चरणों में निहित मात्राओं के आधार पर दोहा है

  1. दोहा
  2. छंद की परिभाषा, छंद के प्रकार और उदाहरण
  3. Doha & Chaupai Difference in Hindi
  4. दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला, हरिगीतिका, बरवै, मात्राएं तथा छन्द किसे कहते हैं
  5. मात्रिक छन्द की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण


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दोहा

दोहा छन्द के पहले तीसरे चरण में 13 मात्रायें और दूसरे–चौथे चरण में 11 मात्राएं होती हैं। विषय (पहले तीसरे) चरणों के आरम्भ जगण नहीं होना चाहिये और सम (दूसरे–चौथे) चरणों अन्त में लघु होना चाहिये। उदाहरण – मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोय। जा तन की झाँई परे, श्याम हरित दुति होय।। (24 मात्राएं) कविता कोश में किसी वाङमय की समग्र सामग्री का नाम साहित्य है। संसार में जितना साहित्य मिलता है ’ ऋग्वेद ’ उनमें प्राचीनतम है । ऋग्वेद की रचना छंदोबद्ध ही है । यह इस बात का प्रमाण है कि उस समय भी कला व विशेष कथन हेतु छंदो का प्रयोग होता था । छंद वस्तुत: एक ध्वनि समष्टि है । छोटी-छोटी अथवा छोटी बडी ध्वनियां जब एक व्यवस्था के साथ सामंजस्य प्राप्त करती हैं तब उसे एक शास्त्रीय नाम छंद दे दिया जाता है । जब मात्रा अथवा वर्णॊं की संख्या , विराम , गति , लय तथा तुक आदि के नियमों से युक्त कोई रचना होती है इस छंद अथवा पद्य कहते हैं , इसी को वृत्त भी कहा जाता है । छन्दस् शब्द 'छद' धातु से बना है । इसका धातुगत व्युत्पत्तिमूलक अर्थ है - 'जो अपनी इच्छा से चलता है' । अत: छंद शब्द के मूल में गति का भाव है । छंद को पद्य रचना का मापदंड कहा जा सकता है। बिना कठिन साधना के कविता में छंद योजना को साकार नहीं किया जा सकता । संस्कृत में कई प्रकार के छन्द मिलते हैं जो वैदिक काल के जितने प्राचीन हैं। वेद के सूक्त भी छन्दबद्ध हैं। पिङ्गल द्वारा रचित छन्दशास्त्र इस विषय का मूल ग्रन्थ है। वाक्य में प्रयुक्त अक्षरों की संख्या एवं क्रम, मात्रा-गणना तथा यति-गति से सम्बद्ध विशिष्ट नियमों से नियोजित पद्यरचना ‘छन्द’ कहलाती है। छन्द की सबसे पहले चर्चा ऋग्वेद में हुई है। यदि गद्य की कसौटी ‘व्याकरण’ है तो कविता की कसौटी ‘छन्दशा...

छंद की परिभाषा, छंद के प्रकार और उदाहरण

छन्द का सबसे पहले उपयोग ऋग्वेद में मिलता हैं। छंद के अंग छंद के चार अंग है। 1. मात्रा ह्रस्व स्वर जैसे ‘अ’ की एक मात्रा और दीर्घस्वर की दो मात्राएँ मानी जाती है । यदि ह्रस्व स्वर के बाद संयुक्त वर्ण, अनुस्वार अथवा विसर्ग हो तब ह्रस्व स्वर की दो मात्राएँ मानी जाती है । पाद का अन्तिम ह्रस्व स्वर आवश्यकता पडने पर गुरु मान लिया जाता है। 2. चरण या पाद चरण को पाद भी कहते हैं। एक छन्द में प्राय: चार चरण होते हैं। चरण छन्द का चौथा हिस्सा होता है। प्रत्येक पाद में वर्णों या मात्राओं की संख्या निश्चित होती हैं। चरण दो प्रकार के होते हैं। चरण या पाद दो प्रकार के होते हैं। • समचरण • विषमचरण समचरण :दूसरे और चौथे चरण को समचरण कहते हैं। विषमचरण :पहले और तीसरे चरण को विषम चरण कहते है। 3. वर्ण और मात्रा वर्णों के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे मात्रा कहते हैंं। • ह्रस्व (लघु) वर्ण तथा • दीर्घ वर्ण। लघु वर्ण में एक मात्रा होती है, और दीर्घ वर्ण में दो मात्राएं होती हैं। लघु का चिन्ह ‘।’ एवं गुरू का चिहृ ‘S’ है। 4. यति किसी छन्द को पढ़ते समय पाठक जहां रूकता या विराम लेता है, उसे यति कहते हैं। 5. गति छन्द को पढ़ते समय पाठक एक प्रकार का लय या प्रवाह अनुभव करता है, इसे ही गति कहते है। 6. तुक चरण के अंत में वणोर्ं की आवृत्ति को तुक कहते है। 7. गण वर्णिक छन्दों की गणना ‘गण’ के क्रमानुसार की जाती है। तीन वर्णों का एक गण होता है। गणों की संख्या आठ होती है। जैसे :- यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण और सगण। गणसूत्र-यमाताराजभानसलगा। जरूर पढ़े :- छन्द के प्रकार छन्द मुख्यतः 4 प्रकार के होते है 1. वार्णिक छन्द वर्णिक छन्द के सभी चरणों में वर्णों की गणना की जाती हैं और इनके चरणों में वर्णों की संख्या सम...

