धर्मनिरपेक्षता क्या है

  1. Secularism in Hindi
  2. धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष में अंतर क्या है : धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष क्या है
  3. धर्मनिरपेक्षता
  4. लैंगिक न्याय को कितना पीछे ले जाता है इलाहाबाद हाई कोर्ट का सर्वाइवर की ‘कुंडली जांच’ का आदेश
  5. 02: धर्मनिरपेक्षता की समझ / Samajik avam Rajnetik Jeevan
  6. धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा क्या है
  7. क्या भारतीय चुनावी राजनीति दो ध्रुवों में सिमट रही है?
  8. धर्मनिरपेक्षता क्या है? अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ,


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Secularism in Hindi

धर्मनिरपेक्षता (Secularism): धर्मनिरपेक्ष प्राचीन अवधारणा है। धर्मनिरपेक्षता शब्द का सबसे पहले प्रयोग जॉर्ज जैकब होलीयॉक नामक व्यक्ति ने सन् 1846 में किया था। बीसवीं शताब्दी में होलीयॉक ने चार्ल्स ब्रेडला के साथ मिलकर धर्म निरपेक्ष आंदोलन को आगे बढ़ाया। धर्मनिरपेक्षता वह सिद्धांत है जो किसी राज्य को धर्म के मामले में तटस्थ बनाता है। धर्मनिरपेक्षता शब्द का अर्थ जीवन के सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक पहलुओं से धर्म को अलग करना भी है और धर्म को एक व्यक्तिगत मामला माना जाता है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ वैदिक अवधारणा 'धर्म निरापेक्षता' के समान है जिसका अर्थ है धर्म के à¤...

धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष में अंतर क्या है : धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष क्या है

संविधान में पंथनिरपेक्ष शब्द कब जोड़ा गया : हमारा जब संविधान बना उस वक्त "Secular" शब्द नहीं था लेकिन 42वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में Secular शब्द जोड़ा गया। सेकुलर का मतलब क्या होता है? : Secular का वास्तव में अर्थ पंथनिरपेक्ष है ना कि धर्मनिरपेक्ष । भारत एक Secular Country है जिसका हिंदी में Translation पंथनिरपेक्ष होता है ना कि धर्मनिरपेक्ष। निरपेक्ष का मतलब Neutral होना, उस ओर ना जाना, अलग रहना है। धर्मनिरपेक्षता और पंथनिरपेक्षता का मतलब: धर्म और पंथ में अंतर : धर्मनिरपेक्ष और पंथनिरपेक्ष में अंतर : - धर्म क्या है? :- (धर्मनिरपेक्षता क्या है ? ) : - धर्म का तात्पर्य होता है जिसे हम धारण कर सकते हैं यानी मानव होने के नाते हमें लगे कि यह होना चाहिए। मनुस्मृति में धर्म के 10 लक्षण बताए गए हैं : • धैर्य, • क्षमा, • अपने मन को कंट्रोल, • चोरी ना करना, • संयम, • शुद्धता, • अपनी इंद्रियों पर कंट्रोल, • सत्य और क्रोध न करना, • बुद्धि, • विद्या। धर्म एक प्रकार का मानवीय मूल्य है इसी के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने "हिंदू" शब्द को धर्म ना मानकर एक जीवन शैली माना है। यह जीवन शैली किसी (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) के लिए भी समान होती है। धर्म एक भारतीय शब्द है जबकि विश्व में धर्म के लिए (Religion) शब्द का प्रयोग होता है जो कि Religion और धर्म दोनों अलग-अलग है। Religion शब्द की उत्पत्ति यूरोप से हुई है Religion "राज्य की उत्पत्ति के देवी सिद्धांत" से संबंधित हैं जिसमें दो बातें शामिल तथा : - 1. राज्य की उत्पत्ति ईश्वर द्वारा हुई है, 2. राजा ईश्वर का प्रतिनिधि है। निरपेक्ष का अर्थ होता है - अलग रहना। जब आधुनिक काल में पश्चिमी देशों में नवीन विचारो...

