चक्रव्यूह मूवी

  1. अच्छा लग सकता है आपको यह चक्रव्यूह
  2. चक्रव्यूह Post by best bloggers in Hindi
  3. चक्रव्यूह क्या था, इसे कैसे तोड़ा जाता है?
  4. Chakravyuh Review: Prateik Babbar Web Series Review In Hindi
  5. चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध, जानिए 5 ऐसे रहस्य जो आप नहीं जानते
  6. चक्रव्यूह : फिल्म समीक्षा
  7. The Last Gate Of The 'Chakravyuh' Of UP Nikay Chunav 2023, Which Will Open... Its 'government' In The City ?
  8. कैसी है प्रकाश झा की चक्रव्यूह पढि़ए मूवी रिव्यू
  9. चक्रव्यूह क्या था, इसे कैसे तोड़ा जाता है?
  10. The Last Gate Of The 'Chakravyuh' Of UP Nikay Chunav 2023, Which Will Open... Its 'government' In The City ?


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अच्छा लग सकता है आपको यह चक्रव्यूह

पूरी फिल्म में नक्सलियों के तौर-तरीकों को बुरा मानकर उसके खिलाफ लड़ने वाला फिल्म का नायक फिल्म के अंतिम सीन में नक्सलियों की सोच के साथ खड़ा दिखता है। फिल्म किसी अंजाम या निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती है। ऐसा जानबूझ कर किया जाता है। फिल्मकार इस बात को लेकर बेहद सतर्क रहे हैं कि वह किसी पक्ष या विपक्ष में खड़े न दिखें। फिल्म के अंत में आया एक वाइसओवर बताता है कि नक्सल समस्या कैसे अपना आकार बड़ा कर रही है। समस्या हल होने के बजाय उसका चक्रव्यूह गहरा होता जा रहा है। फिल्म चक्रव्यूह नक्सल समस्या और सरकार के साथ उसके ट्रीटमेंट को भले ही बहुत बेहतर तरीके से न दिखा पाई हो लेकिन यह दो दोस्तों की मानसिक उलझन को बेहतर तरीके से दर्शाती है। यह प्रकाश झा की सफलता है उन्होंने नक्सल आंदोलन जैसे जटिल विषय को मनोरंजक और रोचक बनाकर पेश किया। इस विषय को फिल्मी बनाने की कोशिश कहीं-कहीं बचकानी भी लगती है। कभी-कभार फिल्म के नक्सली वैसे ही बनावटी दिखते हैं जैसे करण जौहर की फिल्मों के स्कूल गोइंग स्टूडेंट। कहानीः चूंकि फिल्म का विषय बड़ा और जटिल था इसलिए इसे दो दोस्तों की कहानी बताकर दिखाने का प्रयास किया गया। इन दो दोस्तों के माध्यम से सरकार और नक्सलियों का पक्ष रखने की कोशिश की गई है। आईपीएस पुलिस अधिकारी आदिल(अर्जुन रामपाल) की पोस्टिंग नक्सल समस्या से पीड़ित क्षेत्र नंदीगांव में होती है। यहां पुलिस का नेटवर्क पूरी तरह से तबाह हो चुका है। एक उद्योगपति उस क्षेत्र में अपना उद्योग लगाना चाहते हैं। सरकार की कोशिश के बाद नक्सलियों की वजह से उन्हें सफलता नहीं मिल पा रही है। आदिल को इस काम का जिम्मा सौंपा जाता है। आदिल का दोस्त कबीर(अभय देओल) जिसने कभी आदिल के साथ पुलिस की ट्रेनिंग भी की थी नक्सलियों के बीच...

चक्रव्यूह Post by best bloggers in Hindi

अभिमन्यु शितोले, 27 बरस के जर्नलिज्म में कई ‘चक्रव्यूह’ भेदने के बाद इन दिनों नवभारत टाइम्स मुंबई में पॉलिटिकल एडिटर हैं। इंटरनैशनल रिलेशन और डिप्लॉमैटिक स्टडीज में पोस्ट ग्रैजुएट हैं, लेकिन ‘बिट विन द लाइन’ पढ़ने के हुनर से पत्रकारिता के शागिर्द बन गए। जो छुपाया जा रहा है, उसे देखने और सबको दिखाने की लत ने उन्हें कइयों का दुश्मन, लेकिन उससे ज्यादा लोगों का दोस्त बना दिया है। पिछले ढाई दशक से आम आदमी के हक और सरोकारों के पक्ष में राजनीतिक छल और छद्मवाद के खिलाफ बेखौफ लेखक के रूप में उन्होंने अपनी पहचान बनाई है। नवभारत टाइम्स के मुंबई संस्करण में हर सोमवार को उनका कॉलम ‘चक्रव्यूह’ प्रकाशित होता है। वही कॉलम आप अब उनके ब्लॉग के रूप में भी पढ़ सकते हैं।

चक्रव्यूह क्या था, इसे कैसे तोड़ा जाता है?

