दोहा छंद की परिभाषा

  1. सोरठा छंद की परिभाषा और उदाहरण
  2. दोहा छन्द की परिभाषा, उदाहरण एवम् भेद ? दोहा छन्द की पहचान?
  3. छंद की परिभाषा, भेद, भाग और प्रयोग
  4. दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण
  5. दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण
  6. छंद की परिभाषा, भेद, अंग, chhand ki paribhasha, bhed, ang
  7. दोहा छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India
  8. Class 9th Hindi Grammar : काव्य


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सोरठा छंद की परिभाषा और उदाहरण

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दोहा छन्द की परिभाषा, उदाहरण एवम् भेद ? दोहा छन्द की पहचान?

इस प्रकार दोहा के इन 23 भेदों में गुरु और लघु वर्णों की संख्या और उनके नाम क्रमश: इस प्रकार हैं- 22-4 (भ्रमर), 21-6 ( सुभ्रामर), 20-8 (शरभ), 19-10 (श्येन), 18-12 (मंडूक), 17-14 (मर्कट), 16-16 (करभ), 15-18 (नर), 14-20 (हंस), 13-22 (गवन्द), 12-24 ( पयोधर), 11-26 (चल), 10-28 (वानर), 9-30 (त्रिकल), 8-32 (कच्छप), 7-34 (मच्छ), 6-36 (शार्दूल), 5-38 (अहिवर), 4-40 (ब्याल), 3-42 (विडाल), 2-44 (श्वान), 1-46 (उदर), 0-48 (सर्प) ।, अस्तु दोहा में कम से कम 2 गुरु अनिवार्य हैं। स्पष्ट है 1 और 0 गुरु वाले भेद क्रमशः उदर और सर्प संभव ही नहीं हैं। इनके जो उदाहरण पूर्ववर्ती विद्वानों द्वारा दिये गये हैं वे सभी अशुद्ध हैं और भविष्य में जो उदाहरण दिये जायेंगे वे सभी अशुद्ध होंगे। कुछ परंपरावादी विषम चरणान्त में आने वाले नयन, शयन जैसे शब्दों का उच्चारण नैन, शैन जैसा कर असंगत परम्परा का पोषण करने का प्रयास करते हैं जो अशुद्ध और नितांत भ्रामक है। यदि 23 भेदों पर ही विचार करें तो रेखांकनीय है कि बुद्धि विलास के लिए इसी प्रकार लगभग सभी मात्रिक छन्दों के भेद किये जा सकते हैं लेकिन रचनाकर्म के लिए उनका कोई महत्व नहीं होगा। अज्ञेय,14,अनाथ लड़की,1,अनुपमा का प्रेम,1,अनुभव,1,अनुराधा,1,अनुरोध,1,अपना गान,1,अपनी करनी,1,अभागी का स्वर्ग,1,अमृत,1,अमृता प्रीतम,8,अलग्योझा,1,अशआर,1,अश्वघोष,6,आख़िरी तोहफ़ा,1,आखिरी मंजिल,1,आत्म-संगीत,1,आर्यन मिश्र,2,इज्ज़त का ख़ून,1,उद्धार,1,उपन्यास,48,कफ़न,1,कबीरदास,2,कबीरदास जी के दोहे,3,कर्मों का फल,1,कवच,1,कविता,56,कहानी,130,क़ातिल,1,कुंडलिया छंद,5,क्योंकर मुझे भुलाओगे,1,क्रान्ति-पथे,1,ग़ज़ल,102,ग़ज़ल की 32 बहर,1,गजलें,1,ग़रीब की हाय,1,गिरधर कविराय,5,गिरधर की कुंडलिया,4,गिरधर की...

