क़िला 500 फुट ऊँची पहाड़ी पर खड़ा है। यह माना जाता है कि 7वीं शताब्‍दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। बहुत कम लोग जानते हैं कि हिंदू सभ्यता के अनुसार विभाजित किए गए चार युगों में से चित्तौड़गढ़ किला द्वापर युग से भी सम्बन्ध रखता है। दरअसल इसकी संरचना ही द्वापर युग में हुई थी। इसका अर्थ है कि यह किला महज़ कुछ सौ वर्ष पुराना नहीं, बल्कि हजारों वर्ष पुराना है। इतिहास की मानें तो यह महल केवल एक रात में बना है। जी हां, इस महल को बनाने के लिए पूरे दिन का भी इस्तेमाल नहीं किया गया, बल्कि एक रात में इसे खड़ा कर लिया गया था। ऐसी जनश्रुतियां प्रचलित हैं कि पाण्डवों के दूसरे भाई भीम ने करीब 5,000 वर्...

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास

चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास और किले की सम्पूर्ण जानकारी | history of chittorgarh fort in hindi Chittorgarh fort history in Hindi– चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास अत्यंत ही गौरवशाली रहा है। चित्तौड़गढ़ अपनी गौरवशाली इतिहास के कारण सदियों से पर्यटकों और लेखकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। चित्तौड़गढ़ किला राजपूत राजाओं के शूरवीरता के साथ-साथ उनकी रानियों की अदम्य साहस भरी कहानियों का गवाह है। इस किले का इतिहास बहुत ही पुराना है। इस किले का निर्माण मौर्य वंश के शासक के द्वारा माना जाता है। भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ जिले के बेराच नदी के तट पर स्थित चित्तौड़गढ़ दुर्ग (किले) को राजस्थान का गौरव माना जाता है। चित्तौड़गढ़ किला भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है। इस प्रसिद्ध किले पर खिलजी से लेकर अकबर तक ने चढ़ाई की थी। भारत के राजस्थान राज्य में भीलवाड़ा से दक्षिण में स्थित यह किला अपनी भव्यता और गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़ के नाम से मशहूर यह किला, मेवाड़ राज्य की राजधानी थी। चित्तौड़गढ़ का इतिहास रानी पद्मावती और महाराणा प्रताप से जुड़ा है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग का इतिहास | Chittorgarh fort history in Hindi यह ऐतिहासिक किला अनुपम महल, द्वार, मंदिर तथा दो प्रमुख स्मारक टॉवरों से सुसज्जित है। कहा जाता है की इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में मौर्यवंश के राजाओं के द्वारा किया गया था। जैसा का हम जानते हैं की इस किले की गिनती भारत के सबसे बृहद किलों में होती है। लगभग 600 एकड़ से भी अधिक भूमि पर फैला यह विशाल किला अपनी भव्यता के द्वारा चित्तौड़गढ़ के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है। इसकी भव्यता और गौरवशाली इतिहास को देखते हुए वर्ष 2013 में विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को...

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (History of Chittorgarh Fort) चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है जो भीलवाड़ा से कुछ किमी दक्षिण में है। यह एक विश्व विरासत स्थल है। चित्तौड़गढ़ 1568 तक मेवाड़ की राजधानी थी, और उसके बाद उदयपुर को मेवाड़ की राजधानी बना दिया गया। इस किले की इसकी स्थापना सिसोदिया वंश के शासक बप्पा रावल ने की थी। चित्तौड़गढ़ का इतिहास इस किले की तरह ही हजारों साल पुराना माना जाता है। उत्तर भारत के सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक चित्तौड़गढ़ का किला राजपूतों के साहस, शौर्य, त्याग, बलिदान और बड़प्पन का प्रतीक है। चित्तौड़गढ़ का यह किला राजपूत शासकों की वीरता, उनकी महिमा एवं शक्तिशाली महिलाओं के अद्धितीय और अदम्य साहस की कई कहानियों को प्रदर्शित करता है। चित्तौड़गढ़ दुर्ग इस दुर्ग का निर्माण 7वीं शताब्दी में चित्रांगद मौर्य के द्वारा करवाया गया। चित्तौड़गढ़ दुर्ग राज्य का सबसे प्राचीनतम दुर्ग है। इस दुर्ग को चित्रकूट नामक पहाडी पर बनाया गया है। यह राज्य का दक्षिणी-पूर्वी द्वार है। इस के बारे में कहा जाता है कि "गढ तो चित्तौड़गढ़ बाकी सब गढैया।" राजस्थान के मेवाड़ में गुहिल राजवंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी अदम्य शक्ति और साहस से मौर्य सम्राज्य के मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी को युद्ध में हराकर करीब 8वीं शताब्दी में चित्तौड़गढ़ पर अपना अधिकार कर लिया और करीब 724 ईसवी में भारत के इस विशाल और महत्वपूर्ण दुर्ग चित्तौड़गढ़ किले की 724 ईसवी में स्थापना की। चित्तौड़गढ़ का किला भारत के सबसे बड़े और ऐतिहासिक किलो में से एक हैं, और उससे भी कहीं ज्यादा रोमांचक है इस किले का इतिहास। चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के 5 पहाड़ी किलों ...

चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास Chittorgarh Fort History Hindi

चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास Chittorgarh Fort History in Hindi: एक ऐसा किला जिसने सबसे अधिक खूनी लड़ाईयां देखी, जिस किले में सबसे अधिक जौहर हुए, हम बात कर रहे हैं. राजस्थान के प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ के दुर्ग की Rajasthan Fort History का यह सबसे महत्वपूर्ण किला हैं. चित्तौड़गढ़ के किले का इतिहास Chittorgarh Fort History in Hindi इस पर गुहिल एवं सिसोदिया वंश का शासन रहा. 180 मीटर की ऊँचाई पर बना यह विशाल किला 691.9 एकड़ भूभाग में फैला हुआ हैं. आज हजारों की संख्या में पर्यटक चित्तौड़गढ़ के किले को देखने के लिए आते हैं. चलिए इस किले का इतिहास जानते हैं. चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास वीरता, त्याग, बलिदान, और स्वाभिमान का प्रतीक चित्तौड़ का किला स्थापत्य की दृष्टि से भी विशिष्ठ हैं. किले के सम्बन्ध में प्रसिद्ध लोकोक्ति ”गढ़ तो चित्तौड़ बाकी सब गढ़ैया” किले की सुदृढ़ता और स्थापत्य श्रेष्ठता की ओर इंगित करती हैं. राजस्थान का गौरव और किलों का सिरमौर कहलाने वाला चित्तौड़गढ़ का किला अजमेर खंडवा रेलमार्ग पर चित्तौड़गढ़ जक्शन से 3 किलोमीटर दूर गम्भीरी एवं बेडच नदियों के संगम तट के निकट अरावली पर्वतमाला के एक विशाल पर्वत शिखर पर बना हुआ हैं. Telegram Group समुद्रतल से इसकी ऊँचाई 1850 फ़ीट हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से इसकी लम्बाई लगभग 8 किलोमीटर व चौड़ाई 2 किलोमीटर हैं. दिल्ली से मालवा और गुजरात को जाने वाले मार्ग पर अवस्थित होने के कारण मध्यकाल में इस किले का सामरिक महत्व था. चित्तौड़गढ़ के किले के निर्माता के बारे में प्रमाणिक जानकारी का अभाव हैं. वीर विनोद ग्रंथ के अनुसार मौर्य शासक चित्रांग ने यह किला बनवाकर अपने नाम पर इसका नाम चित्रकोट रखा था. उसी का अपभ्रशः चित्तौड़ हैं. मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी से ...

