दानिश जैन का बर्थडे कब आता है

  1. दानी जैन कौन है? – ElegantAnswer.com
  2. दानिश भाई कब मरा? – ElegantAnswer.com
  3. गणेश जी का बर्थडे कब आता है गांधीजी का बर्थडे कब आता है? » Ganesh Ji Ka Birthday Kab Aata Hai Gandhiji Ka Birthday Kab Aata Hai
  4. जैन दर्शन
  5. जैन धर्म का इतिहास
  6. जैन धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
  7. कब मिली जैन धर्म को पहचान? जानें कितने हैं तीर्थंकर और क्या है इसका इतिहास


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दानी जैन कौन है? – ElegantAnswer.com

दानी जैन कौन है? TikTok Star Danish Zehen Wiki in Hindi पूरा नाम दानिश जेहन मृत्यु जगह वाशी हाईवे मुंबई उम्र 22 साल दानिश जेहन के अन्य नाम दी लीजेंड बॉय, वन मैन आर्मी पेशा YouTuber, vLogger, Rapper and Model दानी जैन की मौत कैसे हुई? इसे सुनेंरोकेंमशहूर यूट्यूबर दानिश जेहन (Danish Zehen) कार एक्सीडेंट में हुई थी मौत खबरों के अनुसार दानिश जेहन एक शादी से घर की ओर लोट रहे थे, तभी वाशी में उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया और मौके पर ही दानिश का मृत्यु हो गई थी। क्या दानिश भाई अभी जिंदा है? इसे सुनेंरोकेंअब हमारे बीच दानिश नहीं हैं लेकिन उनकी मौत को एक साजिश बताया जा रहा है। जी हां, हाल में बिग बॅास 11( bigg boss 11) की विजेता टीवी एक्ट्रेस शिल्पा शिंदे (shilpa shinde) ने उनकी मौत का दुख जाहिर करते हुए ट्वीट किया। लेकिन इस ट्वीट में उन्होंने लिखा,’ दानिश के मिस्टीरियस एक्सीडेंट पर भारी मन से श्रद्धांजलि। दानिश जैन की मां का नाम क्या है? इसे सुनेंरोकेंमोहम्मद दानिश के पिता का नाम ज्ञात नहीं है और उसकी मां का नाम ज्ञात नहीं है। मोहम्मद दानिश की वैवाहिक स्थिति अभी भी अविवाहित है। उन्होंने अभी तक किसी से शादी नहीं की है, वह अभी सिर्फ 24 साल की हैं। इस समय, वह केवल अपने गायन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और संगीत उद्योग में अपनी जगह स्थापित करना चाहता है। दानी जैन कब मरे? इसे सुनेंरोकेंमशहूर यूट्यूबर और एमटीवी के शो Ace of Space के कंटेस्टेंट रहे दानिश जेहन की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. रिपोर्ट्स के के मुताब‍िक दानिश गुरुवार सुबह एक शादी से लौट रहे थे, तभी उनकी कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई. जिसमें दानिश की मौत हो गई. यह दुर्घटना मुंबई के वाशी में हुई. डेनिश ज़हन की डेथ कब हुई? 20 दिसंबर...