भगवान श्रीकृष्ण की नीति के चलते अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदने का आदेश दिया गया। यह जानते हुए भी कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते हैं, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते। दरअसल, अभिमन्यु जब सुभद्रा के गर्भ में थे तभी चक्रव्यूह को भेदना सीख गए थे लेकिन बाद में उन्होंने चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा कभी नहीं ली। अभिमन्यु श्रीकृष्ण के भानजे थे। श्रीकृष्ण ने अपने भानजे को दांव पर लगा दिया था। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में जाने के बाद उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। घेरकर उनकी जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं द्वारा निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई, जो कि युद्ध के नियमों के विरुद्ध था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण यही चाहते थे। जब नियम एक बार एक पक्ष तोड़ देता है, तो दूसरे पक्ष को भी इसे तोड़ने का मौका मिलता है। युद्ध को लड़ने के लिए पक्ष या विपक्ष अपने हिसाब से व्यूह रचना करता था। व्यूहरचना का अर्थ है कि किस तरह सैनिकों को सामने खड़ा किया जाए। आसमान से देखने पर यह व्यूह रचना दिखाई देती है। जैसे क्रौंच व्यूह है, तो आसमान से देखने पर क्रौंच पक्षी की तरह सैनिक खड़े हुए दिखाई देंगे। इसी तरह चक्रव्यूह को आसमान से देखने पर एक घूमते हुए चक्र के समान सैन्य रचना दिखाई देती है। कहते हैं कि चक्रव्यूह की रचना द्रोण ने की थी। इस व्यूह को एक घूमते हुए चक्के की शक्ल में बनाया जाता था, जैसे आपने स्पाइरल को घूमते हुए देखा होगा। कोई भी नया योद्धा इस व्यूह के खुले हुए हिस्से में घुसकर वार करता है या किसी एक सैनिक को मारकर अंदर घुस जाता है। यह समय क्षणभर का होता है, क्योंकि मारे गए सैनिक की जगह तुरंत ही दूसरा सैनिक ले लेता है अर्थात योद्धा के मरने पर चक्रव्यूह में उसके बगल वाला योद्धा उसका स्था...

Chakravyuh Review: Prateik Babbar Web Series Review In Hindi

Chakravyuh Review: डार्क वेब की दुनिया का चक्रव्यूह करता है रोमांचित, वेबसीरीज में प्रतीक बब्बर उभरे मजबूती से Chakravyuh Review: सोशल मीडिया के आभासी संसार के अपने खतरे हैं. इसमें भी अगर डार्क वेब की दुनिया में कोई उलझ गया तो बाहर आना मुमकिन नहीं. मासूमों और नासमझों का शिकार करने वाले इस साइबर अंडरवर्ल्ड की कहानी, चक्रव्यूह दर्शक को बांधे रहती है. नए और युवा समाज को इस ‘एंटी सोशल’ दुनिया को समझना आज की जरूरत है. Crime Thriller निर्देशक: सजित वारियर कलाकार: प्रतीक बब्बर, सिमरन कौर, रूही सिंह, आशीष विद्यार्थी, आसिफ बसरा, शिव पंडित, गोपाल दत्त. Chakravyuh Review: यह नए जमाने का थ्रिलर है. जब कैमरे की नजर से कुछ भी बचा नहीं है और बंद कमरों की अंतरंग तस्वीरें तथा प्राइवेट वीडियो तक उसमें कैद हैं. कैमरे की ये निजी तस्वीरें और वीडियो कभी गलती से, कभी शरारतन और कभी षड्यंत्र के द्वारा लीक हो जाते हैं. पूरी दुनिया में इनका बड़ा बाजार बन चुका है. ग्लोबल दुनिया के ये लीक वीडियो आपको गली-मोहल्लों में मिल जाएंगे. इस कारोबार का ऐसा चक्रव्यूह बन चुका है, जिसमें फंसने वाला बाहर नहीं निकल पाता. ओटीटी प्लेटफॉर्म एमएक्स प्लेयर पर आई ताजा वेबसीरीज में इसी चक्रव्यूह का थ्रिलर बुना गया है. जो न केवल इसमें फंसने वालों की छटपटाहट दिखाता है बल्कि इससे जुड़े अपराधों तथा अपराधियों को भी सामने लाता है. लेखक पीयूष झा के करीब सात साल पहले आए अंग्रेजी उपन्यास ‘एंटी सोशल नेटवर्कः एन इंस्पेक्टर वीरकर क्राइम थ्रिलर’ से प्रेरित यह वेबसीरीज निर्देशक सजित वारियर लाए हैं. चक्रव्यूह की कहानी रोचक है. मुंबई में अकेलेपन की शिकार सागरिका पुरोहित (रूही सिंह) की मुलाकात सहेली के जरिये एक युवक, राज से होती है. मोबाइल...