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh ka Kila History in Hindi)

Chittorgarh Fort History in Hindi: राजस्थान के प्राचीन किलों में से एक किला यह भी है, इसे किलों की खानदान का दादाजी भी कहा जाता है। राजस्थान का सबसे बड़ा किला यही किला है। इसने राजस्थान के किलों की कक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया हुआ है। राजस्थान का सिरमौर और महत्वपूर्ण किला चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh ka Kila) है। विषय सूची • • • • • • • • • चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किसने करवाया है, यह अभी तक साबित नहीं हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार इस किले का निर्माण पाँडवों ने करवाया था। 4000 साल पहले जब योगी निर्भयनाथ ने भीम के सामने पारस पत्थर के बदले में किले के निर्माण की शर्त रखी थी तो पाँडवों ने मिलकर एक रात में ही दुर्ग का निर्माण कर दिया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण मौर्य वंश के राजा चित्रागद मौर्य ने लगभग सातवीं शताब्दी में चित्रकूट की पहाड़ी पर करवाया था। इसका पहले नाम चित्रकूट ही था लेकिन जैसे-जैसे समय आगे चलता रहा इसका नाम चित्रकूट से चित्तौड़गढ़ पड़ गया। मौर्य वंश के अंतिम शासक मानमोरी को हरा कर बप्पा राव ने इस किले को अपने अधीन ले लिया। जिसे बाद में परमार वंश के राजा मुंज ने बप्पा राव को हराकर किले पर अपनी पताका फहराई। दसवीं शताब्दी तक यह किला परमारों के पास रहा उसके बाद गुजरात के सोलंकी राजा जयसिंह ने परमार राजा यशोवर्मन को हराकर किले को अपने अधीन कर लिया। इसके बाद इल्तुतमिश ने इस पर आक्रमण कर किले को जीत लिया जिससे गुहिल शासक का राज इस किले पर होने लगा। अगर देखा जाएँ तो उस काल के सभी राजाओं के पास इस किले का आधिपत्य रहा ही है। किले का भूगोल राजस्थान के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित चित्तौड़गढ़ किला उदयपुर से 11...

चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी (१५६७

चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी (१५६७–१५६८) मुग़ल राजपूत युद्ध (1558-1578) का भाग वर्तमान चितौड़गढ़ दुर्ग तिथि 20 अक्टूबर 1567 – 23 फ़रवरी 1568 स्थान परिणाम मुग़ल विजय क्षेत्रीय बदलाव मुग़ल सम्राट ने योद्धा सेनानायक अब्दुल मजिद आसफ खान वज़ीर खान मीर क़ासीम हुस्सैन क़ुली खान इतमाद खान पत्ता सिसोदिया ऐस्सर दास चोहान सांडा डोडिया साहिब खान राठौड़ इस्माइल शक्ति/क्षमता हज़ारों 7-8,000 आदमी मृत्यु एवं हानि अनुक्रम • 1 किला • 2 पृष्ठभूमि • 3 घेराबंदी • 4 परिणाम • 5 बाहरी कड़िया किला [ ] माना जाता है कि चित्तौड़ के भव्य किले का इतिहास 7 वीं शताब्दी का है। कहा जाता है कि चित्रकूट दुर्गा के रूप में, यह मोरी वंश के चित्रांगदा द्वारा उठाया गया था और फिर 9 वीं शताब्दी में प्रतिहारों के हाथों में चला गया। सत्ता की इस सीट के बाद के मालिकों में पारामरस (10 वीं -11 वीं शताब्दी) और सोलंकी (12 शताब्दी) शामिल थे, इससे पहले कि यह मेवाड़ के गुहिलोट्स या सिसोदिया के हाथों में गिर गया। किला 152 मीटर की पहाड़ी के ऊपर स्थित है और इसमें 700 एकड़ (2.8 किमी 2) का क्षेत्र शामिल है। इसमें गौमुख कुंड सहित कई प्रवेश द्वार और तालाब हैं, जो पानी के बारहमासी भूमिगत स्रोत द्वारा आपूर्ति की जाती है। भारी रूप से दृढ़ चित्तौड़गढ़ को 1303 में दिल्ली सल्तनत के अलाउद्दीन खलजी द्वारा बर्खास्त किए जाने तक अजेय माना जाता था। इसे गुजरात सल्तनत के बहादुर शाह द्वारा कुछ शताब्दियों बाद फिर से बर्खास्त कर दिया गया। पृष्ठभूमि [ ] मुगल हमेशा से ही राजस्थान के राज्यों से सावधान रहे थे। सत्ता का केंद्र होने के अलावा, राजपूत प्रभुत्वों ने गुजरात और इसके समृद्ध बंदरगाहों के साथ-साथ मालवा, दोनों तक पहुंच को बाधित किया। इन क्षेत्रों में स...