दानिश भाई कब मरा? – ElegantAnswer.com

दानिश भाई कब मरा? इसे सुनेंरोकें20 दिसंबर को एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। उनके निधन से फैंस और दोस्त काफी दुखी हैं। उनके निधन के बाद से बॉलीवुड और टीवी जगत की हस्तियां भी शौक में डूबी हैं। दानिश की अंतिम यात्रा में भी हजारों की भीड़ अपने चेहते स्टार के अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे थे। दानिश भाई कैसे मरा था? इसे सुनेंरोकें- 19- 20 दिसंबर की दरमियानी रात एक शादी से मुंबई लौट रहे दानिश की सड़क हादसे में मौत हुई। 20 की रात दानिश का अंतिम संस्कार किया गया। दानिश जैन का एक्सीडेंट कब और कैसे हुआ? इसे सुनेंरोकेंपुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित थे दानिश सिद्दीकी को वर्ष 2018 में समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करने के दौरान पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। शुक्रवार को पाकिस्तान की सीमा से लगते अफगानिस्तान के कस्बे स्पीन बोल्दक में उनकी तालिबानी हमले में मौत हो गई थी। हत्या के समय वह अफगान विशेष बल के साथ थे। गूगल दानिश कौन है? इसे सुनेंरोकेंWho is Danish Zehen (दानिश जेहन कौन है?) दानिश जेहन एक यूटूबर, मॉडल और लाइफस्टाइल व्लॉगेर थे। उन्होंने MTV पर प्रसारित शो Ace of Space Session 1 में भाग लिया था और उसके बाद ही वे काफी फेमस हो गए थे। इतना नाम और शोहरत कमाने के बाद महज 22 वर्ष की उम्र में वे इस दुनिया को छोड़कर चले गए। गूगल दानिश जेहन कौन था? इसे सुनेंरोकेंदानिश जेहन एक YouTuber, vLogger, Rapper और Model थे और साथ में उन्हें समाज की सेवा करना बहुत ही अच्छा लगता था। क्या दानिश अभी जिंदा है? इसे सुनेंरोकेंमशहूर यूट्यूबर और रियलिटी शो ‘ऐस ऑफ स्पेस’ के कंटेस्टेंट दानिश जेहन की अचानक मौत की खबर ने सोशल मीडिया पर तहलका मचा दिया। 21 साल के दानिश मस्तमौला इंसान थे जिसकी झलक उन...

गणेश जी का बर्थडे कब आता है गांधीजी का बर्थडे कब आता है? » Ganesh Ji Ka Birthday Kab Aata Hai Gandhiji Ka Birthday Kab Aata Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। दोस्तों आपका सवाल गणेश जी का बर्थडे कब आता है और गांधीजी का बर्थडे कब आता है जवाब गांधीजी का बर्थडे आता है 2 अक्टूबर को और गणेश जी का माघ शुक्ल चतुर्थी पर गणेश जी की जयंती कुंड चतुर्थी व मार्ट विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है doston aapka sawaal ganesh ji ka birthday kab aata hai aur gandhiji ka birthday kab aata hai jawab gandhiji ka birthday aata hai 2 october ko aur ganesh ji ka magh shukla chaturthi par ganesh ji ki jayanti kund chaturthi va mart vinayak chaturthi ka parv manaya jata hai दोस्तों आपका सवाल गणेश जी का बर्थडे कब आता है और गांधीजी का बर्थडे कब आता है जवाब गांधीजी

जैन दर्शन

द्रव्य वह है, जिसमें गुण और पर्याय हो-'गुणपर्यायवद् द्रव्यम्'। गुण स्वरूप धर्म है और पर्याय आगन्तुक धर्म। इन धर्मों के दो भेद हैं- (क) भावात्मक (ख) अभावात्मक। स्वरूपधर्मों के बिना द्रव्य का अस्तित्त्व सम्भव नहीं। यह जगत् द्रव्यों से बना है। द्रव्य सत् हैं; क्योंकि उसमें सत्ता के तीनों लक्षण उत्पत्ति, व्यय (क्षय) और नित्यता मौजूद है। द्रव्य के दो रूप हैं- अस्तिकाय और अनस्तिकाय। अनस्तिकाय के अमूर्त होने से इसमें केवल काल की ही गणना होती है, जबकि अस्तिकाय में दो प्रकार के द्रव्य हैं- (क) जीव तथा (ख) अजीव। चेतन द्रव्य जीव अथवा आत्मा है। सांसारिक दशा में यही आत्मा जीव कहलाती है। जीव में प्राण तथा शारीरिक, मानसिक और ऐन्द्रिक शक्ति है, जिसमें कार्य के प्रभाव से औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, औदायिक तथा पारिमाणिक- ये पाँच भाव प्राण से संयुक्त, रहते हैं। द्रव्य के रूप बदलने पर यही ‘भावदशापन्न प्राण’ पुद्गल (डंजजमत) कहलाता है। इस प्रकार पुद्गल युक्त जीव ही संसारी कहा जाता है। जैन दर्शनानुसार जीव नित्य एवं स्वयंप्रकाश है। ' कर्म [ ] जैन दर्शन में कर्म के मुख्य आठ भेद बताए गए हैं - ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय जैन दर्शन के अनुसार कर्म पौद्गलिक (शारीरिक) अर्थात् धूल के कण के समान जड़ पदार्थ हैं। ये राग,द्वेष और भ्रम से प्रेरित मन, शरीर और वाक् की क्रियाओं तथा वासनाओं से पैदा होते हैं। कर्म के मुख्य रूप से दो भेद हैं- • 1. घातीया जो पहले नाश को प्राप्त होते हैं तथा • 2. अघातीया जो कि बाद में नाश को प्राप्त होते हैं। इनमें से घातीया कर्म के चार भेद हैं- (अ) ज्ञानावरणीय, (ब) दर्शनावरणीय (स) अन्तराय (प्रगति में बाधक) और (द) मोहनीय। इसी प्रकार अघातीया कर्म...

