दिवाली पूजा का समय 2022

  1. Diwali Puja Shubh Muhurt 2022 : इस साल दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त कब है ?
  2. Maa Kali Puja 2022: दिवाली पर कब होगी मां काली की पूजा, विधि, शुभ मुहूर्त, क्यों बंगाल में है मान्यता, क्या है महत्व
  3. Diwali 2022 Laxmi Puja Muhurat:शुभ योग में दीपावली, जानें आज शाम लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र
  4. दिवाली 2022: जनिये दिवाली पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त
  5. Diwali 2022: दिवाली के दिन पूजा करते समय जरूर पढ़ें मां लक्ष्मी और गणेश जी आरती, हर मनोकामना होगी पूर्ण
  6. कब है दीपावली 2022: ऐसे समझें इस दिन के तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व और पौराणिक कथाएं से लेकर आपके घर में सुख


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Diwali Puja Shubh Muhurt 2022 : इस साल दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त कब है ?

ऑफिस में दिवाली पूजन का शुभ मुहूर्त दिवाली 2022 कब मनाई जाएगी ? दिवाली का पर्व पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस बार साल 2022 में कार्तिक अमावस्या की तिथि 24 अक्टूबर,सोमवार के दिन दीवाली मनाई जाएगी. दिवाली का पर्व सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक है. दिवाली के पर्व पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है कि दिवाली पर विधि पूर्वक लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश-वैभव बना रहता है और जीवन में धन की कमी दूर होती है. दिवाली पूजा का महत्त्व दीपावली बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री राम ने लंकापति रावण को पराजित किया था और 14 वर्ष के वनवास के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। दीपावली, रोशनी का त्योहार, भगवान राम की वापसी का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता अयोध्या पहुंचे तो लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। दिवाली मिलन का त्योहार है, इस दिन सभी लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं। पंचांग के अनुसार दीपावली का पर्व कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार 2022 में कार्तिक अमावस्या के दिन 24 अक्टूबर सोमवार को दिवाली मनाई जाएगी. दीपावली का पर्व सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतीक है। दीपावली पर्व पर लक्ष्मी जी की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि दिवाली की रस्म में लक्ष्मी जी की पूजा करने से जीवन में यश और कीर्ति बनी रहती है और जीवन में धन की कमी दूर होती है। दिवाली पूजा की सामग्री मां लक्ष्मी की प्रतिमा (कमल के पुष्प पर बैठी हुईं), गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा (गणपति जी की सूंड बांयी ओर ...

Maa Kali Puja 2022: दिवाली पर कब होगी मां काली की पूजा, विधि, शुभ मुहूर्त, क्यों बंगाल में है मान्यता, क्या है महत्व

डीएनए हिंदी: Maa Kali Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Significance on Diwali-क्या आप जानते हैं कि दिवाली (Diwali 2022) की रात लक्ष्मी माता के साथ साथ काली मां (Kali Puja 2022) की भी पूजा की जाती है, इसे काली चौदस (Kali Chaudas) कहते हैं, इस साल 23 अक्टूबर की रात चौदस लग रही है और 24 अक्टूबर की शाम तक पूजा हो सकती है. प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस पर्व मनाया जाता है. यह दिन काली मां को समर्पित होता है. आईए जानते हैं काली मां की पूजा का महत्व क्या है, क्यों खास है पूजा और क्या है शुभ मुहूर्त, बंगाल में कैसे खास तरीके से मनाते हैं काली पूजा दिवाली पर क्यों होती है मां काली की पूजा (Diwali Kali Puja 2022) काली चौदस के दिन विशेष रूप से मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. काली चौदस को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल में काली चौदस के दिन खास काली मां के मंदिर में जाकर पूजा की जाती है, ये पूजा रात को होती है और कई मंदिरों में मां के नाम से बलि भी दी जाती है. ऐसी मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों और पापों से मुक्ति मिल जाती है यह भी पढ़ें- क्या है मां काली की पूजा का महत्व (Maa Kali Puja Significance in Hindi) काली मां को सब विकार और कष्ट संघारने के लिए पूजा जाता है, दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन घर के कई हिस्सों में यम के लिए दीपक जलाते हैं. इस दिन यमराज के लिए दीपदान करते हैं. इस दिन सभी नकारात्मक और ऊर्जाओं को जला दिया जाता है क्योंकि यह बुरी ऊर्जाओं से छुटकारा पाने के लिए सबसे अच्छा समय होता है. इस दिन तिल का उपयोग कर अभ्यंग स्नान करने का भी सुझाव दिया गया है, बेसन का उ...

Diwali 2022 Laxmi Puja Muhurat:शुभ योग में दीपावली, जानें आज शाम लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र