Doha & Chaupai Difference in Hindi

नमस्कार दोस्तों….आज हम आपको “दोहा और चौपाई” के बारे में बताएंगे. आज हम आपको बताएंगे कि “दोहा और चौपाई क्या है और इनमे क्या अंतर होता है?”. जैसा कि कई लोग जानते हैं कि दोहा और चौपाई साहित्य से जुड़ी होती है. लेकिन इनमे अंतर करना थोड़ा confusing हो जाता है. इसलिए अधिकतर लोगों के मन में इन्हे लेके कुछ प्रश्न उत्तपन्न होते रहते हैं, जिनका समाधान करने की कोशिश आज हम करेंगे. और हम उम्मीद करते हैं कि हम इसमें सफल भी होंगे. तो चलिए शुरू करते हैं आज का टॉपिक. सूची • • • दोहा क्या है | What is Doha in Hindi !! दोहा अर्द्धसम मात्रिक छंद होते हैं. इन्हे चार चरणों में विभाजित किया गया है. जिसमे इसके प्रथम और तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं और इसके द्वितीय और चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं. प्रथम और तृतीय चरण के आदि में प्राय: जगण (।ऽ।) का प्रयोग करना टाला जाता है. लेकिन यदि कोई दोहा बड़ा हुआ तो उसमे पंक्ति के शुरुआत में ज-गण का प्रयोग किया जाता है. वहीं दूसरी तरफ द्वितीय तथा चतुर्थ चरण के आखिरी में एक गुरु और एक लघु मात्रा होना अनिवार्य होता है. उदाहरण : लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट । पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहिं जब छूट ॥ बाबुल अब ना होएगी, बहन भाई में जंग | डोर तोड़ अनजान पथ, उड़कर चली पतंग || चौपाई क्या है | What is Chaupai in Hindi !! चौपाई एक मात्रिक सम छन्द का एक भेद माना गया है. ये प्राकृत और अपभ्रंश की 16 मात्राओं के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पे बनाया गया हिंदी का सबसे पसंदीदा छंद होता है. इसका सबसे अच्छा उदाहरण गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गयी रामचरित मानस है, जिसमे चौपाइ छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह दर्शाया गया है. चौपाई भी चार चरणों में विभाजित होती हैं जहाँ ...