धर्मनिरपेक्षता

टैग्स: • • • धर्मनिरपेक्षता एक जटिल तथा गत्यात्मक अवधारणा है। इस अवधारणा का प्रयोग सर्वप्रथम यूरोप में किया गया।यह एक ऐसी विचारधारा है जिसमें धर्म और धर्म से संबंधित विचारों को इहलोक संबंधित मामलों से जान बूझकर दूर रखा जाता है अर्थात् तटस्थ रखा जाता है। धर्मनिरपेक्षता राज्य द्वारा किसी विशेष धर्म को संरक्षण प्रदान करने से रोकती है। भारत में इसका प्रयोग आज़ादी के बाद अनेक संदर्भो में देखा गया तथा समय-समय पर विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इसकी व्याख्या की गई है। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ: • धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य राजनीति या किसी गैर-धार्मिक मामले से धर्म को दूर रखे तथा सरकार धर्म के आधार पर किसी से भी कोई भेदभाव न करे। • धर्मनिरपेक्षता का अर्थ किसी के धर्म का विरोध करना नहीं है बल्कि सभी को अपने धार्मिक विश्वासों एवं मान्यताओं को पूरी आज़ादी से मानने की छूट देता है। • धर्मनिरपेक्ष राज्य में उस व्यक्ति का भी सम्मान होता है जो किसी भी धर्म को नहीं मानता है। • धर्मनिरपेक्षता के संदर्भ में धर्म, व्यक्ति का नितांत निजी मामला है, जिसमे राज्य तब तक हस्तक्षेप नहीं करता जब तक कि विभिन्न धर्मों की मूल धारणाओं में आपस में टकराव की स्थिति उत्पन्न न हो। धर्मनिरपेक्षता के संदर्भ में संवैधानिक दृष्टिकोण: • भारतीय परिप्रेक्ष्य में संविधान के निर्माण के समय से ही इसमें धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा निहित थी जो सविधान के भाग-3 में वर्णित मौलिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद-25 से 28) से स्पष्ट होती है। • भारतीय संविधान में पुन: धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करते हुए 42 वें सविधान संशोधन अधिनयम, 1976 द्वारा इसकी प्रस्तावना में ‘पंथ निरपेक्षता’ शब्द को जोड़ा गया। • यहाँ पंथनिरपेक...

लैंगिक न्याय को कितना पीछे ले जाता है इलाहाबाद हाई कोर्ट का सर्वाइवर की ‘कुंडली जांच’ का आदेश

जब एक समाज पीछे की ओर जाने लगता है और उस पिछड़ेपन को ‘सांस्कृतिक गौरव’ बताता है तो न्यायालय में कुंडली जांच , विश्वविद्यालयों आदि में धार्मिक अनुष्ठान जैसी चीज़ें आम हो जाती हैं। इसे विडंबना ही कह सकते हैं कि एक लैंगिक भेदभाव रहित और धर्मनिरपेक्षता के आधार पर बने देश के न्यायालय में भी औरतों के लिए न्याय पाना कितना कठिन और भद्दा हो सकता है। इसका उदाहरण है हाल ही में मामला यह था कि एक प्रोफेसर पर शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने का आरोप था। अपने बचाव में आरोपी ने कहा कि वह सर्वाइवर से शादी करना चाहता लेकिन बाद में पता चला कि वह मांगलिक थी। यह मामला तब बेहद विद्रुप हो जाता है जब इस पर जज ने सर्वाइवर की कुंडली की जांच का आदेश दे दिया कि लड़की सच में मांगलिक है या नहीं है। हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फ़ैसले पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। यहां इस रूढ़ीवादी धार्मिक मान्यता का उल्लेख ज़रूरी है कि मंगली या मांगलिक होना हिंदू ज्योतिष के अनुसार मंगल के प्रभाव में पैदा हुआ व्यक्ति है जिसकी शादी सिर्फ किसी मांगलिक व्यक्ति से ही हो सकती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसे एक तरह का ‘भाग्य-दोष’ कहा जाता है। हिन्दू मान्यता के समाज में लड़की अगर मांगलिक है तो उसकी शादी को लेकर कई अड़चनें आती हैं। इसी मान्यता के अनुसार जस्टिस बृज राज सिंह ने महिला और आवेदक गोबिंद राय को अपनी कुंडली लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में जमा करने का आदेश दिया। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को तीन सप्ताह के भीतर सीलबंद लिफाफे में कुंडली की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। » और पढ़ें: बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में स्वतः संज्ञान लेकर इस फैसले पर रोक लगाई और जज को फटकार ...

