दाम्पत्य का अर्थ

  1. दाम्पत्य
  2. दम्पत्ति शब्द का विशेषण क्या है?
  3. झोपेसाठी दाम्पत्य घेत आहेत 'स्लीप डिव्होर्स'; हे नेमके आहे तरी काय? केव्हा व का घ्यावा? झोपेचा हृदयाशी काय संबंध?
  4. वर्तमान युग में दांपत्य जीवन – Priya Sharan Tripathi
  5. वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य सुख: ज्योतिष्य विश्लेषण – Priya Sharan Tripathi
  6. अमात्य


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दाम्पत्य

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दम्पत्ति शब्द का विशेषण क्या है?

Explanation : दम्पत्ति (Dampati) शब्द का विशेषण दाम्पत्य होता है। विशेषण (Adjective) की परिभाषा – संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता जैसे गुण, दोष, संख्या, परिणाम आदि बताने वाले शब्द 'विशेषण' कहलाते है। संज्ञा के साथ, सा, नामक, संबंधी, रूपी आदि शब्दों को जोड़कर विशेषण बनाते है। विशेषण एक ऐसा विकारी शब्द भी है, जो हर हालत में संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताता है। विशेषण संबंधी प्रश्न टीईटी, स्टेनोग्राफर, बैंक परीक्षा, एलआईसी, लेखपाल सहित अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु उपयोगी होते है। Tags :

झोपेसाठी दाम्पत्य घेत आहेत 'स्लीप डिव्होर्स'; हे नेमके आहे तरी काय? केव्हा व का घ्यावा? झोपेचा हृदयाशी काय संबंध?

दिवसभर घर-ऑफिस-मुलांमध्ये व्यस्त राहिल्यानंतर त्यांना रात्री शांत झोप हवी असते. अनेकदा हे एखाद - दुसऱ्या कारणाने शक्य होत नाही. त्यामुळे 'स्लीप डिव्होर्स' हाच एकमेव पर्याय शिल्लक राहतो. आज आपण याच नव्या 'स्लीप डिव्होर्स' शब्दावर बोलणार आहोत. त्याचा अर्थ व त्याचे फायदे समजावून घेणार आहोत... प्रश्नः स्लीप डिव्होर्स म्हणजे काय? उत्तरः जेव्हा जोडपी चांगल्या आणि दर्जेदार झोपेसाठी वेगवेगळ्या खोलीत, वेगवेगळ्या बेडवर किंवा वेगवेगळ्या वेळी झोपतात, तेव्हा त्याला स्लीप डिव्होर्स अर्थात झोपेचा घटस्फोट म्हणतात. प्रश्नः स्लीप डिव्होर्सचा कालावधी किती आहे? उत्तरः त्याचा कालावधी निश्चित नाही. हे परिस्थितीनुसार दीर्घकालीन किंवा अल्पकालीन असू शकते. उदाहरणार्थ, ऑफिसचा एखादा प्रोजेक्ट असेल आणि तुम्ही रोज रात्री उशिरापर्यंत काम करत असाल, तर दुसरा पार्टनर काही दिवस स्लीप डिव्होर्स घेऊ शकतो. प्रश्न: हे फक्त तरुण जोडप्यांमध्येच दिसून येते की मध्यमवयीन जोडपी देखील स्लीप डिव्होर्स घेत आहेत? उत्तर: नाही. हा पॅटर्न दोन्ही वयोगटातील जोडप्यांमध्ये दिसून येतो. जसे आपण आधी सांगितले आहे की, स्लीप डिव्होर्सचे कारण म्हणजे चांगली झोप. झोपेची कमतरता कोणत्याही वयात होऊ शकते. गेल्या वर्षी, वेकफिट या स्लीप सोल्यूशन्स कंपनीने ग्रेट इंडियन स्लीप स्कोअरकार्ड (GISS) 2022 जारी केले. त्यानुसार भारतात 55% पेक्षा जास्त जण रात्री 11 नंतर झोपतात. 8 तासांपेक्षा कमी झोप न घेता जागे होतात. त्याचप्रमाणे आरोग्य तंत्रज्ञान कंपनी फिलिप्स इंडियाचा 2019 चा डेटा सांगतो की, 93% भारतीयांना पुरेशी झोप मिळत नाही. प्रश्‍न: वेगवेगळ्या खोल्यांमध्ये झोपल्याने म्हणजेच स्लीप घटस्फोटामुळे नातेसंबंधात दुरावा निर्माण होतो की काही फायदा होतो? उत...

