डॉ अंबेडकर को कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिका पढ़ने किसने भेजा?

  1. When the mob surrounded Dr. Ambedkar to kill him
  2. डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की जीवनी
  3. डॉ भीमराव अंबेडकर
  4. डॉ. भीमराव अंबेडकर एक युग पुरुष जिन्हें ज्ञान का प्रतिक माना गया
  5. क्या आपको पता है? बाबा साहब अंबेडकर के पास थीं 26 उपाधियां


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When the mob surrounded Dr. Ambedkar to kill him

संविधान शिल्पी और भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर आजीवन जातिभेद, छुआछूत, गैरबराबरी के खिलाफ संघर्षरत रहे। उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स जैसे दुनिया के श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों से पढ़ाई की थी। बावजूद इसके उन्हें भारत में कार्यस्थल पर भेदभाव का सामना करना पड़ा। बड़ौदा में तो भीड़ ने उनकी जाति के कारण उन्हें मारने के लिए घेर लिया था। क्या है पूरा मामला? डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के मऊ में एक महार परिवार में हुआ था। महार जाति भारत की अधिसंख्य अछूत जातियों में शामिल है। अंबेडकर का परिवार सैन्य सेवा में था। उनके दादा और पिता दोनों ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थे। लेकिन यह पद और प्रतिष्ठा ने भी अंबेडकर और उनके परिवार को जातिभेद के दंश से नहीं बचा पाया। स्कूली पढ़ाई के दौरान अंबेडकर को भेदभाव का सामना करना पड़ा। पढ़ाई में अव्वल और अंग्रेजी के बेहतर ज्ञान की वजह से बड़ौदा के महाराज ने अंबेडकर को छात्रवृत्ति देकर विदेश पढ़ने के लिए भेजा। 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डिग्री की पढ़ाई पूरी करने के बाद अंबेडकर पीएचडी के लिए लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स चले गए। वहां उन्होंने पीएचडी के लिए दाखिले तो ले लिया लेकिन उनकी छात्रवृत्ति खत्म हो गयी। मजबूरन उन्हें अपनी पढ़ाई को बीच में ही रोक कर भारत लौटना पड़ा। छात्रवृति के एवज में अंबेडकर और बड़ौदा राज्य के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। अंबेडकर को एक निश्चित अवधि तक बड़ौदा राज्य की सेवा करनी थी यानी राज्य की कोई नौकरी करनी थी। अनुबंध को पूरा करने के लिए अंबेडकर बड़ौदा पहुंचे। विदेश से पढ़कर लौटे नौजवान अंबेडकर को एक बार फिर जातिवाद का सामना करना पड़ा। अंबेडकर को उनकी जाति के क...

डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की जीवनी

भारतीय संविधान के पिता”, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के माता-पिता महार जाति के थे, जिसे “अछूत” माना जाता था। यह अपने बचपन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली रहे, क्योंकि उनके पिता ब्रिटिश सेना में थे। पिता के सेना से सेवानिवृत होने के बाद भी, भीमराव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1908 में शानदार अंकों के साथ बॉम्बे विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1912 में, भीमराव ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। हालांकि, उन्हें बड़ौदा में नौकरी मिल गई, बड़ौदा के महाराजा से छात्रवृत्ति मिलने के बाद, वह आगे पढ़ाई करने के लिए 1913 में संयुक्त राज्य अमेरिका गए। भीमराव अम्बेडकर ने 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए। अमेरिका से उनकी वापसी पर, बड़ौदा के महाराजा ने अपने राजनीतिक सचिव के रूप में डॉ अंबेडकर को नियुक्त किया। डॉ. भीमराव अंबेडकर 1917 में बॉम्बे चले गए और 1920 में एक फॉर्ट्निट्ली अखबार “मूकनायक” (गूंगा हीरो) की स्थापना की। 1920 के अंत में, वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लंदन फिर से गए। भारत लौटने के बाद, उन्होंने दलितों के कल्याण के लिए जुलाई 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा (आउटकास्टिंग वेलफेयर एसोसिएशन) की स्थापना की। रामसे मैकडोनाल्ड् के ‘सांप्रदायिक पुरस्कार’ के तहत, पिछड़े वर्गों के लिए एक अलग निर्वाचन-मंडल घोषित किया गया था। इस कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के फलस्वरूप, महात्मा गांधी अनशन पर बैठ गए। आखिरकार डॉ. अम्बेडकर अपनी म...