चक्रव्यूह और अभिमन्यु वध, जानिए 5 ऐसे रहस्य जो आप नहीं जानते

महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु सबसे कम उम्र का योद्धा था। अभिमन्यु ने अपनी मां सुभद्रा की कोख में रहकर ही संपूर्ण युद्ध विद्या सीख ली थी। माता के गर्भ में रहकर ही उसने चक्रव्यूह को भेदना सीखा था। लेकिन वह चक्रव्यूह को तोड़ना इसलिए सीख नहीं पाया, क्योंकि जब इसकी शिक्षा दी जा रही थी तब उसकी मां सो गई थीं। 3. श्रीकृष्ण की चाल? : ऐसा कहते हैं लेकिन यह कितना सही है यह एक रहस्य है। भगवान श्रीकृष्ण की नीति के अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदने का आदेश दिया गया। यह जानते हुए भी कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते हैं, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में जाने के बाद उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। घेरकर उनकी जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं द्वारा निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई, जो कि युद्ध के नियमों के विरुद्ध था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण यही चाहते थे। जब नियम एक बार एक पक्ष तोड़ देता है, तो दूसरे पक्ष को भी इसे तोड़ने का मौका मिलता है। 4. लड़ते लड़ते थक गया था अभिमन्यु : प्रारंभ में यही सोचा गया था कि अभिमन्यु व्यूह को तोड़ेगा और उसके साथ अन्य योद्धा भी उसके पीछे से चक्रव्यूह में अंदर घुस जाएंगे। लेकिन जैसे ही अभिमन्यु घुसा और व्यूह फिर से बदला और पहली कतार पहले से ज्यादा मजबूत हो गई तो पीछे के योद्धा, भीम, सात्यकि, नकुल-सहदेव कोई भी अंदर घुस ही नहीं पाए। युद्ध में शामिल योद्धाओं में अभिमन्यु के स्तर के धनुर्धर दो-चार ही थे यानी थोड़े ही समय में अभिमन्यु चक्रव्यूह के और अंदर घुसता तो चला गया, लेकिन अकेला, नितांत अकेला। उसके पीछे कोई नहीं आया। जैसे-जैसे अभिमन्यु चक्रव्यूह के सेंटर में पहुंचते गए, वैसे-वैसे वहां खड़े योद्धाओं का घनत्व और योद्धाओं का कौशल उन्हें बढ़ा हुआ मिला...