वर्तमान युग में दांपत्य जीवन – Priya Sharan Tripathi

दाम्पत्य पुरुष और प्रकृति के संतुलन का पर्याय है। यह धरती और आकाश के संयोजन और वियोजन का प्रकटीकरण है। आकाश का एक पर्याय अंबर भी है जिसका अर्थ वस्त्र है। वह पृथ्वी को पूरी तरह अपने आवरण मेंं रखता है। वह पृथ्वी के अस्तित्व से अछूता नहीं रहना चाहता। पुरुष और आकाश मेंं कोई भिन्नता नहीं है। आकाश तत्व बृहस्पति का गुण है। स्त्री की कुंडली मेंं सप्तम भाव का कारक गुरु ही है। गुरु अर्थात गंभीर, वह जो अपने दायित्व के प्रति गंभीर रहे। क्या आज के पति अपने धर्म का पूर्ण निर्वाह कर पा रहे हैं? आर्थिक युग के इस दौर मेंं स्त्री घर छोडक़र बाहर निकल रही है। ऐसे मेंं स्वाभाविक है वायरस (राहु) का फैलना, जिससे निर्मित होता है गुरु चांडाल योग। इस विषय मेंं ज्योतिष के सिद्धांत क्या कहते हैं, इसी का विवरण यहां दिया जा रहा है। यदि लग्न या चंद्र से सातवें भाव मेंं नवमेंश या राशि स्वामी या अन्य कारक ग्रह स्थित हों या उस पर उनकी दृष्टि हो तो शादी से सुख प्राप्त होगा और पत्नी स्नेहमयी और भाग्यशाली होगी। यदि द्वितीयेश, सप्तमेंश और द्वादशेश केंद्र या त्रिकोण मेंं हों तथा बृहस्पति से दृष्ट हों, तो सुखमय वैवाहिक जीवन व पुत्रवती पत्नी का योग बनाते हैं। यदि सप्तमेंश और शुक्र समराशि मेंं हों, सातवां भाव भी सम राशि हो और पंचमेंश और सप्तमेंश सूर्य के निकट न हों या किसी अन्य प्रकार से कमजोर न हों, तो शीलवती पत्नी और सुयोग्य संतति प्राप्त होती है। यदि गुरु सप्तम भाव मेंं हो, तो जातक पत्नी से बहुत प्रेम करता है। सप्तमेंश यदि व्यय भाव मेंं हो, तो पहली पत्नी के होते हुए भी जातक दूसरा विवाह करेगा, सगोत्रीय शादी भी कर सकता है। इस योग के कारण पति और पत्नी की मृत्यु भी हो सकती है। यदि सप्तमेंश पंचम या पंचमेंश सप्तम भाव ...

वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य सुख: ज्योतिष्य विश्लेषण – Priya Sharan Tripathi