डॉ भीमराव अंबेडकर

डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती जिसे अम्बेडकर जयंती 2023 Ambedkar Jayanti 2023के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 14 अप्रैल को मनाई जाती है। इस दिन को डॉ अंबेडकर की स्मृति को सम्मानित करने के लिए भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें भारतीय संविधान के पिता F ather of the Indian Constitution के रूप में भी जाना जाता है। डॉ भीमराव अम्बेडकर एक प्रमुख समाज सुधारक, न्यायविद, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपना जीवन भारत में दमित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें व्यापक रूप से भारतीय संविधान का जनक माना जाता है । अंबेडकर को बचपन से ही अपनी जाति के कारण भेदभाव से गुजरना पड़ा था और इसका उनके कोमल मन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था। बात 1901 की है जब अंबेडकर सतारा से कोरेगाँव अपने पिता से मिलने जा रहे थे तब बैलगाड़ी वाले ने उन्हें अपनी बैलगाड़ी पर बैठाने से इंकार कर दिया। दोगने पैसे देने पर उसने कहा कि अंबेडकर और उनके भाई बैलगाड़ी चलाएंगे और वह बैलगाड़ी वाला उनके साथ पैदल चलेगा। कभी उन्हें जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया तो कभी किसी खास अवसर पर मेहमान की तरह जाने के बावजूद भी नौकर ने उन्हें यह कहकर खाना नहीं परोसा कि वह महार जाति से हैं। शायद यही सब कारण होंगे जिनकी वजह से बाबासाहेब ने जाति व्यवस्था की वकालत करने वाली किताब मनुस्मृति को जलाया था। ये तो हम सभी जानते हैं कि डॉ भीमराव अंबेडकर (Dr. Bhimrao Ambedkar) संविधान (Constitution) निर्माता के तौर पर प्रसिद्ध हैं, लेकिन हर कोई उनके जीवन की उपलब्धियों के बारे में नहीं जनता। पूरे देश में हर साल 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।...

डॉ. भीमराव अंबेडकर एक युग पुरुष जिन्हें ज्ञान का प्रतिक माना गया

डॉ. भीमराव अंबेडकर एक युग पुरुष जिन्हें ज्ञान का प्रतिक माना गया जन्म:- 14 अप्रैल 1891 महू, मध्यप्रदेश मृत्यु:- 6 दिसम्बर 1956 नई दिल्ली बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ• भीमराव अंबेडकर किसी परिचय के मोहताज नहीं. उनकी प्रतिभा का लोहा भारत ही नहीं बल्कि विश्व ने भी माना! यही वजह है कि उन्हें Symbol of Knowledge (ज्ञान का प्रतीक) के रूप में भी जाना जाता है. ☆ डॉ अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन समाज सुधारक, विधि वेत्ता, अर्थशास्त्री, कुशल राजनीतिज्ञ और ना जाने कितने रूपों में जाने जाने वाले डॉ• भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 में हुआ था. उन्हें बाबासाहेब आंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है. वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14वीं एवं अंतिम संतान थे. वे मूलत: महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के रहने वाले थे. उनका परिवार हिंदू महार जाति से संबंधित था. जो उस समय अछूत समझी जाती थी. डॉक्टर अंबेडकर के पिता ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में महू छावनी में कार्यरत थे. उन्हें मराठी के साथ-साथ अंग्रेजी का भी थोड़ा-बहुत ज्ञान था. ? ☆ डॉ• अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा निम्न जाति में जन्म लेने के कारण डॉ. अंबेडकर को विद्यालयी पढ़ाई के दौरान कई तरह के सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था. डॉ• आंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा महाराष्ट्र के सातारा की गवर्नमेंट हाई स्कूल में शुरू हुई थी. जहां उनके पिता ने उनका मूल उपनाम सकपाल के जगह आंबडवेकर लिखवाया जो मूलतः उनके आंबडवे गांव से संबंधित था. कुछ दिनों के पश्चात डॉ. अंबेडकर के शिक्षक ने उनका टाइटल आंबडवेकर हटाकर सरल रूप में अंबेडकर जोड़ दिया. तब से वे अंबेडकर नाम से जाने जाने लगे. डॉ• अंबेडकर और रामा बाइ वर्ष 1906 में जब डॉ• अंबेडकर...

क्या आपको पता है? बाबा साहब अंबेडकर के पास थीं 26 उपाधियां

बाबा साहब अंबेडकर के पास के 26 उपाधियां थी, जो विश्व में अन्य किसी के पास नहीं। वहीं, 14 अप्रैल का दिन बाबा साहब अम्बेडकर की जयंती का दिन है, जिसे ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में मनाते हैं। ऐसे महान व्यक्ति को कभी भूला नहीं जा सकता, जिनकी बदौलत ही हमें कानून की जानकारी और संविधान मिला। बाबा साहब अंबेडकर ( Image : google ) संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के महू में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। डॉ. अम्बेडकर वैश्विक युवाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत हैं, क्योंकि उनके नाम के साथ बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी. लिट्. आदि कुल 26 उपाधियां जुडी है। वे अपने समय के ‘सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे व्यक्ति’ थे, जिनका नाम आज भी Most educated person की लिस्ट में शुमार है। यह भी पढे़ं : बाबासाहेब आंबेडकर को पढ़ने का बहुत शौक था, वे प्रतिदिन अठारह घंटे अध्ययन करते थे। उनकी शैक्षिक योग्यता, विद्वता और प्रतिभा इतनी व्यापक और शानदार है कि उन्हें ‘दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति’ के साथ-साथ ‘ज्ञान के प्रतीक’ (सिम्बॉल ऑफ नॉलेज) के रूप में जाना जाता है। बाबा साहब अंबेडकर ( Image : google ) बाबा साहब अम्बेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय से BA की शिक्षा प्राप्त की। कोलंबिया विश्वविद्यालय से MA, PHD, LLD और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से MSC और DSC की शिक्षा प्राप्त की। साथ ही बाबासाहेब ने ग्रेज इन से (बैरिस्टर-एट-लॉ) आदि की शिक्षा भी प्राप्त की। भीमराव अंबेडकर की शुरुआती पढ़ाई दापोली और सतारा में हुई और वे साल 1907 में बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए। वहीं, बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फैलोशिप पाकर अंबेडकर ने 1912 में मुबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्ष...