तिरुपति बालाजी मंदिर

  1. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें
  2. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi
  3. तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi
  4. Tirupati Mandir in Jammu: 62 एकड़ में फैला है 32 करोड़ रुपये से शिवालिक की पहाड़ियों पर बना नया तिरुपति बालाजी धाम, जानिए खासियत
  5. तिरुपति बालाजी मंदिर, आर.के. पुरम


Download: तिरुपति बालाजी मंदिर
Size: 16.43 MB

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास, रहस्य और कुछ अनसुनी बातें

भारत को मंदिर का देश यूं ही नहीं कहा जाता, कुछ तो बात है यहां के मंदिरों में..., जो हजारों किमी. दूर से लोगों को अपनी श्रद्धा और भक्ति के कारण आकर्षित करती हैं। यहां हजारों ऐसे मंदिर है, जिनका अपना एक इतिहास और रहस्य है, जिनसे आज तक न कोई पर्दा उठा सका और शायद किसी के बस की बात भी नहीं है। इन्हें में से एक है आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर...। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख व पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक भी है। चमत्कारों व रहस्यों से भरा हुआ यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी है, जो स्वयं भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और तिरुमाला पर्वत पर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर में केश-दान की परम्परा मान्यताओं के मुताबिक, जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, वे मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपना बाल समर्पित (दान) करते हैं। दक्षिण में होने के बावजूद इस मंदिर से पूरे देश की आस्था जुड़ी है। यह प्रथा आज से नहीं बल्कि कई शाताब्दियों से चली आ रही है, जिसे आज भी भक्त काफी श्रद्धापूर्वक मानते आ रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां न सिर्फ पुरुष अपने बाल का दान करते हैं बल्कि महिलाएं व युवतियां भी भक्ति-भाव से अपने बालों का दान करती हैं। तिरुपति में केश दान करने के पीछे की कहानी क्या है? पौराणिक किवदंती के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर चीटियों ने बांबी बना ली थी, जिसके कारण वह किसी को दिखाई नहीं देती थी। ऐसे में वहां र...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास: Tirupati Balaji Temple Story in Hindi

“तिरुमाला की पहाड़ियों में स्थित विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कौन नहीं जानता, जहाँ हर साल देश-विदेश से लगभग एक करोड़ से भी अधिक लोग भगवान वेंकेटश्वर के दर्शनों के लिये आते हैं। इसे तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनमे तिरुपति सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, क्योंकि सबसे अधिक तीर्थयात्री यहाँ पर ही आते हैं।” घूमने-फिरने और पर्यटन के शौक़ीन लोगों के लिये धार्मिक स्थल भी अपने बेचैन मन को शांति देने का एक बेहतरीन उपाय है। सैर-सपाटे के लिये दुनिया में एक से बढ़कर एक जगह विद्यमान है, लेकिन धार्मिक स्थलों की बात कुछ अलहदा है। जहाँ लोग अपने अतृप्त मन की शांति के लिये, सूक्ष्म आध्यात्मिक उर्जा से लाभान्वित होने के लिये और अपनी इच्छित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिये आते हैं। Location of Tirupati Balaji Temple ऐसे ही प्रसिद्ध और दर्शनीय तीर्थों में से एक है – भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने सन 2012-13 के लिये तिरुपति को “सर्वश्रेष्ठ विरासत शहर” के सम्मान से भी अलंकृत किया था। तिरुपति को हिंदू धर्म के कुछ सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक माना जाता है, क्योंकि यही पर तिरुमाला वेंकेटश्वर मंदिर स्थित है। इसे आंध्र प्रदेश की आध्यात्मिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ पर अन्य कई मंदिर भी हैं। तिरुपति मंदिर, पूरी दुनिया के साथ-साथ, इस धरती का भी सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है, जहाँ प्रति वर्ष लगभग 1 करोड़ दर्शनार्थी इष्ट दर्शन हेतु आते है। यह मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर, तिरुमला की पहाड़ियों के मध्य स्थित है। कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर, दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का बेजोड़ नमूना हैं। प्राचीन तमि...