दोहा, सोरठा, चौपाई, रोला, हरिगीतिका, बरवै, मात्राएं तथा छन्द किसे कहते हैं

छंद की परिभाषा (chhand ki paribhasha) छंद शब्द में असन् प्रत्यय लगने से बना है। छंद धातु का अर्थ है आह्वलादित करना । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार ” छोटी- छोटी सार्थक ध्वनियों के प्रवाहपूर्ण सामंजस्य का नाम छंद है “ छंद के भेद (chhand ke bhed) वार्णिक छंद , मात्रिक छंद, मुक्त छंद वार्णिक छंद वर्ण गणना के आधार पर रचा गया छंद वार्णिक छंद कहलाता है – (क ) साधारण – वे वार्णिक छंद जिनमें 26 वर्ण के चरण होते हैं। ( ख) खण्डक – वे वार्णिक छंद जिनमें 26 वर्ण से अधिक वर्ण होते हैं । उसे दण्डक कहा जातै है । प्रमुख छंदो का परिचय दीजिए दोहा सोरठा, चौपाई, मात्राएं, सम मात्रिक छन्द , विषम मात्रिक छन्द, बरवै, गीतिका, रामायण, महत्वपूर्ण पूधे गए प्रश्न, मात्राओं की संख्या किसे कहते हैं, chhand in hindi , ullala hindi 1. चौपाई (chaupai chhand) यह सम मात्रिक छन्द है । इसमें चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरण में 16 मात्राए होती हैं । चरण के अन्त में यति होती है । चरण के अन्त में जगण ( ISI) एवं तगण ( SSI )नहीं होने चाहिए चौपाई छंद का उदाहरण – ( chaupai ka udaharan ) जय हनुमान ग्यान गुन सागर । जय कपीस तेहुँ लोक उजागर राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा । 2. गीतिका (geetika) प्रत्येक चरण में 26 मात्राएं होती हैं, 14 और 12 पर यति । चरणान्त में लघुरूप विन्यास आवश्यक होता है । गीतिका का उदाहरण ( geetika ka udaharan) साधु भक्तों में सुयोगी संयंमी बढने लगे। सभ्यता की सीढियों पर सूरमा चढने लगे।। 3. हरिगीतिका- (harigeetika) यह मात्रिक सम छन्द है। प्रत्येक चरण में 28 मात्राएं होती हैं। यति 16 और 12 पर होती हैं तथा अन्त में लघु और गुरु का का प्रयोग होता है। हरिगीतिका का उदाहरण – harigitika ka ...

मात्रिक छन्द की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आप मात्रिक छन्द की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने चलिए आज हम मात्रिक छन्द की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं। मात्रिक छन्द किसे कहते हैं जिन छंदोंमें मात्राओं की संख्या, लघु तथा गुरु स्वर, यति तथा गति के आधार पर पद रचना होती है, उन्हें मात्रिक छन्द कहते हैं। दूसरे शब्दों में- मात्रा की गणना के आधार पर रचित छन्द ‘मात्रिक छन्द’ कहलाता है। • मात्रिक छंद के सभी चरणों में मात्राओं की संख्या एक समान रहती है लेकिन लघु तथा गुरु स्वर के क्रम पर ध्यान नहीं दिया जाता है। • इसमें वार्णिक छन्द के विपरीत, वर्णों की संख्या अलग-अलग हो सकती है और वार्णिक वृत्त के अनुसार यह गणबद्ध भी नहीं होते है, बल्कि यह गणपद्धति या वर्णसंख्या को छोड़कर केवल चरण की कुल मात्रा संख्या के आधार पर ही नियमित होते है। • ‘दोहा’ और ‘चौपाई’ जैसे छन्द ‘मात्रिक छन्द’ में गिने जाते है। ‘दोहा’ के प्रथम से तृतीय चरण में 93 मात्राएँ और द्वितीय से चतुर्थ में 99 मात्राएँ होती है। मात्रिक छंद के प्रकार मात्रिक छंद के मुख्य तीन प्रकार के होते हैं। • सम मात्रिक छंद • अर्द्ध सम मात्रिक छंद • विषम मात्रिक छंद 1. सम मात्रिक छंद • अहीर (11 मात्रा) • तोमर (12 मात्रा) • मानव (14 मात्रा) • अरिल्ल, पद्धरि/पद्धटिका,चौपाई (सभी 16 मात्रा) • पीयूषवर्ष, सुमेरु (दोनों 19 मात्रा) • राधिका (22 मात्रा) • रोला, दिक्पाल, रूपमाला (सभी 24 मात्रा) • गीतिका (26 मात्रा) • सरसी (27 मात्रा) • सार (28 मात्रा) • हरिगीतिका (28 मात्रा) • ताटंक (30 मात्रा) • वीर या आल्हा (31 मात्रा) 2. अर्द्धसम मात्रिक छंद • बरवै (विषम चरण में- 12 मात्रा, सम चरण में- 7 मात्रा) • दोहा (विषम- 13, सम- 11) • सोरठा (दोहा ...