छंद की परिभाषा, भेद, भाग और प्रयोग

छंद की परिभाषा – Chhand Ki Paribhasha हिंदी व्याकरण में जब वर्णों को काव्य रचना के दौरान क्रमानुसार, मात्रानुसार, यति गति और व्याकरण सम्बन्धी नियमों के आधार पर नियोजित किया जाता है, तब वह छंद कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, छंद काव्य रचनाओं में मौजूद छोटी बड़ी ध्वनियों, लघु दीर्घ उच्चारणों और मात्राओं के मध्य सामंजस्य स्थापित करते हैं। छंद (Chhand) चद् धातु से मिलकर बने होते हैं। जिनका अर्थ होता है आह्रादित करना। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब वाक्य में वर्णों और मात्राओं के नियमन या विन्यास के दौरान आह्राद उत्पन्न होता है, तब वहां छंद मौजूद होते हैं। साथ ही छंदों की गति, रचना और गुण अवगुण आदि का अध्ययन कराने वाले शास्त्र को छंद शास्त्र कहते हैं। छंद मुख्यता किसी वाक्य में लय को बताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। छंद के भाग – Chhand ke Bhag • चरण – छंद में मौजूद समस्त पंक्तियों को चरण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, चरण छंद के चतुर्थाश भाग कहलाते हैं। प्रायः छंद के दूसरे और चौथे चरण को समचरण कहते हैं। तो वहीं छंद के पहले और तीसरे चरण को विषम चरण कहते हैं। • वर्ण – मुख से निकलने वाली ध्वनि को सूचित करने के लिए जो चिह्न निर्धारित किए गए हैं, वह वर्ण कहलाते हैं। यह मुख्यता दो प्रकार के होते हैं- 2.1 लघु वर्ण – जिन वर्णों को बोलने में कम समय लगता है, वह लघु वर्ण कहलाते हैं। इसको (|) से प्रदर्शित करते हैं। 2.2 गुरु वर्ण – जिन वर्णों के उच्चारण में लघु वर्ण से अधिक समय लगता है, वह गुरु वर्ण कहलाते हैं। जिन्हें (S) से प्रदर्शित करते हैं। • मात्रा – छंद में लघु और गुरु वर्ण को प्रदर्शित करने के लिए जिन चिह्ननों का प्रयोग होता है, वह मात्रा कहलाते हैं। जैसे – लघु वर्ण (|) और गुरु वर्ण (S)...

दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण

दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण | doha chhand in hindi दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण | doha chhand in hindi | दोहा छंद के उदाहरण दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण :दोस्तों हमारा आज का टॉपिक दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण | doha chhand in hindi | दोहा छंद के उदाहरण है। हमे अनेक परीक्षाओं में दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण से संबंधित प्रश्न आते हैं। इसलिए आज आपको इस टॉपिक की विधिवत जानकारी देंगे। दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण | doha chhand in hindi | दोहा छंद के उदाहरण Tags – ,doha chhand in hindi,doha chhand example in hindi,doha chhand ke example in hindi,doha chhand ka example in hindi,doha chhand ki paribhasha in hindi,doha chhand ke udaharan in hindi,doha chhand ke lakshan in hindi,दोहा छंद इन हिंदी,doha chhand,,दोहा छंद का एक उदाहरण दीजिए, दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण | doha chhand in hindi | दोहा छंद के उदाहरण Doha दोहा छंद का सूत्र –“ तेरह विषम न जादि में , सम ग्यारह कललान्त।” इस दोहा में चार चरण होते हैं। पहले और तीसरे चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। चरण के अन्त में यति होती है। इसके पहले और तीसरे चरणों के आदि में जगण नहीं होना चाहिए। दूसरे व चौथे चरण के अन्त में 1 लघु अवश्य होना चाहिए। विशेष-दोहा भी बरवै के समान दो दलों में लिखा जाता है। दोहा छंद के नियम | दोहा छंद पहचानने का तरीका (1) दोहा छंद में पहले और तीसरे चरण में 13 – 13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में 11 – 11 मात्राएँ होती हैं। (2) दोहा छंद में पहले और तीसरे चरणों के आदि में जगण नहीं होना चाहिए। (3) दोहा छंद में दूसरे व चौथे चरण के अन्त में 1 लघु अवश्य होता ...