चक्रव्यूह : फिल्म समीक्षा

PR बैनर : प्रकाश झा प्रोडक्शन्स, इरोज इंटरनेशनल मीडिया लिमिटे ड निर्माता-निर्देशक : प्रकाश झा संगीत : सलीम-सुलेमान, विजय वर्मा, संदेश शांडिल्य, शांतनु मोइत्रा, आदेश श्रीवास्तव कलाकार : अभय देओल, अर्जुन रामपाल, ईशा गुप्ता, ओम पुरी, मनोज बाजपेयी, अंजलि पाटिल, चेतन पंडित, समीरा रेड्डी सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * सेंसर सर्टिफिकेट नंबर : डीआईएल/2/62/2012 * 2 घंटे 32 मिनट भारत के दो सौ से अधिक जिलों में नक्सलवाद फैल चुका है और कोई दिन भी ऐसा नहीं जाता जब इस आपसी संघर्ष में भारत की धरती खून से लाल नहीं होती है। नक्सलवाद दिन पर दिन फैलता जा रहा है। कई प्रदेश इसके चपेट में हैं, लेकिन अब तक इसका कोई हल नहीं निकल पाया है। एक ऐसा चक्रव्यूह बन गया है जिसे भेदना मुश्किल होता जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर प्रकाश झा ने ‘चक्रव्यूह’ फिल्म बनाई है। ठोस कहानी, शानदार अभिनय और सुलगता मुद्दा प्रकाश झा के सिनेमा की खासियत हैं और यही बातें ‘चक्रव्यूह’ में भी देखने को मिलती है। दामुल से लेकर मृत्युदण्ड तक के सिनेमा में बतौर निर्देशक प्रकाश झा का अलग अंदाज देखने को मिलता है। इन फिल्मों में आम आदमी के लिए कुछ नहीं था। गंगाजल से प्रकाश झा ने कहानी कहने का अपना अंदाज बदला। बड़े स्टार लिए, फिल्म में मनोरंजन की गुंजाइश रखी ताकि उनकी बात ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचे। इसका सुखद परिणाम ये रहा कि प्रकाश झा की‍ फिल्मों को लेकर आम दर्शकों में भी उत्सुकता पैदा हो गई। अब तो आइटम नंबर भी झा की फिल्म में देखने को मिलते हैं। चक्रव्यूह में पुलिस, राजनेता, पूंजीवादी और माओवादी सभी के पक्ष को रखने की कोशिश प्रकाश झा ने की है। फिल्म किसी निर्णय तक नहीं पहुंचती है, लेकिन दर्शकों तक वे ये बात पहुंचाने में सफल रहे हैं ...

The Last Gate Of The 'Chakravyuh' Of UP Nikay Chunav 2023, Which Will Open... Its 'government' In The City ?

CLOSE आज विश्लेषण में सबसे पहले बात निकाय के 'चक्रव्यूह' का अंतिम द्वार, जो भेदेगा... शहर में उसकी 'सरकार'. क्योंकि 38 जिलों के 9 मंडलों में दूसरे चरण के लिए आज वोटिंग हुई. जहां जनता ने अपने घरों से निकल वोट तो खूब डाले लेकिन वोट की रफ्तार पहले चरण के मुकाबले थोड़ी धीमी नजर आई. क्योंकि 4 मई को जहां 52 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं आज 5 बजे तक सिर्फ 49.33 फीसदी ही हुई वोटिंग हुई. अब सवाल ये है कि जनता की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा. क्योंकि ये सिर्फ निकाय का चुनाव नहीं है. ये 24 के भविष्य का भी चुनाव है.

कैसी है प्रकाश झा की चक्रव्यूह पढि़ए मूवी रिव्यू

कैसी है प्रकाश झा की चक्रव्यूह, पढि़ए मूवी रिव्यू मुंबई [अजय ब्रह्मात्मज]। पैरेलल सिनेमा से उभरे फिल्मकारों में कुछ चूक गए और कुछ छूट गए। अभी तक सक्रिय चंद फिल्मकारों में एक प्रकाश झा हैं। अपनी दूसरी पारी शुरू करते समय 'बंदिश' और 'मृत्युदंड' से उन्हें ऐसे सबक मिले कि उन्होंने राह बदल ली। सामाजिकता, यथार्थ और मुद्दों से उन्होंने मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने शैली और नैरेटिव में बदलाव किया। अपनी कहानी के लिए उन्होंने लोकप्रिय स्टारों को चुना। अजय देवगन के साथ 'गंगाजल' और 'अपहरण' बनाने तक मुंबई [अजय ब्रह्मात्मज]। पैरेलल सिनेमा से उभरे फिल्मकारों में कुछ चूक गए और कुछ छूट गए। अभी तक सक्रिय चंद फिल्मकारों में एक प्रकाश झा हैं। अपनी दूसरी पारी शुरू करते समय 'बंदिश' और 'मृत्युदंड' से उन्हें ऐसे सबक मिले कि उन्होंने राह बदल ली। सामाजिकता, यथार्थ और मुद्दों से उन्होंने मुंह नहीं मोड़ा। उन्होंने शैली और नैरेटिव में बदलाव किया। अपनी कहानी के लिए उन्होंने लोकप्रिय स्टारों को चुना। अजय देवगन के साथ 'गंगाजल' और 'अपहरण' बनाने तक वे गंभीर समीक्षकों के प्रिय बने रहे, क्योंकि अजय देवगन कथित लोकप्रिय स्टार नहीं थे। फिर आई 'राजनीति.' इसमें रणबीर कपूर, अर्जुन रामपाल और कट्रीना कैफ के शामिल होते ही उनके प्रति नजरिया बदला। 'आरक्षण' ने बदले नजरिए को और मजबूत किया। स्वयं प्रकाश झा भी पैरेलल सिनेमा और उसके कथ्य पर बातें करने में अधिक रुचि नहीं लेते। अब आई है 'चक्रव्यूह'। 'चक्रव्यूह' में देश में तेजी से बढ़ रहे अदम्य राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन नक्सलवाद पृष्ठभूमि में है। इस आंदोलन की पृष्ठभूमि में कुछ किरदार रचे गए हैं। उन किरदारों को पर्दे पर अर्जुन रामपाल, मनोज बाजपेयी, अभय देओल, ईशा गुप्ता, अंजलि पाटिल ...