जैन धर्म का इतिहास

जिसने अपने आत्मिक विकारों पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर ली हो वही 'जिन' है। अतः जो इस जगत की वासनाओं, इच्छाओं, इन्द्रियों और मन पर विजय प्राप्त करते हैं उन्हें जैन धर्म में जिन कहा जाता है। जिन अर्थात् जो व्यक्ति जिनेन्द्र देव के सिद्धान्तों का पालन करते हैं वे जैन कहलाते हैं। तीर्थकर का शाब्दिक अर्थ है धर्म तीर्थ का प्रवर्तन करने वाला अर्थात् जो विश्वरूपी सागर के पार होने हेतु धर्मरूपी घाट का निर्माण करते हैं वे तीर्थकर कहलाते हैं। जैन धर्म में चौबीस तीर्थकर हुए हैं जिसमें भगवान ऋषभदेव प्रथम और महावीर चौबीसवें तीर्थकर हैं। आचार्य समन्तभद्र द्वारा रचित ग्रन्थ 'बृहत्स्वयम्भू' में बताया गया है कि "तीर्थकर वह है जिसके द्वारा अच्छाई के विस्तृत रूप का दर्शन होता व्याख्या के अनुसार जो अपनी इच्छाओं व रागद्वेषों आदि को जीत ले वे तीर्थंकर कहलाते हैं। जैन ग्रन्थों में तीर्थंकरों के लिए अरिहंत शब्द का प्रयोग किया जाता है। अरिहंत शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अरि और हनन, जिसका अर्थ है अरि (कर्मशत्रु) का हनन (नष्ट) करने वाला। जो मन के विकारों से युद्ध करते हैं, वासनाओं से संघर्ष करते हैं, रागद्वेष को पूर्णरूप से पराजित कर अपने अधीन कर लेते हैं अध्यात्मिक साधनाओं द्वारा अरिहंत कहलाते हैं। जैन धर्म ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं करता है किन्तु जैन तीर्थंकरों की उपासना ईश्वर के समान ही करते हैं। सभी तीर्थकर अहिंसा में विश्वास करने वाले तपस्वी एवं त्यागी होते थे। इन्होंने संयम एवं कठोर तप के द्वारा सम्पूर्ण ज्ञान को प्राप्त किया और जीवन भर अहिंसा का उपदेश दिया। सभी तीर्थकरों का विवरण जैन पुराणों तथा अन्य चरित्र ग्रन्थों में मिलता है। आदि पुराण में ऋषभदेव का और उत्तरपुराण में अन्य तीर्थक...