दोहा छंद की परिभाषा और उदाहरण

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छंद की परिभाषा, भेद, अंग, chhand ki paribhasha, bhed, ang

Table of Contents • • • • • छंद की परिभाषा, भेद, अंग, chhand ki paribhasha, bhed, ang छंद शब्द ‘ छम्‘ और ‘ द‘ दो शब्दों के योग से बना है, जिसमें छम् का अर्थ होता है ‘समुचित आकार‘ और ‘ द‘ का अर्थ होता है, देने वाला, इस प्रकार छंद का अर्थ हुआ समुचित आकार देने वाला अर्थात काव्य का वह रूप जो उसे समुचित आकार प्रदान करें उसे छंद कहते हैं। छंद संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य पिंगल हैं इन्होंने छंद सूत्र लिखा। जिसे पिंगल सूत्र भी कहा गया। भारतीय आचार्य छंद का उद्गम ऋग्वेद से मानते हैं। छंद शास्त्र को पिंगल शास्त्र भी कहा जाता है। छंद का वर्णन सर्वप्रथम वेदांग में मिलता है। वेद के अध्ययन के लिए वेदांग का ज्ञान आवश्यक है। वेदांग के 6 अंग हैं। इन 6 अंगों के अलग-अलग प्रवर्तक हैं। और इन छह वेदांगों का शरीर के अलग-अलग भागों से संबंध है जो निम्नवत् है- वेदांग प्रवर्तक शरीर अंग शिक्षा वामत्ज्य नाक कल्प गौतम हाथ व्याकरण पाणिनि मुख निरुक्त यास्क कान ज्योतिष लगध आंख छंद पिंगल पैर छंद की परिभाषा छंद के संबंध में पाणिनि ने कहा है ‘छंद: पादौ तु वेदस्य’ अर्थात बिना छंद के वेद चलने में असमर्थ है। वैदिक वार्तिककार सायण ने लिखा है ‘ अपमृत्युं वारयितुं आच्छादयति इति छंद:‘ अर्थात कवि और उसकी कृति को जो अपमृत्यु से बचाता है वह छंद है। छंद के बारे में अमर सिंह ने कहा है कि ‘ लयाधारो छंद:‘ अर्थात छंद का आधार लय माना जाता है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने छंद की परिभाषा देते हुए कहा है “छोटी-छोटी ध्वनियों के प्रवाह पूर्ण सामंजस्य का नाम छंद है।” छंद के अंग छंद के कुल पांच अंग हैं 1- यति 2- गति 3- लघु 4- गुरु 5- गण 1- यति- छंद के उच्चारण में जहां जिह्वा विराम लेती है उसे यदि कहते हैं। अल्पविराम की तरह यति को समझना...

दोहा छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण – Best Hindi Blog in India