दाम्पत्य पुरुष और प्रकृति के संतुलन का पर्याय है। यह धरती और आकाश के संयोजन और वियोजन का प्रकटीकरण है। आकाश का एक पर्याय अंबर भी है जिसका अर्थ वस्त्र है। वह पृथ्वी को पूरी तरह अपने आवरण में रखता है। वह पृथ्वी के अस्तित्व से अछूता नहीं रहना चाहता। पुरुष और आकाश में कोई भिन्नता नहीं है। आकाश तत्व बृहस्पति का गुण है। स्त्री की कुंडली में सप्तम भाव का कारक गुरु ही है। गुरु अर्थात गंभीर, वह जो अपने दायित्व के प्रति गंभीर रहे। क्या आज के पति अपने धर्म का पूर्ण निर्वाह कर पा रहे हैं? आर्थिक युग के इस दौर में स्त्री घर छोड़कर बाहर निकल रही है। ऐसे में स्वाभाविक है वायरस (राहु) का फैलना जिससे निर्मित होता है गुरु चांडाल योग। इस विषय में ज्योतिष के सिद्धांत क्या कहते हैं, इसी का विवरण यहां दिया जा रहा है। यदि लग्न या चंद्र से सातवें भाव में नवमेश या राशि स्वामी या अन्य कारक ग्रह स्थित हों या उस पर उनकी दृष्टि हो तो शादी से सुख प्राप्त होगा और पत्नी स्नेहमयी और भाग्यशाली होगी । यदि द्वितीयेश, सप्तमेश और द्वादशेश केंद्र या त्रिकोण में हों तथा बृहस्पति से दृष्ट हों, तो सुखमय वैवाहिक जीवन व पुत्रवती पत्नी का योग बनाते हैं। यदि सप्तमेश और शुक्र समराशि में हांे, सातवां भाव भी सम राशि हो और पंचमेश और सप्तमेश सूर्य के निकट न हों या किसी अन्य प्रकार से कमजोर न हों, तो शीलवती पत्नी और सुयोग्य संतति प्राप्त होती है। यदि गुरु सप्तम भाव में हो, तो जातक पत्नी से बहुत प्रेम करता है। सप्तमेश यदि व्यय भाव में हो, तो पहली पत्नी के होते हुए भी जातक दूसरा विवाह करेगा, सगोत्रीय शादी भी कर सकता है। इस योग के कारण पति और पत्नी की मृत्यु भी हो सकती है। यदि सप्तमेश पंचम या पंचमेश सप्तम भाव में हो, तो जातक शा...

अमात्य

अमात्य राज्य के सात अंगों में दूसरा अंग है, जिसका अर्थ है - मंत्री। राजा के परामर्शदाताओं के लिए 'अमात्य', 'सचिव' तथा 'मंत्री' - इन तीनों शब्दों का प्रयोग प्राय: किया जाता है। इनमें अमात्य नि:संदेह प्राचीनतम है। अमात्यपरिषद् (अथवा मंत्रिपरिषद्) के सदस्यों की संख्या के विषय में प्राचीन काल से मतभिन्नता दिखलाई पड़ती है। किसी आचार्य का आग्रह मंत्रियों की संख्या तीन-चार तक सीमित रखने के ऊपर है, किंतु कुछ आचार्य उसे सात-आठ तक बढ़ाने के पक्ष में हैं। रामायण (बालकांड, ७.२-३) में दशरथ के मंत्रियों की संख्या आठ दी गई है और इसी के तथा शुक्रनीतिसार (२.७१.७२) के आधार पर छत्रपति शिवाजी ने अपनी मंत्रिपरिषद् अष्टप्रधानों की बनाई थी। शांतिपर्व, कौटिल्य तथा नीतिवाक्यामृत के वचनों की परीक्षा से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्राचीन काल में मंत्रिसभा तीन प्रकार की होती थी: • (क) तीन या चार मंत्रियों का अंतरंग मंत्रिमंडल सबसे अधिक महत्वशाली था। • (ख) मंत्रियों की परिषद् जिसमें मंत्रियों की संख्या सात या आठ रहती थी। • (ग) अमात्यों या सचिवों की एक बड़ी सभा जिसमें राज्य के विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारी भी सम्मिलित होते थे। अमात्यों के लिए आवश्यक गुणों तथा योग्यता का विशेष वर्णन आज अमात्य जो की अमात (अपभ्रंश ) के नाम से जाना जाता है जिसे एक जाति विशेष के नाम से भी जाना जाता है! इस जाती के लोग मुख्यतः भारतके बिहार, बंगाल, ओड़िसा, मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश , झारखण्ड राज्य एवं हमारे पडोसि देश नेपाल में मिलता है! इनकी जातीय पेशा कुछ नहीं होने के कारण सामाजिक स्तर पर पिछड़े हुए हैं। सन्दर्भ ग्रन्थ [ ] • कौटिलीय अर्थशास्त्र • शुक्रनीति • कामंदकनीतिसार • काशीप्रसाद जायसवाल: हिंदू पॉलिटी इन्हें भी द...