डॉ भीमराव अंबेडकर ने किस धर्म को अपनाया था

  1. डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी
  2. डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
  3. डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की जीवनी
  4. आखिर क्यों बौद्ध धर्म अपना लिया था बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने
  5. निधन से मुश्किल से दो महिने पहले डॉ. अंबेडकर ने बदला था धर्म, क्या थी वजह
  6. Ambedakar on Islam: हिंदू धर्म की बुराइयों के आलोचक डॉ. अंबेडकर क्या कहते थे इस्लाम के बारे में


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डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी

Biography Of Ambedkar In Hindi: भारतकेमहानायक, संविधाननिर्माताऔरपहलेकानूनमंत्रीडॉभीमरावरामजीआंबेडकरकीआज 66वींपुण्यतिथिमनाईजारहीहै।बाबासाहेबआंबेडकरनेलंदनस्कूलऑफइकोनॉमिक्समें 8 सालकीपढ़ाईसिर्फ 2 साल 3 महीनेमेंपूरीकरलीथी।डॉबाबासाहेबअंबेडकर 64 विषयोंमेंमास्टरडिग्रीप्राप्तकी।उन्हेंहिंदी-अग्रेजीकेअलावाअन्य 9 भाषाओंकाभीज्ञानथा।डॉबीआरआंबेडकरकाजीवनबड़ाहीसंघर्षोंभरारहा, लेकिनउन्होंनेअपनीकड़ीमहनतसेयहसाबितकरदियाकियदिमनसेसंकल्पकियाजाएतोहरकार्यसंभवहै।आइएजानतेहैंडॉबीआरआंबेडकरकीजीवनीकेबारेमें। डॉभीमरावआंबेडकरकालघुप्रोफ़ाइल ·जन्म: 14 अप्रैल, 1891 ·जन्मस्थान: मध्यप्रांत (वर्तमानमेंमध्यप्रदेश) मेंमहू ·माता-पिता: रामजीमालोजीसकपाल (पिता) औरभीमाबाईमुरबडकरसकपाल (मां) ·पतियापत्नी: रमाबाईअम्बेडकर (1906-1935); डॉ. शारदाकबीरनेसविताअम्बेडकरकानामबदला (1948-1956) ·शिक्षा: एल्फिंस्टनहाईस्कूल, बॉम्बेविश्वविद्यालय, कोलंबियाविश्वविद्यालय, लंदनस्कूलऑफइकोनॉमिक्स ·संघ: समतासैनिकदल, इंडिपेंडेंटलेबरपार्टी, अनुसूचितजातिसंघ ·राजनीतिकविचारधारा: दक्षिणपंथी; समानता ·धार्मिकविश्वास: जन्मसेहिंदूधर्म; बौद्धधर्म 1956 केबाद ·प्रकाशन: अस्पृश्यताऔरअस्पृश्यतापरनिबंध, जातिकाविनाश, वीजाकीप्रतीक्षा ·निधन: 6 दिसंबर, 1956 ·पोता: प्रकाशअम्बेडकर Biography Of Ambedkar In Hindi (डॉभीमरावआंबेडकरजीवनी) बाबासाहबडॉ. भीमरावअम्बेडकरकाजन्म 14 अप्रैल 1891 कोमध्यप्रदेशकेमहूमेंहुआथा।वेअपनेमाता-पिताकीचौदहवींसंतानथे।डॉभीमरावअंबेडकरकाजीवनसंघर्षोंसेभरारहा।लेकिनउन्होंनेयहसाबितकरदियाकिप्रतिभाऔरदृढ़निश्चयसेजीवनकीहरबाधापरविजयपाईजासकतीहै।उनकेजीवनमेंसबसेबड़ीबाधाहिंदूसमाजद्वाराअपनाईगईजातिव्यवस्थाथी, जिसकेअनुसारवहजिसपरिवारमेंपैदाहुएथेउन्हें 'अछूत' मानाजाता...

डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय

Dr. Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi: आज हम इस आर्टिकल में बात करने वाले है भारत के एक ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में जिसने अपने संघर्ष, मेहनत और सफलता की इबारत खुद लिखी और अपना नाम दुनिया के अग्रिम व्यक्तियों में शामिल करवाया, उनका नाम है डॉ. भीमराव अम्बेडकर। दलित होने की वजह से उन्हें अपने जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसीलिए भारत रत्न से सम्मानित डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पूरी ज़िंदगी दलितों के अधिकारों के लिए, महिलाओं के हकों के लिए और समाज में फैले जातिवाद को मिटाने में लगा दी। Image : Dr. Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi भारतीय संविधान के निर्माता अंबेडकर का भारतीय लोकतंत्र में जो योगदान रहा है, उसे कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा। आज हम इस आर्टिकल के जरिये डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन परिचय के बारे में विस्तार पूर्वक जानकरी देंगे। डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय | Dr. Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi विषय सूची • • • • • • • • • • • • • डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय एक नज़र में (Dr. Bhimrao Ambedkar In Hindi) पूरा नाम डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर उपनाम बाबासाहेब, भीम जन्म 14 अप्रैल 1891 जन्मस्थान महू, इंदौर (मध्यप्रदेश) पिता का नाम रामजी सकपाल माता का नाम भीमाबाई शिक्षा अर्थशास्त्र में एम. ए. (1915) कोलंबिया विश्वविद्यालय से PHD (1916) मास्टर ऑफ सायन्स (1921) डॉक्टर ऑफ सायन्स (1923) धर्म बौद्ध धर्म जाति दलित महरी पेशा वकील, प्रोफेसर,न्यायविद, अर्थशास्त्री, समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ पत्नी का नाम पहली पत्नी:रमाबाई अम्बेडकर (1906-1935) दूसरी पत्नी:सविता अम्बेडकर (1948-1956) बेटे का नाम राजरत्न अम्बेडकर, यशवंत अम्बेडकर बेटी का नाम इंदु Dr. Bhimrao Ambedk...

डॉ. बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर की जीवनी

भारतीय संविधान के पिता”, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, मध्य प्रदेश में हुआ था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर के माता-पिता महार जाति के थे, जिसे “अछूत” माना जाता था। यह अपने बचपन में अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए भाग्यशाली रहे, क्योंकि उनके पिता ब्रिटिश सेना में थे। पिता के सेना से सेवानिवृत होने के बाद भी, भीमराव ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और 1908 में शानदार अंकों के साथ बॉम्बे विश्वविद्यालय से मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 1912 में, भीमराव ने बॉम्बे विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। हालांकि, उन्हें बड़ौदा में नौकरी मिल गई, बड़ौदा के महाराजा से छात्रवृत्ति मिलने के बाद, वह आगे पढ़ाई करने के लिए 1913 में संयुक्त राज्य अमेरिका गए। भीमराव अम्बेडकर ने 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और विदेश से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए। अमेरिका से उनकी वापसी पर, बड़ौदा के महाराजा ने अपने राजनीतिक सचिव के रूप में डॉ अंबेडकर को नियुक्त किया। डॉ. भीमराव अंबेडकर 1917 में बॉम्बे चले गए और 1920 में एक फॉर्ट्निट्ली अखबार “मूकनायक” (गूंगा हीरो) की स्थापना की। 1920 के अंत में, वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लंदन फिर से गए। भारत लौटने के बाद, उन्होंने दलितों के कल्याण के लिए जुलाई 1924 में बहिष्कृत हितकारिणी सभा (आउटकास्टिंग वेलफेयर एसोसिएशन) की स्थापना की। रामसे मैकडोनाल्ड् के ‘सांप्रदायिक पुरस्कार’ के तहत, पिछड़े वर्गों के लिए एक अलग निर्वाचन-मंडल घोषित किया गया था। इस कदम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के फलस्वरूप, महात्मा गांधी अनशन पर बैठ गए। आखिरकार डॉ. अम्बेडकर अपनी म...

आखिर क्यों बौद्ध धर्म अपना लिया था बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर ने