दोहा छन्द सम मात्रिक के अंतर्गत आता है इसमें छोटे छोटे चार चरण होते हैं यह छन्द हिंदी व्याकरण के सबसे महत्वपूर्ण छन्द में से एक है, इसलिए इस लेख में आप दोहा छन्द की परिभाषा तथा दोहा छन्द के उदाहरण के बारे में पड़ेंगे। दोहा छन्द के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें। दोहा छन्द की परिभाषा दोहा छन्द चार चरणों वाला एक छन्द होता है, इस छन्द के पहले तथा तीसरे चरण में तेरह – तेरह मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरण में ग्यारह – ग्यारह मात्राएँ होती हैं। दोहा छन्द के चरणों के अंत मे लघु होता है। दोहा छन्द एक सम मात्रिक छन्द होता है। दोहा छन्द के उदाहरण रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून।। बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंहे करैं भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय।। पवन तनय संकट हरण, मंगल मूरती रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहिं सुर भूप।। उपरोक्त दिए गए उदाहरणों में पहले तथा तीसरे चरणों में 13 – 13 मात्राएँ तथा दूसरे और चौथे चरणों में 11 – 11 मात्राएँ उपस्थित है अतः यह दोहा छन्द के उदाहरण हैं। आज इस लेख में हमने आपको दोहा छंद के बारे में उदाहरण सहित सम्पूर्ण जानकारी दी गई है यदि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसन्द आयी हो तो इसे आगे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। Related Posts: • कुंडलियाँ छंद की परिभाषा एवं उदाहरण • रोला छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण • मात्रिक छन्द की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण • छप्पय छन्द की परिभाषा एवं उदाहरण • चौपाई छन्द की परिभाषा और उदाहरण • हरिगीतिका छन्द की परिभाषा और उदाहरण • बरवै छंद की परिभाषा और उदाहरण • उल्लाला छंद की परिभाषा एवं उदाहरण • मुक्त छंद की परिभाषा और उदाहरण • वार्णिक छन्द की परिभाषा, प्रकार...

Class 9th Hindi Grammar : काव्य

हिन्दी व्याकरण कक्षा नवमीं (Class 9th Hindi Grammar) काव्य की परिभाषा एवं भेद प्रश्न 1. काव्य की परिभाषा लिखिए तथा उसके भेद बताइए । उत्तर – “काव्य हमारे भावों, विचारों की शाब्दिक अभिव्यक्ति है जो आनंद की अनुभूति कराने वाली होने के कारण संरक्षणीय है “ आचार्य विश्वनाथ ने परिभाषा दी है- ‘रसात्मकं वाक्यं काव्यम्’। काव्य के दो प्रकार होते हैं- (1) श्रव्य काव्य, (2) दृश्य काव्य । प्रश्न 2. श्रव्य काव्य तथा दृश्य काव्य के भेद बताइए । उत्तर- श्रव्य काव्य के दो भेद होते हैं- (1) प्रबंध काव्य, (2) मुक्तक काव्य । प्रबंध काव्य के भी दो भेद होते हैं – (1) महाकाव्य, (2) खण्डकाव्य । मुक्तक काव्य के दो भेद होते हैं- (1) पाठ्य मुक्तक, (2) गेय मुक्तक । दृश्य काव्य के नाटक, एकांकी आदि भेद होते हैं। प्रश्न 3. प्रबन्ध काव्य की परिभाषा भेद सहित लिखिए। अथवा प्रबन्ध काव्य का अर्थ लिखते हुए उसके भेदों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए। उत्तर—प्रबन्ध काव्य विषय प्रधान एवं वर्णनीय होता है। इसमें कथावस्तु के अनुकूल घटना विशेष का क्रमबद्ध रूप से काव्यात्मक वर्णन होता है। प्रबन्ध काव्य के दो भेद होते हैं- (1) महाकाव्य (‘रामचरितमानस’), (2) खण्डकाव्य (‘ सुदामाचरित) । प्रश्न 4. महाकाव्य किसे कहते हैं ? दो प्रमुख महाकाव्यों एवं उनके रचनाकारों के नाम लिखिए। अथवा महाकाव्य किसे कहते हैं ? हिंदी के दो महाकाव्यों के नाम लिखिए। उत्तर-महाकाव्य विस्तृत होता है। इसमें प्रकृति का विशद् चित्रण होता है। जीवन के समग्र रूप का उल्लेख होता है तथा पात्रों की संख्या अधिक होती है। हिंदी के दो महाकाव्य निम्नलिखित हैं- (1)’ रामचरितमानस’ (तुलसीदास), (2) ‘ कामायनी’ (जयशंकर प्रसाद) । प्रश्न 5. खण्डकाव्य किसे कहते हैं ? हिंदी के चार खण्ड...