02: धर्मनिरपेक्षता की समझ / Samajik avam Rajnetik Jeevan

• • NCERT: Text Format • • • • • • • • • • • • • Rationalised NCERT • • • • • • • • • • • • • Old NCERT (2015) • • • • • • • • • • • • • Lab Manuals & Kits • • e-Books for UPSC • • Android App • • NCERT Books • • • • • • • • • H. C. Verma • • • Lakhmir Singh • • • • • • • • • R. D. Sharma • • • • • • • • R. S. Aggarwal • • • • • • • All in One • • • • • • • • • Evergreen Science • • • Together with Science • • • Xam Idea 10 th Science • • Classroom Courses • • • • • • • UPSC Exams • • Teaching • • Banking • • • Hair Accessories • Jewellery • Stationery • Lunch Boxes • • Explore Store कल्पना कीजिए कि आप हिंदू या मुसलमान हैं और अमेरिका के किसी एेसे भाग में रहते हैं जहाँ ईसाई कट्टरपंथी बहुत ताकतवर हैं। मान लीजिए कि अमेरिका का नागरिक होते हुए भी कोई आपको किराये पर मकान नहीं देना चाहता। आपको कैसा महसूस होगा? क्या आपको गुस्सा नहीं आएगा? अगर आप इस भेदभाव के खिलाफ़ शिकायत करें और जवाब में आपको कहा जाए कि यह देश तुम्हारा नहीं है, तुम भारत लौट जाओ, तो आपको कैसा लगेगा? क्या आपको बुरा नहीं लगेगा? आपका यह गुस्सा दो रूप ले सकता है। एक, हो सकता है आप प्रतिक्रिया में यह कहें कि जहाँ हिंदू और मुसलमानों की तादाद ज़्यादा है वहाँ ईसाइयों के साथ भी इसी तरह का बर्ताव होना चाहिए। यह बदला लेने वाली बात है। या फिर आप यह राय बना सकते हैं कि सबको इंसाफ़ मिलना चाहिए। इस सोच के आधार पर आप संघर्ष का रास्ता चुनकर इस बात के लिए आवाज़ उठा सकते हैं कि धर्म और आस्था के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह सोच इस मान्यता पर आधारित है कि धर्म से संबंधित किसी भी तरह का वर्चस्व खत्म होना चाहिए। यही धर्मनि...

धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा क्या है

(Secularism in hindi) definition meaning धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा क्या है | भारतीय धर्मनिरपेक्षता किसे कहते हैं अर्थ विशेषताएं परिभाषित कीजिए राज्य या देश को बताइये | धर्मनिरपेक्षता : अर्थ एवं परिभाषा हम इस इकाई का आरंभ धर्मनिरपेक्षता का अर्थ समझने के प्रयास से करेंगे। पश्चिम में धर्मनिरपेक्षता नए विचारों व संस्थाओं की एक पूरी श्रृंखला का हिस्सा था जिसने सामन्ती व्यवस्था के अंत तथा ओर्थिक संगठन के नए स्वरूपों वाले एक प्रभुसत्तासम्पन्न आधुनिक राष्ट्र-राज्य के उदय को प्रभृत किया। इसके स्पष्टतः पाश्चात्य, और अधिक निश्चित रूप से ईसाई मूल, को यद्यपि अन्य संस्कृतियों में लागू करने से रोकने की आवश्यकता नहीं थी। आधुनिक पाश्चात्य धर्मनिरपेक्षता धार्मिक युद्धों (अक्सर विभिन्न धारणाओं वाले ईसाइयों के बीच) से बचाव की खोज का तथा राज्य और चर्च के अधिकार-क्षेत्रों को अलग-अलग करने की आवश्यकता का परिणाम थी। धर्मनिरपेक्ष पहचान के एक सामान्य भाव पर आधारित राज्य-व्यवस्था के साथ एकरूपता के सशक्त भाव को सुनिश्चित करने हेतु आधुनिक लोकतान्त्रिक राष्ट्र-राज्यों के लिए आवश्यक हो गई है, जहाँ कि एक नागरिक होना अन्य सभी पहचानों जैसे परिवार, प्रजाति, वर्ग एवं धर्म, से ऊपर है। ‘धर्मनिरपेक्षता‘ शब्द उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में जॉर्ज जैकब हाल्योक द्वारा गढ़ा गया जो लैटिन शब्द सैक्यूलम (ैमबनसनउ) पर आधारित था। राज्य से चर्च के अलगाव को इंगित करने के अलावा, यह वैयक्तिक स्वतंत्रता का भी सुझाव देता है। यूरोप में ‘ज्ञानोदय‘ ने एक नए युग का उद्घोष किया जहाँ धर्म की बजाय ‘तर्क‘, मानव जीवन के सभी पहलुओं के लिए निर्देशक कारक बन गया। यह तर्क दिया जाने लगा कि धर्मनिरपेक्ष विषय इस संसार के हैं, और धर्म जो अज्ञात संस...

क्या भारतीय चुनावी राजनीति दो ध्रुवों में सिमट रही है?