जैन धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

जिन द्वारा प्रवर्तित धर्म। जो जिन के अनुयायी हैं , उन्हें जैन कहते हैं। जिन शब्द का अर्थ है- “जीतने वाला”अर्थात जिसने अपने मन, वाणी, तथा अपनी काया को जीत लिया और विशिष्ट ज्ञान प्राप्त कर पूर्णज्ञान प्राप्त किया, उन्हें ही जिनेश्वर या जिन कहा जाता है। जैन धर्म का मूल वैदिक साहित्य है। जैन धर्म की विशेषताएं- • जैन परंपरा के अनुसार इस धर्म में 24 तीर्थंकर हुए।इनमें प्रथम ऋषभदेव हैं।23 वें तीर्थंकर पाशर्वनाथ हैं । 24 वें तीर्थंकर • किन्तु 23 वें तीर्थंकर को छोङकर पूर्ववर्ती तीर्थंकरों की ऐतिहासकता के बारे में जानकारी आधी अधूरी ही है। • पाशर्वनाथ का काल महावीर स्वामी से 250 ई.पू. माना जाता है। इनके अनुयायीयों को निर्ग्रंथ कहा जाता है। जैन अनुश्रुतियों के अनुसार पाशर्वनाथ को 100 वर्ष की आयु में सम्मेद पर्वत पर निर्वाण प्राप्त हुआ था। • पाशर्वनाथ द्वारा प्रतिपादित • सत्य • अहिंसा • अपरिग्रह • अस्तेय। • महावीर का जन्म वैशाली के निकट कुण्डग्राम के ज्ञातृक कुल के तथा वज्जि संघ के प्रधान सिद्धार्थ के घर 540 ई.पू. में हुआ था, इनकी माता त्रिशला (लिच्छवी गणराज्य की राजकुमारी) थी, जो चेटक की बहिन थी। तथा इनकी पत्नी यशोदा थी। • यशोदा से उत्पन्न महावीर की पुत्री प्रियदर्शना थी जिसका विवाह जामालि नामक क्षत्रियसे हुआ,जो महावीर का प्रथम शिष्य था। • 30 वर्ष की आयु में महावीर ने गृह त्याग दिया था। • 12 वर्ष तक कठोर तपस्या तथा साधना के बाद 42 वर्ष की आयु में महावीर को जुम्भियग्राम के निकट ऋजुपालिका नदी के तट पर साल के वृक्ष के नीचे कैवल्य (सर्वोच्च ज्ञान) की प्राप्ति हुई। • कैवल्य प्राप्त हो जाने के बाद महावीर स्वामी को केवलिन, जिन (विजेता), अर्ह (योग्य) एवं निर्ग्रंथ (बंधन रहित) कहा गया। • महाव...

कब मिली जैन धर्म को पहचान? जानें कितने हैं तीर्थंकर और क्या है इसका इतिहास

जैन शब्द 'जिन' शब्द से बना है. जिन शब्द का अर्थ है 'जीतने वाला'. जैन धर्म ग्रंथ के सबसे पुराने आगम ग्रंथ 46 माने जाते हैं. Jain Dharma History: जैन शब्द ‘जिन’ शब्द से बना है. जिन शब्द का अर्थ है ‘जीतने वाला’, जिसने स्वयं को जीत लिया, उसे जितेंद्रिय कहते हैं. जैन धर्म भारत के प्राचीन धर्मों में से एक माना गया है. जैन ग्रंथों के अनुसार, यह धर्म अनंत काल से माना जाता रहा है. जैन धर्म की परंपरा का निर्वाह तीर्थंकरों के माध्यम से होता हुआ आज इस स्वरूप में पहुंचा है. जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए. जिनमें से पहले थे ऋषि देव तथा अंतिम महावीर स्वामी रहे हैं. जैन धर्म अहिंसा के सिद्धांत को बहुत ही शक्ति से मानता है. जैन धर्म के दो प्रमुख संप्रदाय हैं- दिगंबर और श्वेतांबर. आइए जैन धर्म के ग्रंथ के अनुसार जानते हैं कैसे जैन धर्म का उदय हुआ और क्या है इसका इतिहास? जैन धर्म में 24 तीर्थंकर श्री ऋषभनाथ- बैल, श्री अजितनाथ- हाथी, श्री संभवनाथ- अश्व (घोड़ा), श्री अभिनंदननाथ- बंदर, श्री सुमतिनाथ- चकवा, श्री पद्मप्रभ- कमल, श्री सुपार्श्वनाथ- साथिया (स्वस्तिक), श्री चन्द्रप्रभ- चन्द्रमा, श्री पुष्पदंत- मगर, श्री शीतलनाथ- कल्पवृक्ष, श्री श्रेयांसनाथ- गैंडा, श्री वासुपूज्य- भैंसा, श्री विमलनाथ- शूकर, श्री अनंतनाथ- सेही, श्री धर्मनाथ- वज्रदंड, श्री शांतिनाथ- मृग (हिरण), श्री कुंथुनाथ- बकरा, श्री अरहनाथ- मछली, श्री मल्लिनाथ- कलश, श्री मुनिस्रुव्रतनाथ- कच्छप (कछुआ), श्री नमिनाथ- नीलकमल, श्री नेमिनाथ- शंख, श्री पार्श्वनाथ- सर्प, श्री महावीर- सिंह. इन सबमें महावीर स्वामी का जैन धर्म में महत्वपूर्ण योगदान रहा है क्योंकि उन्हीं के काल में जैन धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ. इनका जन्म कुण्डलग्राम, वैशाली में ह...