Diwali 2022 Laxmi Puja Muhurat: शुभ योग में दीपावली, जानें आज शाम लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त,आरती और मंत्र Happy Diwali 2022 Wishes And Laxhmi Puja Vidhi Shubh Muhurat :प्रकाश का पर्व दिवाली हर बार कार्तिक अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है। असत्य पर सत्य के जीत का यह त्योहार भगवान राम के लंका पर विजय प्राप्ति के बाद अयोध्या आगमन के रूप में हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। दिवाली पर शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दिवाली पर घरों को रंगों,फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया जाता है। प्रकाश के पर्व की शाम को लोग दीए और मोमबत्तियों जलाकर मां लक्ष्मी के स्वागत की तैयारियां करते हैं। आइए जानते हैं इस बार दिवाली पर क्या है खास... पांच दिवसीय दीपोत्सव का महत्व दीपावली यानी दीपों की पंक्ति। प्रकाश का यह पर्व हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। दिवाली की तैयारी बहुत दिनों पहले पहले से होने लगती है। दिवाली पर लोग अपने घरों, प्रतिष्ठानों को फूलों, रंगोली, दीयों, मोबत्तियों और तोरण से सजाते हैं। आइए जानते है दिवाली का क्या है महत्व। 1- दिवाली हर साल अंग्रेजी कैलेंडर के अक्तूबर या नवंबर माह में मनाई जाती है। वहीं हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। 2- दिवाली पर मां लक्ष्मी,भगवान गणेश,धन प्रदान करने कुबेर देवता, मां सरस्वती और अपने कुल देवी-देवता की विशेष रूप से पूजा-आराधना होती है। दिवाली की शाम प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन और रात को निशीथ काल में मां काली की पूजा का विधान होता है। 3- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या ...

दिवाली 2022: जनिये दिवाली पूजा तिथि, शुभ मुहूर्त

दिवाली 2022 त्योहार की तैयारी हर जगह शुरू हो चुकी है, इस त्योहार का एक मिथक है। हर दिन का खास महत्व होता है। दिवाली 2022 (दिवाली 2022) हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। हालांकि, दीपावली के त्योहारों और तारीखों को लेकर हमेशा भ्रम की स्थिति बनी रहती है। आज हम यहां जानते हैं कि दिवाली पूजा मुहूर्त 2022 कब है – इसलिए हम त्योहारों की तैयारी शुरू कर सकते हैं। धनतेरस से भाई दूज तक लगभग पांच दिनों तक चलने वाले दीपावली पर्व को भाग ईद दीपावली भी कहा जाता है। दिवाली के दिन माता दिवाली रोशनी के साथ-साथ खुशियों का भी त्योहार है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। ‘दीवाली’ का अर्थ है ‘दीपों की पंक्ति’। यह हिंदुओं का सबसे प्रमुख त्योहार है। सिखों के साथ-साथ जैन धर्म के अनुयायी भी ऐसा मानते हैं। पूरी दुनिया में हिंदू हर साल अक्टूबर या नवंबर के महीने में दिवाली मनाते हैं। हिंदू कैलेंडर 2022 के अनुसार यह कार्तिक माह के पन्द्रहवें दिन मनाया जाता है। यह दशहरे के ठीक बीस दिन बाद की बात है। यह त्योहार पूरे पांच दिनों तक मनाया जाता है- धनतेरस, काली चौदस, दिवाली, गोवर्धन पूजा और साथ ही भाईबीज। आइए 2022 दिवाली शुभ पूजा मुहूर्त और चौघड़िया समय, दिवाली पूजा विधि, आरती और पूजन सामग्री सूची की पूरी जानकारी देखें। दिवाली 2022 के दिन और तारीख कैलेंडर गोवत्स द्वादशी, वासु बरस: बुधवार, 21 अक्टूबर 2022 को इस दिन दुल्हनें अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद वह भोजन करता है। • रमा एकादशी और वाघ बरस (वासु बरस) सोमवार 1 नवंबर को। • धनतेरस 22 अक्टूबर 2022 शनिवार को है, धन्वंतरि की पूजा की जाती है और मां लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। नए सामान की खरीदारी हो सकती ह...

Diwali 2022: दिवाली के दिन पूजा करते समय जरूर पढ़ें मां लक्ष्मी और गणेश जी आरती, हर मनोकामना होगी पूर्ण

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कब है दीपावली 2022: ऐसे समझें इस दिन के तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, महत्व और पौराणिक कथाएं से लेकर आपके घर में सुख

दीपावलीया दिवालीहिन्दू धर्मं का सबसे महान पर्व माना जाता हैं, जिसे हर भारतवासी प्रति वर्ष हर्षोल्लास से मानते हैं। दिपावलीशब्द दीपएवं आवलीकी संधि से बना है। दीपका अर्थ दीपकऔर आवलीका अर्थ पंक्तिसे है। इस प्रकार दिपावली का मतलब हुआ दीपों की पंक्ति। दीपों का यह त्योहार अमावस्याके दिन मनाया जाता है। जिस दिन आसमान में अंधेरा छाया रहता है और दीपों की इस रोशनी से पूरा संसार जगमगा उठता है। दीपावली मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित है। जो इसके महत्व के बारे में बताती हैं… पूजन शुरू करने से पहले गणेश लक्ष्मी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं। जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं। इसके बाद प्रतिमा स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर गणेश और लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें। इस दिन लक्ष्मी, गणेश के साथ कुबेर, सरस्वती एवं काली माता की पूजा का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु की पूजा के बिना देवी लक्ष्मी की पूजा अधूरी रहती है। इसलिए भगवान विष्ण के बांयी ओर रखकर देवी लक्ष्मी की पूजा करें। दीपावली पूजन के लिए जरूरी सामग्री लक्ष्मी, सरस्वती व गणेश जी का चित्र या प्रतिमा ,कलावा, रोली, चावल, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, इलायची, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे की माला, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, शंख,पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई,कपूर, आरती की थाली, कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन,चांदी का सिक्का। • दीवाली की पूजा में सबसे पहले एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर उस पर मां लक्ष्मी, सरस्वती व ...