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi श्री बालाजी मंदिर या श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर को हिंदू शास्त्रों द्वारा गौरवशाली ढंग से वर्णित किया गया है, इस मंदिर को “टेम्पल ऑफ़ 7 हिल्स (Temple of Seven Hills)” भी कहा जाता है। तिरुमाला नगर 10.33 वर्ग मीटर (26.75 किलोमीटर वर्ग) के क्षेत्र में बसा हुआ है। लोगो का ऐसा मानना है कि भगवान कालि प्राचीन युग यहां में आने वाली मुश्किलों और क्लेश के चलते वे मानवी जीवन को बचाने के लिये अवतरित हुए थे। तिरुपति बालजी, Featured Image – Nikhil B/Wikimedia Commons Table of Content • • • • • • • • तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास Tirupati Balaji Temple History in Hindi लोकप्रिय तिरुपति बालाजी मंदिर Popularity of Tirupati Balaji Temple विशेषकर तिरुपतिबालाजी मंदिर पृथ्वी पर सबसे लोकप्रिय मंदिर है, यहाँ अनेको श्रद्धालु प्रतिदिन आते है। यह एक अध्यात्म स्थान है यहाँ का आकर्षण कई भक्तों को यहाँ आने के लिये आमंत्रित करता है और दैनिक आधार पर उनके द्वारा सबसे अधिक दान की राशि दान में दी जाती है। इस प्रकार लाखों श्रद्धालु अपने दान पुण्य करते हैं। भगवान बालाजी की कहानी Story of God Balaji पौराणिक कथाओं से प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मारी। नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान व‌िष्‍णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु क‌िया तो पता चला क‌ि देवी ने पृथ्‍वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म ल‌िया है। भगवान व‌िष्‍णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए अब धन कहाँ से आये तब व‌िष्‍णु जी ने समस्या का समाधान न‌िकालन...

Tirupati Mandir in Jammu: 62 एकड़ में फैला है 32 करोड़ रुपये से शिवालिक की पहाड़ियों पर बना नया तिरुपति बालाजी धाम, जानिए खासियत

जम्मू में अब उत्तर और दक्षिण की साझा संस्कृति का मिलन नजर आने लगा है, शिवालिक पहाड़ियों पर सिद्दड़ा गांव में सजे तिरुपति बालाजी के नए धाम में भक्त पहुंचने लगे हैं. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की ओर से ही इस मंदिर का निर्माण कराया गया है. यहां उन्हीं परपंराओं का पालन होगा जो तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर में निभाई जाती हैं. (फोटो-PTI) मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की दो प्रतिमाएं हैं, इनमें एक प्रतिमा 8 फुट और दूसरी छह फुट की है. इनमें गर्भगृह में आठ फुट की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई है, जबकि दूसरी प्रतिमा को बाहर लगाया गया है. यह दोनों प्रतिमाएं आंध्रप्रदेश के गुंटूर से लाई गईं थी. इस प्रतिमाओं को प्रतिष्ठापित करने के लिए 5 दिन अनुष्ठान चला था, जिसे पूरा कराने के लिए तिरुमाला से ही 45 पुजारी आए थे. (फोटो-PTI) तिरुमाला तिरुपति बालाजी मंदिर की पहचान देश-दुनिया में है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 380 ई. में शुरू हुआ था, उस वक्त दक्षिण भारत के कई राजाओं ने इसमें सहयोग किया था. ऐसा कहा जाता है कि यहां प्रतिष्ठापित भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा जमीन से निकली थी. यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर है, जिन्हें शेषनाग के फन की तरह माना जाता है.

तिरुपति बालाजी मंदिर, आर.के. पुरम

यह श्री वेंकटेश्वर मंदिर तमिल वैष्णव परंपरा का एक मंदिर है, जहाँ दिन के सभी धार्मिक अनुष्ठान तिरुपति बालाजी मंदिर के ही समान किए जाते हैं। देवी पद्मावती, देवी आण्डाल के साथ-साथ मंदिर में श्री हनुमान, भगवान वराह एवं नृसिंह भगवान के विग्रह भी स्थापित हैं। मंदिर का सबसे प्रसिद्ध उत्सव ब्रह्मोत्सव है। मंदिर में प्रत्येक त्यौहार को वितरित होने वाले प्रसाद का भक्तों के बीच अत्यधिक उत्साह रहता है। मंदिर दक्षिण दिल्ली में बेर सराय के निकट, आर. के. पुरम उपनगर के शांतपूर्ण वातावरण में स्थित है जो कि मंदिर की दिव्यता को और भी बढ़ा देता है। मंदिर में नारियल चढ़ाने तथा फोड़ने / तोड़ने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है।