चक्रव्यूह क्या था, इसे कैसे तोड़ा जाता है?

भगवान श्रीकृष्ण की नीति के चलते अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह को भेदने का आदेश दिया गया। यह जानते हुए भी कि अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदना तो जानते हैं, लेकिन उससे बाहर निकलना नहीं जानते। दरअसल, अभिमन्यु जब सुभद्रा के गर्भ में थे तभी चक्रव्यूह को भेदना सीख गए थे लेकिन बाद में उन्होंने चक्रव्यूह से बाहर निकलने की शिक्षा कभी नहीं ली। अभिमन्यु श्रीकृष्ण के भानजे थे। श्रीकृष्ण ने अपने भानजे को दांव पर लगा दिया था। अभिमन्यु के चक्रव्यूह में जाने के बाद उन्हें चारों ओर से घेर लिया गया। घेरकर उनकी जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं द्वारा निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई, जो कि युद्ध के नियमों के विरुद्ध था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण यही चाहते थे। जब नियम एक बार एक पक्ष तोड़ देता है, तो दूसरे पक्ष को भी इसे तोड़ने का मौका मिलता है। युद्ध को लड़ने के लिए पक्ष या विपक्ष अपने हिसाब से व्यूह रचना करता था। व्यूहरचना का अर्थ है कि किस तरह सैनिकों को सामने खड़ा किया जाए। आसमान से देखने पर यह व्यूह रचना दिखाई देती है। जैसे क्रौंच व्यूह है, तो आसमान से देखने पर क्रौंच पक्षी की तरह सैनिक खड़े हुए दिखाई देंगे। इसी तरह चक्रव्यूह को आसमान से देखने पर एक घूमते हुए चक्र के समान सैन्य रचना दिखाई देती है। कहते हैं कि चक्रव्यूह की रचना द्रोण ने की थी। इस व्यूह को एक घूमते हुए चक्के की शक्ल में बनाया जाता था, जैसे आपने स्पाइरल को घूमते हुए देखा होगा। कोई भी नया योद्धा इस व्यूह के खुले हुए हिस्से में घुसकर वार करता है या किसी एक सैनिक को मारकर अंदर घुस जाता है। यह समय क्षणभर का होता है, क्योंकि मारे गए सैनिक की जगह तुरंत ही दूसरा सैनिक ले लेता है अर्थात योद्धा के मरने पर चक्रव्यूह में उसके बगल वाला योद्धा उसका स्था...

The Last Gate Of The 'Chakravyuh' Of UP Nikay Chunav 2023, Which Will Open... Its 'government' In The City ?

CLOSE आज विश्लेषण में सबसे पहले बात निकाय के 'चक्रव्यूह' का अंतिम द्वार, जो भेदेगा... शहर में उसकी 'सरकार'. क्योंकि 38 जिलों के 9 मंडलों में दूसरे चरण के लिए आज वोटिंग हुई. जहां जनता ने अपने घरों से निकल वोट तो खूब डाले लेकिन वोट की रफ्तार पहले चरण के मुकाबले थोड़ी धीमी नजर आई. क्योंकि 4 मई को जहां 52 फीसदी वोटिंग हुई थी वहीं आज 5 बजे तक सिर्फ 49.33 फीसदी ही हुई वोटिंग हुई. अब सवाल ये है कि जनता की कसौटी पर कौन खरा उतरेगा. क्योंकि ये सिर्फ निकाय का चुनाव नहीं है. ये 24 के भविष्य का भी चुनाव है.