भारतीय समाज में व्याप्त असमानता और जातिवाद के चरम दौर में डॉ. भीमराव अंबेडकर का अवतरण किसी क्रांति और अभ्युदय से कमतर नहीं आंका जा सकता। अंबेडकर के पिता सेना में थे। उस समय सैनिकों के बच्चों के लिए स्कूली शिक्षा की विशेष व्यवस्था हुआ करती थी। इस कारण अंबेडकर की स्कूली पढ़ाई सामान्य तरीके से संभव हो पायी। अन्यथा तो दलित वर्ग के बच्चों के लिए स्कूल में पानी के नल को हाथ लगाना भी वर्जित माना जाता था। अंबेडकर के हृदय में समाज की इस विचित्र और अन्यायपूर्ण व्यवस्था को लेकर बाल्यकाल से ही आक्रोश था। शनैः शनैः उम्र और ज्ञान के साथ उनके आक्रोश की अग्नि और भी तेज होने लगी। इंसान का आक्रोश सृजन और विनाश दोनों को जन्म देता है। लेकिन अंबेडकर का आक्रोश जायज और समाजहित में था। इसलिए उनका आक्रोश अवश्य ही महान व्यक्तित्व का निर्माण करने वाला था। समय की करवटों के साथ अंबेडकर ने देश और विदेश में पढ़ाई पूर्ण कर कानून की डिग्री हासिल कर ली। अपने एक देशस्त ब्राह्मण शिक्षक महादेव अंबेडकर के कहने पर अंबेडकर ने अपने नाम से सकपाल हटाकर अंबेडकर जोड़ लिया, जो उनके गांव के नाम 'अंबावडे' पर आधारित था। रामजी सकपाल ने 1898 में पुनर्विवाह कर लिया और परिवार के साथ मुंबई चले आये। अंबेडकर के राजनीतिक जीवन की शुरूआत 1935 से मानी जाती है। अध्ययनकाल के समय ही किसी मित्र ने अंबेडकर को महात्मा बुद्ध की जीवनी भेंट की थी। बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म को जानकर वे बेहद ही प्रभावित हुए। परिणामस्वरूप उन्होंने अपने जीवनकाल में बौद्ध धर्म को सहर्ष स्वीकार भी किया। अतः असमानता का अंत करने के लिए स्वतंत्रता के आंदोलन में कूद पड़े। शहीदों और क्रांतिकारियों ने जेल की दीवारों पर नाखूनों से वंदेमातरम और जय हिन्द के नारों को लिखकर ...

निधन से मुश्किल से दो महिने पहले डॉ. अंबेडकर ने बदला था धर्म, क्या थी वजह

14 अक्टूबर 1956. नागपुर की दीक्षाभूमि. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अपने 3 लाख 65 हजार फॉलोअर्स के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया. इससे पहले वह कई किताबें और लेख लिखकर ये तर्क देते रहे थे कि क्यों अपृश्यों के लिए बराबरी पाने के लिए बौद्ध धर्म ही क्यों एकमात्र रास्ता है. हालांकि इसके कुछ समय बाद अंबेडकर ने अपने अनुयायियों को बौद्ध धर्म में प्रवेश दिलाया. ये बात हमेशा बहस का विषय रहती आई है कि अंबेडकर ने ये कदम आखिर क्यों उठाया. इसे समझने के लिए राजनेता और समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर के 1935 के एक भाषण पर निगाह डालनी होगी. ये उनका बहुत आक्रामक भाषण था. तब अंबेडकर ने पहली बार ज़बरदस्त भाषण देकर नीची समझी जाने वाली जातियों को बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया था. उनका यही भाषण इसके करीब 20 साल बाद हकीकत में बदला. इस भाषण में पूरे समाज की पीड़ा और भावना छुपी थी. उन्होंने इस भाषण के जरिए लोगों को झकझोर दिया था. उन्होंने उस भाषण में साफ शब्दों में कहा था कि ताकत चाहते हैं, सत्ता और समानता चाहते हैं तो धर्म बदलिए. उस भाषण में उन्होंने कहा, आप एक सम्मानजनक जीवन चाहते हैं तो आपको अपनी मदद खुद करनी होगी और यही सबसे सही मदद होगी… अगर आप आत्मसम्मान चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर एक सहयोगी समाज चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. अगर ताकत और सत्ता चाहते हैं, तो धर्म बदलिए. समानता .. स्वराज .. और एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते हैं, जिसमें खुशी-खुशी जी सकें तो धर्म बदलिए. अंबेडकर की इस बात का हुआ विरोध इस भाषण ने अंबेडकर को देशभर में चर्चाओं में ला दिया. उनका विरोध भी शुरू हो गया. कई नेता उनके विरोध में आ गए. अंबेडकर पर देश की 20 फीसदी से ज़्यादा आबादी को भड़काने के आरोप लगने लगे. जिस पर उन्होंने कहा, ‘जो शोषि...

Ambedakar on Islam: हिंदू धर्म की बुराइयों के आलोचक डॉ. अंबेडकर क्या कहते थे इस्लाम के बारे में

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