नई दिल्ली। 2024 का आम चुनाव अभी दूर है। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के साथ ही विपक्षी दलों ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। राजनीतिक पार्टियों की तैयारी में एक प्रमुख बात जो दिख रही है, वह है किसी राजनीतिक साथी की तलाश। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल मोदी सरकार को हराने के लिए गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह कोशिश परवान भी चढ़ रही है, लेकिन सत्तारूढ़ भाजपा भी क्षेत्रीय ताकतों के साथ बैठक और गठबंधन करने की तैयारी में लग गई हैं। जबकि भाजपा के पास प्रचंड बहुमत है। यह बहुमत उसे 2014 और 2019 दोनों आम चुनावों में मिली थी। केंद्र में अभी तकनीकी रूप से एनडीए की सरकार है। लेकिन सरकार के लिए जरूरी बहुमत के लिए अकेले भाजपा के पास पर्याप्त संख्या है। दो-दो आम चुनावों में पूर्ण बहुमत पाने के बाद भी भाजपा अकेले दम पर चुनाव में न उतरकर क्षेत्रीय स्तर पर सहयोगी ढूढ़ रही है। और यह भी नहीं चाहती कि एनडीए के छोटे सहयोगी दल उसका साथ छोड़ें। वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में भाजपा और कांग्रेस के साथ ही क्षेत्रीय क्षत्रप भी अकेले चुनाव में उतरने से करता रहे हैं। वे एनडीए या यूपीए के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राष्ट्रीय दल क्षेत्रीय दलों के सहयोग के बिना चुनावी मैदान में जीत का करिश्मा नहीं दिखा सकते है, और क्षेत्रीय दलों के साथ भी यही परेशानी है कि बिना किसी राष्ट्रीय दल के साथ समझौता किए उनकी राजनीति क्षेत्र या जाति विशेष तक ही सीमित रह सकती है। दरअसल, 2014 में मोदी की सरकार बनने के बाद राजनीति और सरकार के मायने बदल गए हैं। यह सब भाजपा की सांप्रदायिक, फासीवादी और कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों की वजह से हैं। सत्ता में आने के बाद से ही पीएम मोदी राजनीतिक विरोधियों ...

धर्मनिरपेक्षता क्या है? अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ,

धर्म-निरपेक्षता ऐसी विचार धारा है जिससे समाज एवं राज्य में वैचारिक समन्वय बनता है। धार्मिक राज्य के प्रति इतर धर्मों में द्वेषभाव फैलने लगता है। पं. जवाहरलाल नेहरू का कहना था कि "जो लोग धर्म की दृष्टि से सोचते हैं उनका दृष्टिकोण न केवल गलत है वरन् यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो नागरिकों के लिए दुःख और झगड़ों को जन्म देने वाला है। " धर्म-निरपेक्षता एक ऐसा तत्व है कि जिसके द्वारा परम्परागत विश्वासों और धारणाओं के स्थान पर तार्किक ज्ञान का उदय होता है। प्रो. श्रीनिवास के अनुसार “धर्म-निरपेक्षीकरण में यह बात निहित है कि जिसे पहले धार्मिक माना जाता था, अब वह ऐसा नहीं माना जाता है।" उन्होंने इस बात को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि उसमें विभेदीकरण की एक प्रक्रिया निहित है जिसके फलस्वरूप समाज के विभिन्न पक्ष (आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, वैधानिक तथा नैतिक) एक-दूसरे के मामले में अधिकाधिक सावधान होते जाते हैं। • धर्म निरपेक्षता की प्राप्ति- धर्म निरपेक्षता का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी राज्य, नैतिकता तथा शिक्षा आदि के ऊपर किसी प्रकार के धर्म का अनावश्यक प्रभाव नहीं होगा, सभी एक-दूसरे के अस्तित्व को ध्यान में रखकर अपने कार्य व व्यवहार में अग्रसर होंगे • धर्म निरपेक्ष राज्य की प्राप्ति- धर्म निरपेक्षता का दूसरा उद्देश्य है धर्म निरपेक्ष राज्य की प्राप्ति करना। धर्म निरपेक्ष राज्य वह है जहाँ प्रत्येक नागरिक को समान अवसर समानता के आधार पर प्राप्त हैं और जहाँ समाज नागरिकों के कार्यकलापों में धर्म के आधार पर व्यवधान नहीं डालता। धर्म निरपेक्ष राज्य एक व्यक्ति को एक नागरिक के रूप में देखता है न कि किसी विशेष धार्मिक समूह के सदस्य के रूप में। धर्म के आधार पर लोगों के अधिकार तथा कर्तव्य की व्याख्य...