दीपावली कितने दिन बचे हैं

  1. दीपावली के दिन कितने दिए जलाए जाते हैं
  2. दीपावली कब है 2023
  3. Diwali kab hai
  4. दिवाली, दीपावली, दीपोत्सव या दीप पर्व क्या है सही नाम इस महात्योहार का, जानिए यहाँ
  5. हमारे जीवन में कितने दिन बचे हैं?


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दीपावली के दिन कितने दिए जलाए जाते हैं

निम्नलिखित जानकारी मान्यता और किवदंतियों पर आधारित है। परंपरा से यह देख गया है कि हर राज्य में अलग-अलग मान्यताएं हैं कोई समय संख्‍या में तो कोई विषम संख्या में दीपक जलाता है परंतु उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि किस जगह पर किसके निमित्त दीपक जलाया जा रहा है। फिर भी जानिए कि दिवाली पर कितने दिए जलाने चाहिए। धन तेरस पर यमराज जो दीपदान किया जाता है या कहें कि उनके निमित्त घर के चारों ओर दीप जलाकर उनकी पूजा की जाती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। लेकिन यम के नाम का दीपक परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है। इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है जिसमें सरसों का तेल डाला जाता है। यह दीपक घर से बाहर दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दिया जाता है। धनतेरस बाद आती है नरक चतुर्दशी। इस दिन को लोग छोटी दिवाली भी कहते हैं। इस दिन कई लोग 14 दीपक जलाते हैं। तीसरे दिन को 'दीपावली' कहते हैं। यही मुख्य पर्व होता है। दीपावली का पर्व विशेष रूप से मां लक्ष्मी के पूजन का पर्व होता है। कार्तिक माह की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं जिन्हें धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी माना जाता है। अत: इस दिन मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं ताकि अमावस्या की रात के अंधकार में दीपों से वातावरण रोशन हो जाए। इस दिन रात्रि को धन की देवी लक्ष्मी माता का पूजन विधिपूर्वक करना चाहिए एवं घर के प्रत्येक स्थान को स्वच्छ करके वहां दीपक लगाना चाहिए जिससे घर में लक्ष्मी का वास एवं दरिद्रता का नाश होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश तथा द्रव्य, आभूषण आदि का ...

दीपावली कब है 2023

Diwali kab hai 2023, भारत सहित दुनियाभर में दीपावली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित किया जाता हैं। इस दिन हर भारतीय परिवार में एक अलग ही उमंग देखने को मिलती हैं। हिंदू धर्म में दीपावली का त्यौहार सबसे बड़ा और मुख्य त्यौहार (Diwali kyu manaya jata hai) माना जाता हैं। यह त्यौहार उत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक और पूर्व से लेकर पश्चिम भारत तक उसी जोश और उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। साथ ही दुनिया के अलग अलग देशों में रहने वाले हिंदू परिवार भी दीपावली का त्यौहार बहुत ही जोश के साथ मनाते हैं। इस बार की दीपावली अर्थात वर्ष 2023 की दीपावली तो और भी ज्यादा खास रहने वाली हैं। वह इसलिए क्योंकि इस बार की दीपावली एक दिन की नही बल्कि दो दिनों की रहने वाली हैं। ऐसे में सभी और इसका जोश पहले से ही देखने को मिल रहा हैं। ऐसे में आज (Diwali kyu banate hain) हम आपको वर्ष 2023 में दीपावली किस दिन पड़ रही हैं, उसके बारे में विस्तार से बताने वाले हैं। इसी के साथ आपके मन में यह जानने की इच्छा भी हो रही होगी कि आखिरकार दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता हैं और इस दिन क्या हुआ (Diwali kaise banate hain) था जो हर किसी के मन में इतना जोश रहता हैं। इसी कारण आज हम आपके साथ दीपावली मनाने का कारण भी साँझा करेंगे। अंत में हम आपको बताएँगे कि दीपावली का त्यौहार किस प्रकार मनाया जाता हैं। तो आइए एक एक करके इन सभी बातों के बारे में विस्तार से चर्चा कर लेते हैं ताकि कोई भी जानकारी अधूरी ना रह जाए। 2.4 प्रश्न: दिवाली में क्या बोला जाता है? दीपावली कब है | 2023 दीपावली कैसे मनाई जाती हैं? दीपावली कथा सबसे पहले हम दीपावली के बारे में कुछ मूलभूत बाते जान लेते हैं। उसके बाद हम इसकी तिथि के बारे में जानेंगे। त...

Diwali kab hai

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दिवाली, दीपावली, दीपोत्सव या दीप पर्व क्या है सही नाम इस महात्योहार का, जानिए यहाँ

2. सभ्याता के विकासक्रम के चलते बाद में धन के देवता कुबेर की बजाय धन की देवी लक्ष्मी की इस अवसर पर पूजा होने लगी, क्योंकि कुबेर जी की मान्यता सिर्फ यक्ष जातियों में थी पर लक्ष्मीजी की देव तथा मानव जातियों में मान्यता थी। दीपावली के साथ लक्ष्मी पूजन के जुड़ने का कारण लक्ष्मी और विष्णुजी का इसी दिन विवाह सम्पन्न होना भी माना गया है। 5. कहते हैं कि दीपावली का पर्व सबसे पहले राजा महाबली के काल से प्रारंभ हुआ था। विष्णु ने तीन पग में तीनों लोकों को नाप लिया। राजा बली की दानशीलता से प्रभावित होकर भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल लोक का राज्य दे दिया, साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि उनकी याद में भू लोकवासी प्रत्येक वर्ष दीपावली मनाएंगे। तभी से दीपोत्सव का पर्व प्रारंभ हुआ। 7. कहते हैं कि भगवान श्रीराम अपना 14 वर्ष का वनवास पूरा करने के बाद पुन: लौट आए थे। कहते हैं कि वे सीधे अयोध्या न जाते हुए पहले नंदीग्राम गए थे और वहां कुछ दिन रुकने के बाद दीपावली के दिन उन्होंने अयोध्या में प्रवेश किया था। इस दौरान उनके लिए खासतौर पर नगर को दीपों से सजाया गया था। तभी से दिवाली के दिन दीपोत्सव मनाने का प्रचलन हुआ। 8. ऐसा कहा जाता है कि दीपावली के एक दिन पहले श्रीकृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था जिसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं। दूसरी घटना श्रीकृष्ण द्वारा सत्यभामा के लिए पारिजात वृक्ष लाने से जुड़ी है। श्री कृष्ण ने इंद्र पूजा का विरोध करके गोवर्धन पूजा के रूप में अन्नकूट की परंपरा प्रारंभ की थी। 9. राक्षसों का वध करने के लिए मां देवी ने महाकाली का रूप धारण किया। राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नही...

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